इस साल 23 जनवरी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी थी. प्रतिमा बनाने का काम राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गडनायक को सौंपा गया है. आइए जानते हैं कौन हैं अद्वैत गडनायक और क्या हैं उनकी उपलब्धियां. Show नेताजी की 28 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने का काम नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गडनायक को सौंपा गया है. प्रतिमा का डिजाइन संस्कृति मंत्रालय ने तैयार किया है. सुभाष चंद्र बोस की इस प्रतिमा को ग्रेनाइट पत्थर से बनाया जाएगा जोकि जेड ब्लैक कलर में होगी. प्रतिमा बनाने के लिए यह पत्थर तेलंगाना से लाया जाएगा. जब तक मूर्ति तैयार नहीं हो जाती, तब तक सुभाष चंद्र बोस का होलोग्राम इंडिया गेट पर लगाया जाएगा. लंदन से की कला की पढ़ाई नई दिल्ली के राजघाट पर स्थापित दांडी मार्च मूर्तिकला बनाने के लिए प्रसिद्ध मूर्तिकार अद्वैत गडनायक नेताजी की प्रतिमा को बनाएंगे. ये प्रतिमा अमर जवान ज्योति की जगह लेगी, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक मशाल की शाश्वत लौ में मिला दिया गया था. ओडिशा के ढेंकनाल जिले के नेउलपोई गांव में जन्मे और पले-बढ़े, अद्वैत गडनायक ने भुवनेश्वर के बीके कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स से कला की शिक्षा प्राप्त की. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट से अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी की. उनकी प्रमुख मूर्तियों में राजघाट पर राष्ट्रपिता की मूर्ति, महात्मा गांधी के नमक मार्च की काले संगमरमर की प्रतिकृति शामिल हैं. उनकी कलाकृतियों को लंदन में भी जगह मिली है. राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित गडनायक ने लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में कला की पढ़ाई भी की है. उन्हें अपने काम के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं, जिनमें 1993 में मिला राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार, 1999 में मिला ओडिशा ललित कला अकादमी पुरस्कार प्रमुख हैं. 2016 में, अद्वैत गडनायक नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट के डायरेक्टर जनरल बने. इससे पहले वह भुवनेश्वर के केआईआईटी विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ स्कल्पचर का नेतृत्व कर रहे थे. विश्वविद्यालय परिसर में उन्होंने एक स्कल्पचर पार्क भी बनाया था. प्रतिमा बनाने का काम मिलने पर जताई खुशी नेताजी की प्रतिमा के बारे में बताते हुए अद्वैत गडनायक ने कहा, "नेताजी की प्रतिमा 28 फीट ऊंची होगी और जेट ब्लैक ग्रेनाइट में उकेरी जाएगी. हम तेलंगाना के खम्मम जिले से ग्रेनाइट पत्थर का ब्लॉक लाएंगे. यह वही स्थान है जहां से राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के लिए पत्थर लाया गया था." उन्होंने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री ने मुझे यह काम सौंपा है. ऐसा लगता है कि इतने सालों बाद नेताजी को वो सम्मान मिलेगा जिसके वे हकदार हैं. मुझे बहुत गर्व है कि मैं ओडिशा से ताल्लुक रखता हूं जहां नेताजी का जन्म हुआ और उन्होंने अपना बचपन बिताया." ब्लैक ग्रेनाइट से बनेगी नेताजी की प्रतिमा अद्वैत गडनायक ने आगे बताया, "चूंकि नेताजी एक बहुत