जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रगट हो उसे विशेषण (visheshan) कहते हैं। विशेषण ऐसा विकारी शब्द होता है, जो सर्वथा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। जैसे: नीला, सुंदर, खट्टा, लोभी आदि।उदहारण: उसका कमीज पुराना था।यहाँ पर ‘पुराना’ शब्द कमीज की विशेषता बता रहा है, इसलिए यह विशेषण है। Show विशेष्यविशेषण शब्द जिस शब्द (संज्ञा/सर्वनाम) की विशेषता बतलाता है, उसे ‘विशेष्य’ (visheshy) कहते हैं। कहने का तात्पर्य यह है की विशेषण के प्रयोग से संज्ञा या सर्वनाम का अर्थ सीमित हो जाता है। जैसे- ‘गाय’ संज्ञा से गाय जाति के सभी प्राणियों का बोध होता है परंतु ‘लाल गाय’ कहने से केवल लाल गायों का बोध होता है, सभी गायों का नहीं। प्रविशेषणहिंदी में कुछ विशेषणों के भी विशेषण होते हैं, उन्हें ‘प्रविशेषण’ (pravisheshan) कहा जाता है। जैसे: पहाड़ी बड़े साहसी होते हैं। विशेषण के प्रकारविशेषण के मुख्य रूप से चार भेद हैं: क. गुणवाचक विशेषणजिस विशेषण के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दशा, आकर, रंग, स्थान और काल आदि का बोध हो उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। गुण: भला, बुरा, उचित, अनुचित, अच्छा, चालाक, ईमानदार, सरल, नम्र, विनम्र, बुद्धिमानी, झूठा, सच्चा, दानी, पापी, दुष्ट, न्यायी, सीधा, शान्त आदि। दशा: बूढ़ा, दुबला, पतला, मोटा, हल्का, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, कमजोर, गरीब, उद्यमी, पालतू, स्वस्थ, रोगी, आदि। आकार: मोटा, पतला, गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुन्दर, नुकीला, ऊँचा, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा आदि। रंग: पीला, लाल, हरा, नीला, काला, सफेद, बैंगनी, सुनहरा, धुँधला, चमकीला, फीका आदि। स्थान: चौरस, उजाड़, बाहरी, भीतरी, सतही, उपरी, पछियाँ, पूरबी, बायाँ, दायाँ, क्षेत्रीय, पहाड़ी, ग्रामीण, स्थानीय, देशीय, विदेशी, असमी, बंगाली, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, नागरिक आदि। काल: आधुनिक, नया, पुराना, ताजा, ताजी, बासी, वार्षिक, मासिक, भूत, वर्तमान, भविष्य, नवीन, प्राचीन, अगला, पिछला, मौसमी, आगामी, टिकाऊ, सायंकालीन आदि। ध्यान देने योग्य बातें: 1. गुणवाचक विशेषणों में ‘सा’ सादृश्यवाचक पद जोड़कर गुणों को कम भी किया जाता है।जैसे: लाल-सा, बड़ा-सा, छोटी-सी, ऊँची-सी आदि। 2. कभी-कभी गुणवाचक विशेषणों के विशेष्य वाक्य लुप्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में संज्ञा का काम भी विशेषण ही करता है। जैसे:· बड़ों का आदर करना चाहिए।· दीनों पर दया करनी चाहिए। 3. गुणवाचक विशेषण में विशेष्य के साथ कैसा/कैसी लगाकर प्रश्न करने पर विशेषण पता किया जाता है। ख. संख्यावाचक विशेषणजिस विशेषण द्वारा किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे: बीस दिन, दस किताब, सात भैंस आदि। यहाँ पर बीस, दस तथा सात- संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण के भेद संख्यावाचक विशेषण के मुख्य दो भेद होते है: 1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण 2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण 1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण निश्चित संख्यावाचक विशेषण से वस्तु की निश्चित संख्या का बोध होता है। जैसे: चालीस रूपये, दो लड़के आदि।