समाचार लेखन के लिए आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए - samaachaar lekhan ke lie aavashyak tatvon ka varnan keejie

समाचार लेखन के लिए आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए - samaachaar lekhan ke lie aavashyak tatvon ka varnan keejie
समाचार लेखन क्या है? समाचार लेखन के आवश्यक तत्व

समाचार लेखन क्या है? समाचार लेखन के आवश्यक तत्वों की समीक्षा कीजिए। 

समाचार लेखन कला कहानी लेखन की भांति समाचार लेखन भी एक कला है। पत्रकारों की भाषा में समाचार को ‘कथा’ या ‘स्टोरी’ कहा जाता है। किसी बात या घटना को साधारण ढंग से प्रस्तुत करना एक सरल कार्य है परन्तु उसे समाचार बनाकर रोचक कहानी की भांति प्रस्तुत करना असाधारण और कलात्मक कार्य है। यह कार्य असाधारण प्रतिभा, परिश्रम और कलाकारी की उपेक्षा करता है। समाचार लेखक को सफल समाचार लिखने में और पाठकों के सम्मुख कलाकत्मक रूप में प्रस्तुत करने में तभी सफलता प्राप्त होती है तब समाचार लेखन में निम्नलिखित गुण विद्यमान हों-

(i) सत्यता – सत्यता समाचार का प्रथम गुण है। पत्रकार या समाचार लेखक अपने समाचार पत्र में जिस किसी कथा या समाचार को प्रस्तुत करे, उसमें सतर्कता का गुण अनिवार्य रूप से होना चाहिए। वह कल्पना की उड़ान न होकर घटित हुई कोई घटना होनी चाहिए जो कि पाठक के हृदय का स्पर्श करें। सत्यता के अभाव में समाचार अपनी विश्वसनीयता को खो बैठता है। समाचार लेखक को घटना का समाचार बनाकर उसे अच्छे ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।

(ii) रोचकता- समाचार तभी सफल है जब वह पाठकों के मन को पूर्णतः बाँधे रखे। पाठक के मन को पकड़ने के लिए उसका रोचक होना आवश्यक है। समाचार को रोचक ढंग से लिखा जाना चाहिए। समाचार लेखक को ऐसा ढंग निकालना चाहिए कि पाठक उसके समाचार में रुचि लें। समाचार लेखक को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि पाठक को पढ़ने के लिए प्रेरित करना अत्यन्त कठिन कार्य होता है। नीरस और अरुचिकर समाचारों को पाठक नहीं पढ़ते अतः समाचारों में रोचकता अवश्य होनी चाहिए।

(iii) प्रवाहमयता- समाचार या ‘कथा’ में कहानी की भांति प्रवाह का गुण होना चाहिए। पाठक समाचार के प्रथम वाक्य को पढ़ते ही उसके साथ बहना आरम्भ कर दे। समाचार का प्रवाह नदी के प्रवाह की भाँति होना चाहिए। यदि कथा नदी के प्रवाह की भाँति गतिशील हैं तो पाठक समाचार को अन्त तक पढ़कर ही दम लेगा।

(iv) वस्तुनिष्ठता – अच्छा समाचार लेखन में वस्तुनिष्ठता का गुण होना चाहिए समाचार लेखक, समाचार को लिखता है तो उसकी पसंद या नापसंद का स्पर्श नहीं आ चाहिए। उसे व्यक्तिगत धारणाओं या भावावेगों से दूर रहकर ‘कथा’ को लिखना चाहिए। सी० पी० स्काट लिखते हैं “समाचार संग्रह समाचार पत्र का प्रथम कर्तव्य है। भले ही उसकी भावना पर चोट करता हो किन्तु उसे समाचार को दृषित नहीं होने देना चाहिए।……. सत्य को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए। तथ्य पवित्र है, व्याख्या स्वतंत्र है।”

(v) उपदेश का अभाव- पाठक अच्छे समाचार को पढ़ना चाहता है और उसकी प्रशंसा भी करता है परन्तु उसे भाषणबाजी और उपदेश से चिड़ होती है। संवाद-लेखक असत्य या गलत तथ्य नहीं लिखना चाहिए। संवाद लेखक का एकमात्र ध्येय सत्य और सम्पूर्ण सत्य होना चाहिए। उसे कठोर से कठोर सत्य को भी प्रिय ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। भाषणबाजी और उपदेश का अभाव समाचार को आकर्षक और रोचक बना देता है जबकि इसकी बहुलता उसे नीरस और विकर्षक बना देती है।

