Question 1. Answer: (b) पेड़ को Question 2. Answer: (a) पोलियो का Question 3. Answer: (d) यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाना Question 4. Answer: (b) डेनेनवोफु में Question 5. Answer: (d) रॉकी को Question 6. Answer: (c) सीढ़ी पर धकियाकर Question 7. Answer: (b) तोतो ने यासुकी-चान का स्वागत किया Question 8. Answer: (c) विशेषण (1) तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते। पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई
पर एक विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। बिलकुल किसी झूले-सी आरामदेह जगह थी यह। तोत्तो-चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती। Question 1. Answer: पाठ – अपूर्व अनुभव, लेखक-तेत्सुको कुरिया नागी। Question
2. Answer: (c) अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था Question 3. Answer: (c) छह फुट Question 4. Answer: (d) बच्चों का पेड़ों के प्रति प्रेम Question 5. Answer: (b) झूले सी आरामदेह जगह (2) यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था। अत: तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो ज़रूर डाँटते। Question 1. Answer: (b) पोलियो Question 2. Answer: (b) पेड़ पर चढ़ने के लिए Question 3. Answer: (b) पेड़ों को Question 4. Answer: (c) क्योंकि काम बहुत खतरनाक था Question 5. Answer: (a) सार्वजनिक (3) यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी-चान को पीछे से धकियाने लगी। पर तोत्तो-चान थी छोटी और नाजुक-सी, इससे अधिक साहयता क्या करती! यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान को पहली बार लगा कि काम उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी। अब क्या करे वह ? Question 1. Answer: (a) क्योंकि उसके हाथ-पैर कमज़ोर थे Question 2. Answer: (b) तोत्तो-चान Question 3. Answer: (b) क्योंकि वह सीढ़ी पर चढ़ नहीं पा रहा था Question 4. Answer: (b) कठिन Question 5. Answer: (c) सीढ़ी पर धक्के लगाकर (4) उस समय विशाखा पर खड़ी तोत्तो-चान द्वारा यासुकी-चान को पेड़ की ओर खींचते हुए अगर कोई बड़ा देखता तो वह ज़रूर डर के मारे चीख उठता। उसे वे सच में जोखिम उठाते ही दिखाई देते। पर यासुकी-चान को तोत्तो-चान पर पूरा भरोसा था और वह खुद भी यासुकी-चान के लिए भारी-खतरा उठा रही थी। अपने नन्हें-नन्हें हाथों से वह पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी। बादल का एक बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कती धूप से बचा रहा था। काफ़ी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। पसीने से तरबतर अपने बालों को चहरे पर से हटाते हुए तोत्तोचान ने सम्मान से झुककर कहा, “मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।” Question 1. Answer: (b) पेड़ की द्विशाखा पर Question 2. Answer: (c) लाचार यासुकी-चान को द्विशाखा का आनंद देना चाहती थी Question 3. Answer: (a) अपने पेड़ पर Question 4. Answer: (b) क्या मैं अंदर आ सकता हूँ? Question 5. Answer: (b) नई दुनिया अर्थात संसार (5) बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे। किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ना हो तो उससे पहले पूरी शिष्टता से, “माफ़ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ?” पूछना पड़ता था। Question 1. Answer: बच्चे इनमें से अपने-अपने पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते थे। Question 2. Answer: यासुकी-चान किसी पेड़ को अपनी निजी संपत्ति इसलिए नहीं मानते थे, क्योंकि वह पोलियो से ग्रस्त था, वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था इसलिए वे किसी पेड़ को अपनी निजी संपत्ति नहीं मानता था। Question 3. Answer: किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व उस पेड़ के मालिक से विनयपूर्वक पूछना पड़ता था-“माफ़ कीजिए क्या मैं अंदर आ जाऊँ?” Question 4. Answer: यासुकी-चान किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था क्योंकि उसको पोलियो था। वह किसी पेड़ को अपनी संपत्ति भी नहीं मानता था। Question
