बारहवीं के बाद हर किसी का यह सवाल रहता है कि आगे किस करियर में जाना बेहतर होगा। हालाकि आधी दुविधा आपके दसवीं के बाद अपने मन चाहे सब्जेक्ट चुनने से हल हो जाती है। लेकिन उसके बाद भी छात्रों के मन में अपने भविष्य को लेकर चिंता बनी रहती है। हर छात्र की ख़्वाहिश होती है की वे अपने चुने हुए करियर में बेहतर कर पाए और निरंतर आगे बढ़ पाए। तो जब भी समाज में यह सवाल आता है कि बारहवीं के बाद क्या किया जाए तो सबके मुख पर कुछ नाम रहते है जिसमें डॉक्टर बनना अव्वल नंबर पर आता है। तो डॉक्टर कैसे बने ,क्या रहेगा प्रोसेस जान्ने के लिए ब्लॉग को एन्ड तक पढ़े। Show
This Blog Includes:
डॉक्टर क्यों बनें ?मेडिकल फील्ड की बात की जाए तो आज के समय में साइंस हर विषय में तरक्की कर रहा है और आगे बढ़ रहा है। हमारे साइंटिस्ट हर दिन कुछ न कुछ खोज और आविष्कार करते नज़र आते है। अतीत की तरफ देखा जाए तो आज लगभग हर बिमारी और हर समस्या का समाधान साइंस के पास उपलब्ध है। डॉक्टर, साइंटिस्ट, इंजीनियर्स आदि ऐसे क्षेत्र है जिसमें आपके काम करने और नई चीज़ो को गहराई से जानने का स्कोप बढ़ जाता है और बेहतर तनख्वाह के साथ साथ पर्स्नल ग्रोथ भी मिलती है। एक डॉक्टर अपनी पढ़ाई के दौरान यह तय कर सकता है कि उसकी रूचि ज़्यादा किस विषय में है। मेडिकल की पढ़ाई के साथ साथ आपको यह डिसाइड करना भी आवश्यक है कि आप किस प्रकार के डॉक्टर बनना चाहते हैं। आइए जानते है डॉक्टर्स के प्रकार जिससे आपको यह अंदाज़ा लग पाएगा और आप बेहतर विकल्प चुन पाएंगे।
ये भी पढ़ें : ऑर्थोपेडिक डॉक्टर कैसे बनें ? डॉक्टर बनने के लिए अनिवार्य स्किल्सपढ़ाई में अच्छे होने के साथ साथ एक डॉक्टर में कुछ महत्वपूर्ण स्किल्स का होना आवश्यक है जो एक छात्र को बेहतर डॉक्टर बनने के लिए अनिवार्य है। कुछ महत्वपूर्ण स्किल्स की लिस्ट नीचे दी गयी है।
करियर के हर पड़ाव पर कम्युनिकेशन की स्किल आपको बहुत लाभ पंहुचा सकती है। यह आपको अपनी बात कहने में और दूसरे व्यक्ति की बात समझने में मदद करती है जोकि आगे बढ़ने के लिए अति आवश्यक स्किल्स मानी जा सकती है। मरीज़ो से बात करना, उनकी समस्या को बेहतर तरीके से सुन्ना विचार करना और हालात अनुसार उनका जवाब दे पाना इस स्किल्स के भीतर आता है।
कई बार परिस्थितियों के अनुसार आपको अपने भाव को आगे रखकर मरीज़ की बात को गहराई से समझने की आवश्यकता पढ़ती है जिसमे आपके भाव को महसूस करने की प्रक्रिया को तीव्र होना माईने रखता है। तो एक डॉक्टर को इमोशनल इंटेलिजेंस का इस्तमाल करना ज़रूरी है।
मेडिकल फील्ड एक तरह से डिटेक्टिव वर्क जैसा माना जाता है जिसमें छोटी छोटी कड़िओं को जानकार आपको अंजाम और मुख्य समस्या तक पहुंचना होता है। इस कार्य के लिए आपकी चीज़ों को सुलझाने और समस्या की गहराई तक जाने की स्किल्स काम में आती है जिसे प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स कहा जा सकता है।
एक डॉक्टर को बहुत से ऐसे क्षण देखने को मिलते है जिसमें आपको कम समय में सटीक काम करने की आवश्यकता होती है। हस्पताल जैसी जगाहें जहाँ छोटी बातें नज़रंदाज़ होनें की गुंजाइश ज़्यादा रहती है वहां भी आपको हर छोटी डिटेल पर विस्तार से और ध्यान से जांच करने की आवश्यकता होगी। तो यह स्किल आपको छोटी चीज़ों पर भी बारीकी से ध्यान देने के बारे में है।
