सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

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भगवान विष्‍णु के दस अवतार कौन-कौन से है? भगवान श्रीहरि विष्‍णु इस सम्पूर्ण सृष्टि के रक्षक और पालनहार है, जो धर्म की रक्षा हेतु हर युग में अवतार धारण करते है। वैसे तो भगवान विष्णु ने अनेको अवतार लिये हैं लेकिन उनमें से दस अवतार ऐसे हैं, जो प्रमुख रूप से अत्यधिक पूजनीय हैं, और जिनके प्रति साधारण जनमानस में अकूट आस्था है।

  • भगवान विष्‍णु के दस अवतार कौन से है? Which are the ten incarnations of Lord Vishnu?
    • मत्स्य अवतार (समय – सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे प्रथम )
    • वराह अवतार (सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे दूसरा)
    • भगवान नृसिंह (सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे तीसरा)
    • कूर्म अवतार (सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे चोथा)
    • वामन अवतार (त्रेता युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे पाँचवा)
    • परशुराम अवतार (त्रेता युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे छठा)
    • श्रीराम अवतार (त्रेता युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे सातवा)
    • श्रीकृष्ण अवतार (द्वापर युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे आठवा प्रथम)
    • वेंकटेश्वर अवतार (कल युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे नौवा)
    • कल्कि अवतार (कल युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे दसवा)

भगवान विष्‍णु के दस अवतार कौन से है? Which are the ten incarnations of Lord Vishnu?

यहां हम इस लेख में भगवान श्रीहरि विष्णु के ऐसी ही 10 प्रमुख अवतारों या दशावतारो की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथाओं का वर्णन कर रहे है।

  1. मत्स्य अवतार (सत युग) 
  2. वराह अवतार (सत युग) 
  3. नृसिंह अवतार (सत युग)
  4. कूर्म अवतार (सत युग)
  5. वामन अवतार (त्रेता युग)
  6. परशुराम अवतार (त्रेता युग)
  7. श्री राम अवतार (त्रेता युग)
  8. श्री कृष्णा अवतार (द्वापर युग)
  9. वेंकटेश्वर अवतार (कल युग)
  10. कल्कि अवतार (कल युग)

अब एक एक करके भगवान विष्‍णु के दस अवतार की कथाओ का वर्णन करते है।   

मत्स्य अवतार (समय – सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे प्रथम )

पुराणों के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्य के रूप में पहला अवतार लिया था। जो भगवान विष्‍णु के दस अवतार में प्रथम माना जाता है, इसकी कथा के अनुसार – कृतयुग के अंत में राजा सत्यव्रत हुए थे। एक दिन राजा सत्यव्रत नदी में स्नान कर सूर्य को जलांजलि दे रहे थे। तभी अचानक उनकी अंजलि में एक छोटी सी मछली आ गई। उन्होंने सोचा उसे वापस जल में डाल दूं, लेकिन उस मछली ने राजा से कहा – आप मुझे जल में मत डालिए अन्यथा बड़ी मछलियां मुझे खा जाएंगी। 

तब राजा सत्यव्रत ने उस मछली को अपने राज महल में रख लिया। जब मछली एक दिन में बड़ी हो गई तो राजा ने उसे अपने सरोवर में रख दिया, परन्तु देखते ही देखते मछली और बड़ी हो गई। राजा को समझ आ गया कि यह कोई साधारण जलचर जीव नहीं है। राजा ने उस मछली से अपने वास्तविक स्वरूप में आने की प्रार्थना की।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

राजा की प्रार्थना को सुन साक्षात चारभुजाधारी भगवान श्री विष्णु प्रकट हो गए और उन्होंने कहा कि यह मेरा मत्स्यावतार है। भगवान ने सत्यव्रत से कहा- सुनो सत्यव्रत! आज से सात दिन के बाद प्रलय होगी। और समस्त लोक जल में डूब जायगे, तब मेरी प्रेरणा से एक विशाल नौका तुम्हारे पास आएगी। तब तुम सप्त ऋषियों, औषधियों, समस्त बीजों व प्राणियों के सूक्ष्म शरीरो को लेकर उसमें बैठ जाना, जब तुम्हारी नाव डगमगाने लगेगी, तब मैं इसी मत्स्य रूप में तुम्हारे पास आऊंगा।