(vi) स्पष्टता- समाचार लेखक को समाचार स्पष्ट वाक्यों में लिखना चाहिए। उसके लिखने का ढंग ऐसा होना चाहिए कि पाठक उसके समाचार को पढ़े। लम्बे-लम्बे और जटिल तथा दुरुह वाक्य समाचार को बोझिल बना देते हैं। तेज गति से भागते हुए जीवन में पाठक के पास इतना समय नहीं होता कि वह जटिल वाक्यों को स्पष्ट करता फिरे। वह तो चाहता है कि समाचार दर्पण की भाँति उसके सामने स्पष्ट हो।

(vii) सरल भाषा का प्रयोग- समाचार लेखन करते हुए समाचार लेखक की भाषा में प्रवीण होना चाहिए। यदि उसकी भाषा में प्रवाह है तो वह समाचार को स्पष्ट और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करता जाता है। इसके विपरीत यदि भाषा कठिन हो तो पाठक उसे पढ़ते हुए खीझ जाता है और समाचार पढ़ना छोड़ देता है। समाचार लेखन करते हुए इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि समाचार पत्र को सभी वर्गों के पाठक पढ़ते हैं। इन पाठकों में शिक्षित, अल्पशिक्षित, उच्चशिक्षित सभी प्रकार के व्यक्ति होते हैं। यदि समाचार की भाषा सरल है तो उसे सभी वर्गों के लोग सहज रूप में समझ लेंगे।

(viii) आडम्बरपूर्ण शैली से बचाव- समाचार लेखन करते हुए समाचार लेखक को आडम्बरपूर्ण शैली से सदैव बचना चाहिए। समाचार पत्र को न तो बड़े-बड़े विद्वान ही पढ़ते हैं और ही विषय विशेषज्ञ । पत्रकार को अपना लेख लिखते हुए इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि उसके पाठकों में सभी वर्गों के लोग होते हैं। वे बड़ी-बड़ी और ऊँची बातें समझ नहीं पाते हैं। उन्हें तो सामान्य ज्ञान की बातें ही अच्छी लगती हैं। आडम्बरपूर्ण शैली में लिखी गयी बड़ी-बड़ी बातें उन्हें समाचार पत्र से दूर ले जाती हैं और लेखकों का श्रम वृथा हो जाता है। अतः लेखक को इससे यथासंभव बचना चाहिए।

(ix) तथ्यों की शुद्धता- समाचार लेखन करते हुए केवल सुनी-सुनायी बातों को ही नहीं लिख देना चाहिए, बल्कि तथ्यों की शुद्धता की पूरी तरह से जाँच करके ही समाचार लेखन करना चाहिए। तथ्यों की अशुद्धता जहाँ समाचार पत्र की विश्वसनीयता को घटा देती है वहीं समाज में भ्रम और आतंक को भी फैला सकती है। सफल लेखक वहीं कहलाता है जो तथ्यों की शुद्धता की विभिन्न स्रोतों से जांच-पड़ताल करके समाचार निर्माण करता है।

(x) पथ-प्रदर्शन – समाचार लेखक अपने पाठकों का मित्र ही नहीं होता बल्कि उनका पथ-प्रदर्शक भी होता है। पाठकों का ज्ञान सीमित होता है। वह अपने पाठकों की ज्ञान में वृद्धि करता है। उन्हें भाषा, नये शब्द, मुहावरे, व्याकरण आदि देकर उनके सामान्य ज्ञान में वृद्धि के साथ-साथ उनकी अभिव्यक्ति क्षमता को भी बढ़ाता है। उन्हें नये और आकर्षक शीर्षक ही प्रदान नहीं करता, बल्कि उन्हें नये वाक्य और नयीं भावभिव्यक्तियाँ देकर पाठकों के शिक्षण कार्य को भी करता है वह पाठकों की भाषा को सुधार कर उनका मार्गदर्शन भी करता है।

