राहु (प्रतीक: ) हिन्दू ज्योतिष के अनुसार स्वरभानु नाम के दानव का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण करता है। इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले नाग के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और रथ आठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा खींचा जा रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है। दिन में राहुकाल नामक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। Show
समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक दानव ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यही सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना और सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है। इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है। ग्रहण करने के पश्चात सूर्य राहु से और चंद्र केतु से,उसके कटे गले से निकल आते हैं और मुक्त हो जाते हैं। भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु सूर्य एवं चंद्र के परिक्रमा पथों के आपस में काटने के दो बिन्दुओं के द्योतक हैं जो पृथ्वी के सापेक्ष एक दुसरे के उल्टी दिशा में (१८० डिग्री पर) स्थित रहते हैं। चुकी ये ग्रह कोई खगोलीय पिंड नहीं हैं, इन्हें छाया ग्रह कहा जाता है। सूर्य और चंद्र के ब्रह्मांड में अपने-अपने पथ पर चलने के अनुसार ही राहु और केतु की स्थिति भी बदलती रहती है। तभी, पूर्णिमा के समय यदि चाँद राहू (अथवा केतु) बिंदु पर भी रहे तो पृथ्वी की छाया पड़ने से चंद्र ग्रहण लगता है, क्योंकि पूर्णिमा के समय चंद्रमा और सूर्य एक दुसरे के उलटी दिशा में होते हैं। ये तथ्य इस कथा का जन्मदाता बना कि "वक्र चंद्रमा ग्रसे ना राहू"। अंग्रेज़ी या यूरोपीय विज्ञान में राहू एवं केतु को को क्रमशः उत्तरी एवं दक्षिणी लूनर नोड कहते हैं। राहु पौराणिक संदर्भों से धोखेबाजों, सुखार्थियों, विदेशी भूमि में संपदा विक्रेताओं, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कृत्यों, आदि का प्रतीक रहा है। यह अधार्मिक व्यक्ति, निर्वासित, कठोर भाषणकर्त्ताओं, झूठी बातें करने वाले, मलिन लोगों का द्योतक भी रहा है। इसके द्वारा पेट में अल्सर, हड्डियों और स्थानांतरगमन की समस्याएं आती हैं। राहु व्यक्ति के शक्तिवर्धन, शत्रुओं को मित्र बनाने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक रहता है। बौद्ध धर्म के अनुसार राहु क्रोधदेवताएं में से एक है। राहु किस राशि में उच्च का होता है Rahu kis rashi me uchh ka hota hai : हेलो मित्रों नमस्कार कैसे हैं आप सभी लोग हम उम्मीद करते हैं आप सब लोग बहुत अच्छे होंगे तो मित्रों आज हम इस लेख में बात करेंगे राहु किस राशि में उच्च होता है क्योंकि राहु किसी भी राशि का ग्रह नहीं है और ना तो स्वामी है. इसीलिए राहु केतु को एक छाया ग्रह माना गया है जो समय-समय पर हर एक राशि में उपस्थित होता रहता है और जब राहु केतु किसी भी राशि में उपस्थित होते हैं तो उसी ग्रह के अनुरूप उस व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ देते हैं. इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में राहु केतु की कल्पना सांप से की गई है क्योंकि राहु का धड़ सांप की मुख जैसा और केतु का धड़ सांप की पूंछ जैसा होता है इसीलिए इन दोनों को आपस में मिलाकर संपूर्ण प्रकृति सांप जैसी नजर आती है. इसीलिए राहु केतु की कल्पना सांप से की गई है ऐसे में कहा गया है. जब यह दोनों किसी भी राशि में भ्रमण करते हैं तो इनकी छाया उस ग्रह पर शुभ और अशुभ प्रभाव डालने के लिए मजबूर कर देता है. इसीलिए हर राशि के जातक जातिका को राहु और केतु के विषय में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए क्योंकि यह दोनों रहस्यआत्मक ग्रह है जो अचानक से किसी भी राशि में प्रवेश करके शुभ और अशुभ घटनाएं घटित करते रहते हैं. इसीलिए राहु केतु का कब किस राशि पर कैसा प्रभाव पड़ेगा कुछ पता नहीं चल पाता है ऐसे में अगर आप राहु केतु किस समय किस भाव में प्रवेश करते हैं इसकी जानकारी प्राप्त कर लेंगे तो आपके लिए बहुत ही अच्छा रहेगा. क्योंकि तब आप यह जान पाएंगे कि राहु केतु कब आपकी राशि में प्रवेश करेगा और आपको इसके प्रवेश करने का कैसा फल मिलेगा ,ऐसे में अगर आप लोग राहु किस राशि के लिए कब शुभ और अशुभ होते हैं से संबंधित विशेष जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया करके इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें. Table of contents : दिखाएँ 1. राहु किस राशि में उच्च का होता है ? | Rahu kis rashi me uchh ka hota hai ? 1.1. 1. मिथुन राशि 1.2. 2. कुंभ और मकर राशि 1.3. 3. किसी व्यक्ति की कुंडली के दसवें भाव में उच्च होता है 1.4. 4. गोचर भ्रमण के समय राहु 3, 6, 10, 11 और दसवें भाव में उच्च 2. केतु किस राशि में उच्च का होता है ? | ketu kis rashi me uchch ka hota hai ? 2.1. 1. धनु राशि के लिए शुभ 2.2. 2. हिंदू पंचांग के दूसरे और आठवें भाव में शुभ होता है. 2.3. 3. गोचर भ्रमण के दौरान 3. राहु केतु के अशुभ प्रभाव से बचने के प्रभावशाली उपाय | Rahu ketu ke ashubh prabhav se bachne ke prabhavshali upay 3.1. बीज मंत्र : 4. FAQ : राहु किस राशि में उच्च का होता है ? 