पूर्णांकों का योज्य तत्समक क्या होगा - poornaankon ka yojy tatsamak kya hoga

प्राकृत संख्याओं के समूह में यदि शून्य (0) और मिला दिया जाए तो हमे पूर्ण संख्याओं का समूह प्राप्त होता है।

W = 0, 1,2,3,4,5,..........

पूर्णांक (Integers) :

पूर्ण संख्याओं के समूह में यदि प्राकृत संख्याओं के  ऋणात्मक अंक और मिला दिये जाएँ तो हमें पूर्णांकों का समूह प्राप्त होता है।  Z=  ..... -4, -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, 4, ......

परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न :

  1. प्रथम 5 पूर्ण संख्याओं का योग क्या होगा ? Ans : 0+1+2+3+4 = 10
  2. -4 से +4 तक के पूर्णांकों का गुणनफल क्या होगा? Ans: 0

परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers) :

जो संख्याएँ p/q के रूप रूप में लिखी जा सके, जहाँ q ≠ 0 परिमेय संख्याएँ कहलाती है। जैसे : 3/5 , ⅜, 22/7 आदि ।

अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) :

जो संख्याएँ p/q के रूप रूप में न लिखी जा सके, जहाँ q ≠ 0 अपरिमेय संख्याएँ कहलाती है। जैसे :  √2 , √3, e, π आदि ।

Note: 22/7  एक परिमेय संख्या है जबकि π  एक परिमेय संख्या है। क्योंकि π  का मान 22/7 या 3.14 जो हम क्षेत्रमिति के प्रश्नों को हल करने के लिए प्रयोग करते है वह π लगभग मान है। 


वास्तविक संख्याएँ (Real Number):

परिमेय और अपरिमेय संख्याओं का समूह वास्तविक संख्याएँ कहलाता है। 

Note: प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण संख्याओं का एक भाग है।  पूर्ण संख्याएँ , पूर्णांकों का एक भाग है। इसी तरह पूर्णांक भी परिमेय संख्याओं का एक भाग है जैसा कि निम्न वें आरेख में दर्शाया गया है। 

पूर्णांकों का योज्य तत्समक क्या होगा - poornaankon ka yojy tatsamak kya hoga

प्राकृत संख्याओं के प्रकार (Types of Natural Numbers):


  • सम संख्याएँ (Even Numbers) :  जो प्राकृत संख्याएँ संख्या 2 से विभाजित होती है, सम संख्याएँ कहलाती है। जैसे -  2,4,6,8,10,12, .........
  • विषम संख्याएँ (Odd Numbers) :  जो प्राकृत संख्याएँ संख्या 2 से विभाजित नहीं  होती है, विषम  संख्याएँ कहलाती है। जैसे -  1,3,5,7,9,11,...............




  • अभाज्य या रूढ  संख्याएँ (Prime Numbers) :  जिस  प्राकृत संख्या के  केवल  दो ही  विभाजक हो, अभाज्य संख्या कहलाती है। जैसे 2,3,5,7,11,13,.......
  • भाज्य संख्याएँ (Even Numbers) :  जिस  प्राकृत संख्या के  दो से अधिक विभाजक हो, भाज्य संख्याएँ कहलाती है। जैसे 4,6,8,9,10,12,14,15,....
  • सह-अभाज्य या जुड़वां अभाज्य  (Co-Prime Numbers): जिन दो प्राकृत संख्याओं का म॰स॰ संख्या 1 हो, वे संख्याएँ सह-अभाज्य संख्याएँ कहलाती है। जैसे :  

नोट : 

  • संख्या 1 न तो भाज्य है और न ही अभाज्य । 
  • 1 से 100 के बीच कुल 25 अभाज्य संख्याएँ है। 2,3,5,7,11,13,17,19.23,29,31,37,41,43,47,53,59,61,67,71,73,79,83,89,97
  • 2 एक ऐसी संख्या है जो सम भी और अभाज्य भी । 
  • 4 सबसे छोटी भाज्य संख्या है। 