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उस समय तुम वासुकि नाग से उस नाव को मेरे सींग से बांध देना। उस समय तुम जो प्रश्न पूछोगे तब मैं तुम्हें उत्तर दूंगा, जिससे मेरी वास्तविक महिमा जो नाम परब्रह्म तुम्हारे ह्रदय में प्रकट हो जाएगी। तब समय आने पर मत्स्यरूप धारण करके भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया और सृष्टि को प्रलय के जल से बचाया, भगवान की यह कथा मत्स्यपुराण के नाम से प्रसिद्ध है।

वराह अवतार (सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे दूसरा)

धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्‍णु के दस अवतार में दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था। वराह अवतार से जुड़ी कथा इस प्रकार है- पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर क्षीर सागर में छिपा दिया था तब देवताओ की प्रार्थना पर भगवान ब्रह्मा की नाक से वराह के रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर निकाल लाए। जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने वराह रूपी भगवान विष्णु को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया।

भगवान नृसिंह (सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे तीसरा)

भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार जो भगवान विष्‍णु के दस अवतार में तीसरा है, उसे धारण करके अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिये दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। इस अवतार की कथा इस प्रकार है – धर्म ग्रंथों के अनुसार दैत्यों का राजा हिरण्यकशिपु स्वयं को भगवान से भी अधिक बलवान मानने लगा था।

उसने मनुष्य, देवता, पक्षी, पशु, न दिन में, न रात में, न धरती पर, न आकाश में, न अस्त्र से, न शस्त्र से मरने का वरदान ब्रह्मा जी से प्राप्त किया था। उसके राज में जो भी भगवान विष्णु की पूजा करता था उसको वह दंड देता था। उसके पुत्र का नाम प्रहलाद था। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

यह बात जब हिरण्यकशिपु का पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुआ और प्रहलाद को समझाने का प्रयास किया, लेकिन फिर भी जब प्रहलाद नहीं माना तो हिरण्यकशिपु ने उसे मृत्युदंड दे दिया। परन्तु वह हर बार भगवान विष्णु के चमत्कार से वह बच जाता था। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था।

वह प्रहलाद को लेकर धधकती हुई अग्नि में बैठ गई। तब भी भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका जल गई। जब हिरण्यकशिपु ने स्वयं प्रहलाद को मारने का निश्चय किया तब भगवान विष्णु नृसिंह का अवतार लेकर खंबे से प्रकट हुए और उन्होंने अपने नाखूनों से हिरण्यकशिपु का वध कर प्रहलाद की रक्षा की।

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कूर्म अवतार (सत युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे चोथा)

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का अवतार जिसे भगवान विष्‍णु के दस अवतार में चौथा अवतार कहा जाता है उसे लेकर समुद्र मंथन में देवताओ और दानवो की सहायता की थी। भगवान विष्णु के इस कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहा जाता हैं, यह उनके दशावतारों में तीसरा अवतार है।

इसकी कथा इस प्रकार है – एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इन्द्र को श्राप देकर उसे श्रीहीन कर दिया था। तब इन्द्र भगवान विष्णु के पास गए और उनसे साहयता मांगी तो भगवान ने उन्हें समुद्र मंथन करने के लिए कहा। इन्द्र भगवान विष्णु के कहे अनुसार दैत्यों व देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया गया। देवताओं और दैत्यों ने अपना मतभेद भुलाकर मंदराचल को उखाड़ा और उसे समुद्र की ओर ले चले, लेकिन वे उसे अधिक दूर तक नहीं ले जा सके। तब भगवान विष्णु ने मंदराचल को समुद्र तट पर रख दिया। देवता और दैत्यों ने मंदराचल को समुद्र में डालकर नागराज वासुकि को नेती बनाया।

किंतु मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल को अपनी पीठ पर आधार प्रदान किया। भगवान कूर्म  की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घुमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन का कार्य संपन्न हुआ।