फैसले लेने की कला यहाँ बहुत आवश्यक मानी गयी है। एक डॉक्टर के हाथ में एक मरीज़ की जान और उसकी बेहतरी की ज़िम्मेदारी होती है और सही समय पर सही फैसला किसी की जान बचा भी सकता है और खतरे में भी डाल सकता है। एक डॉक्टर के अंदर सही और फास्ट फैसले लेने की कला या स्किल्स हुआ अनिवार्य है। ये भी पढ़ें : वेटेरिनरी डॉक्टर कैसे बनें ? एक डॉक्टर की भूमिकाएं और ज़िम्मेदारियाएक डॉक्टर बनने के साथ डॉक्टर की फील्ड से जुड़ी बाकि शाखाओं और स्पेशलाइज़ेशन की बात भी साथ में चर्चा में आती है। पढ़ाई के दौरान एक छात्र डॉक्टर बनने के विचार के साथ साथ जिस शाखा को चुनना है यह भी निर्धारित करता है। एक व्यक्ति डॉक्टर तभी कहलाता है जब उसको लोगों की समस्यायों के निवारण हेतु लाइसेंस दिया जाता है जिससे यह पता चलता है कि एक व्यक्ति हस्पतालों, इमरजेंसी रूम्स , लैब्स और बाकी इंस्टिट्यूशन में नौकरी करने और सेवा प्रदान करने योग्य है। एक डॉक्टर की बेसिक ज़िम्मेदारियों की लिस्ट निम्नलिखित है –
ये भी पढ़ें : योग में डिप्लोमा डॉक्टर कैसे बनें : स्टेप बाए स्टेप गाइडएक डॉक्टर बनना आसान नहीं। इस क्षेत्र को चुनने के बारे में सोचने से ही आपकी गंभीरता और फैसले लेने की प्रक्रिया में बदलाव आ जाता है। एक एवरेज स्टूडेंट अपनी दसवीं के बाद मेडिकल लेने की नहीं सोच सकता। इसी स्टेप से मालूम पड़ता है कि अगर आप अपनी पढ़ाई में गंभीरता से जुड़े हैं तो ही इस फीलड की और कदम रख सकतें हैं। अगर आप डॉक्टर बनने की ख्वाहिश को सच्चाई में बदलना चाहते है तो दिए गए स्टेप्स आपको आपके लक्ष्य की और तेज़ी से ले जाएंगे।
टॉप मेडिकल कोर्सिज़बारहवीं के बाद किए जाने वाले प्रसिद्ध मेडिकल कोर्सिज़ की लिस्ट निम्नलिखित है।
ये भी पढ़ें : MBBS के बाद कोर्सिज़ टॉप मेडिकल कोर्सिज़ ( NEET एग्ज़ाम के बिना )मेडिकल फील्ड में NEET के एग्ज़ाम को काफी महत्वता दी जाती है लेकिन अगर आप बिना NEET एग्ज़ाम दिए मेडिकल में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आपके आप विकल्प मौजूद है जिनमें से कुछ की लिस्ट नीचे दी गयी है।
ये भी पढ़ें : कॉस्मेटोलॉजी में करियर दुनिया की टॉप मेडिकल युनिवर्सिटीज़विदेश में कई बेहतरीन मेडिकल स्कूल्ज़ मौजूद है जो मेडिकल डिग्री उपलब्ध कराते है जोकि MBBS की डिग्री के समान ही महत्व भी रखते हैं और आपके लिए बेहतर एक्सपोज़र प्रोवाइड करते हैं। आइए विदेश की कुछ युनिवर्सिटीज़ के बारे में जानते है जिन्हे QS वर्ल्ड रैंकिंग फॉर मेडिसिन के अनुसार टेबल में दर्शाया गया है –
टॉप इंडियन युनिवर्सिटीज़MBBS करने के लिए भारत के टॉप इंस्टिट्यूशंस के नाम NIRF की रेटिंग के आधार पर नीचे दिए गए हैं।
योग्यताMBBS में एडमिशन के लिए हर युनिवर्सिटी और जगह अनुसार योग्यताओं का मांग अलग पाया जा सकता है। बेसिक माप दंड की बात की जाए तो योग्यताएं कुछ इस प्रकार हैं।
नोट : दी गयी योग्यताएं एक बेसिक माप दंड है जो राज्य अनुसार बदल सकता है। बेहतर जानकारी के लिए चुनी गई युनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट ज़रूर विज़िट करें। ये भी पढ़ें : UK में हेल्थ केयर कोर्सिज़ आवेदन प्रक्रियामेडिकल युनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करना आवश्यक है। यह आवेदन प्रक्रिया आपको आपके मन चाहे कॉलेज में एडमिशन दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है-
विदेश में आवेदन प्रक्रियाविदेश के विश्वविद्यालयों में आवेदन करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपनी आवेदन प्रक्रिया का ख़ास ध्यान रखना होगा, नीचे दिए गए स्टेप्स को ध्यान से पढ़ें:-