4.1. FAQ title 5. निष्कर्ष राहु किस राशि में उच्च का होता है ? | Rahu kis rashi me uchh ka hota hai ?ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 3 ऐसी राशि बताई गई हैं जो राहु के लिए उच्च राशिया मानी गई है ऐसा कहां जाता है अगर राहु इन राशियों का भ्रमण या प्रवेश करता है तो उन राशियों के जातक जातिका के जीवन में किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं रह जाता है इसीलिए आइए जानते है वह कौन-कौन सी राशि है जैसे, 1. मिथुन राशि[राशिफल 2023 : जाने यह साल कैसा रहेगा ] ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर राहु की छाया मिथुन राशि पर पड़ती है तो मिथुन राशि के जातक जातिका के जीवन में इसकी छाया का बुरा असर नहीं पड़ता है और शुभ फल प्रदान होता है . 2. कुंभ और मकर राशिकुभ, मकर राशि के स्वामी शनि ग्रह को माना गया है और यह भी कहा जाता है कि शनि ग्रह सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली है इसीलिए हर ग्रह शनिदेव के अधीन चलते हैं. ऐसे में अगर राहु की छाया कुंभ और मकर राशि पर पड़ती है तो कुंभ और मकर राशि के जातक जातिका के जीवन में राहु की छाया का बहुत ही शुभ प्रभाव पड़ता है और उनके जीवन में आने वाली अनेक बाधाएं समाप्त हो जाती हैं क्योंकि राहु भी शनिदेव का दूसरा रूप है. 3. किसी व्यक्ति की कुंडली के दसवें भाव में उच्च होता हैज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया गया है जब राहु किसी व्यक्ति की कुंडली के दसवें भाव में उपस्थित होता है तो इस उपस्थिति से उस व्यक्ति के जीवन में शुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं और वह व्यक्ति चौमुखी विकास को प्राप्त करता है. यानी कि चारों तरफ से उसके जीवन में खुशियां ही खुशियां आ जाती हैं. क्योंकि जब राहु दसवें भाव में रहता है तो राजयोग बनता है और जिस व्यक्ति की कुंडली में राजयोग बनता है. वह व्यक्ति राजा के समान धनवान तथा महान बन जाता है. 4. गोचर भ्रमण के समय राहु 3, 6, 10, 11 और दसवें भाव में उच्चज्योतिष शास्त्र में गोचर का सीधा संबंध ग्रहों की चाल से लिया गया है जिसके साथ में राहु भी सभी राशियों में भ्रमण करता है और जब यही नवग्रह आपस में मिलकर राशियों का भ्रमण करते हैं तो उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलता है.\ इसी तरह से केतु, राहु भ्रमण के दौरान कुंडली के तीसरे छठे दसवें और ग्यारहवें भाव में प्रवेश करता है तो इन राशियों को राहु की छाया से शुभ प्रभाव पड़ता है और इनके जीवन में आगमन के नए रास्ते नजर आने लगते हैं जिससे यह लोग बहुत जल्दी धनवान और समाज में मान सम्मान को प्राप्त करते हैं. इस जानकारी को सही से समझने हम नये लेख आप को सीधा ई-मेल कर देंगे ! ▼▼ यंहा अपना ई-मेल डाले ▼▼ Email Address सदस्यता ले Join 460 other subscribers ★ सम्बंधित लेख ★
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बीज मंत्र :
ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः का 18,000 बार जाप करें.
FAQ : राहु किस राशि में उच्च का होता है ?FAQ titleFAQ description निष्कर्षमित्रों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख में राहु किस राशि में उच्च का होता है इसके विषय में संपूर्ण जानकारी देने की पूरी कोशिश की है जिसमें हमने आप लोगों को खास करके राहु किस राशि के लिए शुभ और किस राशि के लिए अशुभ होता है इसके विषय में बताया है साथ में राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कुछ शास्त्री द्वारा बताए गए प्रभावशाली उपाय की जानकारी भी प्रदान की है . अगर आप लोगों ने इस लेख को शुरू से अंत तक ध्यानपूर्वक से पढ़ा होगा तो आप लोगों को राहु और केतु दोनों से संबंधित विशेष जानकारी प्राप्त हो गई होगी तो हमारे प्रिय मित्रों हम उम्मीद करते हैं आप लोगों को हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी और यह लेख आप लोगों के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. राहु कितने डिग्री पर उच्च का होता है?* राहु शून्य डिग्री से 20 डिग्री में हो तो अच्छा फल देता है जबकि 20 डिग्री से 30 डिग्री में मिश्रित फलदायी है। * जन्म नक्षत्र में ही राहु हो तो भी उसका अच्छा फल प्राप्त होता है।
उच्च का राहु क्या फल देता है?ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कुंडली में उच्च का राहु व्यक्ति का भाग्य बदल देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है, उसे अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति के आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बलवान होता है।
राहु उच्च का कब होता है?कुण्डली में राहु यदि वृष राशि मे स्थित है तब यह राहु की उच्च स्थिति होगी. राहु उच्च का कहलायेगा. यह राहु की अति बली अवस्था होती है. मतान्तर से राहु को मिथुन राशि में भी उच्च का माना जाता है.
राहु मजबूत है या कमजोर कैसे पता चलेगा?- यदि कुंडली में राहु अशुभ हो तो जातक नशे की लत का शिकार हो जाता है. - व्यक्ति बात-बात पर चिड़चिड़ाता है. साथ ही ऐसे लोग हमेशा रोना ही रोते हैं और भविष्य को लेकर बुरी तरह उदासीन हो जाते हैं. - घर में बॉशरूम-टॉयलेट का गंदा या टूटा-फूटा रहना राहु को खराब करता है.
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