वामन अवतार (त्रेता युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे पाँचवा)

त्रेतायुग में प्रहलाद के पौत्र दैत्यराज बलि ने स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था। सभी देवता इस विपत्ति से बचने के लिए भगवान विष्णु के पास साहयता के लिये गए। भगवान विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से अवतार लेकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु ने वामन के रूप में अवतार लिया, जो भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे पाँचवा है।

एक बार जब राजा बलि महान यज्ञ कर रहा था तब भगवान वामन बलि की यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी। राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य भगवान की लीला को समझ गए और उन्होंने बलि को दान देने से मना कर दिया। लेकिन बलि ने फिर भी भगवान वामन को तीन पग धरती दान देने का संकल्प कर लिया।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

तब भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग लोक को नाप लिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पग रखने को कहा। बलि के सिर पर पग रखने से वह पाताल लोक को पहुंच गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे पाताल लोक का स्वामी बना दिया और सावर्णि मन्वन्तर में इंद्र का पद प्रदान करने का वरदान भी दिया। इस तरह भगवान वामन ने देवताओं की सहायता कर उन्हें स्वर्ग पुन: लौटाया।

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परशुराम अवतार (त्रेता युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे छठा)

सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार परशुराम भगवान विष्‍णु के दस अवतार में से एक थे। भगवान परशुराम के जन्म की कथा इस प्रकार है। प्राचीन समय में महिष्मती नगरी पर शक्तिशाली हैययवंशी क्षत्रिय कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रबाहु) का शासन था। वह बहुत अभिमानी और अत्याचारी भी। एक बार अग्निदेव ने उससे भोजन कराने का आग्रह किया। तब सहस्त्रबाहु ने घमंड में आकर कहा कि आप जहां भी चाहें, वहां से भोजन को प्राप्त कर सकते हैं, समस्त पृथ्वी पर मेरा ही राज है।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

तब अग्निदेव ने वनों को जलाना शुरु कर दिया। एक वन में उसी समय ऋषि आपव तपस्या कर रहे थे। अग्नि ने उनके आश्रम को भी जला डाला। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि भगवान विष्णु, परशुराम के रूप में जन्म लेंगे और न ही सिर्फ सहस्त्रबाहु का बल्कि समस्त अभिमानी क्षत्रियों का भी सर्वनाश करेंगे। इस प्रकार भगवान विष्णु ने भार्गव कुल में महर्षि जमदग्रि के पांचवें पुत्र के रूप में जन्म लिया।

श्रीराम अवतार (त्रेता युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे सातवा)

त्रेतायुग में राक्षसराज रावण का बहुत बड़ा आतंक था। उससे सभी देवता भी डरते थे। उसके वध के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र के रूप में जन्म लिया, जो भगवान विष्‍णु के दस अवतार में सातवा है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन करते हुए एक आदर्श प्रस्तुत किया।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

पिता के कहने पर वनवास गए और वनवास भोगते समय राक्षसराज रावण उनकी पत्नी सीता का हरण करके ले गया। सीता की खोज में भगवान लंका तक पहुंचे, वहां भगवान श्रीराम और रावण का घोर युद्ध हुआ जिसमें रावण मारा गया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लेकर देवताओं को भय मुक्त किया।

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श्रीकृष्ण अवतार (द्वापर युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे आठवा प्रथम)

द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लेकर अधर्मियों का विनाश किया। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा कारागार में हुआ था। इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था। भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे से एक भगवान श्रीकृष्ण ने इस अवतार में अनेक चमत्कार किए और दुष्टों का सर्वनाश किया।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

कंस का वध भी भगवान श्रीकृष्ण ने ही किया। महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथि बने और दुनिया को गीता का ज्ञान प्रदान किया। धर्मराज युधिष्ठिर को राजा बना कर धर्म की स्थापना की। भगवान विष्णु का ये अवतार सभी अवतारों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

वेंकटेश्वर अवतार (कल युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे नौवा)

