हरियाणा के कौन से जिले एनसीआर में नहीं आते? - hariyaana ke kaun se jile enaseeaar mein nahin aate?

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने राज्य के पांच जिलों और दो जिलों की तीन तहसीलों को राष्टीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के दायरे से बाहर निकालने का प्रस्ताव तैयार किया है। अभी तक राज्य के 22 में 14 जिले एनसीआर के दायरे में आते हैं, जो कुल आबादी का 57 प्रतिशत एरिया बनता है।

हरियाणा सरकार का मानना है कि एनसीआर के दायरे में आने की वजह से हरियाणा के इन जिलों को फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से एनसीआर के दायरे वाले जिलों की संख्या 14 से घटाकर नौ करने का यह प्रस्ताव एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की अगली बैठक में रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य सचिव संजीव कौशल तीन जुलाई को होने वाली बैठक में ही यह प्रस्ताव रखने वाले थे, लेकिन बैठक स्थगित हो गई। एनसीआर के दायरे से बाहर निकाले जाने वाले जिलों में करनाल, जींद, महेंद्रगढ़, भिवानी और दादरी शामिल है। पानीपत जिले की मतलौडा व पानीपत तथा रोहतक जिले की महम तहसील को भी एनसीआर के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने तैयार किया है।

प्रस्ताव पास हुआ तो रह जाएंगे नौ जिले

प्रदेश सरकार का प्रस्ताव यदि मंजूर हुआ तो एनसीआर के दायरे में सिर्फ नौ जिले गुरुग्राम, पलवल, झज्जर, रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, नूंह और फरीदाबाद रह जाएंगे। इन नौ जिलों का कुल एरिया 13 हजार 428 किलोमीटर का है, लेकिन तीन तहसीलों पानीपत, मतलौडा व महम का एरिया घटाने के बाद यह 12 हजार 280 किलोमीटर बनेगा।

पहले भी उठ चुका है मामला

मुख्यमंत्री मनोहर लाल पिछले काफी समय से चाहते हैं कि एनसीआर में आने वाले हरियाणा के जिलों का दायरा कम किया जाना चाहिए। इस संबंध में वह एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में मसला उठा चुके हैं। एनसीआर में दिल्ली का मात्र 2.69 प्रतिशत एरिया शामिल है। सैद्धांतिक रूप से हरियाणा सरकार के प्रस्ताव से एनसीआर प्लानिंग बोर्ड पूरी तरह सहमत है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव पेश करने के बाद अब इस पर केंद्र सरकार द्वारा आगे बढ़ने की संभावनाएं बलवती हुई हैं।

नए जिलों का प्रारूप तैयार

चीफ कार्डिनेटर प्लान (एनसीआर) गुरमीत कौर व डीटीपी एनसीआर विजय कुमार ने एनसीआर में आने वाले हरियाणा के नए जिलों का नया प्रारूप तैयार किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का मानना है कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की योजनाओं से हरियाणा के आधे से ज्यादा जिले लाभान्वित नहीं होते, बल्कि नुकसान ज्यादा होता है। ऐसे में इन जिलों को एनसीआर के दायरे से बाहर निकालना ही बेहतर होगा।

एनजीटी के प्रतिबंधों से प्रभावित हो रहे जिले

हरियाणा के काफी बड़े हिस्से को एनसीआर से अलग करने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल की राय है कि दिल्ली पर शहरीकरण का बोझ कम करने के लिए एनसीआर का विस्तार किया गया था, इसलिए दिल्ली के आसपास के इलाकों की तरह दिल्ली को भी विकसित करने के लिए यह फैसला लिया गया।

समय बीतने के साथ-साथ एनसीआर क्षेत्र बढ़ता गया और विकास के साथ-साथ इसके कई दुष्परिणाम भी सामने आने लगे। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोई प्रतिबंध लगाता है, तो यह लगभग 57 प्रतिशत हरियाणा को प्रभावित करता है, चाहे वह प्रदूषण या निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाना हो या उस पर अंकुश लगाना हो। हरियाणा के कुछ हिस्सों को एनसीआर से बाहर करने से कई इलाकों की बड़ी आबादी इस तरह के प्रतिबंधों से मुक्त हो जाएगी।

हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुल 22 जिलों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल किया जा चुका है।

झज्जर, पलवल, सोनीपत, गुड़गांव, पानीपत, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, भिवानी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, करनाल और जींद। राज्य का 57% क्षेत्र एनसीआर में।

मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, बागपत और हापुड़।

कितनी दूरी वाले इलाके एनसीआर में हैं शामिल?

