In this article, we will share MP Board Class 6th Hindi Solutions Chapter 17 तीर्थ-यात्रा Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books. MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 प्रश्न-अभ्यासवस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न (ख) MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 2. (क) मियादी बुखार किसे कहते हैं? (ख) ‘लुकमान’
शब्द का प्रयोग लेखक ने किसके लिए किया है? (ग) लाजवंती तीर्थयात्रा के लिए कहाँ-कहाँ जा रही थी? (घ) लाजवंती क्यों
अधीर हो रही थी? (ङ) रामलाल ने अपनी दौलत किसे कहा है? MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 3. (क) लाजवंती के पैरों के नीचे से धरती खिसकती सी क्यों लगी? (ख) लाजवंती मंदिर क्यों गई? (ग) ‘त्याग करने में ही सुख है’। इस पंक्ति का क्या आशय है? (घ) लेखक ने रुपये को हाथ का मैल क्यों कहा है? (ङ) लाजवंती तीर्थ यात्रा पर
क्यों नहीं जा सकी? भाषा की बात प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. तीर्थ-यात्रा प्रसंग सहित व्याख्या 1. लाजवंती मंदिर पहुँची और देवी के सामने गिर कर देर तक रोती रही। जब थककर उसने सिर उटाया तो उसका मुख-मंडल शांत था, जैसे तुफान शांत हो आता है। उसको ऐसा मालूम हुआ, जैसे कोई दिव्य-शक्ति उसके कान में कह रही है तूने आँसू बहा कर देवी के पाषाण हृदय को मोम कर दिया है। लाजवंती ने देवी की आरती उतारी, फूल चढ़ाए, मंदिर की परिक्रमा की और प्रेम के बोझ से काँपते हुए स्वर से मानता मानी-“देवी माता! मेरा हम बच जाए तो मैं तीर्थ यात्रा करूंगी।” शब्दार्थ-पाषाण = पत्थर। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित कथा ‘यात्रा’ से ली गई हैं। इसके लेखक ‘सुदर्शन’ हैं। इन पंक्तियों में पत्र की चिंता में व्याकुल एक माँ की मनोदशा का वर्णन है। व्याख्या-लाजवंती अपने पुत्र का बुखार उतरता न देख कर घबरा जाती है और देवी माँ के मंदिर में सिर झुकाकर देर तक रोती है। हृदय का सारा बुखार निकल जाने पर उसका मन शांत होता है और उसे ऐसा लगता है जैसे देवी माँ उसके आँसुओं से पिघल गई हैं। वह देवी माँ की अर्चना करती है और हृदय से यह प्रार्थना करती है कि अगर उसका पुत्र ठीक हो गया, तो वह तीर्थयात्रा करेगी। विशेष
2. मैं तुम्हें दूसरी सावित्री समझता हूँ उसने मरे हुए पति को जिलाया था तुमने पुत्र को मृत्यु के मुंह से निकाला है। तुम यदि दिन-रात एक न करती तो हेम का बचना असंभव था। यह सब तुम्हारी मेहनत का फल है। बच्चा बचा नहीं है, दूसरी वार पैदा हुआ है। शब्दार्य-असंभव = जो संभव न हो। दिन रात एक करना = बहुत मेहनत करना। फल=परिणाम। प्रसंग-पूर्ववत् व्याख्या-वैद्य जी कहते हैं कि हेमराज लाजवंती की मेहनत के कारण ही बच गया है। वह उसकी तुलना सावित्री से करते हैं, जिसने अपने मृत पति को जिला लिया था। वे रहते हैं कि लाजवंती ने ही अपने पुत्र को नया जीवन दिया है। विशेष
|