वेंकटेश्वर, एक ऐसे भगवान है जिन्होंने लोगों को बचाने और उनकी सभी परेशानियों का निपटारा करने के लिए इस कलयुग में जन्म लिया था। भगवान वेंकटेश्वर को भगवान विष्‍णु के दस अवतार में नवां अवतार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान वेंकेटश्वर इस धरती पर तब तक रहेंगे जब तक इस धरती पर कलयुग का अंत नहीं हो जाता। इनका विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बाला जी का मंदिर, भारत में आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले तिरूमाला पहाड़ियों की सातवीं चोटी पर स्थापित है।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

पौराणिक कथा के अनुसार कलयुग की शुरुआत में जब भगवान वरहा वैकुंठ चले गए थे। तब भृगु ऋषि ने वैकुंठ धाम में भगवान विष्णु से मिलने आये लेकिन भगवान ने उन्हे कोई जवाब नहीं दिया। तब गुस्से में भृगु ऋषि ने भगवान विष्णु के सीने पर लात मार दी। जिससे माता लक्ष्मी पृथ्वी पर वास करने लगी उनकी खोज मे भगवान विष्णु धरती पर आये। यहा वह माता लक्ष्मी और पद्धमवाती के साथ तिरुमला की पहड़ियों पर वास करते है और अपने भक्तों के कष्ट दूर करते है।

  • तुंगनाथ महादेव जो दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है।
  • सिद्ध पीठ शाकुंभरी देवी मंदिर की यात्रा जहा से कोई खाली हाथ नहीं लौटता।

कल्कि अवतार (कल युग, भगवान विष्‍णु के दस अवतार मे दसवा)

धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्‍णु के दस अवतार में से एक कलयुग में कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। पुराणों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे।

सतयुग में विष्णु का अवतार कौन था? - satayug mein vishnu ka avataar kaun tha?

कल्कि अपने देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से समस्त पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे, तभी उसके बाद सतयुग का प्रारंभ होगा।

अंत मे निष्कर्ष 

भगवान विष्णु को सभी देवताओ मे सबसे अधिक पूज्य माना जाता है। जो सबसे अधिक दयालु और तुरंत कृपा करने वाले होते है, उनका यही सरल स्वभाव ही है, जो वो इसी प्रकार समय-समय पर अवतरित होकर दुष्टो का विनाश, धार्मिक मनुष्यो की रक्षा और धर्म की स्थापना करते है। भगवान के इन प्रमुख दशावतारों का भी यही उद्देश्य है। हमे उम्मीद है की हमारा लेख भगवान विष्‍णु के दस अवतार कौन-कौन से है? आपको अच्छा लगा होगा।  

सतयुग में भगवान विष्णु का पहला अवतार कौन थे?

हालांकि निम्निलिखित अवतारों के अलावा भी विष्णु के अवतार हुए हैं लेकिन यहां प्रमुख के नाम। सतयुग : इस युग में मत्स्य, हयग्रीव, कूर्म, वाराह, नृसिंह अवतार हुए जो कि सभी सभी अमानवीय थे

सतयुग में भगवान विष्णु के कितने अवतार हुए?

सतयुग में भगवान विष्णु के जो अवतार हुए हैं उनमें मत्सय अवतार, कूर्म अवतार, वाराह अवतार और नृसिंह अवतार शामिल हैं। भगवान विष्णु ने जो ये अवतार लिये वे शंखासुर के वध और वेदों के उद्धार सहित, पृथ्वी का भार हरण, हिरण्यकश्यपु के वध और भक्त प्रहलाद को मुश्किलों से बचाने के लिए थे।

सतयुग में कौन से भगवान का अवतार था?

इस युग में भगवान के मत्स्य, कूर्म, वराह और नृसिंह ये चार अवतार हुए थे।

कलयुग का पहला राजा कौन था?

कलयुग के प्रथम राजाराजा परीक्षित थे. राजा परीक्षित उतरा और अभिमन्यु के पुत्र थे. जिस समय महाभारत का युद्ध चल रहा था और अभिमन्यु मारा गया उस वक्त उतरा(अभिमन्यु की पत्नी) गर्भवती थी.