5. Answer: तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। (6) यासुकी-चान के मन में भी उत्साह था। वह उसके सामने गई। उसका लटका चेहरा इतना उदास था कि तोत्तो-चान को उसे हँसाने के लिए गाल फुलाकर तरह-तरह के चेहरे बनाने पड़े। Question 1. Answer: तोत्तो-चान की यह हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े। Question 2. Answer: तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का उदास चेहरा देखा तो वह उसे हँसाने के प्रयास में लग गई। उसने अपना-गाल फुलाकर तरह-तरह के चेहरे बनाए। Question 3. Answer: तोत्तो-चान को यह बात सूझी थी कि तिपाई-सीढ़ी की सहायता से यासुकी-चान के लिए विशाखा तक पहुँचना आसान हो जाएगा। तिपाई-सीढ़ी को थामें रखने की भी ज़रूरत नहीं थी। Question 4. Answer: तोत्तो-चान तिपाई-सीढ़ी ढूँढ़ने छप्पर की ओर दौड़ी। आखिर वहाँ उसे तिपाई-सीढ़ी मिल गई। Question 5. Answer: तोत्तो-चान छोटी-सी बच्ची थी। जब वह तिपाई-सीढ़ी को चौकीदार के छप्पर से घसीटकर अपने पेड़ तक ले आई तो उसे अपने शक्ति पर हैरानी हुई। Question 6. Answer: तोत्तो-चान, के कंधों पर उसकी जिम्मेदारी थी। अतः वह उसे करने के लिए हिम्मत बँधा रही थी तो उसकी आवाज़ में बड़ी बहन जैसी गंभीरता और आश्वासन की भावना झलक रही थी। (7) उस समय द्विशाखा पर खड़ी तोत्तो-चान द्वारा यासुकी-चान को पेड़ की ओर खींचते अगर कोई बड़ा देखता तो वह ज़रूर डर के मारे चीख उठता। उसे वे सच में जोखिम उठाते ही दिखाई देते। पर यासुकी-चान को तोत्तो-चान पर पूरा भरोसा था और वह खुद भी यासुकी-चान के लिए भारी-खतरा उठा रही थी। अपने नन्हें-नन्हें हाथों से वह
पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी। बादल का एक बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कती धूप से बचा रहा था। Question 1. Answer: तोत्तो-चान यासुकी-चान को पेड़ की विशाखा पर चढ़ाना चाहती थी। Question 2. Answer: तोत्तो-चान और यासुकी-चान छह फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित विशाखा पर चढ़ने का प्रयास कर रहे थे। जहाँ से गिरने पर दोनों को गंभीर चोटें आ सकती थीं। Question 3. Answer: दोनों के विशाखा पर पहुँचने पर तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का स्वागत किया। Question 4. Answer: तोत्तो-चान का अपने विकलांग मित्र यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का सपना पूरा हुआ। Question 5. Answer: ‘बादल’ शब्द का पर्यायवाची है-घन, मेघ, जलद, नीरद। (8) तोत्तो-चान उस समय यह तो न समझ पाई कि यासुकी-चान के लिए, जो कहीं भी दूर तक चल नहीं सकता था, घर बैठे चीजों को देख लेने के क्या अर्थ होंगे? वह तो यह ही सोचती रही कि सूमो पहलवान घर में रखे किसी डिब्बे में कैसे समा जाएँगे? उनका आकार तो बड़ा होता है, पर बात उसे बड़ी लुभावनी लगी। उन दिनों टेलीविजन के बारे में कोई नहीं जानता था। पहले-पहल यासुकी-चान ने ही तोत्तो-चान को उसके बारे में बताया था। Question 1. Answer: तोत्तो-चान को यह समझ बात में नहीं आई कि यासुकी चान के लिए घर बैठे किसी चीज़ को देख लेना क्या महत्त्व रखता है, क्योंकि उसे यासुकी-चान की परेशानियों का सही अनुमान नहीं था। Question 2. Answer: तोत्तो-चान यह सोच रही थी कि सूमो पहलवान घर में रखे किसी डिब्बे में कैसे अंदर प्रवेश कर जाएँगे। वे तो बहुत बड़े होते हैं फिर भी उनके बारे में सोचना आकर्षित करने जैसा था। Question 3. Answer: पुराने समय में टेलीविजन का आविष्कार नया-नया ही हुआ था। लोग उसके बारे में परिचित नहीं थे। विकसित देशों में मसलन-अमेरिका जैसे में ही इसका प्रचार-प्रसार हुआ था। जापान के लोग व्यावहारिक रूप में टी०वी० से अपरिचित थे। Question 4. Answer: यासुकी-चान वे तोत्तो-चान को टेलीविजन के बारे में बताया। Question 5. Answer: लुभावना – सुहावना, मनोरम, मनोहारी, मनहर, चित्ताकर्षक। तोत्तो चान ने बड़ों से क्या छुपाया था क्यों?तोत्तो - चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी - चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी । ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं।
तोत्तो चान ने कौन सा साहस वाला काम किया था?उत्तर - तोत्तो-चान ने अपने पोलियो ग्रस्त मित्र यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ा कर साहस भरा काम किया था।
तोत्तो चान की कहानी क्या है?“तोत्तो-चान” 1981 में प्रकाशित एक जापानी उपन्यास है। इसमें तोत्तो-चान नाम की छोटी बच्ची की कहानी है, जो बाल सुलभ कौतुहल व जिज्ञासाओं से लबरेज व खुशमिजाज है। जब तोत्तो-चान स्कूल जाती है, तब उसे भी बाकी सब की तरह बाल शिक्षा के पारंपरिक विचारों व पढ़ाने के वही रटे-रटाए तरीके से पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं रहती।
तोत्तो चान छप्पर से क्या घसीट लाई *?सीढी द्वारा यासुकी-चान को ऊपर चढ़ाने की अपनी प्रथम कोशिश नाकाम होने के बाद, तोत्तो-चान फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़कर गई। यहाँ से एक तिपाई-सीढ़ी घसीट लाई। उसने यासुकी-चान को एक-एक पैर सीढ़ी रखने में सहायता की।
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