पीरियड आने से पहले क्या लक्षण होते हैं? - peeriyad aane se pahale kya lakshan hote hain?

पीरियड्स से पहले शरीर में कई सारे बदलाव होने लगते हैं जिसके लक्षण हमें ब्लॉटिंग, मूड स्विंग्स और क्रेविंग के रूप में नजर आते हैं। आइए जानते हैं इससे निपटने के उपाय।

पीरियड्स (periods) के दौरान महिलाओं को कई समस्याएं होती हैं। पर इससे पहले भी महिलाओं में कई सारी बदलाव देखने को मिलते हैं जिसे नजरअंदाज करना महिलाओं के लिए मुश्किल होता है। दरअसल, पीरियड्स आने से पहले महिलाओ के शरीर में कई लक्षण (pms symptoms before period) नजर आते हैं। जैसे कि ब्लॉटिंग, शरीर में अकड़न और दर्द और मूड स्विंग्स। इसके अलावा ये लक्षण हर महिलाओं में हर बार अलग हो सकते हैं। दरअसल, ये चीजें महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करती हैं। ऐसे में जरूरी ये है कि आप पीरियड्स के इन लक्षणों को कम करने या कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करें। तो, आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे उपायों के बारे में जो आपको पीरियड्स के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

पीरियड्स आने के लक्षणों से कैसे निपटें-How can I stop pre period symptoms

1. डाइट में करें बदलाव

पीरियड्स में अगर आपको ब्लॉटिंग और पेट से जुड़ी समस्या रहती है तो आपको अपनी डाइट में बदलाव करना चाहिए। जैसे कि सबसे पहले तो तेल मसाले वाली चीजों का सेवन कम करे क्योंकि ये ब्लॉटिंग की समस्या को बढ़ाते हैं और शरीर में एसिड प्रोडक्शन को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा ये फूड्स होर्मोनल अंसतुलन को बढ़ाते हैं और क्रेविंग की समस्या को बढ़ावा देते हैं। साथ ही ध्यान रखें कि पीरियड्स आने से पहले ज्यादा नमक और चीनी से भरपूर चीजों का सेवन ना करें।

2. सीड्स का सेवन करें

सीड्स जैसे कि सोया सीड्स, अलसी के बीज और सूरजमुखी के बीज फाइबर के साथ कई सारे पोषक तत्वों से भरे होते हैं। ये पहले तो हार्मोनल असंतुलन को कम करने और मूड स्विंग्स कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसका फाइबर क्रेविंग कंट्रोल करने में भी मददगार है। साथ ही इन फूड्स में आयरन की अच्छी मात्रा होती है जो कि शरीर में खून की कमी को दूर करते हैं और पीरियड्स के दौरान इन लक्षणों को कम करते हैं। तो, इन तमाम बीजों को भिगो कर रखें और फिर इसका सेवन करें।

3. कैफीन और शराब का सेवन कम करें

कैफीन और शराब का सेवन पीएमएस के लक्षणों को कम करने में मददगार है। कैफीन और शराब असल में पेट की तमाम समस्याओं को बढ़ाते हैं जैस एसिडिटी और बदहजमी। इसके अलावा ये चीजें शरीर में सूजन पैदा करते हैं जिससे ब्लॉटिंग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ये क्रेविंग और मूड स्विंग्स को भी बढ़ाते हैं। इसलिए इन तमाम चीजों से बचने के लिए कैफीन और शराब का सेवन कम करें।

4. योग और ध्यान करें

योग और ध्यान PMS के लक्षणों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। ये पहले तो दिमाग को शांत करते हैं और ब्लॉटिंग आदि से बचाते हैं। इसके अलावा ये दोनों ही चीजें शरीर की अकड़न और दर्द को भी कम करने में मददगार है। तो, ध्यान क्रेविंग और मूड स्विंग्सको कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। तो, पीरियड्स के इन लक्षणों से बचने के लिए योग और ध्यान करें।

5. हर्बल टी का सेवन करें

हर्बल टी जैसे कि दालचीनी की चाय और लेमनग्रास टी आदि आपके शरीर में PMS के लक्षणों को कम करने में मददगार हैं। हर्बल टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं तो, इनका एंटीइंफ्लेमेटरी गुण शरीर में सूजन को कम कर सकते हैं। इसके अलावा ये मूड बूस्टर भी हैं। तो, पीरियड्स से पहले इन तमाम समस्याओं से बचने के लिए हर्बल टी पिएं।

किसी महीने पीरियड ना होना प्रेग्नेंसी का सबसे पहला संकेत है. आमतौर पर मासिक धर्म चक्र 24 से 38 दिन का होता है. अगर इस अवधि में किसी महिला को पीरियड ना हों तो ये गर्भावस्था का संकेत हो सकता है. मासिक धर्म में गड़बड़ी अक्सर अनचाही प्रेग्नेंसी में महिलाओं के लिए दिक्कत बन सकती है. खासतौर से अगर आप किसी ऐसी जगह रहते हैं जहां 6 सप्ताह के बाद गर्भपात कराने पर प्रतिबंध है. आइए आज आपको प्रेग्नेंसी के छह शुरुआती लक्षणों के बारे में बताते हैं.