आवश्यक दस्तावेज़डॉक्टर कैसे बनें ? जानने के साथ साथ उससे जुड़े कोर्स में अप्लाई करने के लिए छात्र को नीचे दिए गए दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी-
ये भी पढ़ें : UK में टॉप न्यूट्रिशन कोर्सिज़ एंट्रेंस एग्ज़ाममेडिकल फील्ड में देश विदेश की युनिवर्सिटीज़ में दिए जानें एंट्रेंस एग्ज़ाम की लिस्ट निम्नलिखित है।
मेडिकल क्षेत्र में स्कोपमेडिकल के क्षेत्र में डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्र के पास कई विकल्प हो सकते है जिसमें से एक को चुन कर वो भविष्य में अपने ज्ञान को प्रैक्टिकल वर्ल्ड में ला सकता है और बेहतर परफॉर्म कर सकता है। मुख्य रूप से देखा जाए तो विद्यार्थी के पास दो विकल्प होते है या तो वे अपनी उच्च डिग्री के लिए पढ़ाई को जारी रख सकता है या वे नौकरी के ज़रिए दुनिया में अपनी एक अलग जगह बनाने का प्रयास कर सकता है। अगर आप अपनी ग्रेजुएशन के बाद मास्टर करने का विकल्प चुनते हैं तो निम्नलिखित कोर्सिज़ रहेंगे बेस्ट।
जॉब प्रोफाइल्स एंड टॉप रिक्रूटर्समेडिकल फील्ड में डिग्री पाने वाले छात्र प्राइवेट और सरकारी दोनों सेक्टर्स में नौकरी करने का विकल्प चुन सकते हैं। मेडिकल क्षेत्र में आपने किसी भी स्पेशलाइज़ेशन को चुना हो लेकिन भविष्य में मिलने वाले ऑप्शंस काफी देखने को मिलेंगे। सेक्टर्स की बात करें तो बायोमेडिकल फर्म्स, मेडिकल सेंटर्स, हैल्थकेयर इंस्टिट्यूशन, लैबोरेटरीज़, इमरजेंसी रूम्स , कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स और प्राइवेट प्रैक्टिस में नौकरियों के भरमार ऑप्शंस उपलब्ध हैं जिसमे आप नौकरी पा सकते हैं। जैसा की समय अनुसार मेडिकल इंडस्ट्री सफलता की सीढ़ी चढ़ रही है नौकरियों और उपलब्धियों की संख्या भी बढ़ती नज़र आ रही है। आइए मेडिकल में डिग्री के बाद मिलने वाली जॉब प्रोफाइल्स की लिस्ट पर एक नज़र डालें।
मेडिकल फील्ड में ग्रेजुएशन किए छात्र के लिए टॉप रिक्रूटर्स की लिस्ट नीचे दी गई है।
सैलरीमेडिकल फील्ड में डिग्री कम्पलीट किए विद्यार्थी की सैलरी उसकी लगन, कार्यशीलता और एक्सपीरियंस के अनुसार अलग पाई जा सकती है। यह फर्क सेक्टर और कंपनी के अंतर से भी देखने को मिल सकता है जिसमें वे काम करते हैं। वर्षों के एक्सपीरियंस अनुसार छात्र की एवरेज सैलरी और सैलरी स्केल-अप नीचे टेबल में दर्शाए गए हैं।
डॉक्टर कैसे बनें ? – भिन्न क्षेत्रों मेंभिन्न प्रकार की डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद यह जानना भी ज़रूरी है किसी विशेष क्षेत्र में डॉक्टर बनने की क्या प्रक्रिया हो सकती है। कुछ प्रसिद्ध क्षेत्र और उनमें डॉक्टर कैसे बनें की प्रक्रिया निम्नलिखित है –
आर्मी में डॉक्टर बनने के लिए या तो आप दूसरे कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद आर्मी जॉइन कर सकते हैं या फिर अपना एमबीबीएस का कोर्स ओएफ़एमसी (आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज) से कर सकते हैं। आर्मी में रिक्रूटमेंट या तो परमानेंट कमीशन (पीसी) से होता है या शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) से। 50% जो पास आउट्स होते हैं एएफ़एमसी के उनको डायरेक्टली परमानेंट कमीशन मिलती है और बाक़िओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफर होती है। जो डॉक्टर सिविल मेडिकल कॉलेज से आते हैं उनको एंट्री एसएससी में मिलती है। एसएससी का कार्यकाल 5 साल का होता है जो और 9 साल तक के लिए बढ़ सकता है, दो भागों में – पहला 5 साल का और दूसरा 4 साल का। कुल मिलाकर एसएससी का कार्यकाल 14 साल तक का होता है। जो एएफ़एमसी वाले ग्रेजुएट्स होते है जिनको एसएससी ऑफर होता है उनको कम से कम 7 साल के लिए सर्वे करना होता है जो और 7 साल के लिए बढ़ सकता है।