मजबूत शख्सियत थे, इसलिए हमने उनकी मूर्ति को तराशने के लिए ग्रेनाइट को एक माध्यम के रूप में सोचा क्योंकि यह एक अत्यंत कठोर पत्थर है. इसके अलावा, हम काले रंग की ऊर्जा को देवी महाकाली और भगवान कृष्ण जैसे देवताओं से जोड़ते हैं. इसलिए जेट ब्लैक ग्रेनाइट नेताजी की प्रतिमा के लिए एक आदर्श विकल्प था और हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री को यह पसंद आया." अद्वैत गडनायक इस प्रतिमा के लिए कर्नाटक के ग्रेनाइट कारीगरों के साथ काम करेंगे. नई दिल्ली में जल्द शुरू होने वाले इस काम के लिए संस्कृति मंत्रालय 25 से 30 मूर्तिकारों का चयन करेगा. Netaji Statue: कौन हैं मूर्तिकार अद्वैत गडनायक? नेताजी की मूर्ति बनाने वाले से जुड़ी नहीं जानते होंगे आप यह बाते!हॉट टॉपिक्सNetaji Statue: कौन हैं मूर्तिकार अद्वैत गडनायक? नेताजी की मूर्ति बनाने वाले से जुड़ी नहीं जानते होंगे आप यह बाते! Himanshu Jain Follow on Twitter Send an email Netaji StatueNetaji Statue: ‘दांडी मार्च’ की मूर्ति बनाने वालें अद्वैत गडनायक ने कहा नेताजी को अब मिलेगा उनके हक का सम्मान!Highlights:
Netaji Statue: बीते शुक्रवार यानी 21 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर घोषणा करते हुये लिखा, “ऐसे समय में जब पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इंडिया गेट पर ग्रेनाइट से बनी उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी।” पीएम मोदी ने फिर 23 जनवरी को इंडिया गेट पर महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस प्रतिमा को बनाने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा के महानिर्देशक अद्वैत गडनायक को सौंपी गयी थीं । ओडिशा में पैदा हुए अद्वैत गडनायक ने प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा को तराशने का अवसर मिलने पर अपार प्रसन्नता व्यक्त की उन्होंने कहा कि “यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि पीएम मोदी ने मुझे मूर्तिकार के रूप में चुना, मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री ने मुझे यह कार्य सौंपा है। ऐसा लगता है कि नेताजी को लंबे समय के अंतराल के बाद सही सम्मान मिलेगा जिसके वह हकदार हैं। मुझे बहुत गर्व है कि मैं ओडिशा का रहने वाला हूं जहां नेताजी का जन्म हुआ था और उन्होंने अपना बचपन बिताया था।” आगे जानकारी देते हुये उन्होने बताया काली जेट ग्रेनाइट पत्थर से प्रतिमा को उकेरा जाएगा, इस पत्थर को तेलंगाना के खम्मम जिले से लाया जाएगा यह वही जगह है जहां से राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के लिए पत्थर लाया गया था और प्रतिमा का डिजाइन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है। Read more: Marriage Strike Trends on Twitter: क्या है Marriage Strike और क्यों है पुरुषों को महिलाओं के लिए होने जा रहे इस कानून में बदलाव से दिक्कत? रिपोर्टों के अनुसार, प्रतिमा को एक छत्र के नीचे स्थापित किया जाएगा, जिसमें किंग जॉर्ज पंचम की एक प्रतिमा हुआ करती थी जिसे 1968 में हटा दिया गया था। जब तक प्रतिमा पूरी नहीं हो जाती, तब तक सुभाष चंद्र बोस की एक होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद रहेगी। होलोग्राम 28 फीट लंबा और छह फीट चौड़ा होगा। कौन है अद्वैत गडनायक?