बगैर उल्टी के जी मिचलाना- प्रेग्नेंसी में जी मिचलाना बड़ा सामान्य लक्षण है, लेकिन इसे मॉर्निंग सिकनेस कहना सही नहीं है. इस अवस्था में जी मिचलाने की समस्या किसी भी वक्त महिलाओं को घेर सकती है. यह जरूरी नहीं कि महिलाओं को उल्टी के साथ ही जी मिचलाने की दिक्कत हो. 2019 में हुए एक शोध के मुताबिक, 80 फीसद महिलाएं गर्भावस्था के दौरान जी मिचलाने का लक्षण महसूस करती हैं, जबकि उल्टी के साथ जी मिचलाने का लक्षण सिर्फ 35 से 40 फीसद महिलाओं को ही होता है.

स्तन में सूजन- स्तन या छाती के ऊतकों में बदलाव होना भी गर्भावस्था का शुरुआती लक्षण समझा जाता है. इस दौरान एक महिला को स्तन में सूजन, दर्द, छूने पर मुलायमपन या संवेदनशीलता महसूस होना या भारीपन महसूस होने पर भी ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा स्तन के ऊपर नीले रंग की नसों का उभरना भी इसके लक्षणों में शुमार है.

ज्यादा पेशाब आना- गर्भावस्था में बाद के लक्षणों में अक्सर महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की दिक्कत होती है. लेकिन कुछ महिलाएं इस लक्षण का अनुभव पहले भी कर सकती हैं. यूरीनेशन की यह समस्या 4 सप्ताह के आस-पास भी महिलाओं को महसूस हो सकती है. इस दौरान भले ही आपको ज्यादा पेशाब आता हो, लेकिन फिर भी आप पेट में फुलाव महसूस करती रहेंगी.

गंध और स्वाद में बदलाव- डॉक्टर्स कहते हैं कि हार्मोन में बदलाव की वजह से गर्भावस्था में महिलाओं के स्वाद और सूंघने की शक्ति भी प्रभावित होती है. कॉफी, मसाले या क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से अचानक मन हटने लगता है. मुंह में खट्टापन आने लगता है. पसंदीदा चीजों को खाने का मन नहीं करता है. मुंह में बहुत ज्यादा लार बनने लगती है.

नींद और थकावट- इस अवस्था में महिलाओं को बहुत ज्यादा नींद और थकावट महसूस होती है. गर्भवती महिलाएं बार-बार झपकी और उबासी लेने लगती हैं. नींद और थकावट गर्भावस्था का बेहद सामान्य सा लक्षण है जो चार सप्ताह के आस-पास तक महसूस हो सकता है. पीरियड ना होने पर थकावट या नींद का लक्षण दिखते ही फौरन एक प्रेग्नेंसी टेस्ट कर लेना चाहिए.

ब्लीडिंग- अनचाही प्रेग्नेंसी की चिंता के बीच अगर आपको टॉयलेट पेपर या अंडरवियर के ऊपर गुलाबी रंग के स्पॉट दिखते हैं तो आप राहत की सांस लेती हैं. जाहिर है कि पीरियड होने का मतलब है कि आप प्रेग्नेंट नहीं हैं. लेकिन हो सकता है कि आपको पीरियड्स की वजह से ब्लीडिंग ना हो रही हो. कई बार यूटेरस लाइनिंग से फर्टिलाइज्ड एग के अटैच ना होने से भी ब्लीडिंग होने लगती है. यह गर्भाधान के 3-4 या 10-14 सप्ताह के बीच हो सकती है. ये स्पॉट बहुत छोटा हो सकता है. इसका रंग लाल की बजाए ब्राउन या पिंक हो सकता है. इस दौरान पेट में ऐंठन या कूल्हों में दर्द की समस्या भी हो सकती है.

पीरियड आने से पहले क्या संकेत देता है?

कई महिलाओं को उनके पीरियड आने के पहले के कुछ हफ़्तों से प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम या पीएमएस का अनुभव होता है। जिन्हें मूड स्विंग्स, मुहांसे, एंग्जायटी (उत्कंठा), पेट फूलना, चिड़चिड़ाहट या गुस्सा आने जैसे लक्षणों से समझा जा सकता है।

कैसे पता करें कि पीरियड आने वाला है?

ब्रेस्ट में दर्द (Pain in breast) पीरियड्स मिस होने से पहले ब्रेस्ट में दर्द और भारीपन होना शुरू हो जाता है। प्रेग्नेंसी कंसीव करने के बाद शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ जाता है, जिससे स्तनों में दर्द होना शुरू हो जाता है। निप्पल का रंग गहरा हो जाता है।

पीरियड आने से कितने दिन पहले दर्द होता है?

पीरियड्स शुरु होने से एक हफ्ते पहले यह दर्द बढ़ जाता है और कभी-कभी इसकी वजह से कब्ज, गैस की शिकायत भी होती है ।

पीरियड कितने दिन आगे पीछे हो सकता है?

सामान्य तौर पर मेस्ट्रअल साइकल 21 से 35 दिन की होती है। सबका साइकल अलग-अलग हो सकता है। किसी को 28 दिन, किसो को 30 तो किसी को 35 दिन पर भी हो सकता है। अगर आपका साइकल 28 दिन का है और 29 या 30 दिन तक आपको पीरियड नहीं हुआ तो आप इसे लेट मान सकती हैं लेकिन इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है।