UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 3 कार्य-व्यवस्थाThese Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 3 कार्य-व्यवस्था. Show विस्तृत उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: घर तथा परिवार के सन्दर्भ में कार्य-व्यवस्था से आशय है कि घर तथा परिवार से सम्बन्धित समस्त कार्यों को सुनियोजित ढंग से पूरा किया जाए। गृह-कार्य व्यवस्था के लिए समस्त कार्यों की योजना तैयार की जानी चाहिए और योजना के अनुसार कार्य किए जाने चाहिए। कार्य-प्रक्रिया पर समुचित नियन्त्रण रहना चाहिए तथा समय-समय पर कार्यों को समुचित मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए। यह कार्य-व्यवस्था (UPBoardSolutions.com) का सैद्धान्तिक विवेचन है। व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी कार्य-व्यवस्था का अर्थ स्पष्ट करना आवश्यक है। व्यावहारिक दृष्टिकोण से आवश्यक है कि सर्वप्रथम परिवार के समस्त कार्यों को निर्धारित कर लिया जाए तथा प्राथमिकता के अनुसार कार्यों का वर्गीकरण कर लिया जाए। इसके उपरान्त समस्त कार्यों के किए जाने का समय भी निर्धारित कर लेना चाहिए। इतनी व्यवस्था हो जाने के उपरान्त विशेष सूझ-बूझ द्वारा समस्त कार्यों को करने के उत्तरदायित्व का विभाजन परिवार के सभी सदस्यों में करना चाहिए। परिवार के सदस्यों को पारिवारिक कार्य सौंपते समय उनकी योग्यता, क्षमता तथा समय सम्बन्धी सुविधाओं को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए-यदि परिवार में अवकाश प्राप्त वृद्ध पिता हों, जो प्रातः घूमने जाते हैं, तो उन्हें दूध लाने का कार्य सौंपा जा सकता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि घर-परिवार में समस्त कार्यों को अधिक-से-अधिक अच्छे, नियमित तथा सरल ढंग से पूरा करने की व्यवस्था ही गृह-कार्य-व्यवस्था है। गृह-कार्य-व्यवस्था का महत्त्व निःसन्देह रूप से कहा जा सकता है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्यवस्था का विशेष महत्त्व है। व्यवस्था से सरलता, सुचारूता तथा उत्तमता के लक्ष्यों को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। व्यवस्थित ढंग से कोई भी कार्य करने से सामान्य रूप से कार्य में सफलता की प्राप्ति निश्चित हो जाती हैं तथा उत्तम परिणाम ही प्राप्त होते हैं। यही तथ्य घर-परिवार के सन्दर्भ में भी सत्य है। घर-परिवार के सन्दर्भ में कार्य-व्यवस्था के महत्त्व का सामान्य विवरण निम्नवर्णित है (1) आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक: (2) उत्तम पारिवारिक वातावरण बनाए रखने में सहायक: (3) श्रम-विभाजन में सहायक: (4) उत्तम गृह-अर्थव्यवस्था में सहायक: (5) परिवार के सदस्यों के उत्तम स्वास्थ्य में सहायक: (6) रहन-सहन के स्तर को उन्नत बनाने में सहायक: प्रश्न 2: पारिवारिक सुख-शान्ति, प्रगति एवं समृद्धि के दृष्टिकोण से गृह-कार्य-व्यवस्था का विशेष महत्त्व है। गृह-कार्य-व्यवस्था को सफल व सुचारू बनाए रखने के लिए गृह-कार्य-व्यवस्था का सैद्धान्तिक ज्ञान होना आवश्यक होता है। गृह-कार्य-व्यवस्था के मुख्य सिद्धान्तों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है (1) गृह-कार्य-सुनियोजन: (2) निर्धारित कार्य-योजना का नियन्त्रण: (3) कार्य-मूल्यांकन:
(4) कुशलता: प्रश्न 3: यह सत्य है कि प्रत्येक परिवार चाहता है कि उसकी कार्य-व्यवस्था उत्तम हो। कार्य-व्यवस्था के उत्तम होने के लिए आवश्यक है कि कार्य-व्यवस्था के लिए अनुकूल कारकों का प्रभावपूर्ण ढंग से उपयोग किया जाए तथा कार्य-व्यवस्था के लिए प्रतिकूल कारकों को उन्मूलन किया जाए। कार्य-व्यवस्था के लिए अनुकूल कारक उन कारकों को कहा जाता है जो कार्य-व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होते हैं। गृह-कार्य-व्यवस्था सुचारू रूप बनाए रखने में सहायक मुख्य कारकों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं (1) उचित योजना का निर्धारण:
(2) कार्य-व्यवस्था में परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग: अनाज तथा दालें साफ करना, साग बीनना या सब्जी काटने का कार्य बड़ी-बूढ़ी औरतें बड़े चाव से करती हैं तथा अच्छे ढंग से भी करती हैं। यदि परिवार में कोई वृद्ध पुरुष हो, तो वह निकट के पार्क या बागे में बच्चों को घुमाने ले जा सकते हैं। किशोर (UPBoardSolutions.com) बच्चों को घर की वस्तुएँ; जैसे कि कपड़े, किताबें आदि समेटकर यथास्थान रखने का कार्य सौंपा जा सकता है। ये बच्चे ही जूतों को साफ करने, बिस्तर बिछाने तथा झाड़-पोंछ करने का कार्य भी कर सकते हैं। परिवार की कार्य-व्यवस्था को सुचारू एवं सरल बनाने के लिए पति को भी गृह-कार्यों में यथासम्भव सहयोग देना चाहिए। (3) गृह-कार्य करने की सही विधियों का ज्ञान: (4) अच्छे तथा पर्याप्त भौतिक साधन उपलब्ध होना: (5) अनुभव एवं ज्ञान: प्रश्न 4: (1) सूझ-बूझ की न्यूनता: (2) आवश्यक साधनों का अभाव: (3) पारिवारिक-कलह: प्रश्न 5: (1) मानवीय अथवा अमूर्त साधन: (ii) ज्ञान: (iii) शक्ति: (iv) योग्यता एवं प्रवीणता: (v) समय: (2) अमानवीय अथवा भौतिक साधन (i) धन: (ii) भौतिक वस्तुएँ: (iii) सार्वजनिक गएँ: प्रश्न 6: समय व श्रम की बचत के उपाय निम्नलिखित उपाय एवं उपकरणों की सहायता से समय व श्रम की बचत होती है
अर्थ (धन) की बचत के उपाय परिवार की लगभग सभी आवश्यकताएँ आर्थिक साधनों अर्थात् धन पर निर्भर करती हैं। अतः आर्थिक साधनों का सोच-समझकर व नियन्त्रित ढंग से उपयोग करना चाहिए तथा भविष्य के लिए बचत का प्रावधान अवश्य रखना चाहिए। अग्रलिखित उपायों से यह सम्भव हो सकती है (1) आय-व्यय में सन्तुलन बनाए रखना: (2) मितव्ययिता के उपाय प्रयोग में लाना:
प्रश्न 7: (1) कर्तव्यों का ज्ञान: (2) अनुकूलता: (3) परिश्रमी होना: (4) चरित्रवान होना: (5) कार्य-कुशलता: (6) भोजन की सुव्यवस्था: (7) गृह-परिचर्या: (8) नियोजन का ज्ञान: (9) आय-व्यय का सन्तुलन: (10) परिवार में शान्ति बनाए रखना: (11) सेवकों के प्रति व्यवहार: (12) अतिथि सत्कार: (13) पति के प्रति कर्तव्य: लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1:
प्रश्न 2: प्रश्न 3:
प्रश्न 4: प्रश्न 5: गृह-कार्य-व्यवस्था के लिए आय के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि यदि परिवार की आय अपर्याप्त है, तो पर्याप्त सूझ-बूझ, कार्य-कुशलता तथा परिवार के सदस्यों में सहयोग होने पर भी गृह-कार्य-व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चल सकती, क्योंकि गृह-कार्यों के लिए आवश्यक भौतिक साधनों को अर्जित करने के लिए पारिवारिक आय अनिवार्य है। उदाहरण के लिए यदि परिवार की आय पर्याप्त है, तो गृह-कार्य-व्यवस्था को उत्तम बनाने के लिए श्रम एवं समय की बचत करने वाले विभिन्न उपकरण खरीदे जा सकते (UPBoardSolutions.com) हैं तथा उनके माध्यम से गृह-कार्य सरलतापूर्वक ठीक समय पर पूरे किए जा सकते हैं। इसके विपरीत, यदि परिवार की आय कम है, तो पर्याप्त कार्य-कुशल गृहिणी भी अपने परिवार को अच्छा एवं पौष्टिक आहार तक उपलब्ध नहीं करा सकती, क्योंकि उसके लिए भी पर्याप्त खाद्य-सामग्री चाहिए। उपर्युक्त विवरण के आधार पर कहा जा सकता है कि उत्तम गृह-व्यवस्था के लिए पारिवारिक आय पर्याप्त होनी चाहिए, परन्तु पर्याप्त आय होने पर भी सूझ-बूझ, कार्य-कुशलता, लगन तथा परिवार के सदस्यों के पारस्परिक सहयोग का भी विशेष महत्त्व होता है। प्रश्न 6: प्रश्न 7: समस्त कार्यों को नियोजित तथा सुव्यवस्थित ढंग से करना पड़ता है। कम सदस्य संख्या वाले परिवार कुछ कार्यों को परिवार के बाहर की संस्थाओं द्वारा भी करवा लेते हैं। उदाहरण के लिए–लाण्ड्री से कपड़े धुलवाना, कुछ डिब्बा बन्द भोज्य सामग्रियाँ इस्तेमाल करना तथा घर की सफाई व्यवस्था के लिए मेहरी रखना आदि। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि कम सदस्य संख्या (UPBoardSolutions.com) वाले परिवारों में कोई भी सदस्य सामान्य रूप से कामचोर नहीं होता। इस स्थिति में गृह-कार्य-व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहती है। इसके विपरीत, अधिक सदस्य संख्या वाले परिवारों में कुछ सदस्य कामचोर भी होते हैं। ऐसे में परिवार में तनाव तथा कटुता का वातावरण बना रहता है तथा गृह-कार्य-व्यवस्था भी उत्तम नहीं बन पाती। प्रश्न 8: परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा इस प्रकार का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए कि किसी अन्य सदस्य की भावनाओं को ठेस पहुँचे। परिवार के सभी सदस्यों का अन्य सदस्यों के प्रति मधुर व्यवहार होना चाहिए। इस प्रकार के मधुर व्यवहार गृह-कार्य-व्यवस्था को उत्तम बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं। परिवार में कुछ वरिष्ठ सदस्यों द्वारा नियन्त्रणकारी व्यवहार भी किया जाना चाहिए। इस प्रकार का नियन्त्रणकारी व्यवहार भी (UPBoardSolutions.com) गृह-कार्य-व्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव डालता है। परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त घर के नौकरों के प्रति भी सन्तुलित व्यवहार होना चाहिए अर्थात् नौकरों के प्रति न तो अधिक कठोर व्यवहार होना चाहिए और न अधिक कोमलता का। नौकरों के प्रति सन्तुलित व्यवहार होने पर ही वे गृह-कार्य-व्यवस्था में समुचित तथा कुशलतापूर्वक योगदान प्रदान करते हैं। प्रश्न 9: अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5:
प्रश्न 6: प्रश्न 7: प्रश्न 8: प्रश्न 9:
प्रश्न 10:
प्रश्न 11:
प्रश्न 12: वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न: (1) गृह-कार्य-व्यवस्था से आशय है (2) गृह-कार्य-व्यवस्था को प्रभावित करने वाला मुख्यतम कारक है (3) भौतिक साधनों में सर्वश्रेष्ठ साधन है (4) उत्तम कार्य-व्यवस्था के लिए गृहिणी को मिलना चाहिए 5. कार्यों को कुशलतापूर्वक करने के लिए उपयोग करना चाहिए (6) गृहिणी को पारिवारिक सदस्यों के मध्य कार्य-विभाजन का आधार रखना चाहिए (7) गृह-कार्य-व्यवस्था का स्तर निर्भर करता है (8) रसोईघर में श्रम की बचत करने वाला उपकरण है 9. बिना पूर्व सूचना के मेहमान आ जाने पर किए जाने वाले अतिरिक्त कार्यों को कहा जाता है उत्तर: We hope the UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 3 कार्य-व्यवस्था help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 3 कार्य-व्यवस्था, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. ग्रीष्मकालीन अवकाश का सदुपयोग आप कैसे करेंगे अपने शब्दों में लिखें?ग्रीष्मकालीन अवकाश वर्ष का सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि यह छात्रों को आराम करने और नई चीजों का पता लगाने का मौका देता है। ये छुट्टियां बच्चों के लिए कई नई चीजों की कोशिश करने, अपनी आंतरिक क्षमताओं को प्रदर्शित करने, एक साहसिक कार्य पर जाने और पाठ्यपुस्तकों में नहीं होने वाली चीजों को सीखने का एक शानदार अवसर है।
ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय का सदुपयोग कैसे करें इस विषय पर एक लेख तीन स्लोगन सहित तैयार कीजिए?गर्मी की छुट्टियां हर साल मेरे लिए काफी खुशी का समय होता है और यह मुझे मनोरंजक छुट्टियां बिताने तथा प्रियजनों से मिलने के लिए पर्याप्त समय देता है। गर्मियों की छुट्टियों का आनंद लेने के पश्चात मैं 1 जून को अपने शहर वापस लौटूंगा। मेरे माता-पिता ने गर्मियों की छुट्टी के दौरान हमारे विदेश दौरे की भी योजना बनाई है।
दिनचर्या बनाकर समय का सदुपयोग कैसे करें?Daily Routine in Hindi. सुबह जल्दी उठना. आलस्य से बचें. छोटे-छोटे संकल्प करिए. सकारात्मक कार्य करें. हमेशा आगे बढ़ते रहिए. समय का सदुपयोग. व्यस्त रहिए. टाइम टेबल बनाएं. अवकाश का सदुपयोग क्या है?अवकाश के सदुपयोग से मनुष्य के जीवन में स्फूर्ति, शक्ति व गतिशीलता बनी रहती है। ⦁ शिक्षण के साथ मनोरंजन भी- शिक्षा से लोगों का समय बरबाद नहीं होता। खाली समय को रुचिपूर्ण पढ़ाई-लिखाई में व्यतीत कर वे शिक्षण के साथ-साथ अपना मनोरंजन भी करते हैं।
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