लसीका क्या है इसका महत्व लिखिए? - laseeka kya hai isaka mahatv likhie?

नमस्कार दोस्तों मेरा आज का प्रश्न है लसीका का शरीर में क्या महत्व है तो आइए उत्तर की सहायता से समझ लेते हैं उत्तर तो देखिए ऐसी काका लसीका का शरीर में महत्व सही में महत्व कुछ इस प्रकार है तुझे के लसीका परिसंचरण तंत्र लसीका परिसंचरण तंत्र लसीका परिसंचरण तंत्र की गांठे परिसंचरण तंत्र की जो गांठ होती है वह अंग व लसीका क्या करती है तू दिखे लसीका परिसंचरण तंत्र की घाटी व लिंफोसाइट लिंफोसाइट सॉन्ग लिंफोसाइट्स व प्रतिरक्षी ओ का निर्माण करती है तथा क्या करती है प्रति लक्ष्यों का प्रतिरक्षी यों का निर्माण

कौन करती है लसीका करती है तो देखिए यह देश का पहला महत्व अब हम इसका दूसरा महत्व देख लेते हैं देखिए इस तंत्र की गांठ है जिसे हमने भी जाना कि यह क्या करती है परिसंचरण तंत्र में क्या करती है घाटों का निर्माण करती है तो इस तंत्र की जो गांठे होती है इस तंत्र की गांठ है क्या करती है फिल्टर या चरित्र की तरह कार्य करती है क्या करती है चरित्र या फिल्टर जो होता है उसकी तरह क्या करती है कार्य करती है और यह किस को शांति है तो देखिए यह विभिन्न प्रकार के यह यह घाटे विभिन्न प्रकार के विभिन्न प्रकार के जवान विभिन्न प्रकार के जीवाणु जीवाणु सुक्ष्म कारण धूल के कारण धूल के कारण व इसके अलावा जीवाणु सुक्ष्म गण

उनके करवा कैंसर कोशिकाएं व कैंसर व कैंसर कोशिकाएं आदि जो हानिकारक आदि क्या होते हैं हानिकारक पदार्थों आदि जो हानिकारक पदार्थ होते हैं उन्हें यह किस प्रकार जानती है लकी का यह किस प्रकार फिल्टर करती है देखी या हानिकारक पदार्थ होते हैं वह इन घाटों में क्या होते हैं रुक जाते हैं क्या होते हैं इन गांवों में रुक जाते हैं वह जो लाभकारी पदार्थ होते हैं जो लाभकारी जो लाभकारी पदार्थ होते हैं वह क्या होते हैं रक्त प्रवाह में चले जाते हैं कहां चले जाते हैं रक्त प्रवाह रक्त प्रवाह में चले जाते हैं वह हानिकारक पदार्थ क्या होते हैं इन गांवों में रुक जाते हैं फिर देख इसका तीसरा महत्व क्या होता है कि यह शिकार रक्त व रक्त

कोशिकाओं की बीज रक्त व कोशिकाओं के बीच में क्या करते हैं माध्यम का कार्य करती है कोशिकाओं के बीच क्या कार्य करती है माध्यम का कार्य करती है और यह माध्यम का कार्य करके क्या करती है जिसके द्वारा यह इनकी भी यानी कोशिका व रक्त के बीच क्या करती है कोशिका व रक्त के बीच विभिन्न विभिन्न पदार्थों विभिन्न विभिन्न पदार्थों का क्या करती हैं आदान-प्रदान विभिन्न पदार्थों का आदान-प्रदान आदान-प्रदान किसके द्वारा लतिका के द्वारा यह रक्त व कोशिकाओं के बीच क्या कार्य करती है माध्यम का कार्य करती है और विनय पदार्थों का आदान प्रदान करती है तो यह खता तीसरा महत्व था वह इसके अलावा साथ ही यह शरीर में रक्त साथिया शरीर में रक्त का क्या करती है उचित आयतन रक्त का

उचित आयतन निश्चित आयतन बनाए रखने में भी सहायक होती है रक्त का उचित आयतन बनाए रखने में भी क्या होती है लसीका ही सहायक लसीका सहायक होती है फिर देखिए इस का चौथा महत्व क्या होता है वह हम जान लेते हैं देखिए लसीका वाहिकाएं रसिका रसिका वाहिकाएं जो होती है यह क्या कार्य करती है कि यह छोटी आज जो होती है यह छोटी आत में यह छोटी आत में क्या करती है वैसा का अवशोषण करने में मदद करती है क्या करती है वर्षा का अवशोषण करने में मदद करती है लसीका वाहिकाएं तो देखिए यह थे लसीका के महत्व शरीर में तो हमारा प्रश्न ही समाप्त होता है आशा करती हूं आप को यह प्रश्न समझ आया हो इस वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

लसीका क्या है इसका महत्व लिखिए? - laseeka kya hai isaka mahatv likhie?

मानव (स्त्री) का लसीका तंत्र

जब रुधिर केशिकाओं में से होकर बहता है तब उसका द्रव भाग (रुधिर रस) कुछ भौतिक, रासायनिक या शारीरिक प्रतिक्रियाओं के कारण केशिकाओं की पतली दीवारों से छनकर बाहर जाता है। बाहर निकला हुआ यही रुधिर रस लसीका (Lymph) कहलाता है। यह वस्तुत: रुधिर ही है, जिसमें केवल रुधिरकणों का अभाव रहता है। लसीका का शरीरस्थ अधिष्ठान लसीकातंत्र (Lymphatic System) कहलाता है। इस तंत्र में लसीका अंतराल (space), लसीकावाहिनियों और वाहिनियों के बीच बीच में लसीकाग्रंथियाँ रहती हैं।

लसीका तंतुओं के असंख्य सूक्ष्म तथा अनियमित लसीका-अंतरालों में प्रकट होती हैं। वे अंतराल परस्पर अनेक ऐसी सूक्ष्म लसीकावाहिनियों द्वारा संबद्ध होते हैं, जो पतली शिराओं के समान अत्यंत कोमल दीवार तथा अत्यधिक कपाटों से युक्त होती हैं। ये केशिकाओं (capilaries) के सदृश कोषाणुओं के केवल एक स्तर से ही बनी होती हैं और उन्हीं के सदृश इनमें मायलिन पिघान रहित तंत्रिकातंतुओं (non-medullated nerve fibres) का वितरण होता है। छोटी-छोटी ये लसीकावाहिनियाँ परस्पर मिलकर बड़ी बड़ी लसीकावाहिनियों का रूप धारण कर लेती हैं, जिनमें आगे चलकर दो शाखाएँ निकलती हैं : (1) दक्षिण तथा (2) वाम। दक्षिण शाखा में शरीर के थोड़े भाग से लसीकावाहिनियाँ मिलती हैं, यथा सिर और ग्रीवा का दक्षिण भाग, दक्षिण शाखा (हाथ, पैर) एवं वक्ष का दक्षिण पार्श्व। वाम शाखा में शरीर के शेष भाग से, जिनमें पाचननलिका भी सम्मिलित है, लसीकावाहिनियाँ आकर मिलती हैं। इन दोनों शाखाओं में कपाटों का बाहुल्य होता है। लसीका पीछे की ओर नहीं लौट सकती। प्रत्येक शाखा के खुलने के स्थान पर भी एक कपाट होता है, जो लसीका के शिराओं में ही प्रविष्ट होने में hi सहायक होता है, शिरारक्त को विपरीत दिशा में नहीं जाने देता।

लसीकाग्रंथियाँ[संपादित करें]

सभी लसीकावाहिनियाँ अपने मार्ग के किसी न किसी भाग में लसीकाग्रंथियों से होकर गुजरती हैं। इन्हीं ग्रंथियों में लसीकाकणिकाओं (lymph corpuscles) का निर्माण होता है। ये ग्रंथियाँ आकार में गोल या अंडाकार होती हैं तथा इनकी आकृति वृक्क जैसी होती है। इसके सबसे बाहर संयोजक ऊतक का एक कोष होता हैं, जिसमें कुछ अनैच्छिक पेशीसूत्र (involuntary muscle fibres) भी रहते हैं। कोष से प्रवर्धन ग्रंथि के भीतर वृंत की ओर जाते हुए बहुत से ट्रैवेक्यूला (trabecula) होते हैं। लसीकाग्रंथि का बाह्य भाग अनेक कोष्ठों में विभक्त रहता है, जिन्हें लसीका कोष्ठिकाएँ (Alveoli) कहते हैं। इन कोष्ठिकाओं में जाल के समान लसीकातंतु भरा रहता है, जिसके बीच बीच में लसीकाकणिकाएँ भरी रहती हैं।

