Sir Isaac Newton biography and inventions in hindi सर आइज़ैक न्यूटन को एक गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी होने के साथ ही अभी तक के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिक में से एक माना जाता है. वैज्ञानिक योगदानो में 1685 में लिखी उनकी मुख्य कृति प्रिन्सिपिया मैथमेटीका है. 2005 में हुए रॉयल सोसायटी के एक सर्वेक्षण में वैज्ञानिको ने आइन्स्टीन की अपेक्षा न्यूटन को अधिक प्रभावशाली वैज्ञानिक बताया गया. इनके जीवन और नियमों को यहाँ दर्शाया गया है. एल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय व इतिहास यहाँ पढ़ें. Show
महान वैज्ञानिक आइज़ैक न्यूटन की जीवनी और उनके गति विषयक नियम
न्यूटन का जन्म और बचपन (Isaac Newton birth and childhood)न्यूटन का जन्म क्रिसमस के दिन पश्चिम लिंकोल्न्शिरे के एक वूल्स्थोर्प गाँव, इंग्लैंड में 25 दिसम्बर 1642 को हुआ था. न्यूटन के पिता की मृत्यु उनके जन्म लेने के दो महिना पहले ही हो चुकी थी. जब वो मात्र 3 साल के थे तब उनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली थी और उनको छोड़ के चली गयी थी. उसके बाद उनकी देख रेख उनकी दादी ने की थी, न्यूटन के सौतेले पिता की जब मृत्यु हो गयी, तब उनकी माँ वूल्स्थोर्पे लौट आई और उन्होंने पारिवारिक खेती में न्यूटन को मदद करने के लिए कहा, लेकिन न्यूटन को खेती की अपेक्षा पढना पसंद था. न्यूटन की शिक्षा (Isaac Newton education facts)उनकी बुनियादी शिक्षा उनके गाँव के स्थानीय स्कूल में ही हुई थी. जब वो 12 साल के हुए तब वे इंग्लैंड के ग्रंथम में किंग स्कूल में पढने के लिए चले गए. वहाँ वे फार्मासिस्ट के घर में रहते थे जिसका नाम क्लार्क था. न्यूटन को क्लार्क की रासायनिक पुस्तकालय और प्रयोगशाला बहुत पसंद थी. उन्होंने क्लार्क की बेटी का मनोरंजन करने के लिए यांत्रिक उपकरणों का निर्माण किया था, जिसमे शामिल था एक लाईव माउस, फ्लोटिंग लालटेन और सन डायल्स द्वारा चलने वाली पवन चक्की आदि. पुस्तकालय के लाभ पर निबंध यहाँ पढ़ें. 19 वर्ष की अवस्था में उन्होंने इंग्लैण्ड के ट्रिनिटी कॉलेज में प्रवेश करके 1665 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. वे मास्टर डिग्री भी प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन प्लेग बीमारी की वजह से उन्हें वूल्स्थोर्पे वापस लौटना पड़ा था. जहाँ पर वे 1666 से 1667 तक रहे. यहाँ वे अपने बुनियादी प्रयोगों का प्रदर्शन करते रहे, साथ ही गुरुत्वाकर्षण के बारे में और प्रकाश के अध्ययन के बारे अपनी सोच पर काम करते रहे. फिर कैम्ब्रिज लौट कर उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री को पूरा किया और उसके बाद अपनी खोज को विस्तृत करने में लग गए. उनके गणित के प्रोफेसर उनसे बहुत प्रभावित थे, 1669 में उनके प्रोफेसर ने किसी और नौकरी के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने न्यूटन को अपनी