दिल्ली से सबसे ज्यादा 175 किलाेमीटर दूर राजस्थान का अलवर है जिसे एनसीआर में शामिल किया जा चुका है। यही वजह है कि दिल्ली से 133 किमी दूर करनाल, जबकि 140 किमी दूर जींद और 129 किमी दूर मुज़फ्फरनगर को एनसीआर में शामिल किए जाने की दावेदारी पुख्ता थी।

अब हरियाणा के 13, उत्तर प्रदेश के 7 और राजस्थान के 2 जिले एनसीआर में हैं। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार मुजफ्फरनगर के अलावा पांच और जिलों मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, बिजनौर और शामली को भी एनसीआर में शामिल करना चाहती थी।

एनसीआर में नए जिलों काे शामिल करने का क्या है मकसद और फायदा?

1985 में बने कानून के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्थापना की गई थी। दिल्ली के अासपास के इलाकों में जमीन के इस्तेमाल पर नियंत्रण करना और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना इसका मकसद है। केंद्र सरकार का शहरी विकास मंत्रालय नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड के जरिए इन जिलों को विकास योजनाओं में सीधे नियंत्रित करता है।

1. नए जिलों को एनसीआर में शामिल करने से दिल्ली में प्रवासियों का दबाव करने में मदद मिलेगी। मुंबई में पिछले 10 साल में आबादी जहां 15% बढ़ी, वहीं दिल्ली की आबादी में 34% का इजाफा हुआ।

2. आसपास के इलाकों की जमीन और पानी जैसे संसाधनों का दिल्ली को भी फायदा मिलेगा।

3. जिलों के विकास, स्मार्ट सिटी और मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट पर अमल में तेजी होगी। फंड भी ज्यादा मिलेगा।

4. रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का फायदा होगा। दिल्ली-पानीपत के बीच 111 किमी, दिल्ली-अलवर के बीच 180 किमी और दिल्ली-मेरठ के बीच 90 किमी का कॉरिडोर बनेगा।

5. नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड अब तक एनसीआर के विकास के लिए 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन दे चुका है। इसकी योजनाएं सफल रही हैं। लोन की 100% रिकवरी का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है।

हरियाणा के कौन कौन से जिले एनसीआर में नहीं आते?

पानीपत जिले की मतलौडा व पानीपत तथा रोहतक जिले की महम तहसील को भी एनसीआर के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने तैयार किया है। प्रदेश सरकार का प्रस्ताव यदि मंजूर हुआ तो एनसीआर के दायरे में सिर्फ नौ जिले गुरुग्राम, पलवल, झज्जर, रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, नूंह और फरीदाबाद रह जाएंगे।

हरियाणा के कितने जिले एनसीआर के अंदर आते हैं?

आंकड़े दर्शाते हैं कि रिजनल प्लान 2021 में एनसीआर में हरियाणा का एरिया 13,413 वर्ग किलोमीटर था। पांच जिले शामिल करने की वजह से यह क्षेत्र बढ़कर 25,327 वर्ग किलोमीटर हो गया था। इस दौरान महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी-दादरी, करनाल और जींद को शामिल किया गया था।

कौन कौन से जिले एनसीआर में?

NCR में आने वाले उत्‍तर प्रदेश के जिले- बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर जिला (नोएडा और ग्रेटर नोएडा), गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़। NCR में शामिल हरियाणा के जिले- करनाल, जिंद, महेंद्रगढ़, भिवानी, पलवल, चरखी, दादरी, गुड़गांव, फरीदाबाद, झज्‍जर, रेवाड़ी,, सोनीपत, पानीपत, रोहतक और नूंह।

क्या गुड़गांव एनसीआर में आता है?

एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवानी,जींद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं।