‘साथियों! मुझे लगता है आने वाले 25 साल के लिए हमें पंचप्रण पर अपनी शक्ति केंद्रित करनी होगा। जब मैं पंचप्रण की बात करता हूं तो पहला प्रण है विकसित भारत का संकल्प। अब उससे कम कुछ नहीं होना चाहिए।’ Show 15 अगस्त 2022 को आजादी की 75वीं सालगिरह पर PM मोदी ने विकसित भारत का संकल्प दिया। उन्होंने अगले 25 सालों में, यानी भारत के 100वें स्वतंत्रता दिवस तक भारत को विकसित बनाने की बात कही। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि विकासशील भारत को 2047 तक विकसित भारत बनने के लिए अभी कितना सफर तय करना बाकी है? आगे बढ़ने से पहले चलिए एक पोल में हिस्सा लेते हैं: इस बड़े सवाल का जवाब जानने के लिए हमें पहले विकसित देश का मतलब समझना होगा। इसके के लिए हम दुनिया की अलग-अलग संस्थाओं की तरफ से दी गईं परिभाषाओं को जानेंगे, लेकिन इन परिभाषाओं को जानने के लिए हमें कुछ शब्दों को जानना जरूरी। तो सबसे ऐसे 4 कॉन्सेप्ट जानते हैं- 1. सकल राष्ट्रीय आय यानी GNI (Gross National Income) : जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर हैं, जिस तरह हमारी अपनी कमाई होती है, ठीक वैसे ही देश की भी अपनी कमाई होती है। उदाहरण के लिए अगर आपकी सैलेरी 50 हजार रुपए है। वहीं, आप होम ट्यूशन देकर 20 हजार रुपए अलग से कमाते हैं। इस तरह आपकी कुल कमाई 50+20 यानी 70 हजार रुपए महीने या 8.4 लाख रुपए सालाना हुई। ऐसे ही किसी बिजनेस या कंपनी की सालाना कमाई जोड़ी जाती है। इस तरह जब हम किसी देश के सभी लोगों और बिजनेस की कमाई को जोड़ लें, तो इसे हम हिंदी में सकल राष्ट्रीय आय और अंग्रेजी में Gross National Income यानी GNI कहते हैं। खास बात यह है कि इसमें विदेशों में जॉब या धंधा करके देश को मिलने वाली रकम और विदेशों से मिलने वाली मदद भी शामिल होती है। 2. सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP (Gross Domestic Production) : किसी देश में एक साल के दौरान पैदा होने वाली सभी वस्तुओं और सर्विसेज का मूल्य यानी वैल्यू को अगर वहां की करेंसी या डॉलर में जोड़ लें तो यह उस देश की GDP होगी। एक काल्पनिक उदाहरण से समझते हैं। अगर किसी देश में सिर्फ दो चीजें होती हैं। एक, स्टील बनाई जाती है और दूसरी, वहां सिर्फ हेयर-ड्रेसिंग होती है। अब अगर उस देश ने साल में जो भी स्टील बनाई उसका मूल्य 100 डॉलर है। वहीं उसी देश में 50 डॉलर की हेयर-ड्रेसिंग जैसी सर्विस दी गई तो उस देश का GDP 100+50 यानी 150 डॉलर होगी। GDP और GNI में ज्यादा अंतर नहीं। GDP में अगर हम तीन चीजें जोड़ लें तो वो GNI में बदल जाती है। 1- देश में रहने वाले लोगों को विदेशों से मिलने वाली सैलेरी, 2- देश में मौजूद किसी प्रॉपर्टी के लिए उसके मालिक या इन्वेस्टर को विदेशों से मिलने वाली कमाई और 3- सरकार को मिलने वाले कुल टैक्स में सब्सिडी घटाकर मिलने होने वाली कमाई 3. प्रति व्यक्ति आय यानी PCI (Per Capita Income) : यह किसी देश में रहने वाले व्यक्तियों की औसत इनकम होती है। इसे कैलेकुलेट करने के लिए हम उस देश के GDP को उसकी कुल आबादी से भाग कर देते हैं। 4. ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स यानी HDI (Human Development Index): यूनाइटेड नेशंस की एजेंसी यूनाइटेड डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) हर साल ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स तैयार करती है। UNDP का मकसद देशों को गरीबी खत्म करने, आर्थिक विकास और मानव विकास करने में मदद करना है। UDI किसी देश के हेल्थ, एजुकेशन और लाइफ एक्सपेक्टेंसी के आधार पर तैयार इंडेक्स होता है। यहां लाइफ एक्सपेक्टेंसी का मतलब हैं कि उस आंकड़े से है जो यह बताता देश के लोग औसतन कितने वर्ष तक जीवित रहते हैं। अब समझते हैं विकसित देशों की 3 परिभाषाएं क्या हैं- 1. यूनाइटेड नेंशंस (UN) : यूनाइटेड नेशंस ने विकासशील और विकसित देशों की कोई परिभाषा तो तय नहीं की हैं, हां, UN के स्टैटिस्टिक्स डिवीजन सहूलियत के लिए कुछ पैमानों के आधार पर देशों को 3 कैटेगरी में बांटते हैं। पहली- विकसित देश या अर्थव्यवस्थाएं, दूसरी- बदलाव से गुजर रही अर्थव्यवस्थाएं और तीसरी- विकासशील अर्थव्यवस्थाएं। देशों को कैटेगराइज करने के 4 बड़े आधार- 1. सकल राष्ट्रीय आय, 2. सकल घरेलू उत्पाद, 3. प्रति व्यक्ति आय और 4. ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स। 2. वर्ल्ड बैंक : वर्ल्ड बैंक विकासशील और विकसित के बजाय देशों को इनकम ग्रुप के आधार पर 4 कैटेगरी में बांटता है-
अब वापस उस सवाल पर आते हैं जिससे इस एक्सप्लेनर की शुरुआत हुई थी। यानी भारत अभी कहां खड़ा है और 2047 तक विकसित बनने के लिए अभी कितना सफर तय करना बाकी है? इसके लिए भारत को विकसित देशों के चार पैमानों की कसौटी पर कसते हैंः- GNI, PCI, GDP और HDI… विकसित देशों की मौजूदा परिभाषा के मुताबिक प्रति व्यक्ति GNI 10.50 लाख से ज्यादा होनी चाहिए। यानी अभी के सिनेरियो में भारत को विकसित बनने के लिए अपनी प्रति व्यक्ति GNI 6 गुना बढ़ानी होगी।
विकसित देशों की मौजूदा परिभाषा के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय 9.5 लाख रुपए से 12 लाख रुपए सालाना होनी चाहिए। अभी के सिनेरियो में अगर भारत को विकसित देशों की कतार में खड़ा होना है तो प्रति व्यक्ति आय में करीब 7-8 गुना बढ़ोतरी करनी होगी।
हालांकि, केवल ज्यादा प्रति व्यक्ति आय ही किसी देश के विकसित होने का पैमाना नहीं होता है। मसलन 2021 में कतर की प्रति व्यक्ति आय करीब 62 हजार डॉलर, यानी करीब 50 लाख रुपए सालाना थी। इसके बावजूद UN ने उसे विकासशील देश माना था। इसकी वजह कतर में लोगों की कमाई में असमानता, इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और गरीबों के लिए शिक्षा की सीमित सुविधाएं उपलब्ध होना थीं। 2021 में भारत की GDP 3.17 ट्रिलियन डॉलर थी और वह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। 2030 तक भारत के 8.4 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ अमेरिका-चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने का अनुमान है।
ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में बहुत नीचे है भारत 2020 में 131वें रैंक पर रहने वाले भारत का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 0.64 था और पिछले कई वर्षों से ये सुधरता जा रहा है। ज्यादातर विकसित देशों का HDI स्कोर 0.80 से ज्यादा होता है।
