अफगानिस्तान का प्राचीन नाम क्या था - aphagaanistaan ka praacheen naam kya tha

अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर भारत के इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती। कहना चाहिए की वह 7वीं सदी तक अखंड भारत का एक हिस्सा था। अफगान पहले एक हिन्दू राष्ट्र था। बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक राष्ट्र है।
26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि कर उपगण स्थान अफगानिस्तान उसे सौंप दिया था।

17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था। अफगानिस्तान नाम का विशेष-प्रचलन अहमद शाह दुर्रानी के शासन-काल (1747-1773) में ही हुआ। इसके पूर्व अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु आदि क्षेत्र थे।

अफगानिस्तान में मिला महाभारतकालीन विमान..!

यहां हिन्दूकुश नाम का एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसके उस पार कजाकिस्तान, रूस और चीन जाया जा सकता है। ईसा के 700 साल पूर्व तक यह स्थान आर्यों का था। ईसा पूर्व 700 साल पहले तक इसके उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था जिसके बारे में भारतीय स्रोत महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है।

अफगानिस्तान की सबसे बड़ी होटलों की श्रृंखला का नाम ‘आर्याना' था और हवाई कंपनी भी ‘आर्याना' के नाम से जानी जाती थी। इस्लाम के पहले अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था।

पारसी मत के प्रवर्तक जरथ्रुष्ट द्वारा रचित ग्रंथ ‘जिंदावेस्ता' में इस भूखंड को ऐरीन-वीजो या आर्यानुम्र वीजो कहा गया है। आज भी अफगानिस्तान के गांवों में बच्चों के नाम आपको कनिष्क, आर्यन, वेद आदि मिलेंगे।

उत्तरी अफगानिस्तान का बल्ख प्रांत दुनिया की कुछ बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासतों को सहेजे हुए है। इसके कुछ प्राचीन शहरों को दुनिया के सभी शहरों का जनक कहा जाता है। ये बल्ख के तराई इलाकों की समतल भूमि है जिसके प्राचीन व्यापारिक मार्ग ने खानाबदोशों, योद्धाओं, साहसी लोगों और धर्म प्रचारकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन लोगों ने अपने पीछे यहां ऐसे रहस्यों को छोड़ा जिन्हें पुरातत्वविदों ने खोजना शुरू ही किया है।

पिछले वर्ष ही अफगानिस्तान में 5,000 साल पुराना एक विमान मिला है। इस विमान के महाभारतकालीन होने का अनुमान है। यह खुलासा 'वायर्ड डॉट कॉम' की एक रिपोर्ट में किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की एक प्राचीन गुफा में रखा प्राचीन भारत का एक विमान पाया गया है। अब सवाल है कि ये इतने वर्षों तक सुरक्षित कैसे रहा। दरअसल, यह विमान 'टाइम वेल' में फंसा हुआ है। इसी कारण सुरक्षित बना हुआ है।

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टाइम वेल' इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्स से सुरक्षित क्षेत्र होता है और इस कारण से इस विमान के पास जाने की चेष्टा करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव के कारण गायब या अदृश्य हो जाता है।

कहा जा रहा है कि यह विमान महाभारतकाल का है और इसके आकार-प्रकार का विवरण महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में‍ किया गया है। इस कारण से इसे गुफा से निकालने की कोशिश करने वाले कई अमेरिकी सील कमांडो गायब हो गए हैं या फिर मारे गए हैं।

करीब 3,500 साल पहले एकेश्वरवादी धर्म की स्थापना करने वाले दार्शनिक जोरास्टर यहीं रहते थे। 13वीं शताब्दी के महान कवि रूमी का जन्म भी अफगानिस्तान में ही हुआ था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी, महान संस्कृत व्याकरणाचार्य पाणिनी और गुरु गोरखनाथ अफगानिस्तान के ही पठान जाति के बाशिंदे थे।

पठान पख्तून होते हैं। पठान को पहले पक्ता कहा जाता था। ऋग्वेद के चौथे खंड के 44वें श्लोक में भी पख्तूनों का वर्णन 'पक्त्याकय' नाम से मिलता है। इसी तरह तीसरे खंड का 91वें श्लोक आफरीदी कबीले का जिक्र 'आपर्यतय' के नाम से करता है।

