प्रेग्नेंसी की शुरुआत में आपको हल्की ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं है। इसे 'स्पॉटिंग' (spotting) कहते हैं। ऐसा तब होता है, जब बढ़ता हुआ भ्रूण खुद को आपकी कोख की दीवारों में प्रत्यारोपित करता है। इस तरह की ब्लीडिंग अक्सर उस समय के आसपास होती है, जब आपके पीरियड का समय होने वाला होता है। Show
सर्विकल (cervical) बदलाव-प्रेग्नेंसी से सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) में बदलाव हो सकता है और इसकी वजह से कभी-कभी ब्लीडिंग हो सकती है। उदाहरण के लिए- यौन संबंध बनाने के बाद। गर्भपात या एक्टोपिक प्रेग्नेंसीगर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्तों के दौरान योनि से रक्तस्राव होना गर्भपात या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी(ectopic pregnancy) का संकेत हो सकता है। हालांकि, कई महिलाएं, जिन्हें गर्भावस्था के इस पड़ाव पर ब्लीडिंग होती है, वे सामान्य होती हैं और सफलतापूर्वक गर्भवती होती हैं। गर्भपातअगर आपकी गर्भावस्था 24 हफ्ते से पहले समाप्त हो जाती है तो उसे गर्भपात कहते हैं। हर पांच में से करीब एक गर्भावस्था गर्भपात से खत्म हो जाती है। कई जल्दी होने वाले गर्भपात(14 हफ्ते से पहले) इसलिए होते हैं क्योंकि बच्चे के साथ कुछ गड़बड़ होती है। हालांकि, गर्भपात के और भी कारण हो सकते हैं, जैसे- हार्मोन या खून का थक्का जमने की समस्याएं। आम तौर पर गर्भपात कब होता है?अधिकांश गर्भपात गर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्तों (तीन महीने) के अंदर होते हैं। और अफसोस की बात है कि कई को रोका भी नहीं जा सकता। गर्भपात के अन्य लक्षणों में ये शामिल हैं-
अगर आपको रक्तस्राव या ऊपर दिया गया कोई भी लक्षण दिखता है तो सीधे डॉक्टर से संपर्क करें। एक्टोपिक प्रेग्नेंसीएक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy) उसे कहते हैं, जब निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर स्थापित हो जाता है। जैसे - फैलोपियन ट्यूब में। यह ब्लीडिंग की वजह बन सकता है और खतरनाक भी है क्योंकि निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर ठीक तरह से विकसित नहीं हो सकता है। अंडे को हटाना पड़ता है, जो ऑपरेशन या दवाओं के जरिए किया जा सकता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी(ectopic pregnancy) के लक्षण कब शुरू होते हैं?एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy) के लक्षण गर्भावस्था के 4वें व 12वें हफ्ते के बीच विकसित होते हैं, पर ये बाद में भी हो सकते हैं। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के दूसरे संकेतों में ये शामिल हो सकते हैं-
हालांकि, जरूरी नहीं है कि ये लक्षण किसी गंभीर समस्या का संकेत हों। कभी-कभी दूसरी चीजों के कारण भी ऐसा हो सकता है, जैसे- पेट में कीड़े की वजह से, लेकिन फिर भी अपनी दाई या डॉक्टर से इसकी जांच कराने की जरूरत है। गर्भावस्था के बाद के चरणों में ब्लीडिंग के कारणसर्विकल (ग्रीवा संबंधी) बदलावइसकी वजह से ब्लीडिंग हो सकती है, खास तौर पर यौन संबंध बनाने के बाद। वजाइनल इंफेक्शंस
एक 'शो'यह तब होता है, जब म्यूकस प्लग, जो कि गर्भावस्था के दौरान सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) में बनता है, बाहर निकलता है। ये संकेत देता है कि सर्विक्स अब प्रसव पीड़ा शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है। म्यूकस प्लग संकुचन शुरू होने के कुछ दिन पहले या प्रसव पीड़ा के दौरान निकल सकता है। प्रसव पीड़ा के संकेत और प्रसव पीड़ा में क्या होता है, इस बारे में और जानिए, प्लेसेंटल एबरप्शन(Placental abruption)यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें प्लेसेंटा (गर्भनाल) गर्भाशय की दीवार से अलग होना शुरू हो जाती है। प्लेसेंटल एबरप्शन की वजह से