रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें जल चढ़ाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं शनिवार की तरह ही रविवार के दिन भी कुछ सामान खरीदना अशुभ होता है? Show
Raviwar Ke Upay: रविवार छुट्टी का दिन होता है और इस दिन लोग अक्सर शॉपिंग के लिए निकल जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिवार की तरह ही रविवार के दिन भी कुछ चीजों को खरीदना आपको परेशानी में डाल सकता है? हिंदू धर्म के अनुसार रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है और इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य दोष है तो इससे बचने के लिए सूर्यदेव की उपासना करें. साथ ही कुछ सामानों को खरीदने से बचें. रविवार के दिन न खरीदें ये सामानरविवार के दिन कुछ चीजों को खरीदने से आपको सूर्य दोष लग सकता है और सूर्य की स्थिति भी कमजोर हो जाती है. जिसकी वजह से घर में दुख और दरिद्रता आती है. यदि आप इससे बचना चाहते हैं तो रविवार के दिन ये सामान न खरीदें.
रविवार के दिन खरीदें ये सामानजिस तरह रविवार के दिन कुछ चीजों को खरीदने से मां लक्ष्मी घर से चली जाती हैं. उसी प्रकार इस दिन कुछ वस्तुओं को खरीदना शुभ माना गया है.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक व धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इन्हें अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें. ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें धर्म की और अन्य ताजा-तरीन खबरें * रविवार को सूर्योदय से पूर्व बिस्तर से उठकर शौच व स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ लाल रंग के वस्त्र पहनें। * तत्पश्चात घर के ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान सूर्य की स्वर्ण निर्मित मूर्ति या चित्र स्थापित करें। * इसके बाद विधि-विधान से गंध-पुष्पादि से भगवान सूर्य का पूजन करें। * पूजन के बाद व्रतकथा सुनें। * व्रतकथा सुनने के बाद आरती करें। * तत्पश्चात सूर्य भगवान का स्मरण करते हुए 'ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:' इस मंत्र का 12 या 5 अथवा 3 माला जप करें। * जप के बाद शुद्ध जल, रक्त चंदन, अक्षत, लाल पुष्प और दूर्वा से सूर्य को अर्घ्य दें। * सात्विक भोजन व फलाहार करें। भोजन में गेहूं की रोटी, दलिया, दूध, दही, घी और चीनी खाएं। * रविवार के दिन नमक नहीं खाएं। रविवार व्रत की पौराणिक कथा :- प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती। रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुनकर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती। सूर्य भगवान की अनुकंपा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिंता एवं कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था। उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी। आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया। सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई। प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुंदर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई। गाय को आंगन में बांधकर उसने जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया। पड़ोसन ने उस बुढ़िया के आंगन में बंधी सुंदर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे और अधिक जलने लगी। तभी गाय ने सोने का गोबर किया। गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गईं। पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न पाकर तुरंत उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई। सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। गाय प्रति दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर किया करती थी और बुढ़िया के उठने के पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी। बहुत दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला। बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही। लेकिन सूर्य भगवान को जब पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई। आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया। सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के भीतर बांधने लगी। सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनी हो गई। उस बुढ़िया के धनी होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई और उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उसे नगर के राजा के पास भेज दिया। सुंदर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ। सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उधर सूर्य भगवान को भूखी-प्यासी बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई। उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा, राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरंत लौटा दो, नहीं तो तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा. तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा। सूर्य भगवान के स्वप्न से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया। राजा ने बहुत-सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उनकी इस दुष्टता के लिए दंड दिया। फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत किया करें। रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए, राजतय में चारों ओर खुशहाली छा गई। स्त्री-पुरुष सुखी जीवन यापन करने लगे तथा सभी लोगों के शारीरिक कष्ट भी दूर हो गए। रविवार के दिन क्या क्या खाना चाहिए?* सात्विक भोजन व फलाहार करें। भोजन में गेहूं की रोटी, दलिया, दूध, दही, घी और चीनी खाएं। * रविवार के दिन नमक नहीं खाएं।
रविवार को क्या क्या नहीं खाना चाहिए?रविवार के दिन नमक खाने से बचना चाहिए। ... . रविवार के दिन मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ... . रविवार को हमें बाल कांटने से भी बचना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि इस दिन बाल कांटने से हमारे अंदर सूर्य का प्रभाव यानी हमारा तेज कम होता है।. रविवार को खिचड़ी क्यों नहीं खाना चाहिए?रविवार के दिन खिचड़ी खाना शास्त्रानुकूल नहीं माना गया है। खासतौर पर काली उड़द की दाल की बनी खिचड़ी को रविवार के दिन भूलकर भी खाना चाहिए। क्योंकि यह शनि से संबंधित भोजन है और ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक रविवार के दिन शनि से संबंधित चीजों का सेवन करना वर्जित माना गया है।
रविवार को सुबह उठकर क्या करना चाहिए?रविवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते हुए 'ओम सूर्याय नमः ओम वासुदेवाय नमः ओम आदित्य नमः' मंत्र का उच्चारण जरूर करें. इससे सूर्य देवता जल्द प्रसन्न होंगे और आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करेंगे.
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