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एनीमिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व की कुल आबादी का छठा हिस्सा एनीमिया से ग्रस्त है। एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी। यह समस्या महिलाओं में अधिक पाई जाती है। हमारे देश में हर तीन में से एक महिला एनीमिया की शिकार है। गर्भवती महिलाओं में ये ज्यादा गंभीर है। लगभग 57.8 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित रहती हैं। इनमें से 7 में से एक महिला ऐसी होती है, जिसमें हीमोग्लोबिन की मात्रा 7 ग्राम/डीएल है। यह अवस्था उनके और उनके गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए घातक है। भारत में बच्चे भी बड़ी संख्या में इसके शिकार हैं। एक सर्वे के अनुसार पांच साल से कम उम्र के हर चार में से तीन बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। इससे उनका उचित शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता और उनका पूरा जीवन प्रभावित होता है। एनीमिया क्या है- शरीर की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबीन द्वारा पहुंचाया जाता है। शरीर में आयरन की कमी से लाल रक्त कणिकाओं और हीमोग्लोबीन का निर्माण प्रभावित होता है। इससे कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती जो कार्बोहाइड्रेट और वसा को जलाकर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जरूरी है। इससे शरीर और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं। कारण- एनीमिया रक्त संबंधित सबसे आम समस्या है। यह कई प्रकार का होता है, जिसके कारण अलग-अलग होते हैं। जोखिम ऐसे- एनीमिया किसी को कभी भी हो सकता है, लेकिन जो निम्न बीमारियों से पीड़ित हैं, उनमें इसकी आशंका ज्यादा है: किडनी रोग, डायबिटीज, हृदय रोग, रुमेटाइड आर्थराइटिस, गंभीर सर्जरी हुई हो। इसमें महिला होना बड़ा रिस्क फैक्टर है। महिलाएं आसान शिकार- पुरुषों की तुलना में महिलाएं एनीमिया की अधिक शिकार होती हैं। डाइटिंग कर रही लड़कियां भी इसका शिकार हो जाती हैं। मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने, गर्भाशय में ट्यूमर होने पर भी एनीमिया की आशंका बढ़ जाती है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में भी एनीमिया होने का खतरा रहता है। एक स्वस्थ महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर 11 ग्राम/डीएल होता है। अगर यह स्तर 9-7 ग्राम/डीएल हो तो यह माइल्ड एनीमिया होता है। इसे खानपान में बदलाव लाकर ठीक हो सकता है। यह स्तर 6-4 ग्राम/डीएल हो तो उसे सीवियर एनीमिया कहते हैं। इसमें तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है। लक्षण- कमजोरी और थकान। एनीमिया लगातार रहना न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी भी करता है, विशेषकर बच्चों में चिड़चिड़ापन। गंभीर होने पर यह अवसाद का रूप ले लेता है। धड़कनें आसामान्य होती है, सांस उखड़ना और चक्कर आना। यह सामान्य लक्षण हैं, लेकिन अगर यह लगातार रहने पर कई गंभीर लक्षण भी नजर आ सकते हैं। जैसे- छाती में दर्द (एन्जाइना), सिरदर्द या पैरों में दर्द, जीभ में जलन, मुंह और गला सूखना, मुंह के कोनों पर छाले हो जाना, बाल गिरना, निगलने में तकलीफ, त्वचा, नाखून और मसूड़ों का पीले पड़ जाना। रोकथाम-
अगर किसी को मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव अधिक हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, क्योंकि इससे शरीर में आयरन में तेजी से कमी आती है। अगर कोई महिला मां बनने वाली है या तो वह डॉक्टर की सलाह से आयरन के सप्लीमेंट जरूर लें। समय से पहले जन्मे बच्चों में आयरन की कमी हो जाती है। ऐसे बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दें। > फैक्ट : नेशनल न्यूट्रिशन मॉनिटरिंग ब्यूरो के अनुसार एनीमिया से पीड़ित सर्वाधिक महिलाएं ओडिशा में 63 फीसदी हैं। डॉ. नुपुर गुप्ता एनीमिया (Anemia) एक खून संबंधित बीमारी है, जिसे हिंदी में रक्ताल्पता (Lack of Blood) भी कहा जाता है. यह ब्लड डिसऑर्डर होना काफी आम है और महिलाओं को सबसे ज्यादा इसका सामना करना पड़ सकता है. 2015 में आई लेंसेंट रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में लगभग एक तिहाई लोग खून की कमी के शिकार हैं. रक्ताल्पता या एनीमिया की समस्या अस्थायी हो सकती है और यह लंबे समय तक भी चल सकती है. हालांकि, एनीमिया (खून की कमी) से बचाव किया जा सकता है. आइए जानते हैं कि खून की कमी (एनीमिया) क्या है और इसके प्रकार, लक्षण और इलाज क्या हैं? एनीमिया क्या है? (What is Anemia?) ये भी पढ़ें: केरल में तेजी से फैल रहे Zika Virus का नहीं है कोई इलाज, जानें कारण, लक्षण और बचाव एनीमिया के प्रकार क्या हैं? (Types of Anemia)
खून की कमी (एनीमिया) के लक्षण (Symptoms of Anemia)
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इन कारणों के अलावा एनीमिया के पीछे कारण उसके प्रकार पर भी निर्भर करता है. Anemia Risk: किस होते है एनीमिया का ज्यादा खतरा और कैसे होती है रक्ताल्पता की जांच
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है. एनीमिया रोग होने का प्रमुख कारण कौन सा है?एनीमिया/रक्ताल्पता के तीन प्रमुख कारण हैं: खून की कमी, लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में कमी और लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश की उच्च दर। अत्यधिक मासिक धर्म। गर्भावस्था। अल्सर।
एनीमिया कौन से विटामिन की कमी से होता है?विटामिन बी-12 – विटामिन बी 12 की कमी से एनीमिया हो सकता है यदि आप पर्याप्त विटामिन बी 12 युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे मांस, अंडे और दूध का सेवन नहीं करते हैं।
एनीमिया कितने दिन में ठीक होता है?एनीमिया को ठीक होने में छह से नौ महीने का समय लगता है। इसमें आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी12 के सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं। आयरन की गंभीर कमी को इंट्रावीनस आयरन थेरेपी के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
एनीमिया से क्या क्या परेशानी होती है?एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, थकान महसूस होती है और त्वचा का रंग पीला हो सकता है। एनीमिक स्थिति टेम्पोरेरी या परमानेंट हो सकती है और यदि इसका इलाज न किया जाये तो यह गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। आमतौर पर यह आयरन की कमी के कारण होता है जिससे हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है।
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