निम्न में से कौन सा मानव विकास सूचकांक का सूचक नहीं है? - nimn mein se kaun sa maanav vikaas soochakaank ka soochak nahin hai?

SOLUTION

The Human Development Approach focuses on the enrichment of the lives of the people instead of the assumption that with the rise in the economic growth of a country, its benefits will automatically reach all the people in the country. This is measured by HDI-Human Development Index. This index is a multidimensional concept. It uses the following three indicators:

1. Life Expectancy: The age at which a particular person belongs to a particular age group is expected to live. The current life expectancy rate in India as per 2019 is 68.7 years. In males, it is 67.4 years, and in females, it is 70.2 years.

2. Infant Mortality Rate: It is the total number of infants dying before the age of 1 out of 1000 live births. It is currently at 30.924 as per 2019.

3. Adult Literacy Rate: It is the number of people above age 15 with the ability to read and write. It is 74.37 as per 2019.

Sex ratio is not an indicator used in the calculation of HDi; It is the ratio of males to 1000 females in a country. It is 108.176 as per 2019.

NimnLikhit Me Se Kaun - Saa Manav Vikash Suchkank Ka Hissa Nahi Hai -


A. स्वास्थ्य एवं पोषण
B. प्रति व्यक्ति आय
C. जन्म के समय जीवन प्रत्याशा
D. सकल नाम निवेश दर

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सम्बन्धित प्रश्न

मानव विकास सूचकांक 2017 में भारत का स्थान



Comments Dhiraj on 26-09-2022

निमन लिखित में कोन सा मानव विकास का सुचकाग नहीं है

धिरज on 26-09-2022

निम्न मै कोन सा अधिबसति रूप नहीं है

Durgesh Saket on 27-04-2022

Nimnlikhit me know manaoo vikash sucaknak se sambandhit hai

Himanshu kumar raj on 03-02-2022

Who of the following is associated with human development index

Sakshi on 12-08-2021

Konsa manav vikas ka stamb nii hSakshi

मानव विकास सूचकांक एवं भारत

  • 13 Sep, 2022 | विमल कुमार

निम्न में से कौन सा मानव विकास सूचकांक का सूचक नहीं है? - nimn mein se kaun sa maanav vikaas soochakaank ka soochak nahin hai?

सूचकांक किसी देश या समाज की प्रगति का मूल्यांकन करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम होते हैं। ये सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकास के गणित को निर्धारित मानकों के आधार पर अंको में प्रदर्शित करते हैं। सूचकांक प्रगति को मापने के लिए तुलनात्मक अवसर भी प्रदान करते हैं। हालांकि इनपर एकपक्षीय या एकआयामी होने का आरोप भी लगता रहा है। हाल ही में जारी मानव विकास सूचकांक इस बार चर्चा में है। मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी किया जाता है। यह सूचकांक 1990 से जारी किया जा रहा है। इस वर्ष यह सूचकांक इसलिए चर्चित है क्योंकि इस सूचकांक में पिछले 32 वर्षों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गयी है। चिंता का एक बिंदु यह भी है कि वैश्वीकरण के इस दौर में यह गिरावट सतत विकास लक्ष्यों के भी प्रतिकूल है। इस वर्ष 2021 के लिए 191 देशों का मानव विकास सूचकांक जारी किया गया है। मानव विकास सूचकांक के 3 मानक हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य और आय तथा मानव विकास। सूचकांक की गणना 4 संकेतकों- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय द्वारा की जाती है। इसकी गणना 0 और 1 के बीच की जाती है। संकेतक में जो देश अंक एक के जितना पास रहता है वह मानव विकास में उतने उच्च स्तर पर होता है। शिक्षा जहाँ ज्ञान से जुड़ी हुई है वहीं स्वास्थ्य लंबे और स्वस्थ जीवन तथा आय सभ्य जीवन स्तर से जुड़ी हुई है।

यूएनडीपी संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों जैसे यूनेस्को तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे-ओईसीडी, वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ आदि से आंकड़ों का संकलन करता है और इस सूचकांक का प्रकाशन करता है। इस वर्ष मानव विकास सूचकांक की थीम- “अनसर्टेन टाइम्स, अनसैटल्ड लाइफ: सेविंग आवर फ्यूचर इन ए ट्रांसफॉर्मिंग वर्ल्ड” है।

भारत की स्थिति-

मानव विकास सूचकांक में भारत की स्थिति चिंताजनक है। विकास के तमाम दावों के बावजूद सूचकांक में भारत अपने पड़ोसी देशों से भी बहुत पीछे है। यूएनडीपी द्वारा 2022 में प्रकाशित मानव विकास सूचकांक, 2021 में भारत का स्थान 132वां है। भारत का एचडीआई मूल्य 0.633 रखा गया है जो कि 2020-21 के सूचकांक 131 एवं एचडीआई मूल्य 0.645 से कम है। पिछले वर्ष के सूचकांक के मुकाबले इस वर्ष भारत के मानव विकास में गिरावट आई है। भारत को प्राप्त मानव विकास सूचकांक मूल्य को मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा जाता है।

