दोहरे संयोग की समस्या क्या है? - dohare sanyog kee samasya kya hai?

विषयसूची

  • 1 दोहरे संयोग की समस्या से आप क्या समझते है?
  • 2 मुद्रा के प्रयोग ने आवश्यकता के दोहरे संयोग को कैसे समाप्त किया?
  • 3 आवश्यकताओं के दोहरे संयोग को कौन समाप्त करती है?
  • 4 पैसे को परिभाषित करें इसके मुख्य कार्य क्या हैं?
  • 5 मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को कैसे दूर करती है?

दोहरे संयोग की समस्या से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंउदाहरण के लिए मान लो एक कपड़ा निर्माता बाजार में जूते को बेचकर गेहूं खरीदना चाहता है। इसके लिए उसे गेहूं उगाने वाले ऐसे किसान की खोज करनी पड़ेगी जो गेहूं बेच कर कपड़े खरीदना चाहता हो। यानी कि दोनों पक्षों की एक दूसरे की चीजें खरीदने और बेचने पर सहमति बनती हो। इसे मांगों का दोहरा संयोग के नाम से जाना जाता है।

धन कैसे चाहता है दोहरे संयोग की समस्या को हल करता है?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा वस्तु विनिमय प्रणाली में मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करके आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या सुलझाती है। जैसे एक व्यक्ति के पास कोई भी वस्तु नहीं है परंतु वह बाजार से कपड़ा खरीदना चाहता है तो मुद्रा का प्रयोग कर वह कपड़ा खरीद सकता है। इस प्रकार दोहरे संयोग की समस्या का समाधान हो जाता है।

आवश्यकताओं के दोहरे संयोग से आप क्या समझते हैं मुद्रा ने आवश्यकताओं के दोहरे संयोग को कैसे खत्म कर दिया?

इसे सुनेंरोकेंआवश्यकताओं का दोहरा सयोंग विनिमय प्रणाली की एक अनिवार्य विशेषता है। जहाँ मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुओं का विनिमय होता है। इसकी तुलना में ऐसी आर्थव्यवस्था जहाँ मुद्रा का प्रयोग होता है, मुद्रा महत्वपूर्ण मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करके आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की ज़रूरत का खत्म कर देती है।

मुद्रा के प्रयोग ने आवश्यकता के दोहरे संयोग को कैसे समाप्त किया?

इसे सुनेंरोकेंऐसी स्थिति में माँगों का दोहरा संयोग होना आवश्यक था। उदाहरण के लिए, यदि किसी कपड़ा व्यापारी को चावल चाहिएं तो उसे ऐसे किसान को खोजना होगा, जो चावल के बदले कपड़े खरीदना चाहता हो। इस समस्या का समाधान मुद्रा का प्रयोग करके किया जाता है। मुद्रा माँगों के दोहरे संयोग की समस्या को समाप्त कर देती है।

साख क्या है क्लास 10th?

इसे सुनेंरोकेंसम्पत्ति है जिसकी मलकियत कर्जदार के पास है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता। (क) स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिये जाते हैं।

मुद्रा क्या है तथा मुद्रा के दो प्राथमिक कार्य बताइए?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में विनिमय सौदों को दो भागों क्रय और विक्रय में विभाजित करती है। मुद्रा का यह कार्य आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की कठिनाई को दूर करता है। लोग अपनी वस्तुओं को मुद्रा के बदले में बेचते हैं और उससे प्राप्त राशि को अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय में प्रयोग करते हैं।

आवश्यकताओं के दोहरे संयोग को कौन समाप्त करती है?

आवश्यकताओं की दोहरी सह घटना से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न – ‘आवश्यकताओं के दोहरे संयोग’ से आप क्या समझते हैं? उत्तर – जब दोनों पक्ष एक दूसरे से चीजें खरीदने और बेचने पर सहमति रखते हैं। प्रश्न – वस्तु विनिमय प्रणाली की अनिवार्य शर्त क्या है? उत्तर – आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना।

वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है इसकी क्या कमियां है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंवस्तु विनिमय प्रणाली के सबसे बड़ी कमी दोहरे संयोग का अभाव है। इसे मुद्रा के इस कार्य से दूर कर दिया हैं अब यदि एक वस्त्रों का विक्रेता चावल खरीदना चाहता है तो उसे ऐसा चावल विक्रेता ढूंढने की आवश्यकता नहीं है जो बदले में वस्त्र चाहता है। वह वस्त्र बेचकर मुद्रा प्राप्त कर सकता है।

पैसे को परिभाषित करें इसके मुख्य कार्य क्या हैं?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा (currency, करन्सी) पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है। इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं। आमतौर से किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है। मसलन भारत में रुपया व पैसा मुद्रा है।

वस्तु विनिमय प्रणाली की प्रमुख समस्या क्या थी?

इसे सुनेंरोकेंवस्तु विनिमय की प्रणाली की मुख्य समस्या क्या थी? उत्तर- वस्तु विनिमय की प्रणाली की मुख्य समस्या थी कि कोई ऐसा व्यक्ति मिले, जो एक व्यक्ति द्वारा उत्पादित वस्तु को स्वीकार करे एवं बदले में उसकी आवश्यकता की वस्तु को उपलब्ध कराए।

निम्नलिखित में से आवश्यकताओं का दोहरा संयोग किसकी विशेषता हैं?

इसे सुनेंरोकें’आवश्यकताओं का दोहरा संयोग’ वस्तु विनिमय प्रणाली की एक विशेषता है। आवश्यकताओं का दोहरा संयोग तब होता है जब दो लोगों के पास सामान होता है और वे दोनों बदले में खुश होते हैं। आवश्यकताओं का दोहरा संयोग वस्तु विनिमय अर्थव्यवस्था की नींव है।

मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को कैसे दूर करती है?

वस्तु विनिमय प्रणाली के क्या दोष है?

इसे सुनेंरोकेंवस्तु विनिमय प्रणाली के दोष अथवा कठिनाइयाँ निम्नलिखित हैं(i) आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की कमी। (ii) मूल्य के समान मापन की कमी। (iii) स्थगित भुगतान के मानक की कमी। (iv) मूल्य संचय की कमी।

वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाई क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअधिकांश वस्तुएं शीघ्र नष्ट हो जाती है वस्तु विनिमय में ऐसी वस्तुओं का संचय करके अधिक दिन तक नहीं रखा जा सकता इसके मुख्य कारण है कुछ वस्तुएं न स्वान होती हैं कुछ वस्तुएं अधिक स्थान गिरती हैं वस्तुओं के मूल्य में निरंतर परिवर्तन होता है तथा वस्तुओं में तरलता का अभाव पाया जाता है।