पंजाब में कांग्रेस की कितनी सीट है - panjaab mein kaangres kee kitanee seet hai

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जालंधर/अमृतसर/लुधियाना9 महीने पहले

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पंजाब में गुरुवार को इतिहास लिखा गया। विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक साथ कई रिकॉर्ड बना दिए। आम आदमी पार्टी ने पंजाब की 117 में से 92 सीटों पर जीत हासिल करके किसी भी दूसरी पार्टी को मुकम्मल विपक्ष बनने तक का मौका नहीं दिया। यह 56 साल में किसी एक पार्टी की सबसे बड़ी जीत है, जबकि आजादी के बाद आप ने सूबे में तीसरी सबसे बड़ी जीत हासिल की है।

पंजाब में सियासी फेरबदल के कयास तो पहले से थे, लेकिन आज के नतीजों ने बदलाव की नई परिभाषा तय कर दी है। यहां आप ने न सिर्फ बहुमत के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया, बल्कि विनिंग सीट्स का ऐसा पहाड़ खड़ा कर दिया कि कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा समेत उसके सहयोगी मिलकर भी आप के लगभग चौथाई हिस्से तक ही पहुंच पा रहे हैं। फाइनल नतीजे यहां देखें..

पंजाब में कांग्रेस की कितनी सीट है - panjaab mein kaangres kee kitanee seet hai

56 साल में किसी एक पार्टी की सबसे बड़ी जीत
1966 में हरियाणा के अलग होने के बाद पिछले 56 साल में यह पंजाब में किसी एक राजनीतिक पार्टी की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले, 1992 में पंजाब में आतंकवाद के दौरान कांग्रेस ने अपने बूते 87 सीटें जीती थीं, लेकिन उस समय शिरोमणि अकाली दल ने चुनाव का बहिष्कार किया था।

इसके बाद 1997 के चुनाव में अकाली दल और BJP ने मिलकर 93 सीटें जीती थीं। उस समय अकाली दल को 75 और BJP को 18 सीटों पर जीत मिली थी।

आजादी के बाद सिंगल पार्टी की तीसरी बड़ी जीत
1947 में देश के आजाद होने के बाद पंजाब में यह किसी अकेली पार्टी की अपने दम पर तीसरी सबसे बड़ी जीत है। 1952 में पंजाब में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 96 सीटें जीती थीं। तब पंजाब में कुल 126 विधानसभा सीटें थीं।

आजादी के बाद 3 चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा
1957 में शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद चुनाव में कांग्रेस इकलौती बड़ी पार्टी बची थी और उसने प्रदेश की 154 विधानसभा सीटों में से 120 पर जीत दर्ज की थी। इसके 5 साल बाद 1962 के चुनाव में शिरोमणि अकाली दल शामिल तो हुआ, मगर तब भी कांग्रेस प्रदेश की 154 सीटों में से 90 सीटें जीतने में कामयाब रही।

वोट प्रतिशत से समझिए पंजाब का सूरते हाल
पंजाब में बंपर जीत हासिल करने वाली आप वोट प्रतिशत के मामले में भी सबसे आगे है। उसे कुल पड़े वोट में से 44% हिस्सा मिला। वहीं, कांग्रेस को 23% वोट मिले। इधर, अकाली दल ने 18.4% वोट तो हासिल किए, लेकिन पार्टी कुल 5 सीटें भी नहीं जीत पाई।

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पंजाब के नए प्रधान होंगे भगवंत मान
ये तो हुए चुनाव से जुड़े आंकड़े, अब पंजाब के होने वाले मुख्यमंत्री को जान लीजिए। पेशे कॉमेडियन रहे भगवंत मान को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल CM कैंडिडेट प्रोजेक्ट किया था। वे जट्ट सिख कम्युनिटी से आते हैं, जो पंजाब की राजधानी में बेहद असरदार मानी जाती है।