दरअसल, अंग्रेजी शासन में पिंडारियों के रूप में जो अंग्रेजों से लड़े, वे विशेषकर पठान और जाट ही थे। पठान जाट समुदाय का ही एक वर्ग है। कुछ लोग इन्हें बनी इसराइलियों का वंशज मानते हैं।

अफगानिस्तान में पहले आर्यों के कबीले आबाद थे और वे सभी वैदिक धर्म का पालन करते थे, फिर बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद यह स्थान बौद्धों का गढ़ बन गया। यहां के सभी लोग ध्यान और रहस्य की खोज में लग गए।

इस्लाम के आगमन के बाद यहां एक नई क्रांति की शुरुआत हुई। बुद्ध के शांति के मार्ग को छोड़कर ये लोग क्रांति के मार्ग पर चल पड़े। शीतयुद्ध के दौरान अफगानिस्तान को तहस-नहस कर दिया गया। यहां की संस्कृति और प्राचीन धर्म के चिह्न मिटा दिए गए।

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अफ़ग़ानिस्तान


  • दरी फ़ारसी(افغانستان)
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  • पश्तो भाषा (افغانستان)
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अफगानिस्तान का प्राचीन नाम क्या था - aphagaanistaan ka praacheen naam kya tha

इस्लामिक अमीरात अफ़ग़ानिस्तान

ध्येय वाक्य: ला इलाह इल्ली ल-लाह, मुअम्मदुन रसिलु एल-लाह
لا إله إلا الله محمد رسول الله (अरबी भाषा)
"कोई भगवान नही लेकिन अल्लाह है और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।"

अफगानिस्तान का प्राचीन नाम क्या था - aphagaanistaan ka praacheen naam kya tha
राजधानी

एवं सबसे बड़ा शहर

काबुल
33°33′19.08″N 69°12′27″E / 33.5553000°N 69.20750°Eनिर्देशांक: 33°33′19.08″N 69°12′27″E / 33.5553000°N 69.20750°E
आधिकारिक भाषा

  • दरी फ़ारसी
  • पश्तो भाषा

नृजातीय समूह

  • 42% पश्तून
  • 27% ताजिक
  • 9% हज़ारा
  • 9% उज़बेक
  • 4% अइमाक़
  • 3% तुर्कमेन
  • 2% बलोच
  • 4% अफगानिस्तान में जातीय समूह

धर्म

  • 99.7% इस्लाम
  • 0.3% अन्य

निवासीनामअफगानिस्तान
गठन

• होतक राजवंश

1709–1738

• दुर्रानी साम्राज्य

1747–1842

• अफ़ग़ानिस्तानी अमीरात

1823–1926

• मान्यता प्राप्त

19 अगस्त 1919

• अफगानिस्तान का साम्राज्य

9 जून 1926

• गणतंत्र की घोषणा

17 जुलाई 1973

• अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात

7 सितंबर 1996

• अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात

26 जनवरी 2004

• अफगानिस्तान के इस्लामी गणराज्य का पतन

15 अगस्त 2021
क्षेत्रफल

• कुल

652,864[1] कि॰मी2 (252,072 वर्ग मील) 40वीं)

• जल क्षेत्र (%)

नगण्य
जनसंख्या

• 2020 आकलन

31,390,200[2] (44वीं)

• जनघनत्व

48.08/किमी2 (124.5/मील2) (174वीं)
जीडीपी (पीपीपी)2018 प्राक्कलन

• कुल

$72.911 billion[3] (96वीं)

• प्रति व्यक्ति

$2,024 (169वीं)
जीडीपी (सांकेतिक)2018 प्राक्कलन

• कुल

$21.657 बिलियन (111वीं)

• प्रति व्यक्ति

$493 (177वीं)
गिनी (2008)27.8[4]
निम्न · प्रथम
HDI (2019)0.511[5]
निम्न · 169वीं
मुद्राअफगान रुपया (افغانی) (आईएसओ ४२१७)
समय मंडलUTC+4:30 हिजरी कैलेंडर (D†)
वाहन चलते हैंदक्षिण
दूरभाष कोड+93
इंटरनेट टीएलडी.af
افغانستان.

