धारा ४१४ में जमानत कैसे मिलती है? - dhaara 414 mein jamaanat kaise milatee hai?

भारत के संविधान में कुछ ऐसे अपराध है जो गैर जमानती धाराएं के अंतरगत आते है, वे गैर जमानती धाराएं कौन कौन सी हैं इसके बारे में बिस्तर से बताया गया है (Gair Jamanti Dhara Kon Kon Si Hai), यदि किसी से गैर जमानती अपराध हो जाता है तब उसको भारत के संविधान के अनुसार जमानत देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि गैर जमानती अपराध ऐसे अपराध हैं जिनको संगीन जुर्म माना जाता है ऐसे अपराधियों को कोर्ट में जमानत नहीं दी जाती है।

गैर जमानती धाराएं कौन कौन सी हैं (Gair Jamanti Dhara Kon Kon Si Hai)

धारा ४१४ में जमानत कैसे मिलती है? - dhaara 414 mein jamaanat kaise milatee hai?
Gair Jamanti Dhara Kon Kon Si Hai

गैर जमानती धाराएं कौन कौन सी हैं (Gair Jamanti Dhara Kon Kon Si Hai)

यदि किसी अपराधी के द्वारा संगीन जुर्म किए जाते हैं जैसे कि राष्ट्रद्रोह, बलात्कार, हत्या इन अपराधों को संगीन जुर्म की कैटेगरी में रखा गया है इन अपराधों को करने पर पुलिस को किसी भी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट की आवश्यकता नहीं पड़ती।

ऐसे मुजरिम पुलिस के हाथ से निकल ना जाए उनको गिरफ्तार कर सकती है और उनको यह करने के लिए वारंट की आवश्यकता नहीं पड़ती। यदि कोई अपराधी इस तरह के जुर्म करता है उसे गैर जमानती अपराध की कैटेगरी में रखा गया है और पुलिस को यह भी अधिकार प्रदान किया गया है कि वह कोर्ट की अनुमति के बिना किसी भी अपराधी के खिलाफ तहकीकात कर सकती हैं। यदि अपने जमानत के लिए याचिका डाली है तो अदालत इस केस की संगीनता पर अपने विवेक से फैसला ले सकती है।

गैर जमानती धाराएं

भारतीय संविधान की दंड सहित में गैर जमानती अपराध में रेप, हत्या की कोशिश, डकैती, लूट, फिरौती के लिए अपहरण और गैर इरादतन हत्या जैसे अपराध आते है। गैर जमानती अपराध भारतीय संविधान की दंड सहित में IPC की धरा इस प्रकार है-

115, 121, 121क, 122, 123, 124, 124क, 125 से 128, 130 से 134, 136, 153क, 153ख, 161, 170, 194, 195, 231 से 235, 237, 238, 239, 244 से 251, 255 से 258, 267, 295, 295क, 302, 303, 304, 304ख, 305, 306, 307, 313 से 316, 326 से 329, 331, 333, 363क, 364, 365, 366क, 366ख, 367, 368, 369, 373, 379 से 382, 384, 386क, 364, 365, 366क, 366ख, 367, 368, 369, 373, 379 से 382, 384, 386, 387, 392 से 402, 406 से 409, 411 से 414, 436 से 438, 449 से 457, 461, 466, 468, 477क, 482, 483, 489क, 505

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी चोर या लुटेरों का साथ देगा, छिपाकर रखेगा, या चोरी की संपत्ति को छिपा देगा। तब चोर या लुटेरों का साथ देने वाला व्यक्ति धारा 414 के अंतर्गत दोषी होगा।


भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 414 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा का अपराध समझौता योग्य होता है उस व्यक्ति से जिसकी संपत्ति चुराई गई हो। यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। सजा- तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 

मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह  है पेशे से मे एक वकील हू|  MYLEGALADVICE   ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |

पथ प्रदर्शन: भारतीय दंड संहिता > अध्याय 17: सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में > चुराई हुई संपत्ति प्राप्त करने के विषय में> आईपीसी धारा 414

आईपीसी धारा 414: चुराई हुई संपत्ति छिपाने में सहायता करना

जो कोई ऐसी संपत्ति को छिपाने में, या व्ययनित करने में, या इश्वर-उधर करने में स्वेच्छया सहायता करेगा, जिसके विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई संपत्ति है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 414 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 414 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 414 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 414 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे जो कोई ऐसी सम्पत्ति को छिपाने में, या व्ययनित करने में, या इधर-उधर करने में, स्वेच्छया सहायता करेगा, जिसके विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई सम्पत्ति है, तो वह धारा 414 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 414 के अनुसार

चुराई हुई संपत्ति छिपाने में सहायता करना-

जो कोई ऐसी सम्पत्ति को छिपाने में, या व्ययनित करने में, या इधर-उधर करने में, स्वेच्छया सहायता करेगा, जिसके विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई सम्पत्ति है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

Assisting in concealment of stolen property- Whoever voluntarily assists in concealing or disposing of or making away with property which he knows or has reason to believe to be stolen property, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.

लागू अपराध

चुराई हुई संपत्ति को यह जानते हुए कि वह चुराई हुई है, छिपाने में या व्ययनित करने में सहायता करना।
सजा- तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।

जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 414 के अंतर्गत जो कोई ऐसी सम्पत्ति को छिपाने में, या व्ययनित करने में, या इधर-उधर करने में, स्वेच्छया सहायता करेगा, जिसके विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई सम्पत्ति है, तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

जमानत (Bail) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 414 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नहीं मिल सकेगी।

अपराधसजाअपराध श्रेणीजमानतविचारणीयचुराई हुई संपत्ति को यह जानते हुए कि वह चुराई हुई है, छिपाने में या व्ययनित करने में सहायता करना।तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।संज्ञेयगैर-जमानतीयकिसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट व्दारा

आईपीसी की धारा 413 | चुराई हुई संपत्ति का अभ्यासत: व्यापार करना | IPC Section- 413 in hindi| Habitually dealing in stolen property.

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 414 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

411 में जमानत कैसे मिलती है?

जमानत (Bail) का प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 411 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नहीं मिल सकेगी।

धारा 414 में क्या होता है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 414 के अनुसार, जो भी कोई ऐसी संपत्ति, जिसके विषय में वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई संपत्ति है, को छिपाने, या निपटाने, या इधर उधर करने में स्वेच्छा पूर्वक सहायता करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से, ...

धारा 411 का मतलब क्या है?

बता दें कि भारतीय दंड संहिता 1860 या आईपीसी की धारा 411 के मुताबिक जो भी कोई किसी चुराई हुई संपत्ति को विश्‍वास पूर्वक यह जानते हुए कि वह चोरी की संपत्ति है और बेईमानी से प्राप्त करता या उसे बरकरार रखता है तो वह दंड का भागी होगा.

धारा 411 413 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 413 के अनुसार, जो कोई ऐसी संपत्ति, जिसके संबंध में वह यह जानता है, या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई संपत्ति है, अभ्यासतः प्राप्त करेगा, या उसमें व्यापार करेगा, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही आर्थिक दण्ड के लिए भी ...