केजरीवाल का यह दांव काम कर गया और पार्टी ने सूबे की 78% सीटों पर एकतरफा जीत दर्ज कर ली। भगवंत मान भी रिकॉर्ड 45 हजार वोट से जीते। उन्होंने धूरी सीट से कांग्रेस के दलबीर गोल्डी को शिकस्त दी।

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आप की आंधी में उड़े कांग्रेस-अकाली
पंजाब में आम आदमी पार्टी का जादू ऐसा चला कि मौजूदा CM चरणजीत चन्नी दोनों सीटों पर आप कैंडिडेट से हार गए। वहीं, नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी आप के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। 30 साल में पहली बार बादल परिवार का कोई सदस्य विधानसभा चुनाव नहीं जीता। प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल आप कैंडिडेट्स से ही चुनाव हारे।

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शपथ समारोह भगत सिंह के गांव में होगा
जीत के बाद भगवंत मान ने पंजाब की जनता को संबोधित किया। वे कल पद की शपथ लेंगे। शपथ समारोह भी राजभवन की जगह शहीदे आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में होगा। इससे पहले CM की शपथ राजभवन में होती रही है। शपथ लेने से पहले मान शहीदी स्मारक पर माथा टेकने भी जाएंगे।

केजरीवाल बोले- मुझे आतंकवादी कहने वालों को जवाब मिला
बंपर जीत के केजरीवाल ने कहा, 'आपने देखा कि पंजाब में कितने बड़े षड्यंत्र किए गए। आखिर में ये सारे इकट्ठे होकर बोले कि केजरीवाल आतंकवादी है। इन नतीजों के जरिए देश की जनता ने बता दिया कि केजरीवाल आतंकवादी नहीं है, केजरीवाल देश का सच्चा सपूत है। केजरीवाल सच्चा देशभक्त है।'

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पंजाब के सियासी हालात ग्राफिक्स से समझिए
पंजाब में पिछले 5 चुनाव का वोटिंग ट्रेंड देखें तो कांग्रेस और अकाली दल ही सत्ता में काबिज रहे हैं। वहीं, इस बार वोटिंग में पिछली बार से 5% की कमी आई। पिछले चुनाव यानी 2017 में कांग्रेस ने 77 सीटों पर बंपर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी।

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पंजाब की राजनीति से जुड़ी 6 दिलचस्प बातें

1. पंजाब ज्यादातर समय कांग्रेस का गढ़ रहा
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 66% था। ये कांग्रेस का दूसरा बड़ा वोट शेयर था। 1992 में कांग्रेस का वोट शेयर 74% था। राज्य के 22 मुख्यमंत्रियों में से 14 मुख्यमंत्री कांग्रेस के ही रहे हैं।

2. दलित वोट की अहम भूमिका
भारत की अनुसूचित जाति (SC) की आबादी का पंजाब में अनुपात (31.9%) सबसे ज्यादा है। हालांकि जट्ट सिख (जनसंख्या का 20%) यहां की राजनीति पर हावी है। चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं। ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के अंतिम गैर-जाट सिख मुख्यमंत्री (1972-77) थे।

3. मालवा जीतने वाला पंजाब जीतता है
सतलुज नदी के साउथ बेल्ट से पंजाब विधानसभा में 69 सदस्य चुने जाते हैं। आमतौर पर जो भी इस क्षेत्र में जीतता है, उसके पास सरकार बनाने का मौका होता है। हालांकि, 2007 अपवाद रहा था। यहां कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, लेकिन शिअद-भाजपा गठबंधन सत्ता में आया था।

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4. भाजपा से पहले अकालियों ने कांग्रेस को धोखा दिया था
स्वतंत्र भारत में पंजाब में बनी पहली सरकार के CM गोपी चंद भार्गव के नेतृत्व में कांग्रेस और अकालियों के बीच गठबंधन हुआ था, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं चला। सिखों की सुरक्षा की मांग से इनकार के बाद अप्रैल 1949 में सरकार गिर गई थी। इसके चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