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी अमीरात दक्षिण एशिया में अवस्थित देश है, जो विश्व का एक भूूूू-आवेष्ठित देश है। अप्रैल 2007 में अफगानिस्तान सार्क का आठवाँ सदस्य बना। अफगानिस्तान के पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है।

अफ़गानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3,000 से 2,000 ई.पू. के रूप में मानी जा सकती है। यह क्षेत्र एक ऐसे भू-रणनीतिक स्थान पर अवस्थित है जो मध्य एशिया और पश्चिम एशिया को भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति से जोड़ता है। इस भूमि पर कुषाण, हफ्थलिट, समानी, गजनवी, मोहमद गौरी, मुगल, दुर्रानी और अनेक दूसरे प्रमुख साम्राज्यों का उत्थान हुआ है। प्राचीन काल में फ़ारस तथा शक साम्राज्यों का अंग रहा अफ़्ग़ानिस्तान कई सम्राटों, आक्रमणकारियों तथा विजेताओं की कर्मभूमि रहा है। इनमें सिकन्दर, फारसी शासक दारा प्रथम, तुर्क,मुगल शासक बाबर, मुहम्मद गौरी, नादिर शाह सिख साम्राज्य इत्यादि के नाम प्रमुख हैं। ब्रिटिश सेनाओं ने भी कई बार अफ़गानिस्तान पर आक्रमण किया। वर्तमान में अमेरिका द्वारा तालिबान पर आक्रमण किये जाने के बाद नाटो(NATO) की सेनाएँ वहाँ बनी हुई थीं जो सन 2021 में वहां से निकाल दी गईं हैं।

अफ़गानिस्तान के प्रमुख नगर हैं- राजधानी काबुल, कन्धार (गन्धार प्रदेश) भारत के प्राचीन ग्रन्थ महाभारत में इसे राजा सकुनी का प्रदेश गन्धार प्रदेश कहा जाता था। यहाँ कई नस्ल के लोग रहते हैं जिनमें पश्तून (पठान या अफ़ग़ान) सबसे अधिक हैं। इसके अलावा उज्बेक, ताजिक, तुर्कमेन और हज़ारा शामिल हैं। यहाँ की मुख्य भाषा पश्तो है। फ़ारसी भाषा के अफ़गान रूप को दरी कहते हैं।

वर्तमान में अफगानिस्तान में तालिबान नामक संगठन का नियंत्रण है। अब वहा शरिया क़ानून लागू किया गया है

नाम[संपादित करें]

अफ़्ग़ानिस्तान का नाम अफगान और स्थान या (स्तान ) जिसका मतलब भूमि होता है से लकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है अफ़गानों की भूमि। स्थान या (स्तान) भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत का शब्द है- पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कज़ाख़स्तान, हिन्दुस्तान इत्यादि जिसका अर्थ है भूमि या देश। अफ़्गान का अर्थ यहां के सबसे अधिक वसित नस्ल (पश्तून) को कहते है। अफ़्गान शब्द को संस्कृत अवगान से निकला हुआ माना जाता है। ध्यान रहे की "अफ़्ग़ान" शब्द में ग़ की ध्वनी है और "ग" की नहीं।

"स्टेन" का अर्थ है भूमि। अफगानिस्तान का अर्थ है अफगानों की भूमि। शब्द "स्टेन" का उपयोग कुर्दिस्तान और उज़बेकिस्तान के नामों में भी किया जाता है।

इतिहास[संपादित करें]