दो या दो से अधिक संख्याओं के गुणनफल का इकाई का अंक ज्ञात करना :

इस प्रकार के प्रश्नों का हल करने के लिए केवल इकाई के अंकों की गुना करनी होती है
उदाहरण : 423 × 976 × 687 में इकाई का  अंक क्या होगा ? 
हल : 3 × 6 × 7=  126 इसलिए इकाई का अंक 6 होगा। 

किसी घात संख्या का इकाई का अंक ज्ञात करना  :

मान की हमारे पास xn एक संख्या है जिसका इकाई का अंक ज्ञात करना है। इसके लिए निम्न विधि का प्रयोग करेंगे :

  • n को हम 4 से भाग देंगे तथा शेषफल नोट करेंगे ।
  1. यदि शेष 1 है तो x का इकाई का अंक ही xn का इकाई का अंक होगा। 
  2. यदि शेष 2 है तो (x का इकाई का अंक) 2  का इकाई का अंक xn का इकाई का अंक होगा।
  3. यदि शेष 3 है तो (x का इकाई का अंक)3  का इकाई का अंक xn का इकाई का अंक होगा।
  4. यदि शेष 0 है तो (x का इकाई का अंक) 4  का इकाई का अंक xn का इकाई का अंक होगा।
  • यदि x में इकाई का अंक 0,1,5 या 6 है तो xn का इकाई का अंक भी क्रमश: 0,1,5 या 6 होगा। (यहाँ हमें n को 4 से भाग देने की जरूरत नहीं है। )

उदाहरण : (883)34 का इकाई का अंक क्या होगा ? 

हल : यहाँ 34 को 4 से भाग देने पर शेष 2 आता है। इसलिए 883 के इकाई के अंक 3 का वर्ग अर्थात 32 = 9 दी गई घात संख्या का इकाई का अंक होगा। 

परिमेय संख्याओं के गुणधर्म (Properties of Rational Numbers) :


1. संवृत गुण (Closure Properties) : यदि a और b दो परिमेय संख्याएं है तो 
a + b =  परिमेय संख्या ,
a - b =  परिमेय संख्या 
a  × b =  परिमेय संख्या 
अत: परिमेय संख्याएँ योग, घटा व गुना के अंतर्गत संवृत है। लेकिन भाग के अंतर्गत संवृत नहीं है क्योंकि किसी परिमेय संख्या को शून्य (जो कि एक परिमेय संख्या है ) से भाग दिया जाए तो परिणाम एक परिमेय संख्या नहीं होगा क्योंकि किसी संख्या को शून्य से भाग देना परिभाषित नहीं है। 

नोट: प्राकृत संख्याएँ व पूर्ण संख्याएँ दोनों  केवल योग व गुना के अंतर्गत संवृत है, पूर्णांक योग, घटा व गुना के अंतर्गत संवृत है।

2. क्रमविनिमेय गुण (Commutative Property): 
a + b = b + a
× b = b × a 
⇒ परिमेय संख्याएँ योग व गुणन के अंतर्गत क्रमविनिमेय है। लेकिन घटा व भाग के अंतर्गत क्रमविनिमेय नहीं है (क्योंकि a-b ≠ b-a , a ÷ b ≠ b ÷ a )। 

नोट : इसी प्रकार प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ व पूर्णांक भी योग व गुणा के अंतर्गत क्रमविनिमेय है। 

3. साहचर्य गुण ( Associative Property) :
(a + b) + c = a + (b + c) 
(a × b ) × c = a × (b × c) 
परिमेय संख्याओं के लिए योग व गुणा साहचर्य है। 
लेकिन परिमेय संख्याओं के लिए घटा व  भाग साहचर्य नहीं  है 
क्योंकि (a-b)-c  ≠ a - (b - c) तथा (a ÷ b÷ c ≠ a ÷ (b ÷ c)

