नमक का दरोगा कहानी का मूल भाव क्या है? - namak ka daroga kahaanee ka mool bhaav kya hai?

इसे सुनेंरोकें’नमक का दरोगा’ कहानी के लेखक ‘मुंशी प्रेमचंद’ हैं। ‘नमक का दरोगा’ कहानी की मूल संवेदना समाज और शासन-प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार की प्रवृति को उजागर करना और उस पर व्यंग्यामत्मक कटाक्ष करना है।

अलोपीदीन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमुंशी वंशीधर यह तो जानता ही है कि पंडित अलोपीदीन इस इलाके के सबसे प्रतिष्ठित जमींदार है। अब सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति यदि धड़ल्ले से गैर कानूनी काम करता हुआ पाया जाए, तो आश्चर्य तो होता ही है, मुंशी वंशीधर को भी हुआ। प्रेमचंद ने अलोपीदीन की प्रतिष्ठा का आधार स्पष्ट किया है।

नमक का दरोगा कहानी हमें क्या संदेश देती है?

इसे सुनेंरोकें’नमक का दारोगा’ कहानी के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद हमें यह संदेश देना चाहते हैं कि चाहे असत्य,अन्याय,भ्रष्टाचार आदि कैसा ही अँधेरा क्यों न आच्छादित कर ले किन्तु सत्य की चमक में वह शक्ति है कि वह इन दुराचरणों को भेद सकता है। सत्य का स्थान बहुत ऊँचा है। यहाँ तक कि चोर भी ईमानदार कर्मचारी चाहता है।

नमक का दरोगा कहानी का मूल प्रतिपाद्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनमक का दरोगा प्रेमचंद द्वारा रचित लघु कथा है। इसमें एक ईमानदार नमक निरीक्षक की कहानी को बताया गया है जिसने कालाबाजारी के विरुद्ध आवाज उठाई। यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है।

नमक का दरोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व हैं कौन से दो पहलू पक्ष उभर कर आते हैं लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंकहानी में पंडित आलोपीदीन के दो पहलू नज़र आते है| एक ईमानदारी का पर व्यापारी का| पंडित आलोपीदीन व्यापार को चलाने के लिए अच्छे और बुरे तरीकों का प्रयोग करते है| वह एक भ्रष्ट, धूर्त, स्वार्थी व्यक्ति दिखाई देते हैं। दूसरा पक्ष एक ऐसे व्यक्ति का है, जो ईमानदारी, आदर्श और दृढ़ चरित्र वाले लोगों का सम्मान करता है।

अलोपीदीन किसकी रचना?

इसे सुनेंरोकें’होरी’, ‘धनिया’, ‘वंशीधर’ और ‘पंडित अलोपीदीन’ जैसे पात्र आज भी हमारे गाँवों और शहरों में मौजूद हैं। मुंशी प्रेमचन्द की एक कालजयी रचना ‘नमक का दरोगा’ का जिक्र इस ब्लॉग में विशेष रूप से कर रहा हूँ, जो मैंने बचपन से लेकर अब तक कई बार पढ़ी है।

अल्लेप्पी दिन कथा का पात्र कौन है?

इसे सुनेंरोकेंदरोगा मुंशी वंशीधर पण्डित अलोपीदीन की नमक की गाड़ियों को पकड़ लेता है, जिन्हें टैक्स की चोरी करते हुए कांनपुर ले जाया जा रहा है। अलोपीदीन आते हैं और दरोगा वंशीधर को रिश्वत देकर बचने का प्रयास करते हैं, किन्तु उसके ईमान को डिगा नहीं पाते हैं। दरोगा वंशीधर जमादार को पंडित अलोपीदीन को हिरासत में लेने का हुक्म देता है।

नमक का दारोगा कहानी का मूल संदेश क्या है?

नमक का दरोगा प्रेमचंद द्वारा रचित लघु कथा है। इसमें एक ईमानदार नमक निरीक्षक की कहानी को बताया गया है जिसने कालाबाजारी के विरुद्ध आवाज उठाई। यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है।

नमक का दारोगा कहानी का मूल संदेश क्या है साथ ही उसके पात्रों का चरित्र चित्रण कीजिए?

इस विस्तृत संसार में उनके लिए धैर्य अपना मित्र, बुद्धि अपनी पथप्रदर्शक और आत्मावलंबन ही अपना सहायक था। लेकिन अच्छे शकुन से चले थे, जाते ही जाते नमक विभाग के दारोगा पद पर प्रतिष्ठित हो गए। वेतन अच्छा और ऊपरी आय का तो ठिकाना ही न था। वृद्ध मुंशीजी को सुख - संवाद मिला, तो फूले न समाए ।

नमक का दरोगा किस प्रकार की कहानी है और क्यों?

Q. 'नमक का दारोगा' कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं? ''नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।

नमक का दारोगा कहानी का मुख्य पात्र कौन था?

उत्तर: "नमक का दरोगा" कहानी में कहानी का मुख्य पात्र वंशीधर हमें सर्वाधिक प्रभावित करता है। कहानी के सभी पात्रों में वंशीधर ही आदि से लेकर अंत तक कर्तव्य परायण, धर्मनिष्ठ एवं चरित्रवान बना रहता है।