भारत में RMP डॉक्टर यानी “रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर डॉक्टर” बनने के लिए डॉक्टरी में आपकी कुछ वर्षों का काम का अनुभव होना चाहिए। वहीं अगर बात की जाएं की आऱएमपी डॉक्टर बनने की शुरूआत कैसे हुई तो इंडियन मेडिकल काउंसिल (संशोधन) अधिनियम 1956 के अनुसार, बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) एक पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर (आरएमपी) बनने के लिए बुनियादी योग्यता मानी जाती है। RMP डॉक्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन करने के लिए, आपके पास एलोपैथिक, यूनानी, होम्योपैथी या आयुर्वेदिक संबंधित चिकित्सा पद्धति में आवश्यक योग्यता होनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति के पास यह आवश्यक योग्यता है तो वह इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में RMP डॉक्टर बनने के लिए आवेदन कर सकता है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर के बारे में वैसे तो काफी कम लोगों को ही पता होता हैं। लेकिन प्राचीन काल में आयुर्वेदिक डॉक्टर की काफी ज्यादा भूमिका थी। प्राचीन काल के दौरान आयुर्वेदिक डॉक्टर पेड़-पौधों की जड़ी – बूटियों से बनी दवाओं का प्रयोग करके लोगों का इलाज करते थे। अब जमाना बदल गया है। अब बहुत कम ही लोग इस आयुर्वेदिक डॉक्टर बनते हैं। लेकिन आज भी भारत में ऐसे कई लोग है जिनका आयुर्वेद पर पूरा भरोसा है और वे अपनी बीमारी का इलाज आज भी आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग से करते हैं। इसके अलावा कई लोगों का ये भी मानना है कि एलोपैथिक दवाओं के बढ़ते दुष्प्रभाव से बचने के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से इलाज कराते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रयोग करते है जिनका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है। इससे लोगों के शरीर पर कोई भी दुष्प्रभाव नही पड़ता है।
होम्योपैथी एक ऐसी पद्धति है जिसमें उपचार में तो समय लगता है लेकिन यह किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म कर देती है। यही वजह है जिसके कारण यह पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। अगर आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य देख सकते हैं। इस क्षेत्र की खासियत यह है कि यह आर्थराइटिस, डायबिटीज, थायरॉइड और अन्य तमाम गंभीर मानी जाने वाली बीमारियों का प्रभावी इलाज करती है और वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। आमतौर पर यह धारणा है कि होम्योपैथी दवाईयों का असर बहुत देर से होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, यह पद्धति केवल पुरानी और गंभीर बीमारियों को पूरी तरह ठीक करने में थोड़ा समय लेती है, अन्यथा बुखार, सर्दी-खांसी या अन्य मौसमी या छोटी-मोटी बीमारियों में होम्योपैथिक दवाएँ उतनी ही तेजी से असर करती हैं, जितनी कि अन्य पद्धतियों की दवाएँ। Credits – Study Buddy Clubविदेश के कुछ सबसे प्रसिद्ध डॉक्टर्सविदेश के कुछ सबसे प्रसिद्ध और जाने मानें डॉक्टर्स के नाम कुछ इस प्रकार हैं :-
भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध डॉक्टर्सभारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध और जाने मानें डॉक्टर्स के नाम कुछ इस प्रकार हैं :-
FAQsडॉक्टर बनने के लिए 12वीं के बाद क्या
करें? सबसे पहले 10th पास करने के बाद 12th में विज्ञान से बायोलॉजी सब्जेक्ट (PCB) का चुनाव करे. डॉक्टर बनने में कितना पैसा लगता है? सरकारी मेडिकल कॉलेज में भी फीस अलग-अलग होती है। पर सरकारी मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर बनने के लिए आपको औसतन ₹500000 से लेकर ₹1000000 तक FESS PAY करनी होती है। कम पैसे में डॉक्टर कैसे बने? अगर आपको मेडिकल कोर्स कम पैसो में करना है, तो आपको पहले ऑल इंडिया प्री मेडिकल एंट्रेस एग्जाम (एआईपीएमटी) क्वालिफाई करना होगा। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज– (JLN), अजमेर की फीस – ₹4900 प्रतिवर्ष है। इनमें से किसी भी कॉलेज में दाखिला मिल जाने पर आप बहुत ही आसानी से कम खर्च में अपना मेडिकल कोर्स पूरा कर सकेंगे। NEET की पढ़ाई में कितना पैसा लगता है? देश भर के 42 डीम्ड विश्वविद्यालयों में कुल 6204 एमबीबीएस (MBBS) सीटें (मैनेजमेंट और एनआरआई कोटा) उपलब्ध हैं। विभिन्न डीम्ड विश्वविद्यालयों में मैनेजमेंट कोटा के लिए वार्षिक एमबीबीएस कोर्स फीस आमतौर पर काफी अधिक होती है और यह 2,11,000/- रु. से 2250,000/- रु. MBBS
कितने साल का होता है? एमबीबीएस मेडिकल की फील्ड में एक बैचलर डिग्री का कोर्स है। कोर्स को सफलतापूर्वक करने के बाद आप अपने नाम के आगे डॉ. का प्रयोग कर सकते हैं। इस कोर्स को करने के लिए छात्रों को 5.5 वर्ष का समय लगता है। उम्मीद है आपको हमारा ‘ डॉक्टर कैसे बने ? ’ पर ब्लॉग पसंद आया होगा। यदि आप विदेश में MBBS करना चाहते हैं तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800572000 पर कांटेक्ट कर आज ही 30 मिनट्स का फ्री सेशन बुक कीजिए। डॉक्टर बनने के लिए क्या जरूरी है?डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीएस की डिग्री होना ज़रूरी है. चिकित्सा के क्षेत्र में घुसने के लिए यह एक एंट्री कार्ड जैसा है. आमतौर पर यह साढ़े पांच साल का एक कोर्स होता है जिसके साथ एक साल की इंटर्नशिप करनी होती है. एमबीबीएस या बीडीएस करने के लिए आपको नीट परीक्षा देनी होती है.
डॉक्टर बनने के लिए सबसे पहले क्या करना पड़ता है?सबसे पहले 10th पास करने के बाद 12th में विज्ञान से बायोलॉजी सब्जेक्ट (PCB) का चुनाव करे. मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम -NEET की तैयारी करें. NEET एंट्रेंस एग्जाम के लिए आवेदन करें, और अच्छे मार्क्स से पास करें. मेडिकल का कोर्स पूरा करे और अच्छे मार्क्स से पास करे.
डॉक्टर की सबसे छोटी डिग्री कौन सी होती है?Doctor की सबसे छोटी और सबसे बेसिक डिग्री MBBS है। यह इस सवाल का सबसे आसान जवाब है, पर यह पूरा जवाब नहीं है। MBBS के अलावा आप BDS, BAMS, BUMS, BHMS आदि courses करके भी एक डॉक्टर बन सकते हैं।
डॉक्टर की सबसे बड़ी डिग्री कौन सी है?डॉक्टर की सबसे बड़ी डिग्री MD Degree को कहा जाता है MD Course जिसका फुल फॉर्म (Doctor of Medicine) होता है।
|