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जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) कहते हैं। तंत्रिकातंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है। तन्त्रिका कोशिका, तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। तंत्रिका कोशिका एवं इसकी सहायक अन्य कोशिकाएँ मिलकर तन्त्रिका तन्त्र के कार्यों को सम्पन्न करती हैं। इससे प्राणी को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त होती तथा एककोशिकीय प्राणियों जैसे अमीबा इत्यादि में तन्त्रिका तन्त्र नहीं पाया जाता है। हाइड्रा, प्लेनेरिया, तिलचट्टा आदि बहुकोशिकीय प्राणियों में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। मनुष्य में सुविकसित तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। तंत्रिकातंत्र के भाग[संपादित करें]तंत्रिकातंत्र का वर्गीकरण स्थिति एवं रचना के आधार पर[संपादित करें]तन्त्रिका तन्त्र के दो मुख्य भाग किये जाते हैं- 1* केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central nervous system) एवं 2* परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system) a* कपालीय तंत्रिकाएँ (Cranial nerves)b* मेरुरज्जु की तंत्रिकाएँ (Spinal nerves)कार्यात्मक वर्गीकरण[संपादित करें]
मस्तिष्क और मेरूरज्जु, केंद्रीय तंत्रिकातंत्र कहलाते हैं। ये दोनों शरीर के मध्य भाग में स्थित हैं। इनमें वे केंद्र भी स्थित हैं, जहाँ से शरीर के भिन्न भिन्न भागों के संचालन तथा गति करने के लिये आवेग (impulse) जाते हैं तथा वे आवेगी केंद्र भी हैं, जिनमें शरीर के आभ्यंतरंगों तथा अन्य भागों से भी आवेग पहुँचते रहते हैं। दूसरा भाग परिधि तंत्रिकातंत्र (peripheral Nervous System) कहा जाता है। इसमें केवल तंत्रिकाओं का समूह है, जो मेरूरज्जु से निकलकर शरीर के दोनों ओर के अंगों में विस्तृत है। तीसरा आत्मग तंत्रिकातंत्र (Autonomic Nervous System) है, जो मेरूरज्जु के दोनों ओर गंडिकाआं की लंबी श्रंखलाओं के रूप में स्थित है। यहाँ से सूत्र निकलकर शरीर के सब आभ्यंतरांगों में चले जाते हैं और उनके समीप जालिकाएँ (plexus) बनाकर बंगों में फैल जो हैं। यह तंत्र ऐच्छिक नहीं प्रत्युत स्वतंत्र है और शरीर के समस्त मुख्य कार्यो, जैसे रक्तसंचालन, श्वसन, पाचन, मूत्र की उत्पत्ति तथा उत्सर्जन, निस्रावी ग्रंथियों में स्रावों (हॉरमोनों की उत्पत्ति) के निर्माण आदि क संचालन करता है। इसके भी दो भाग हैं, एक अनुकंपी (sympathetic) और दूसरा परानुकंपी (parasympathetic)। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का चित्र: केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका तंत्र का भाग है, जो बहुकोशिकीय जन्तुओं की सभी क्रियायों पर नियंत्रण और नियमन करता है। हड्डीवाले जीवों में तंत्रिका तंत्र मिनिन्जीज़ में संलग्न होता है। इसमें तंत्रिका तंत्र का अधिकांश भाग और मस्तिष्क और सुषुम्ना या मेरूरज्जु आते हैं। तंत्रिका तंत्र पृष्ठीय गुहा में स्थित होता है, जिसमे मस्तिष्क कपालीय गुहा में और मेरुरज्जु, मेरुरज्जु गुहा में होता है। मस्तिष्क खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है और मेरुरज्जु हड्डियों द्वारा। इस में हम चाहे तो सेक्स की बातों भी कर सकता है मानव का तंत्रिकातंत्र; केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (पीले रंग में) तथा परिधीय तंत्रिका तंत्र (नीले रंग में) सन्दर्भ[संपादित करें]तंत्रिका तंत्र के मुख्य भाग कौन कौन से हैं?यह दो मुख्य भागों में विभाजित है: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और परिधीय तंत्रिका तंत्र.
तंत्रिका तंत्र के तीन भाग कौन कौन से हैं?<br> (ii) परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheralnervous system)- इसमें कपालीय तंत्रिकाएँ (cranial nerves) स्पाइनल, मेरू तंत्रिकाएँ (spinal nerves) तथा आंतरांगी तंत्रिकाएँ (vis ceral nerves) सम्मिलित होती हैं।
तंत्रिका कोशिका के कितने भाग होते हैं?Solution : तंत्रिका कोशिका तीन प्रकार की होती हैं(i) प्रेरक तंत्रिका कोशिका, (ii) संवेदी तंत्रिका कोशिका, (iii) बहुध्रुवीय तंत्रिका कोशिका।
तंत्र कितने प्रकार के होते हैं?मानव शरीर के विभिन्न अंग तंत्र हैं– पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र, अंतःस्रावी तंत्र, उत्सर्जन तंत्र, प्रजनन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, श्वसन तंत्र, कंकाल तंत्र और मासंपेशी तंत्र।
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