विकासशील और विकसित देश में फर्क क्या है विकासशील देश, यानी जहां की इंडस्ट्री विकसित हो रही होती है। जीवन स्तर बेहद औसत होता है और मॉडर्न टेक्नोलॉजी की कमी होती है। इस वजह से इन देशों में रहने वाले लोगों की आमदनी भी कम होती है। यूनाइटेड नेशंस के मुताबिक 2020 तक दुनिया के 126 देश विकासशील की लिस्ट में शामिल थे। किसी देश को विकसित तब माना जाता है, जब उस देश के लोगों की आमदनी ज्यादा हो, विकसित इंडस्ट्री हो, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर हो, वहां के लोग हाई क्वालिटी की जिंदगी जीते हों। 2020 में UN ने 36 देशों को विकसित देश माना था। आपको अब तक विकासशील और विकसित देशों के बीच एक बेसिक अंतर तो समझ आ गया होगा। अब इस अंतर को दुनिया की टॉप संस्थाओं की परिभाषा से भी समझ लेते हैं। और विकास के ये 2 पैमाने भी .... विकसित का मतलब अर्थव्यवस्था नहीं जीवन समृद्ध होना यूनाइटेड नेशंस की एजेंसी यूनाइटेड डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) के मुताबिक ह्यूमन डेवलपमेंट मतलब सिर्फ अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने से नहीं, बल्कि उसमें रहने वाले मानव जीवन को समृद्धि से जुड़ा है। यह नजरिया है जो लोगों पर, उन्हें मिलने वाले अवसरों और विकल्पों पर फोकस करता है। GDP नहीं, लोगों का खुश होना है विकास: 1972 में भूटान के सम्राट जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने अपने देश में GDP की जगह ग्रॉस हैपीनेस इंडेक्स लागू किया था। सरकार ने यह तय किया कि देश की समृद्धि GDP से नहीं, बल्कि हैपीनेस इंडेक्स से तय किया जाना चाहिए। तब उन्होंने कहा था कि सभी मंत्रालयों की जिम्मेदारी है कि लोगों की समस्याएं सुलझाएं और जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए काम करें। 2022 में भारत की राष्ट्रीय आय कितनी है?3) वर्ष 2021-22 में स्थिर (2011-12) कीमतों पर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वर्ष 2020-21 के लिए ₹ 135.58 लाख करोड़ के पहले संशोधित अनुमान, जिसे 31.01.2022 को जारी किया गया था, के मुकाबले ₹ 147.36 लाख करोड़ के स्तर को प्राप्त करने का अनुमान है।
देश की प्रति व्यक्ति आय कितनी है?कोविड-19 महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बाधित हुईं थीं। इस कारण स्थिर कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय 2019-20 में 94,270 रुपये से घटकर 2020-21 में 85,110 रुपये रह गई। मौजूदा कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 18.3 प्रतिशत बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई।
वर्तमान में भारत में राष्ट्रीय आय का आधार वर्ष क्या है?CSO ने आधार वर्ष के रूप में 1993-94 के साथ राष्ट्रीय आय पर एक और नई श्रृंखला तैयार की है, जबकि मौजूदा श्रृंखला 1980-81 आधार वर्ष के रूप में है । राष्ट्रीय आय का अनुमान दो विधियों अर्थात उत्पाद विधि और आय विधि द्वारा किया जा रहा है।
3 राष्ट्रीय आय क्या है?किसी देश के नागरिकों का सकल घरेलू एवं विदेशी आउटपुट सकल राष्ट्रीय आय कहलाता है। समस्या – वाही पर लागु हो सकता था , जहाँ उत्पादक कारक ज्ञान है . अगर व्यय ,बचत ज्ञात हो तो इन दोनों को जोड़कर राष्ट्रीय आय का अनुमान लगा सकते है . किसी वित्तीय वर्ष में अंतिम उत्पादित वस्तु और सेवा का मौद्रिक ( आय ) , राष्ट्रीय आय है.
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