प्रसिद्ध ओडिया मूर्तिकार अद्वैत गडनायक वही मूर्तिकार है जिन्होने नई दिल्ली के राजघाट पर स्थापित ‘दांडी मार्च’ की मूर्ति को आकार दिया था। ओडिशा के ढेंकनाल जिले के नेउलोपोई गांव में जन्मे और पले-बढ़े, गडनायक ने भुवनेश्वर में बी के कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स से कला की शिक्षा प्राप्त की और नई दिल्ली में कला कॉलेज से अपनी मास्टर डिग्री पूरी की। वह वर्तमान में नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली के निर्देशक हैं। गडनायक की प्रमुख मूर्तियों में राजघाट पर महात्मा गांधी के दांडी मार्च की एक काले संगमरमर की प्रतिकृति, राष्ट्रपिता की मूर्ति सहित कई अन्य शामिल हैं। मूर्ति के लिए ग्रेनाइट को ही क्यों चुना गया?मूर्तिकार अद्वैत गडनायक का मानना है कि, “चूंकि नेताजी एक बहुत मजबूत चरित्र थे, उनकी मूर्ति को बनाने के लिए हमने ग्रेनाइट को एक माध्यम के रूप में सोचा क्योंकि यह एक अत्यंत कठोर पत्थर है उनके चरित्र की तरह। इसके अलावा, हम काले रंग की ऊर्जा को देवी महाकाली और भगवान कृष्ण जैसे देवताओं से जोड़ते हैं, इसलिए, जेट ब्लैक ग्रेनाइट नेताजी की प्रतिमा के लिए एक आदर्श विकल्प था और हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री को यह पसंद आया।“ Read more: National Tourism Day: नेशनल टूरिज्म डे पर जाने टूरिज्म इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ा कोरोना वायरस का, कितनी धीमी हुई इसकी रफ्तार विशेष रूप से, ओडिशा के मूर्तिकार कर्नाटक के ग्रेनाइट कारीगरों के साथ सहयोग करेंगे। नई दिल्ली में जल्द ही शुरू होने वाले काम के लिए संस्कृति मंत्रालय द्वारा कुल 25 से 30 मूर्तिकारों का चयन किया जाएगा। Conclusion: इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा की घोषणा नेताजी के चाहने वालों के लिए गर्व और बड़ी ख़ुशी की बात है। यह आने वाली पीढ़ी को भारत के इस वीर सपूत के अमर योगदान को ज़िंदा रखने और कभी नहीं भूलने में मदद करेगा। नेताजी भारत की ताकत और संकल्प के एक सच्चे सार हैं। प्रतिमा को बनाने का काम देश के महान मूर्तिकारों में से एक अद्वैत गडनायक को सौंपा गया है जिन्होने पहले भी अपनी कला से लोगों का दिल कई बार जीता है। नेताजी की निडरता, साहस और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा हम सभी भारतीयों के लिए एक प्रेरणा सोत्र है। अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं [email protected] Tags Adwaita Gadanayak Bose history INDIA narendra modi Netaji Subhas Chandra Bose new delhi news Oneworldnews Rajpath Sculptor Statueनेता जी की मूर्ति तैयार करने वाले मूर्तिकार का क्या नाम है?नगरपालिका चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित करना चाहती थी। नगरपालिका का मूर्ति बनाने का बजट सीमित था इसलिए उन लोगों ने मूर्ति बनाने का कार्य स्थानीय स्कूल के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को दे दिया। मास्टर मोतीलाल को जब यह कार्य मिला तो उन्हें बहुत खुशी हुई।
नेताजी की प्रतिमा किसकी बनी थी?इस प्रतिमा का निर्माण नागेश योगलेकर ने किया था और इसका अनावरण १९६९ में कोलकाता महानगरपालिका ने किया।
मूर्ति बनाने वाला कलाकार का क्या नाम था?प्रतिमा बनाने वाले को मूर्ति शिल्पी कहते हैं और प्रतिमा बनाने के काम को मूर्ति शिल्प कहा जाता है।
नेताजी की मूर्ति कहाँ बनी हुई थी?एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाज़ार के चैराहे पर सुभाषचन्द्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। चूँकि बजट ज्यादा नही था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के शिक्षक को सौंपा गया। मूर्ति सुन्दर बनी थी बस एक चीज़ की कमी थी, नेताजी की आँख पर चश्मा नहीं था।
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