अमूमन पेट दर्द होता है। और यह बिना ब्लीडिंग के भी हो सकता है। लो-लाइंग प्लेसेंटा (प्लेसेंटा प्रीविया) (Low-lying placenta (placenta praevia) -जब गर्भाशय नाल गर्भाशय के निचले हिस्से से जुड़ी होती है और गर्भाशय ग्रीवा के पास होती है या उसे पूरी तरह ढक देती है, तो उसे लो-लाइंग प्लेसेंटा या प्लेसेंटा प्रीविया (Low-lying placenta (placenta praevia) कहते हैं। लो-लाइंग प्लेसेंटा(Low-lying placenta) में बहुत ब्लीडिंग हो सकती है और यह आपको और आपके बच्चे को खतरे में डाल सकती है। आपको इमरजेंसी इलाज के लिए अस्पताल जाने की सलाह दी जा सकती है और आमतौर पर सिजेरियन सेक्शन में जाने को कहा जाएगा। प्लेसेंटा प्रीविया पर और जानकारी के लिए पढ़ें। वासा प्रीविया (vasa praevia)-यह एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें बच्चे की रक्त कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा को ढँकने वाली झिल्ली से गुज़रती हैं। जब आपकी पानी की थैली फट जाती है, तो ये रक्त कोशिकाएं टूट सकती हैं, जिससे योनि से रक्तस्राव हो सकता है। ऐसे में बच्चे का काफी खून निकल सकता है, जिससे उसकी जान भी जा सकती है। गर्भावस्था में ब्लीडिंग के कारण पता करेंगर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग की क्या वजह है, ये जानने के लिए आपको वजाइनल या पेल्विक जांच, अल्ट्रासाउंड स्कैन या खून की जांचें कराने की जरूरत पड़ सकती है। ताकि आपके हार्मोन का स्तर जांचा जा सके। आपके डॉक्टर आपसे दूसरे लक्षणों के बारे में भी पूछेंगे, जैसे- ऐंठन, दर्द और सिर चकराना। कभी-कभी यह पता लगाना संभव भी नहीं होता कि ब्लीडिंग किस कारण हुई। अगर आपके लक्षण गंभीर नहीं हैं और आपका बच्चा कुछ समय के बाद आने वाला है तो आपकी निगरानी की जाएगी और कुछ मामलों में देखरेख के लिए अस्पताल में भी रखा जा सकता है। आपको कितने समय तक अस्पताल में रहना होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ब्लीडिंग किस वजह से हुई और आपको गर्भवती हुए कितने हफ्ते हुए हैं। अस्पताल में रहने का फायदा यह है कि वहां का स्टाफ आप पर और आपके बच्चे पर लगातार नजर बनाए रखेगा। ताकि आगे कोई समस्या होने पर तुरंत इलाज किया जा सकता है। प्रेगनेंसी में स्पॉटिंग कितने दिन तक होती है?माना जाता है कि करीब 20 से 30 पर्सेंट महिलाओं को पहली तिमाही में या यों कहें कि प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों के दौरान स्पॉटिंग होती है। आमतौर पर यह लाइट पिंक या डार्क ब्राउन रंग की होती है। यह चिंता की बात नहीं है, पर अब अगर ज्यादा ब्लड देखें तो आपको फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान स्पॉटिंग क्या होती है?यह आपके अंडरवियर पर खून की बहुत कम बूंदों की तरह दिखता है। स्पॉटिंग को असामान्य योनि रक्तस्राव के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह आपके अवधि चक्र के बाहर होता है। स्पॉटिंग या तो गर्भाशय, या योनि या गर्भाशय ग्रीवा से हो सकता है। कुछ लोग अक्सर उचित रक्तस्राव के साथ उलझन में पड़ जाते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान कितना ब्लीडिंग नॉर्मल है?गर्भावस्था की शुरुआत में थोड़ी बहुत स्पॉटिंग या ब्लीडिंग होना सामान्य है। लगभग चार में से एक गर्भवती महिला को गर्भावस्था जारी रहने पर पहली तिमाही में किसी न किसी तरह का रक्तस्त्राव रहता है। अगर आपने आईवीएफ या ऐसे ही किसी अन्य प्रजनन उपचार के जरिये गर्भधारण किया है, तो आपको स्पॉटिंग होने की संभावना ज्यादा होती है।
क्या प्रेगनेंसी के दौरान हर महीने ब्लीडिंग होती है?गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हल्की ब्लीडिंग होना नॉर्मल बात है लेकिन अगर आपको लगातार ब्लीडिंग हो रही है और पेट में दर्द या ऐंठन भी महसूस हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
|