I हल्कू और जबरा की मैत्री को लेखक ने अनोखा क्यों कहा है - i halkoo aur jabara kee maitree ko lekhak ne anokha kyon kaha hai

हल्कू और जबरा की मैत्री को लेखक ने अनोखा क्यों कहा है?...

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लेखकधर्ममित्रता

I हल्कू और जबरा की मैत्री को लेखक ने अनोखा क्यों कहा है - i halkoo aur jabara kee maitree ko lekhak ne anokha kyon kaha hai

मुकेश चौरसिया

Motivational speaker

1:26

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आपका प्रश्न हल कुंवर जबरा की मैत्री को लेखक ने अनिका अनोखा क्यों कहा है हल्कू और जबरा प्रेमचंद की कहानी पूस की रात जो कि उनकी बहुत ही एक प्रसिद्ध कहानी है उसकी एक दो महत्वपूर्ण पात्र हल्कू जो है रात में खेतों की रखवाली करने के लिए गया हुआ है उसकी रात है भीषण ठंड और ऐसी स्थिति में नीलियास अपनी फसल को बचाने के लिए वहां पर वह खेत में बैठे हुए हैं कुछ अलावा दूसरे जला रखा है और प्ले करो के साथ में कौन है उसका कुत्ता जिसका नाम है जबरा अब उस कुत्ते के साथ उसकी कैसी मित्रता है जब पूरा अलाव खत्म हो जाता है ठंड पड़ती है तो वह कुत्ते को अपने सीने से लगा लेते हैं उसके गले से लगा लेता है उससे 2 फायदे होते हैं कुत्ते को भी उसके शरीर की गर्मी मिलती है और इसको भी कुत्ते की शरीक गाड़ी मिलती है कुत्ता वैसे भी आप जानते हैं वफादार प्राणी होता मनुष्य के प्रति तू यहां पर इसलिए जब वह गले लगा लेता है और उसका एकमात्र उस समय वह सुख दुख का साथी है इसलिए शायद प्रेमचंद जी ने ऐसा कहा है कि इनकी दोस्ती अनोखी है उनके दोस्तों ने कहा है

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हल्कू और जबरा के मंत्री को लेखक ने अनोखा क्यों कहा है?

पूस की रात' कहानी में हल्कू (मनुष्य) और जबरा (कुत्ता) के बीच मैत्री-भाव प्रदर्शित है। लेकिन, उन दोनों के बीच मित्रता का जो संबंध है, वह सच्चे मित्र के समान है। उनमें परस्पर एक-दूसरे के भावों, विचारों और सुख-दुःख को समझने की संवेदना है। अतः दोनों की मैत्री को अनोखी कहा गया है।

हल्कू और जबरा किसकी रचना है?

हल्कू कथासम्राट प्रेमचंद विरचित 'पूस की रात' शीर्षक कहानी का सर्वप्रमुख पात्र है। वह एक अत्यंत निर्धन किसान है। उसने किसी तरह काट-कपट कर कंबल के लिए तीन रुपये जमा कर रखे हैं। किंतु, जब उसके पास महाजन सहना रुपये लेने के लिए आता है तो वह न चाहते हुए भी उस जमा पूँजी को परिस्थितिवश दे देने को तैयार हो जाता है।