इन सभी वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो रहा है, इसलिए यहाँ निश्चित संख्यावाचक विशेषण होगा। I. गणनावाचक: एक, तीन, बीस, अस्सी आदि। II. क्रमवाचक: पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा आदि। III. आवृतिवाचक: दुगुना, तिगुना, चौगुना, एकहरा आदि। IV. समुदायवाचक: दोनों, तीनों, चारों, पांचों आदि। V. प्रत्येकबोधक: हर-एक, प्रत्येक, दो-दो, तीन-तीन, सवा-सवा आदि। गणनावाचक (निश्चित संख्यावाचक विशेषण) के भी 2 भेद होते हैं: अ. पूर्णसंख्याबोधक: एक, चार, सौ, हजार आदि। ब. अपूर्णसंख्याबोधक: पाव, पौन, सवा, ढेढ़, आध आदि। 2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध न हो उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। किन्तु बहुधा बहुत्व का बोध होता है। जैसे: अनेक, चंद, अनगिनत, लगभग, सब, कुछ, कई, थोडा, करीब आदि। ग. परिमाणवाचक विशेषणजिन विशेषणों के द्वारा किसी प्रकार की माप-तौल प्रगट होती है, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे: तोला भर सोना, कुछ पानी, कुछ दूध, सेर भर दूध आदि। परिमाणवाचक विशेषण के भेद निश्चय और अनिश्चय के आधार पर परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद किये गए हैं: I. निश्चित परिमाणवाचक: पांच हाँथ जगह, चार गज कपड़ा, तीन सेर घी आदि। II. अनिश्चित परिमाणवाचक: सब धन, बहुत दूध, पूरा आनंद, बहुत पानी आदि। घ. सार्वनामिक विशेषणपुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम (मैं, तू, वह) के अतिरिक्त अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं, तब वे संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: यह घोड़ा अच्छा है।, वह नौकर नहीं आया।यहाँ घोड़ा और नौकर संज्ञाओं के पहले विशेषण के रूप में ‘यह’ और ‘वह’ सर्वनाम आये हैं। अतः ये सार्वनामिक विशेषण हैं। सार्वनामिक विशेषण के भेद व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है- I. मौलिक सार्वनामिक विशेषण II. यौगिक सार्वनामिक विशेषण I.मौलिक सार्वनामिक विशेषण जो सर्वनाम बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आता हैं उसे मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे- वह लड़का, यह कार, कोई नौकर, कुछ काम इत्यादि। II. यौगिक सार्वनामिक विशेषण जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं। जैसे- कैसा घर, उतना काम, ऐसा आदमी, जैसा देश इत्यादि। विशेष्य और विशेषण में संबंधऊपर आपने विशेषण और विशेष्य के बारे में पढ़ा, अब इन दोनों के संबंधों पर बात करेंगे। 1. विशेष्य विशेषण जो विशेषण विशेष्य के पहले आये, वह विशेष्य-विशेष होता हैं। जैसे- मुकेश चंचल बालक है।, संगीता सुंदर लड़की है।इन वाक्यों में चंचल और सुंदर क्रमशः बालक और लड़की के विशेषण हैं, जो संज्ञाओं (विशेष्य) के पहले आये हैं। 2. विधेय विशेषण जो विशेषण विशेष्य और क्रिया के बीच आये, वहाँ विधेय-विशेषण होता हैं। जैसे- मेरा कुत्ता लाल हैं।, मेरा लड़का आलसी है। इन वाक्यों में लाल और आलसी ऐसे विशेषण हैं, जो क्रमशः कुत्ता (संज्ञा) और है (क्रिया) तथा लड़का (संज्ञा) और है (क्रिया) के बीच आये हैं। ध्यान रखने योग्य बातें:· 1. विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग, वचन आदि के अनुसार होते हैं। जैसे- अच्छे लड़के पढ़ते हैं।, नताशा भली लड़की है।, रामू गंदा लड़का है। आदि 2. यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों तो विशेषण के लिंग और वचन समीप वाले विशेष्य के लिंग, वचन के अनुसार होंगे, जैसे- नये पुरुष और नारियाँ, नयी धोती और कुरता। आदि विशेषण की रचना1. रूप रचना की दृष्टि से विशेषण विकारी और अविकारी दोनों होते हैं। जाहिर है अविकारी विशेषणों में कोई परिवर्तन नहीं होता, वे अपने मूल रूप में बने रहते हैं। जैसे- पीला, सुंदर, भारी, चंचल, गोल आदि। 