जगह लेने को कहा, जिसके बाद न्यूटन गणित के प्रोफेसर बन गए. डेटा वैज्ञानिक की भारत में कमाई यहाँ पढ़ें. न्यूटन का करियर (Isaac Newton career)न्यूटन के ने अपने करियर में बहुत से प्रयोग किये जोकि इस प्रकार है – न्यूटन का प्रकाशिकी में प्रयोग (Isaac Newton optics theory)1670 से 1672 तक न्यूटन ने प्रकाशिकी के विषय पर व्याख्यान दिया था. न्यूटन का मुख्य आकर्षण प्रकाशिकी था, जिसमे उन्होंने प्रकाश के अपवर्तक की प्रभावशीलता की खोज की. उन्होंने एक यंत्र प्रदर्शित किया, जोकि लैंस के द्वारा प्रकाश की किरणों के झुकने से दूरस्थ वस्तुओं को देखने में सक्षम बनाता है. प्रकाश की प्रकृति और उनके गुणों के बारे में खोज के आधार पर उन्होंने बताया की ‘श्वेत प्रकाश कई रंगों के प्रकाश का मिश्रण होता है’. इसको न्यूटन के रंगीन सिद्धांत के रूप में जाना जाता है. कई भौतिकवादी ने उनके प्रकाश के विपर्तन के लिए शुद्ध तरंग जैसे स्पष्टीकरण का समर्थन किया है. 1704 में उन्होंने ऑप्टिक्स प्रकाश के अतिसूक्ष्म कणों के अपने सिद्धांत को विस्तृत रूप में व्यख्यायित किया, जिसमे उन्होंने बताया की प्रकाश अति सूक्ष्म कणों से बना होता है जबकि द्रव साधारण कणों से बना होता है. न्यूटन का बल में प्रयोग (Isaac Newton contribution to force)1675 में कण के बीच आकर्षण और प्रतिकर्षण के रसायनीय विचारों के आधार पर न्यूटन ने पाया कि किसी भी कण के बीच बलों को संचारित करने के लिए ईश्वर की उपस्थिति हो सकती है. ऐसा विचार उन्होंने इसलिए किया था क्योकिं वो धार्मिक विचारों और ईश्वर की दिव्य शक्ति में विश्वास करते थे, इस वजह से उन्होंने अपने विचारों में ईस्वर को भी अभिव्यक्त किया था. बाद में अपने इसी विचार को उन्होंने बल के क्रिया और प्रतिक्रिया के रूप में परिभाषित कर दिया. न्यूटन का यांत्रिकी और गुरुत्वाकर्षण में प्रयोग (Isaac Newton mechanics and gravitation theory)1679 में न्यूटन ने यांत्रिकी पर दुबारा से अपने प्रिन्सिपिया की दुसरे संस्करण में कार्य करते हुए व्याख्या की. प्रिन्सिपिया के लिए न्यूटन को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई. प्रिन्सिपिया को प्रकाशित करवाने में एडमंड हेली ने वित्तीय मदद की और प्रोत्साहित भी किया. एक दिन न्यूटन पेड़ के नीचे बैठे हुए थे तभी एक सेब पेड़ से उनके ऊपर गिरा और वो उसके बारे में सोचने लगे, कि यह नीचे ही क्यों गिरा ये ऊपर भी तो जा सकता है बस यही से उनके वैज्ञानिक खोज और गुरुत्वाकर्षण सोच का जन्म हुआ. न्यूटन ने गति के जो तीन नियम बताये वो इतना प्रासंगिक था की 200 से भी अधिक वर्ष में उसमे कोई सुधार करने की जरूरत नहीं पड़ी. 1704 में बाइबिल की एक पाण्डुलिपि में उन्होंने लिखा है कि दुनिया का अंत 2060 तक हो जायेगा लेकिन इससे पहले नहीं होगा. न्यूटन के अवार्ड और उपलब्धियां (Isaac Newton awards and accomplishments )न्यूटन ने अपने जीवन में निम्न उपलब्धियों को हासिल किया.
