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भारत की प्रमुख पर्वत-श्रृंखलाऐं ; इसमें पश्चिमी तट के लगभग समान्तर जो पर्वत-श्रेणी है, वही 'पश्चिमी घाट' कहलाती है। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय श्रृंखला उत्तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्बी है। विश्व में जैविकीय विवधता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्व में इसका 8वां स्थान है। यह गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्त हो जाती है। वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्थानों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।"[1][2]
पश्चिमी घाट का उपग्रह से लिया गया चित्र sun il Ravi bairwa प्रमुख पर्वत शिखर[संपादित करें]
प्रमुख दर्रे[संपादित करें]
प्रमुख आंकड़े[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
पश्चिमी घाट में कौन से जानवर पाए जाते हैं?नीलगिरी नेवला
यह जानवर दक्षिणी भारत में पश्चिमी घाट की नीलगिरी पहाडियों पर पाया जाता है।
पश्चिमी घाट में क्या पाया जाता है?पश्चिमी घाट में कम से कम 84 उभयचर प्रजातियां और 16 चिडि़यों की प्रजातियां और सात स्तनपायी और 1600 फूलों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो विश्व में और कहीं नहीं हैं।
पश्चिमी घाट का दूसरा नाम क्या है?भारत के पश्चिमी घाट का दूसरा नाम सह्याद्री हिल्स है। यह पर्वत श्रृंखलाओं की एक श्रृंखला है जो भारतीय प्रायद्वीपीय क्षेत्र के पश्चिमी तट के समानांतर चलती है।
पश्चिमी घाट की सबसे महत्वपूर्ण वनस्पति कौन सी है?जलवायु और वनस्पति:
पश्चिमी ढलानों में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय आदि (चौड़ी पत्ती वाले) वन हैं, जिसमें मुख्यतः रोज़वुड, महोगनी, देवदार आदि शामिल है। पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों में मुख्य रूप से सागौन, साल, शीशम, चंदन के पेड़ों जैसे शुष्क और आद्र पर्णपाती वन हैं।
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