नोट : साहचर्य गुण प्राकृत, पूर्ण संख्याओं व पूर्णांकों के लिए भी परिमेय संख्याओं के समान है। 

4. बटन गुण ( Distributive Property):
× (b + c) = a × b + a × c 

परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न :

  1. (-5) + 13 = 13 + (-5) जोड़ संबंधी किस गुण/नियम का उदाहरण है?
  2. (-7 + 3) +8 = -7 + (3 + 8) किस गुण के अनुसार लिख सकते है। 

किसी संख्या  का योज्य प्रतिलोम (Additive Inverse) व गुणात्मक प्रतिलोम (Multiplicative Inverse) :

योज्य प्रतिलोम (Additive Inverse): किसी संख्या A का योज्य प्रतिलोम संख्या A का ऋणात्मक  अर्थात -A होगा। जैसे संख्या 5 का योज्य प्रतिलोम -5 होगा। 

गुणात्मक प्रतिलोम (Multiplicative Inverse): किसी संख्या a का गुणात्मक प्रतिलोम 1/a होगा। जैसे संख्या 8 का गुणात्मक प्रतिलोम 1/8 होगा।  

योज्य तत्समक (Additive Identity) तथा गुणात्मक तत्समक (Multiplicative Identity) :

शून्य (0) योज्य तत्समक (Additive Identity) कहलाता है तथा संख्या एक (1) गुणात्मक तत्समक (Multiplicative Identity) कहलाता है। 

परिमेय संख्याओं का दशमलव प्रसार  :


परिमेय संख्याओं का दशमलव प्रसार दो प्रकार के होते हैं- 
(1) सांत दशमलव प्रसार - इस प्रकार की संख्याओं के दशमलव वाले हिस्से में अंको की संख्या निश्चित होती है।  जैसे 3.254, 9.12 
(2) असांत आवृति दशमलव प्रसार: इस प्रकार की संख्याओं के दशमलव वाले हिस्से में एक या एक से अधिक अंकों की पुनरावृति होती है। जैसे 0.3333333....

नोट : असांत आवृति दशमलव प्रसार वाली संख्याओं को p/q के रूप में लिखा जा सकता है। शॉर्ट cut विधि के लिए मेरा विडियो देखें । 

पूर्णांकों का योज्य तत्समक क्या होता है?

योज्य तत्समक ऐसी संख्या है, जो किसी भी संख्या में जोड़ने पर, योग संख्या के रूप में प्राप्त होता है। इसका अर्थ है कि योज्य तत्समक "0" है, चूँकि किसी भी संख्या में 0 जोड़ने पर, योग संख्या के रूप में ही प्राप्त होता है। इसलिए, यदि हम 0 में 0 जोड़ते हैं, तो हमें 0 वापस मिलता है। अतः 0 का योज्य तत्समक 0 है।

योज्य तत्समक कितना होता है?

परिमेय संख्या 0 परिमेय संख्याओं के लिए योज्य तत्समक होता है। परिमेय संख्या 1 परिमेय संख्याओं के लिए गुणन तत्समक होता है ।

योज्य इकाई तत्समक क्या है?

योज्य तत्समक एक संख्या है, जो किसी भी संख्या में जोड़ने पर, योग को संख्या के रूप में ही देता है। इसका मतलब है कि योज्य तत्समक "0" है, किसी भी संख्या में 0 जोड़ने पर, योग को संख्या के रूप में ही देता है। इसलिए, यदि हम 0 से 0 जोड़ते हैं, तो हमें 0 वापस मिलता है। इसलिए, 0 का योज्य तत्समक 0 है।

पूर्णांकों के लिए गुणात्मक तत्समक क्या होता है?

एक पूर्णांक तथा 1 का गुणनफल, स्वयं पूर्णांक प्राप्त होता है । किसी पूर्णांक a के लिए, a×1=1× a = a इसलिए 1, पूर्णांकों के लिए गुणात्मक तत्समक कहलाता है ।