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UPSC Civil Service Prelims General Studies Mock Test 100 Questions 200 Marks 120 Mins Last updated on Sep 21, 2022 UPPCS Cut Off and Marksheet released for the 2021 examination. Earlier, the final result for the same was released. A total of 627 candidates were selected after the interview. UPPSC PCS 2022 cycle is also ongoing. The Mains exam for the same was held between 27th September to 1st October 2022. Rajya Me Sagwan Ke Van Kahan Paye Jate Hai -GkExams on 12-05-2019 शुष्क सागवान के वन : राजस्थान में सागवान के सर्वाधिक वन बांसवाड़ा जिले में पाये जाते है। इसके अतिरिक्त चित्तोड़गढ़, उदयपुर मे भी सागवान के वन मिश्रित रूप में पाये जाते है। सम्बन्धित प्रश्नComments Prakash kumar on 03-03-2022 Adhikatam sagon wan cg me kaha Paya jata h राम on 29-12-2021 सागवान लकङी जयादा कोन कोन से देश से आती है Hardeep kabaddi on 03-10-2021 सागवान के वन सर्वाधिक बांसवाड़ा में मिलते है vishali on 24-06-2021 Rajasthan me desnok mandir kahan hai Karan soren on 06-12-2020 Rajastan ke jangal me Mary on 06-12-2020 Sagwan vrich kis prakar ke wano me paya jata hai Roshni kumari on 11-06-2020 सागवान वृक्ष
सबसे ज्यादा भारत के किस राज्य में पाया जाता है? Shyamsundar on 14-02-2020 Imarti lakdi ke liye presidh sagvan ke van kis jile me sarvadhik paye jate h Ajay singh on 10-02-2020 MP Vijay on 25-12-2019 The pair of districts having teak forest is Vijay on 25-12-2019 Rajasthan ke kitne districts mai sagwan ke tree hai. Vijay on 25-12-2019 How districts in rajasthan pair Vijay on 25-12-2019 Which coins were issued by the Mughal emperors in mewar after the conquest of Chittor by akbar? Vijay on 25-12-2019 Alwar ki Chittor vijay ke bad kon se sikke chalaye? Vijay on 25-12-2019 The civilization of ganeshwar is associated with which river? गोपाल ढाका on 20-11-2019 सर्वाधिक सागवान कहां पाए जाते हैं Saurabh on 04-09-2019 Kaun se rajya mein saguan lakdi ka sabse jada utpadan hota Ko on 12-05-2019 Sagvan ke ped bharat me sabse jyada kis rajya me paye jate hai RAwtaram on 22-09-2018 Kya barmer me sagwan ka podha milta hai (A) झारखण्ड
सागौन या टीकवुड द्विबीजपत्री पौधा है। यह चिरहरित यानि वर्ष भर हरा-भरा रहने वाला पौधा है। सागौन का वृक्ष प्रायः 80 से 100 फुट लम्बा होता है। इसका वृक्ष काष्ठीय होता है। इसकी लकड़ी हल्की, मजबूत और काफी समय तक चलनेवाली होती है। इसके पत्ते काफी बड़े होते हैं। फूल उभयलिंगी और सम्पूर्ण होते हैं। सागौन का वानस्पतिक नाम टेक्टोना ग्रैंडिस (Tectona grandis) यह बहुमूल्य इमारती लकड़ी है। विवरण[संपादित करें]सागौन (टेक्टोना ग्रैंडिस) फूल संस्कृत में इसे 'शाक' कहते हैं। लगभग दो सहस्र वर्षों से भारत में यह ज्ञात है और अधिकता से व्यवहृत होती आ रही है। वर्बीनैसी (Verbenaceae) कुल का यह वृहत्, पर्णपाती वृक्ष है। यह शाखा और शिखर पर ताज ऐसा चारों तरफ फैला हुआ होता है। भारत, बरमा और थाइलैंड का यह देशज है, पर फिलिपाइन द्वीप, जावा और मलाया प्रायद्वीप में भी पाया जाता है। भारत में अरावली पहाड़ में पश्चिम में २४° ५०¢ से २५° ३०¢ पूर्वी देशांतर अर्थात् झाँसी तक में पाया जाता है। असम और पंजाब में यह सफलता से उगाया गया है। साल में ५० इंच से अधिक वर्षा वाले और २५° से २७° सें. ताप वाले