न्यूटन का विवाद (Isaac Newton controversy)कैलकुलस विवाद जो कि न्यूटन और गोटफ्राइड के बीच हुआ था. इसमे न्यूटन ने कहा था कि उन्होंने 1666 में कैलकुलस के एक फॉर्म पर काम करना शुरू किया, लेकिन इसका कही भी उस वर्ष के प्रकाशन में जिक्र नहीं है. जबकि गोटफ़्राईड ने 1674 में कैलकुलस के अपने संस्करण पर काम करना शुरू किया था, इसलिए उन्हें लग रहा था कि उन्होंने पहले इस फार्मूला को दिया है. हालाँकि बाद में न्यूटन ने 1687 की अपनी पुस्तक प्रिन्सिपिया के आर्टिकल 1 में ज्यामिति संकलन के रूप में कैलकुलस की व्याख्या की. न्यूटन का व्यक्तिगत जीवन और मृत्यु (Isaac Newton death)न्यूटन अधिक धार्मिक प्रवृत्ति के थे, उन्होंने बाईबिल में भी साहित्यिक व्याख्या से सम्बंधित शोध लिखे. उनकी मृत्यु 20 मार्च 1727 को हुई थी. उन्हें वेस्टमिन्स्टर एब्बे में दफनाया गया था. न्यूटन की मृत्यु के बाद भी उनकी प्रसिद्धी में कोई कमी नहीं आई है आज भी वह एक प्रासंगिक वैज्ञानिक है. न्यूटन ने कभी शादी नहीं की. न्यूटन के अनमोल वचन (Isaac Newton quotes)
न्यूटन के गति विषयक नियम (Newton’s laws of motion project)न्यूटन का प्रथम नियम या जड़त्व का नियम या गैलेलियो नियम (Newton’s first law of motion)यदि कोई वस्तु विरामावस्था में या स्थिर है या फिर एक समान गति से चल रही है तो उसकी इस गति में या अवस्था में परिवर्तन तभी आयेगा, जब इस पर कोई बाह्य अर्थात बाहरी बल लगाया जायेगा. अगर बल ना लगाया जाये तो कोई परिवर्तन नहीं आएगा इस नियम को न्यूटन का प्रथम नियम कहा जाता है. इसको उदाहरण के साथ निम्न रूप से वर्णित किया गया है –
न्यूटन का दूसरा नियम (Newton’s second law of motion)इस नियम के अनुसार किसी वस्तु पर कार्य करने वाले बल का मान वस्तु के द्रव्यमान और वस्तु में उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के समानुपाती होता है. इस नियम को संवेग परिवर्तन का नियम कहते है. इस नियम को निम्न उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता है जो निम्नलिखित है –
न्यूटन का तीसरा नियम (Newton’s third law of motion)इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के विपरीत या बराबर एक प्रतिक्रिया होती है. अर्थात अगर कोई वस्तु जिस पर बल लगता है, तो उसके विपरीत वह वस्तु भी विपरीत बल लगाती है. इसी को क्रिया और प्रतिक्रिया कहा जाता है. तथा इस नियम को भी क्रिया प्रतिक्रिया का नियम कहा जाता है. तृतीय नियम को समझने के लिए निम्नलिखित उदहारण दिए जा रहे है –
FAQQ- आइजैक न्यूटनका कब हुआ जन्म? Ans- 4 जनवरी 1643 को हुआ था जन्म। Q- आइजैक न्यूटन की मृत्यृ कब हुई? Ans-आइजैक न्यूटन 31 मार्च 1727 को हुई। Q-आइजैक न्यूटन ने किसकी करी खोज? Ans- गुरूत्वाकर्षण का सिद्धांत, गति के नियमों का Q- क्या काम करते थे आइजैक न्यूटन? Ans- गणितिज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, खगोल वैज्ञानिक एव लेखक Qआइजैक न्यूटन कहां के रहने वाले थे? Ans- आइजैक न्यूटन इंग्लैंड के रहने वाले थे। अन्य पढ़ें –
न्यूटन पूरा नाम क्या है?सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धान्त की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे।
न्यूटन का सूत्र क्या होता है?x_(1)x_(2)=f_(1)f_(2)` <br> यही न्यूटन का सूत्र है, जो केवल वास्तविक प्रतिबिम्बों के लिये लागू होता है, आभासी प्रतिबिम्बों के लिए नहीं । वास्तविक प्रतिबिम्ब केवल उत्तर लेंस में बनता है, अवतल लेंस में नहीं । अतः न्यूटन का सूत्र अवतल लेंस के लिए लागू नहीं होता ।
न्यूटन के पिता का नाम क्या था?आइज़क न्यूटन सीनियरआइज़क न्यूटन / पिताnull
न्यूटन क्या है Hindi?वह बल जो 1 किग्रा. संहति वाली किसी वस्तु में 1 मीटर/सेकेण्ड का त्वरण उत्पन्न करे वह एक न्यूटन (1N) बल कहलाता है।
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