IMPORTANT LINK

  • कार्यालयी पत्राचार क्या हैं? कार्यालयी पत्राचार की प्रमुख विशेषताएँ
  • परिपत्र से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा परिपत्र का प्रारूप
  • प्रशासनिक पत्र क्या हैं? प्रशासनिक पत्र के प्रकार
  • शासकीय पत्राचार से आप क्या समझते हैं? शासकीय पत्राचार की विशेषताऐं
  • शासनादेश किसे कहते हैं? सोदाहरण समझाइए।
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी से क्या अभिप्राय है? प्रयोजनमूलक एवं साहित्य हिन्दी में अन्तर
  • राजभाषा से क्या आशय है? राजभाषा के रूप में हिन्दी की सांविधानिक स्थिति एंव राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अन्तर
  • हिन्दी के विभिन्न रूप, सर्जनात्मक भाषा तथा संचार भाषा
  • प्रयोजन मूलक हिन्दी का अर्थ | प्रयोजन मूलक हिन्दी के अन्य नाम | हिन्दी के प्रमुख प्रयोजन रूप या क्षेत्र | प्रयोजन मूलक हिन्दी भाषा की विशेषताएँ
  • शैक्षिक तकनीकी का अर्थ और परिभाषा लिखते हुए उसकी विशेषतायें बताइये। 
  • शैक्षिक तकनीकी के प्रकार | Types of Educational Technology in Hindi
  • शैक्षिक तकनीकी के उपागम | approaches to educational technology in Hindi
  • अभिक्रमित अध्ययन (Programmed learning) का अर्थ एंव परिभाषा
  • अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार | Types of Programmed Instruction in Hindi
  • महिला समाख्या क्या है? महिला समाख्या योजना के उद्देश्य और कार्यक्रम
  • शैक्षिक नवाचार की शिक्षा में भूमिका | Role of Educational Innovation in Education in Hindi
  • उत्तर प्रदेश के विशेष सन्दर्भ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009′ के प्रमुख प्रावधान एंव समस्या
  • नवोदय विद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया एवं अध्ययन प्रक्रिया
  • पंडित मदन मोहन मालवीय के शैक्षिक विचार | Educational Thoughts of Malaviya in Hindi
  • टैगोर के शिक्षा सम्बन्धी सिद्धान्त | Tagore’s theory of education in Hindi
  • जन शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा, स्त्री शिक्षा व धार्मिक शिक्षा पर टैगोर के विचार
  • शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त या तत्त्व उनके अनुसार शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्य
  • गाँधीजी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन | Evaluation of Gandhiji’s Philosophy of Education in Hindi
  • गाँधीजी की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था के गुण-दोष
  • स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान | स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन
  • गाँधीजी के शैक्षिक विचार | Gandhiji’s Educational Thoughts in Hindi
  • विवेकानन्द का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान | Contribution of Vivekananda in the field of education in Hindi
  • संस्कृति का अर्थ | संस्कृति की विशेषताएँ | शिक्षा और संस्कृति में सम्बन्ध | सभ्यता और संस्कृति में अन्तर
  • पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
  • पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us:

You may also like

About the author

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

समाचार लेखन के आवश्यक तत्व कौन कौन से हैं?

समाचार लेखन के तत्व:.
नवीनता.
सत्यता.
स्पष्टता.
संक्षिप्ता.
सुरुचि.

समाचार लेखन के कितने तत्व होते हैं?

शुष्क तथ्य समाचार नहीं बन सकते पर जो तथ्य आम आदमी के जीवन आरै विचारों पर प्रभाव डालते हैं उसे पसंद आते हैं और आंदोलित करते हैं, वे ही समाचार बनते हैंसमाचार के इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए समाचार में छह तत्वों का समावेश अनिवार्य माना जाता है । ये हैं-क्या, कहां, कब, कौन, क्यो और कैसे।

समाचार क्या है और इसके मूल तत्व क्या हैं?

समाचार नवीनतम घटनाओं और समसामयिक विषयों पर अद्यतन सूचनाओं को कहते हैं, जिन्हें मुद्रण, प्रसारण, अंतर्जाल या अन्य माध्यमों की सहायता से आम लोगों यानी, पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक पहुंचाया जाता है। समाचार अंग्रेजी शब्द न्यूज का हिंदी रूपांतरण है।

समाचार क्या है समाचार के तत्व बताइए?

समाचार के कौन कौनसे प्रमुख तत्व होते है.
नवीनता.
निकटता.
प्रभाव.
जन रुचि.
संघर्ष या टकराव.
महत्त्वपूर्ण लोग.
अनोखापन.
उपयोगी जानकारी.