लसीकाग्रंथि का आभ्यंतरिक भाग दो भागों से बना है :

(1) प्रांतस्था (Cortical) - यह भाग हलके रंग का होता है।

(2) अंतस्था या मज्जका (Medullary) - यह भाग कुछ लाली लिए हुए होता है। अनेक अंतस्थ नलिकाओं से लसीकावाहिनियाँ लसीकाग्रंथि में प्रविष्ट होती हैं, जो इसके उत्तल भाग में कोष को पारकर लसीकापथों में खुलती हैं।

कुछ प्राणियों में तथा शरीर के कुछ भागों में इन ग्रंथियों का रंग लाल होता है। इन्हें रुधिर (haemal) लसीकाग्रंथि कहते हैं। इनकी लसीकावाहिनियों में रुधिर भरा रहता है।

लसीका का प्रवाह[संपादित करें]

24 घंटों में लसीकापथों से निकलकर रुधिर में प्रविष्ट होनेवाली लसीका का परिमाण बहुत अधिक होता है। यह देखा गया है कि आहार पूरा मिलने पर रुधिर के बराबर परिमाण में ही लसीका 24 घंटों में दक्षिण और वाम शाखाओं से गुजरती है। इसलिए यह स्पष्ट है कि लसीका संस्थान में लसीका का प्रवाह अति शीघ्रता से होना चाहिए।

रुधिरपरिवहन को बनाए रखने के लिए शरीर में हृदय की व्यवस्था है। लसीका के परिवहन के लिए लसीका की आगे की ओर गति निम्नलिखित कारणों पर निर्भर करती है :

(1) दबाव का अंतर - भौतिक नियमों के अनुसार द्रव पदार्थ अधिक दबाव से कम दबाव की ओर बहते हैं। लसीका के उत्पत्तिस्थान लसीका अंतराल से लक्ष्य स्थान ग्रीवा की शिराओं के दबाव में बहुत अंतर है। अत: दबाव के इसी अंतर के कारण प्रवाह आगे की ओर होता रहता है।

(2) वक्षीय चूषण (Thoracic Aspiration)।

(3) लसीकावाहिनी का नियमित संकोच।

(4) शरीर की चेष्टाएँ।

(5) लसीकावाहिनी में स्थित कपाट।

लसीका का निर्माण[संपादित करें]

लसीका क्या है इसका महत्व लिखिए? - laseeka kya hai isaka mahatv likhie?

अन्तस्थ द्रव (interstitial fluid) से लसीका का निर्माण

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Lymphatic System
  • Lymphatic System Overview (innerbody.com)

लसिका क्या है इसका महत्व?

Solution : लसीका एक तरल संयोजी ऊतक है जो अंतर्कोशिकीय स्थानों/अवकाश में भरा होता है। इसे अंतर्कोशिकीय द्रव भी कहते हैं। इसमें प्लैज्मा, कुछ प्रोटीन तथा रक्त कणिकाएँ जिन्हें लसीकाणु कहते हैं, होती हैं। यह रंगहीन द्रव होता है जिसमें बहत कम प्रोटीन होते हैं।

लसीका का दूसरा नाम क्या है?

Solution : लसीका तन्त्र को सहायक या दूसरा परिसंचरण तन्त्र भी कहते हैं।

लसीका क्या है इसके कार्य को लिखें?

लसीका के कार्य (Function of Lymphs in Hindi) कोशिकाओं तक पोषक तत्त्वों, गैसों, हार्मोन्स तथा एंजाइम्स आदि को पहुँचाने का कार्य करता है। लसीका अंगों व लसीका ग्रंथियों में लिम्फोसाइट्स का निर्माण होता है, जो जीवाणुओं का भक्षण करती है। यह कोमल अंगों की रक्षा करने तथा उन्हें रगड़ से बचाने में सहायक है।

लसीका में क्या क्या पाया जाता है?

लसीका और लसीका ग्रंथियाँ the immune system (प्रतिरक्षा प्रणाली). का प्रमुख हिस्सा हैं। उनमें सफेद रक्त कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स) और एंटीबॉडी शामिल होती हैं जो संक्रमण के विरुद्ध शरीर की रक्षा करती हैं।