वाख Show काव्यांशों पर आधारित अति लघूत्तरीय एवं लघूत्तरीय प्रश्न 1. रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव। प्रश्न (क) कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास असफल क्यों हो रहे हैं ? प्रश्न (ख) कवयित्री अपनी पुकार किसे सुनाना चाहती है ? उत्तरः कवयित्री अपनी पुकार परमात्मा तक पहुँचाना चाहती है। प्रश्न (ग) कवयित्री किस घर में जाना चाहती है ? उत्तरः कवयित्री परमात्मा के पास जाना चाहती है। वह परमात्मा के घर को ही अपना घर मानती है। अथवा रस्सी ........................................................................................... चाह है घेरे। प्रश्न (क) कवयित्री और कविता का नाम लिखो। उत्तरः कवयित्री-ललद्यद, कविता-वाख। प्रश्न (ख) ‘रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव’ का अभिप्राय स्पड्ढ करो। उत्तरः इस पंक्ति का अभिप्राय है -झूठे आस्था एवं विश्वासों के सहारे जीवन-नौका का चलना। प्रश्न (ग) कच्चे सकोरे का उदाहरण क्यों दिया गया है? उत्तरः कच्चे सकोरे से पानी टपकता रहता है। उसमें दृढ़ता नहीं होती है। इसलिए उसके प्रयास व्यर्थ हो रहे हैं। जीवन नश्वर एवं क्षण भंगुर है। जब तक ईश्वर प्राप्ति के साधनों में दृढ़ता नहीं है तब तक उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता। अथवा रस्सी ........................................................................................ चाह है घेरे। प्रश्न (क) कवयित्री और कविता का नाम लिखिए। उत्तरः कवयित्री-ललद्यद, कविता-वाख। प्रश्न (ख) कवयित्री किसको और क्यों पुकार रही है? उत्तरः कवयित्री ईश्वर से भवसागर को पार करवाने के लिए पुकार रही है। प्रश्न (ग) ‘प्रयास व्यर्थ होना’ को कवयित्री ने किस उदाहरण से व्यक्त किया है? उत्तरः कवयित्री ने कच्चे सकोरे का उदाहरण देकर यह बताया है कि मेरे प्रयास इसलिए व्यर्थ हैं क्योंकि मेरी साधना अभी परिपक्व नहीं है। 2. खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं [C.B.S.E. 2016 Term I 068PDDH] प्रश्न (क) खा-खाकर कुछ नहीं प्राप्त होने का भाव स्पष्ट कीजिए। प्रश्न (ख) क्या न खाने से व्यक्ति अहंकारी बनता है और कैसे ? प्रश्न
(ग) सम खाने का आशय स्पष्ट कीजिए। अथवा खा-खाकर ............................................................................ बंद द्वार की। प्रश्न (क) कवयित्री और कविता का नाम लिखो। प्रश्न (ख) कौन-सी भावना ईश्वर-प्राप्ति में बाधक है? प्रश्न (ग) ‘खा-खाकर’ में कौन-सा अलंकार है? 3. आई सीधी राह से, गई न सीधी राह। [C.B.S.E. 2012, 10 Term I, Set 045 A1, C2] प्रश्न (क) कवयित्री के सीधा आने और सीधा न जाने से क्या तात्पर्य है ? प्रश्न (ख) कवयित्री का माझी से क्या अभिप्राय है? प्रश्न (ग) कवयित्री माझी के समक्ष क्यों परेशान है? 4. थल-थल में बसता है शिव ही, प्रश्न (क) सच्चा ज्ञानी कौन है? [C.B.S.E. 2012, 10 Term I, Set 29A1, C1] उत्तरः सच्चा ज्ञानी वह होता है जो स्वयं को जान लेता है। वह ईश्वर को भी पहचान लेता है। प्रश्न (ख) कवयित्री वेळ अनुसार ईश्वर कहाँ बसता है? प्रश्न (ग) कवयित्री एवं कविता का नाम लिखिए। उत्तरः कवयित्री-ललद्यद, कविता-वाख। यहाँ पढ़ें: पठन सामग्री और व्याख्या - वाख पाठ के NCERT Solutions को यहाँ देखें। वाख कविता की कवयित्री का नाम क्या है?Answer: वाख कविता का सारांश : प्रस्तुत वाखों का संकलन मीरा कान्त जी ने किया है। यहाँ प्रस्तुत वाखों में कवयित्री ललघद हमें यह कहना चाह रही हैं कि ईश्वर को ढूंढने के लिए मंदिर-मस्जिद में जाने से कोई फायदा नहीं होगा। ईश्वर को प्राप्त करने का केवल एक ही मार्ग है।
वाख की कवयित्री का कौन सा प्रयास व्यर्थ हो रहा है?कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से क्या तात्पर्य है ? 4. भाव स्पष्ट कीजिए- (क) जेब टटोली कौड़ी न पाई । (ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी ।
वाख से कवयित्री का क्या आशय है?Answer: यहाँ रस्सी से कवयित्री का तात्पर्य स्वयं के इस नाशवान शरीर से है। उनके अनुसार यह शरीर सदा साथ नहीं रहता। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ देता है और इसी कच्चे धागे से वह जीवन नैया पार करने की कोशिश कर रही है।
वाख कौन लिखा है?वाख की रचयिता है ललहाद (चौथा विकल्प) |
ललहाद का जन्म लगभग 1320 में कश्मीर के पांपोर गांव में हुआ था।
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