सूचकांक में गिरावट के कारण-

हाल ही में जारी सूचकांक में भारत के नीचे फिसलने का मुख्य कारण जीवन प्रत्याशा में आई कमी है। 69.07 के मुकाबले अब जीवन प्रत्याशा 67.2 वर्ष हो गयी है। हालांकि जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट भी दर्ज की गई है, जो 2019 में 72.8 वर्ष से घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है। यदि हम भारत में मानव विकास सूचकांक में निचले पायदान पर होने के कारणों की जांच करें तो इसके मुख्य कारण भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के गिरावट में मिलता है। स्वास्थ्य में प्रमुख कारण जीवन प्रत्याशा में आई कमी, शिक्षा में नामांकन दर और शिक्षा की आवश्यक अवधि में कमी तथा जीवन स्तर के स्तर पर गुणात्मक जीवन स्तर का ना होना है। भारत में स्कूली शिक्षा का अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष और स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष 6.7 साल है। नीति आयोग के स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (School Education Quality Index) रैंकिंग के अनुसार, देश भर में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में भारी अंतर पाया गया है। यह अंतर एक राष्ट्र के लिए शैक्षिक क्षेत्र की सामूहिक कमजोरी का सूचक है।

भारत में मानव विकास के निचले स्तर पर होने के अन्य कारण भी हैं जैसे -- गरीबी दर, भुखमरी व पर्यावरणीय मुद्दे। कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2021 में भारत का स्थान 116 देशों में से 101वाँ है जो कि 2020 में 90वां था। यह स्थान इंगित करता है कि हम खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद वितरण के स्तर पर सक्षम तंत्र का निर्माण नहीं कर पाए हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) द्वारा वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 के अनुसार, 109 देशों में भारत की रैंक 66वीं है जो कि वैश्विक नेतृत्व करने के आकांक्षी राष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।

आंतरिक असमानता भी भारत के मानव विकास में बाधक है। मानव विकास की गिरावट में महिला-पुरुष असमानता एक प्रमुख कारण है। यदि हम अवसर, उपलब्धि और सशक्तिकरण के स्तर पर देखें तो ज्यादा असमानता दिखाई देती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर सशक्त नहीं हो पायी हैं। विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने वर्ष 2022 के लिये अपने वैश्विक लैंगिक अंतराल (Global Gender Gap-GGG) सूचकांक में भारत को 146 देशों में से 135वें स्थान पर रखा है।

सुधार के उपाय

हाल ही में जारी सूचकांक में यूएनडीपी ने कहा मानव विकास में गिरावट सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी हुई है। शीर्ष के 10 देशों में से 9 देशों में गिरावट दर्ज की गई है। यदि हम वैश्विक स्तर पर कारणों को देखें तो दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है जिसमें प्रमुख है वैश्विक महामारी कोविड-19। इसके अतिरिक्त ऊर्जा संकट , युद्ध और तनाव तथा पलायन की स्थितियां भी मानव विकास में आई गिरावट के प्रमुख कारण हैं।

यूएनडीपी ने भारत के संदर्भ में कुछ सकारात्मक बातें भी कही है। यूएनडीपी ने बताया कि भारत समावेशी विकास की ओर बढ़ रहा है। स्वच्छ पानी, स्वच्छता, सस्ती स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच में सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त कमजोर वर्गों तक सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच को बढ़ावा मिला है। यदि हम आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में 9.8% की वृद्धि दर्ज की गई है। सूचकांक में सुधार हेतु भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी आधारभूत जरूरतों की उपलब्धता और उनकी पहुँच के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान तथा कार्य करना होगा। चूँकि यूएनडीपी मानव विकास सूचकांक के निर्धारण के लिए वैश्विक स्तर के आंकड़ों को आधार बनाता है इसलिए भारत को बहुआयामी सुधार और मानक के अनुरूप संसाधनों के वितरण की आवश्यकता है।

यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर ने प्रकाशित रिपोर्ट में स्पष्ट कहा कि, ‘‘संकट-दर-संकट से उबरने के लिए दुनिया हाथ पांव मार रही है। अनिश्चितता से भरी इस दुनिया में, हमें आम चुनौतियों से निपटने के लिए परस्पर वैश्विक एकजुटता की एक नयी भावना की आवश्यकता है।’’

निम्न में से कौन सा मानव विकास सूचकांक का सूचक नहीं है? - nimn mein se kaun sa maanav vikaas soochakaank ka soochak nahin hai?

विमल कुमार

विमल कुमार, राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। अध्ययन-अध्यापन के साथ विमल विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में समसामयिक सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर स्वतंत्र लेखन और व्याख्यान के लिए चर्चित हैं। इनकी अभिरुचियाँ पढ़ना, लिखना और यात्राएं करना है।

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कौन सा मानव विकास सूचकांक का सूचक नहीं है?

बैंकिंग और अन्य वित्तीय तक पहुँच मानव विकास सूचकांक के लिए एक कारक नहीं है।

मानव विकास सूचकांक के सूचक कौन कौन से हैं?

इस वर्ष 2021 के लिए 191 देशों का मानव विकास सूचकांक जारी किया गया है। मानव विकास सूचकांक के 3 मानक हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य और आय तथा मानव विकाससूचकांक की गणना 4 संकेतकों- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय द्वारा की जाती है।

निम्नलिखित में कौन मानव विकास सूचकांक से सम्बन्धित है?

मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आँकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं।

सूचकांक कितने प्रकार के होते हैं?

पूरी दुनिया के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विभिन्न प्रकार के सूचकांकों का निर्माण किया गया है। इन सूचकांकों में लैंगिक असमानता सूचकांक, मानव विकास सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक और प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक शामिल हैं