अफगानिस्तान का प्राचीन नाम क्या था - aphagaanistaan ka praacheen naam kya tha

मानव बसाहट १०,००० साल से भी अधिक पुराना हो सकता है। ईसा के १८०० साल पहले आर्यों का आगमन इस क्षेत्र में हुआ। ईसा के ७०० साल पहले इसके उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था जिसके बारे में भारतीय काव्य ग्रंथ महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है। ईसापूर्व ५०० में फ़ारस के हखामनी शासकों ने इसको जीत लिया। सिकन्दर के फारस विजय अभियान के तहत अफ़गानिस्तान भी यूनानी साम्राज्य का अंग बन गया। इसके बाद यह शकों के शासन में आए। शक स्कीथियों के भारतीय अंग थे। ईसापूर्व २३० में मौर्य शासन के तहत अफ़ग़ानिस्तान का संपूर्ण इलाका आ चुका था पर मौर्यों का शासन अधिक दिनों तक नहीं रहा। इसके बाद पार्थियन और फ़िर सासानी शासकों ने फ़ारस में केन्द्रित अपने साम्राज्यों का हिस्सा इसे बना लिया। सासनी वंश इस्लाम के आगमन से पूर्व का आखिरी ईरानी वंश था। अरबों ने ख़ुरासान पर सन् ७०७ में अधिकार कर लिया। सामानी वंश, जो फ़ारसी मूल के पर सुन्नी थे, ने ९८७ इस्वी में अपना शासन गजनवियों को खो दिया जिसके फलस्वरूप लगभग संपूर्ण अफ़ग़ानिस्तान ग़ज़नवियों के हाथों आ गया। ग़ोर के शासकों ने गज़नी पर ११८३ में अधिकार कर लिया।

मध्यकाल में कई अफ़्गान शासकों ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें लोदी वंश का नाम प्रमुख है। अफगानिस्तान पर सिख साम्राज्य के प्रतापी राजा दिलीप सिंह का कई वर्षों तक अधिकार रहा l अफगान से मिलकर बाबर, नादिर शाह तथा अहमद शाह अब्दाली ने दिल्ली पर आक्रमण किए अफ़ग़ानिस्तान के कुछ क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अंग थे।

आधुनिक काल[संपादित करें]

उन्नीसवीं सदी में आंग्ल-अफ़ग़ान युद्धों के कारण अफ़ग़ानिस्तान का काफी हिस्सा ब्रिटिश इंडिया के अधीन हो गया जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान में यूरोपीय प्रभाव बढ़ता गया। १९१९ में अफ़ग़ानिस्तान ने विदेशी ताकतों से एक बार फिर स्वतंत्रता पाई। आधुनिक काल में १९३३-१९७३ के बीच का काल अफ़ग़ानिस्तान का सबसे अधिक व्यवस्थित काल रहा जब ज़ाहिर शाह का शासन था। पर पहले उसके जीजा तथा बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्तापलट के कारण देश में फिर से अस्थिरता आ गई। सोवियत सेना ने कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग के लिए देश में कदम रखा और मुजाहिदीन ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और बाद में अमेरिका तथा पाकिस्तान के सहयोग से सोवियतों को वापस जाना पड़ा। ११ सितम्बर २००१ के हमले में मुजाहिदीन का हाथ होने की खबर के बाद अमेरिका ने देश के अधिकांश हिस्से पर सत्तारुढ़ मुजाहिदीन (तालिबान), जिसको कभी अमेरिका ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ लड़ने में हथियारों से सहयोग दिया था, के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।

नाम की उत्पत्ति[संपादित करें]

अफगानिस्तान नाम अफ्गान समुदाय की जगह के रूप में प्रयुक्त किया गया है, यह नाम सबसे पहले 10 वीं शताब्दी में हूदूद उल-आलम (विश्व की सीमाएं) नाम की भौगोलिक किताब में आया था इसके रचनाकार का नाम अज्ञात है' साल 2006 में पारित देश के संविधान में अफगानिस्तान के सभी नागरिकों को अफ्गान कहा गया है जो अफगानिस्तान के सभी नागरिक अफ्गान है'

वर्तमान[संपादित करें]

वर्तमान में 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया। अमेरिका ने यह फैसला लिया था कि अफगानिस्तान से वह अपने सभी सैनिकों को अपने देश में लेकर आएगा। जैसे ही अमेरिकी सेना अपने देश लौट गई, तब तालिबान ने बहुत तेजी से पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। लेकिन वहा के लोग उनके खिलाफ आंदोलन( कारवाही) कर रहे हैं जिनमे पंजशीर के जूनियर मसूद अहमद और अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह मुख्यत है तालिबान ने क़ाबुल पर कब्ज़ा जमाया हुआ है और बंदूक की नोक पर एक आतंकी सरकार का गठन किया जिससे वहा के लोगो मे दहशत का माहोल बना हुआ हैं खासकर महिलाओं मे क्योंकि उन्होंने तालिबान का पूर्व शासन देखा है जिसमे महिलाओं का कोई सम्मान नहीं था। फिलहाल अफगानिस्तान के उज्वल भविष्य पर दुख और अशांति के बादल मंडरा रहे है।

प्रशासनिक विभाग[संपादित करें]

अफ़ग़ानिस्तान में कुल ३४ प्रशासनिक विभाग हैं। इनके नाम हैं -

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  1. बदख़्शान
  2. बदगीश
  3. बाग़लान
  4. बाल्क़
  5. बमयन
  6. दायकुंडी
  7. फ़राह
  8. फ़रयब
  9. ग़ज़नी
  10. ग़ोर
  11. हेलमंद
  12. हेरात
  13. ज़ोजान
  14. क़ाबुल
  15. कांदहार (कांधार)
  16. क़पिसा
  17. ख़ोस्त
  18. कोनार
  19. कुन्दूज
  20. लगमान
  21. लोगर
  22. नांगरहर
  23. निमरूज़
  24. नूरेस्तान
  25. ओरुज़्ग़ान
  26. पक़्तिया
  27. पक़्तिका
  28. पंजशिर
  29. परवान
  30. समंगान
  31. सरे पोल
  32. तक़ार
  33. वारदाक़
  34. ज़बोल

भूगोल[संपादित करें]

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अफ़गानिस्तान का उत्थान स्वरूप

अफ़ग़ानिस्तान चारों ओर से ज़मीन से घिरा हुआ है और इसकी सबसे बड़ी सीमा पूर्व की ओर पाकिस्तान से लगती है। इसे डूरण्ड रेखा भी कहते हैं। केन्द्रीय तथा उत्तरपूर्व की दिशा में पर्वतमालाएँ हैं जो उत्तरपूर्व में ताजिकिस्तान स्थित हिन्दूकुश पर्वतों का विस्तार हैं। अक्सर तापमान का दैनिक अन्तरण अधिक होता है। 1934 में लीग आफ नेशन का सदस्य हुआ 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल हुआ

यह भी देखिए[संपादित करें]

  • अफ़ग़ानिस्तान के युद्ध
  • अफ़्गानिस्तान के नगरो की सूची
  • ग़ की ध्वनी

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय अफगानिस्तान
  2. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय अफगानिस्तान, 2020.
  3. "अफगानिस्तान". अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2021.
  4. "गिनी इंडेक्स". विश्व बैंक. मूल से 11 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2021.
  5. Human Development Report 2020 The Next Frontier: Human Development and the Anthropocene (हिन्दी:मानव विकास रिपोर्ट 2020 अगला फ्रंटियर: मानव विकास और मानववंशी) (PDF) (अँग्रेजी में). संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम. 15 दिसंबर 2020. पपृ॰ 343–346. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-92-1-126442-5. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2021.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • अफ़्गानिस्तान कभी आर्याना था (वेद प्रताप वैदिक)

प्राचीन काल में अफगानिस्तान का नाम क्या था?

17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं थाअफगानिस्तान नाम का विशेष-प्रचलन अहमद शाह दुर्रानी के शासन-काल (1747-1773) में ही हुआ। इसके पूर्व अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु आदि क्षेत्र थे।

अफगानिस्तान का हिंदू राजा कौन था?

जयपाल देव काबुल का आखिरी बड़ा हिंदू राजा माना जाता है. वो 964 ईस्वी से 1001 ईस्वी तक यहां का राजा था. उसके बाद धीरे-धीरे अगले 200 सालों में यहां से हिंदू शासन का लगभग पूरा अंत हो गया.

क्या अफगानिस्तान भी भारत का हिस्सा था?

अफगान‍िस्‍तान न केवल कभी हिंदू राष्‍ट्र था बल्कि यह भारत का ही ह‍िस्‍सा थाभारत पर अंग्रेजों के आक्रमण के समय अंग्रेजों ने अफगान‍िस्‍तान को अपने न‍ियंत्रण में रखा और भारत से ही इसपर शासन क‍िया। लेक‍िन वर्ष 1893 में सर मॉर्टीमर डूरंड ने भारत और अफगान‍िस्‍तान के बीच रेखा खींची जो क‍ि डूरंड रेखा कहलाई।

अफगानिस्तान का मतलब क्या है?

अफगानिस्तान का अर्थ है अफगानों की भूमि।