स्थानों में यह अच्छा उपजता है। इसके लिए ३००० फुट की ऊँचाई के जंगल अधिक उपयुक्त हैं। सब प्रकार की मिट्टी में यह उपज सकता है पर पानी का निकास रहना अथवा अधोभूमि का सूखा रहना आवश्यक है। गरमी में इसकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं। गरम स्थानों में जनवरी में ही पत्तियाँ गिरने लगती हैं पर अधिकांश स्थानों में मार्च तक पत्तियाँ हरी रहती हैं। पत्तियाँ एक से दो फुट लंबी और ६ से १२ इंच चौड़ी होती है। इसका लच्छेदार फूल सफेद या कुछ नीलापन लिए सफेद होता है। बीज गोलाकार होते हैं और पक जाने पर गिर पड़ते हैं। बीज में तेल रहता है। बीज बहुत धीरे-धीरे अँकुरते हैं। पेड़ साधारणतया १०० से १५० फुट ऊँचे और धड़ ३ से ८ फुट व्यास के होते हैं। धड़ की छाल आधा इंच मोटी, धूसर या भूरे रंग की होती है। इनका रसकाष्ठ सफेद और अंत:काष्ठ हरे रंग का होता है। अंत:काष्ठ की गंध सुहावनी और प्रबल सौरभ वाली होती है। गंध बहुत दिनों तक कायम रहती है। सागौन की लकड़ी बहुत अल्प सिकुड़ती और बहुत मजबूत होती है। इस पर पॉलिश जल्द चढ़ जाती है जिससे यह बहुत आकर्षक हो जाती है। कई सौ वर्ष पुरानी इमारतों में यह ज्यों की त्यों पाई गई है। दो सहस्र वर्षों के पश्चात् भी सागौन की लकड़ी अच्छी अवस्था में पाई गई है। सागौन के अंत:काष्ठ को दीमक आक्रांत नहीं करती यद्यपि रसकाष्ठ को खा जाती है। सागौन उत्कृष्ट कोटि के जहाजों, नावों, बोंगियों इत्यादि भवनों की खिड़कियों और चौखटों, रेल के डिब्बों और उत्कृष्ट कोटि के फर्नीचर के निर्माण में प्रधानतया प्रयुक्त होता है। अच्छी भूमि पर दो वर्ष पुराने पौद (sudling), जो ५ से १० फुट ऊँचे होते हैं, लगाए जाते हैं और लगभग ६० वर्षों में यह औसत ६० फुट का हो जाता है और इसके धड़ का व्यास डेढ़ से दो फुट का हो सकता है। बरमा में ८० वर्ष की उम्र के पेड़ का घेरा २ फुट व्यास का हो जाता है, यद्यपि भारत में इतना मोटा होने में २०० वर्ष लग सकते हैं। भारत के ट्रावनकोर, कोचीन, मद्रास, कुर्ग, मैसूर, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के जंगलों के सागौन की उत्कृष्ट लकड़ियाँ अधिकांश बाहर चली जाती हैं। बरमा का सागौन पहले पर्याप्त मात्रा में भारत आता था पर अब वहाँ से ही बाहर चला जाता है। थाईलैंड की लकड़ी भी पाश्चात्य देशों को चली जाती है। चित्रदीर्घा[संपादित करें]सागौन के जंगल भारत के कौन से राज्य में पाए जाते हैं?भारत में सबसे महत्वपूर्ण सागौन के जंगल मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश में हैं। सागौन की लकड़ी पर्णपाती जंगलों में पाई जाती है। सबसे महत्वपूर्ण सागौन के जंगल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और मंडला में स्थित हैं।
सागौन का पेड़ कहाँ पाया जाता है?भारत, बरमा और थाइलैंड का यह देशज है, पर फिलिपाइन द्वीप, जावा और मलाया प्रायद्वीप में भी पाया जाता है। भारत में अरावली पहाड़ में पश्चिम में २४° ५०¢ से २५° ३०¢ पूर्वी देशांतर अर्थात् झाँसी तक में पाया जाता है। असम और पंजाब में यह सफलता से उगाया गया है।
सागवान की लकड़ी का क्या भाव है?वर्तमान में बाजार में सागौन की लकड़ी का मूल्य 50 से 60 हजार रुपए प्रति घनमीटर है। बाजार में इसकी मांग को देखते हुए इसके दाम भी अच्छे मिलते है।
सागौन के पेड़ की कीमत क्या है?बाजार में 12 साल के सागवान के पेड़ की कीमत 25 से 30 हजार रुपये तक है और समय के साथ इसकी कीमत में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है. ऐसे में एक एकड़ की खेती से 1 करोड़ रुपये की कमाई आराम से की जा सकती है.
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