5. पंजाब ने भारत को एक PM और राष्ट्रपति दिया, पाक में भी ऐसा ही
पंजाब ने भारत को एक राष्ट्रपति दिया है - ज्ञानी जैल सिंह। जैल सिंह 1982 से 1987 तक राष्ट्रपति रहे। वह भारत के पहले और एकमात्र सिख राष्ट्रपति हैं। पंजाब ने भारत को एक प्रधानमंत्री भी दिया है - डॉ. मनमोहन सिंह जो लगातार दो कार्यकाल तक पद पर थे।

बात पाकिस्तान की करें, तो मुहम्मद जिया-उल-हक 1978 से 1988 तक वहां के राष्ट्रपति रहे। जिया-उल-हक अविभाजित भारत में 1924 में पंजाब राज्य के जालंधर में पैदा हुए थे। पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान के परिवार की मां जालंधर की रहने वाली थीं। वे विभाजन के दौरान लाहौर चले गए थे।

6. 1966 के बाद कोई भी गैर-सिख CM नहीं बना
1966 में संसद ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम पारित किया था। इसके बाद मॉडर्न स्टेट ऑफ पंजाब और नए राज्य हरियाणा के निर्माण का रास्ता खुला। तब से लेकर अब तक यहां हर मुख्यमंत्री सिख रहा है।​​​​​​​

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जीत के जश्न के बीच भाजपा वर्कर पर फूटा गुस्सा
पंजाब में आप की धमाकेदार जीत के बीच जालंधर में भाजपा वर्कर पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। दरअसल, जालंधर के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में नतीजे देखने पहुंचे एक भाजपा वर्कर की वहां मौजूद कुछ लोगों से बहस हो गई। इसके बाद लोगों ने लात-घूंसों ने न सिर्फ उनकी पिटाई कर दी, बल्कि उनके कपड़े भी फाड़ दिए। भाजपा के विधायक कृष्ण लाल शर्मा ने उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर भीड़ से बचाया।

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पूरी खबर यहां पढ़ें...

पंजाब चुनाव और परिणाम से जुड़ी अहम खबरें यहां पढ़ें...

  • पंजाब रिजल्ट का एनालिसिस:आप गारंटी कार्ड लेकर घर-घर पहुंची; गांवों में नए और शहरों में दूसरे दलों से लाकर जनाधार वाले कैंडिडेट उतारे​​​​​​​
  • दिग्गजों ने जहां रैलियां कीं, उन सीटों का एनालिसिस:मोदी 3 रैलियां कर BJP को सिर्फ 2 सीटें दिला पाए, प्रियंका के प्रचार वाली सभी सीटें हारी कांग्रेस​​​​​​​
  • जीत के बाद मान का पहला VIDEO:भगवंत मान ने मंच पर मां को गले लगाया; बोले- पंजाब ने अपनी जिम्मेदारी निभाई, अब मेरी बारी​​​​​​​
  • पंजाब में कांग्रेस के 12 में से 8 मंत्री हारे:CM चन्नी के साथ डिप्टी सीएम सोनी और 5 पूर्व मंत्रियों को भी मिली शिकस्त​​​​​​​
  • माझा की 25 सीटों में से 16 पर आप:कांग्रेस की माझा बिग्रेड ने बचाई साख, अकाली दल की कमान अब गुनीव कौर के हाथ

पंजाब की विधानसभा सीट कितनी?

पंजाब विधानसभा चुनाव, 2017 4 फरवरी 2017 को पंजाब विधानसभा के 117 सीटों के लिये हुआ। परिणामों की घोषणा 11 मार्च 2017 को हुई। पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता मतदान 78.6% है।

भारत में विधानसभा सीट कितनी है 2022?

वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्‍य संख्‍या 426 हो गई।

गुजरात में कांग्रेस की कितनी सीट है?

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन.

दिल्ली में विधानसभा सीटों की संख्या कितनी है?

दिल्ली की विधानसभा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की एकसदनी विधायी निकाय है। इस विधान सभा में कुल 70 विधायक सदस्य हैं। दिल्ली विधानसभा की बैठक पुराना सचिवालय भवन में होती है।