2. विशेषण प्रायः संज्ञाओं में प्रत्यय जोड़ कर बनाये जाते हैं। जैसे- संज्ञाप्रत्ययविशेषणधर्मइकधार्मिकचमकईलाचमकीलामुखइकमौखिकगुणईगुणीअर्थइकआर्थिकधनवानधनवानजातिईयजातीयदानईदानीअपमानइतअपमानित3. अव्यय में प्रत्यय लगाकर भी विशेषण बनते हैं। जैसे: अव्ययप्रत्ययविशेषणअंदरऊनीअंदरूनीबाहरईबाहरी4. कुछ विशेषण क्रियायों से बनते हैं। जैसे: चलना से चलनेवाला, कमाना से कमाऊ, भागने से भागने वाला आदि। 5. दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से भी विशेषण की रचना होती है। जैसे: भला-बुरा, छोटा-बड़ा, चलता-फिरता, दुबला-पतला, टेढ़ा-मेढ़ा आदि। 6. कुछ विशेषण सर्वनामों से बनते हैं। जैसे: यह से ऐसा, यह से इतने, यह से इतना, जो से जैसे, वह से वैसा 7. सार्वनामिक विशेषण भी वचन और कारक के अनुसार उसी तरह रूपांतरित होते हैं जिस तरह सर्वनाम। जैसे: एकवचनबहुवचनयह बालकवे बालकउस लड़के काउन लड़कों का8. जब संज्ञा का लोप रहता है और विशेषण संज्ञा का काम करता है, तब उसका रूपांतर विशेषण के ढंग से नहीं, संज्ञा के ढंग से होता है। अकसर विशेषण के साथ परसर्ग का प्रयोग नहीं होता, विशेष्य के साथ लगता है, परंतु संज्ञा बन जाने पर विशेषण पद के साथ परसर्ग लगता है। जैसे: · बड़ों की बात माननी चाहिए। · वीरों ने सब कुछ कर दिखाया। · उसने सुंदरी से पूछा। · विद्वानों का आदर करना चाहिए। विश्लेषणों की तुलनादो या दो से अधिक वस्तुओं या भावों के गुण, मान आदि का तुलना, तुलनात्मक विश्लेषण कहलाता है। हिंदी में से, में, अपेक्षा, सामने, बनिस्बत, सबमें, सबसे, से अधिक, से ज्यादा, से भी अधिक, से कम, से भी कम, से कुछ कम से बढ़कर, से कहीं लगाकर विशेषणों की तुलना की जाती है। तुलना के विचार से विशेषणों की तीन अवस्थाएं होती हैं: 1. मूलावस्थाजिस अवस्था में विशेषण अपने मूल रूप में आता है, अर्थात् इसमें विशेषण का अन्य किसी दूसरे विशेषण से तुलना न होकर सीधे व्यक्त होता है। इसे मूलावस्था या प्रथमावस्था कहते हैं। जैसे: · सुरेश बुद्धिमान है। · दारा सिंह बलवान है। 2. उत्तरावस्थाइसमें दो व्यक्तियों के गुणों की तुलना की जाती है और इनमें किसी एक वस्तु के गुण या दोष अधिक बताये जाते हैं। इसे उत्तरावस्था या द्वितीयावस्था कहते हैं। जैसे: · श्याम राम से बुद्धिमान है। · राकेश राहुल से अधिक समझदार है। · खली दारा सिंह से बलवान है। · वह तुमसे कहीं अच्छा है। 3. उत्तमावस्थाइसमें विशेषण द्वारा किसी वस्तु को, दो से अधिक वस्तुओं, गुणों की तुलना करके एक को सबसे अधिक गुणशाली/उत्तम या दूसरे को नीच/दोषी प्रमाणित किया जाता है। इसे उत्तमावस्था या तृतीयावस्था कहते हैं। जैसे: लड़का शब्द का विशेषण क्या होगा?Answer: लड़का – छोटा, मोटा, पतला, बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, मीठा,कड़वा,एक, दो, कला, लाल, स्वच्छ, मेहनती आदि। Explanation: ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले लगकर उस संज्ञा शब्द की विशेषण की तरह विशेषता बताते हैं, वे शब्दसार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।
सुंदर शब्द में कौन सा विशेषण है?Answer: संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जैसे - वह मोर सुन्दर है।, यह आम मिठा है। इनमें सुन्दर और मिठा विशेषण है।
एक लड़का कौन विशेषण है?सार्वनामिक विशेषण
जैसे: मेरी पुस्तक , कोई बालक , किसी का महल , वह लड़का , वह बालक , वह पुस्तक , वह आदमी , वह लडकी आदि।
राम अच्छा लड़का है विशेषण क्या है?' वाक्य में 'अच्छा' शब्द क्या है? *गुणवाचक विशेषण
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