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Solution (क) क्रिया-विशेषण से युक्त शब्द -(1) एक छोटी-सी झलक उपभोक्तावादी समाज की।(2) आप उसे ठीक तरह चला भी न सकें।(3) हमारा समाज भी अन्य-निर्देशित होता जा रहा है।(4) लुभाने की जी तोड़ कोशिश में निरंतर लगी रहती हैं।(5) एक सुक्ष्म बदलाव आया है।(ख) क्रिया-विशेषण शब्दों से बने वाक्य - (1) धीरे-धीरे- धीरे-धीरे मनुष्य के स्वभाव में बदलाव आया है।(2) ज़ोर से- इतनी ज़ोर से शोर मत करो।(3) लगातार- बच्चे शाम से लगातार खेल रहे हैं।(4) हमेशा- वह हमेशा चुप रहता है।(5) आजकल- आजकर बहुत बारिश हो रही है।(6) कम- यह खाना राजीव के लिए कम है।(7) ज़्यादा- ज़्यादा क्रोध करना हानिकारक है।(8) यहाँ- यहाँ मेरा घर है।(9) उधर- उधर बच्चों का स्कूल है।(10) बाहर- अभी बाहर जाना मना है।(ग) क्रिया-विशेषण विशेषण(1) निरंतर कल रात(2) मुँह में पानी पके आम(3) भूख हल्की खुशबू(4) भूख उतना, जितना (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); (5) आजकल भराBalbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 9 चुनिंदा शेर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers. Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 चुनिंदा शेर12th Hindi Guide Chapter 9 चुनिंदा शेर Textbook Questions and Answers कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर आकलन प्रश्न 1. (a) परिंदों को यह शिकायत है – (b) नदी के प्रति उत्तरदायित्व – (आ) परिणाम लिखिए : (b) कवि जिंदगी के सवालों में खो गए – …………………………………………. शब्द संपदा प्रश्न 2. अभिव्यक्ति प्रश्न 3. (आ) ‘क्रांति कभी भी अपने-आप नहीं आती; वह लाई जाती हैं, इस कथन पर अपने विचार लिखिए। अगर हम उसे बदलने के लिए क्रांतिकारी कदम नहीं उठाएँगे, तो हमारा समाज प्रगति नहीं कर पाएगा, कूपमंडूक बना रहेगा। इतिहास साक्षी है कि जब-जब मानव ने नए सिद्धांतों को, नई खोजों को अपनाया, समाज निरंतर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ता रहा। रसास्वादन प्रश्न 4. वह नहीं जानता था कि उसके सपनों में, उसके विचारों में क्रांति का बीज छिपा है। उसके द्वारा आसमान पर लिखे गए सपने एक दिन क्रांति का रूप ले लेंगे। हँसी और आँसू मनुष्य के जीवन के दो अंग हैं। परंतु आज हर मनुष्य अपने जीवन की विसंगतियों से इस कदर त्रस्त है कि वह नहीं चाहता कि दूसरा कोई भी अपने आँसुओं से उसका कंधा भिगोए। अतः हमें अपने चेहरे पर एक मुखौटा लगाकर अपने आँसुओं को हँसी से छिपा लेना चाहिए। ईश्वर फकीरों, साधुओं और समाज की भलाई की इच्छा रखने वाले लोगों को ऐसी शक्ति प्रदान करता है कि उनके मुख से निकले आशीर्वाद सच होने लगते हैं। ऐसे लोगों की आँखें मानो करुणा और स्नेह बरसाती रहती हैं। हर मनुष्य की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। प्रतिकूल परिस्थितियों, असफलताओं और अन्याय को सहन करने की शक्ति जिस दिन समाप्त हो जाएगी, उस व्यक्ति का विवेक उसका साथ छोड़ देगा। वह दिन बस विद्रोह का दिन होगा। जीवन में निरंतर मिलती निराशाओं के कारण आँखों से आँसू इस प्रकार बहते रहते हैं मानो बाढ़ आ गई हो। कभी-कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह जीवन नहीं, बल्कि अषाढ़ का महीना है और निरंतर बादल बरस रहे हैं। एक मेहनतकश इन्सान जेठ मास की कड़कती हुई धूप में नंगे पाँव डामर की जलती सड़क पर चला जा रहा है। उसके पैरों की उँगलियाँ जल रही हैं। साथ ही दिलोदिमाग में निराशा और हताशा की आँधियाँ चल रही हैं, बिजलियाँ घुमड़ रही हैं। मनुष्य की साँसें निश्चित हैं अर्थात प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में कितना आयुष्य पाएगा, कितनी साँसें ले पाएगा, यह पूर्वनिश्चित है। कवि को ऐसा महसूस होता है मानो उनकी साँसें उनकी अपनी नहीं हैं। अपनी साँसों पर उनका कोई अधिकार नहीं है। इस संसार में अनगिनत लोग ऐसे हैं, जिनमें से किसी का सिर खुला है, तो किसी के पैर चादर से बाहर हैं। ये लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर पाते। हे ईश्वर ऐसा कुछ करो कि सभी लोगों को आवश्यकता की हर चीज मिले। सभी अपना भरण-पोषण उचित ढंग से कर सकें। कल भूख और बीमारी के कारण जिस मजदूर की साँसें बंद हो गई, जो इस निर्मोही दुनिया को छोड़कर चला गया, वह अनपढ़ था, निरक्षर था। परंतु उसके भी अनगिनत सपने थे। सपने देखने के लिए किसी भी प्रकार की साक्षरता की आवश्यकता नहीं होती। वह रोज अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं को मानो किताब में लिखता रहता था। साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान प्रश्न 5.
(आ) गजल इस भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है – …………………………………… प्रश्न 6. Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 9 चुनिंदा शेर Additional Important Questions and Answers कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए प्रश्न. निम्नलिखितपद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए : कृति 1 : (आकलन) प्रश्न 1. कृति 2 : (शब्द संपदा) प्रश्न 2. पद्यांश क्र. 2 कृति 1 : (आकलन) प्रश्न 1. कृति 2 : (शब्द संपदा) प्रश्न 1. प्रश्न 2. रसास्वादन मुद्दों के आधार पर प्रश्न 1. अलंकार प्रश्न 1. रस प्रश्न 1. (2) एक भरोसो, एक बल, एक आस विश्वास। (3) आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़कर आ जाते। मुहावरे प्रश्न 1. (1) चोर की दाढ़ी में तिनका (2) डकार तक न लेना (3) पाँचों ऊँगलियाँ घी में होना (4) पोंगा होना (5)
बात का धनी (6) मूंछ उखाड़ना वाक्य शुद्धिकरण प्रश्न 1. चुनिंदा शेर Summary in Hindiचुनिंदा शेर कवि का परिचय चुनिंदा शेर कवि का नाम : कैलाश सेंगरय। (जन्म 16 फरवरी, 1954.) चुनिंदा शेर प्रमुख कृतियाँ : सूरज तुम्हारा है (गजल संग्रह), यहाँ आदमी नहीं, जूते भी चलते हैं, सुबह होने का इंतजार (कहानी संग्रह), अभी रात बाकी है (अनूदित साहित्य) आदि। चुनिंदा शेर विशेषता : कैलाश सेंगर जी की कविताएँ सहज-सरल भाषा में लिखी गई हैं, जिनमें आम आदमी की जिंदगी में व्याप्त वेदना, भावना आदि की अभिव्यक्ति है। गजल, गीत, कविता, कहानी, नाटक और पत्रकारिता के क्षेत्र में आपका योगदान उल्लेखनीय है। कथानक के तीखेपन और मौलिक प्रयोगों के कारण कैलाश सेंगर अत्यंत लोकप्रिय हैं। विधा उर्दू कविता का लोकप्रिय प्रकार गजल है। इस विधा की लोकप्रियता के फलस्वरूप हिंदी साहित्य में भी इसने अपनी जगह बना ली है और प्रेम की भावभूमि से हटकर यथार्थ की जमीन पर खड़ी है। चुनिंदा शेर विषय प्रवेश : प्रस्तुत गजलों में सामाजिक विषमता, अव्यवस्था, आम आदमी की विवशताओं को विभिन्न चित्र शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है। चुनिंदा शेर कविता का सरल अर्थ (1) गजलों से खुशबू …………………………………………. हुनर देता है। कैलाश जी का यह मानना है कि कवि अपनी गजलों से, अपनी कविताओं से खुशबू फैलाने में सक्षम होता है। वह अपनी कृतियों से चट्टानों पर भी फूल खिला सकता है अर्थात असंभव कार्य को संभव करके दिखा सकता है, क्रांति ला सकता है। परिंदे ईश्वर से शिकायत कर रहे हैं कि हे मालिक कभी तो हमारी बात भी सुनो। ऐसा प्रतीत होता है कि जो दाना आपकी कृपा से हमें प्राप्त होता है, उसमें भी कीड़े लगे हैं। अर्थात आपकी कृपा भी अब प्रदूषित हो गई है। कवि जिंदगी में आई परेशानियों से अप्रभावित हुए बिना उनका इस प्रकार सामना करते रहे कि वहीं से मानो उजाले फूट पड़े। सारी परेशानियाँ इस प्रकार समाप्त हो गईं मानो कभी थी ही नहीं। कवि कहते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि हर सुबह हमारे लिए एक नया संदेश लेकर आती है। रात्रि के घोर अंधकार में जुगनू है द्वारा फैलाए गए हल्के से प्रकाश में भी आशा की एक किरण छिपी होती है। कवि नित्य नए सपने देखता था, जागती आँखों के सपने। वह नहीं जानता था कि उसके सपनों में, उसके विचारों में क्रांति का बीज छिपा है। उसके द्वारा आसमान पर लिखे गए सपने एक दिन क्रांति का रूप ले लेंगे। हँसी और आँसू मनुष्य के जीवन के दो अंग हैं। परंतु आज है हर मनुष्य अपने जीवन की विसंगतियों से इस कदर त्रस्त है कि वह नहीं चाहता कि दूसरा कोई भी अपने आँसुओं से उसका कंधा भिगोए। अतः अच्छा यही रहेगा कि अपने चेहरे पर एक मुखौटा लगाया जाए और अपने आँसुओं को हँसी से छिपा लिया जाए। कवि त्याग और तपस्या के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि ईश्वर फकीरों, साधुओं और समाज की भलाई की इच्छा रखने वाले लोगों को ऐसी शक्ति प्रदान करता है कि उनके मुख से निकले आशीर्वाद सच होने लगते हैं। ऐसे लोगों की आँखें मानो करुणा और स्नेह बरसाती रहती हैं। (2) इसमें लाशें भी मिला करती हैं …………………………………………. इक किताब लिखता था। कवि कहते हैं कि हमारी संस्कृति में नदी को माता के रूप में पूजा जाता है। नदी मानव सभ्यता के लिए जीवन दायिनी का काम करती है। इस नदी रूपी माता के लिए हमारा भी कुछ उत्तरदायित्व है। इसमें लोग लाशें तक बहा देते हैं। हमें नदी को स्वच्छ रखना चाहिए। कूड़ा-कचरा, रसायन आदि नदी में नहीं डालने चाहिए। कवि कहते हैं कि हर मनुष्य की सहन शक्ति की एक सीमा होती है। प्रतिकूल परिस्थितियों, असफलताओं और अन्याय को सहन करने की शक्ति जिस दिन समाप्त हो जाएगी, उस व्यक्ति का विवेक उसका साथ छोड़ देगा, वह दिन बस विद्रोह का दिन होगा। कवि कहते हैं कि जीवन में निरंतर मिलती निराशाओं के कारण आँखों से आँसू इस प्रकार बहते रहते हैं मानो बाढ़ आ गई हो। कभी-कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह जीवन नहीं, बल्कि अषाढ़ का महीना है और निरंतर बादल बरस रहे हैं। एक मेहनतकश इन्सान का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि वह जेठ मास की कड़कती हुई धूप में नंगे पाँव डामर की जलती सड़क पर चला जा रहा है। उसके पैरों की उँगलियाँ जल रही हैं। साथ ही दिलोदिमाग में निराशा और हताशा की आँधियाँ चल रही हैं, बिजलियाँ घुमड़ रही हैं। कवि कहते हैं कि मनुष्य की साँसें निश्चित हैं अर्थात प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में कितना आयुष्य पाएगा, कितनी साँसें ले पाएगा, यह पूर्वनिश्चित है। कवि को ऐसा महसूस होता है मानो उनकी साँसें उनकी अपनी नहीं हैं। अपनी साँसों की संख्या पर उनका कोई अधिकार नहीं है। ठीक उसी प्रकार जैसे किसी दूसरे की धन-संपत्ति पर हमारा अधिकार नहीं होता। या जैसे हम आवश्यकता पड़ने पर अपने कंगन या अन्य कोई आभूषण किसी महाजन के पास गिरवी रख देते हैं। उसी प्रकार हमारी साँसें भी हमारी अपनी नहीं है। कवि सृष्टि को बनाने वाले जीवनदाता से कहता है कि इस संसार में अनगिनत लोग ऐसे हैं, जिनमें किसी का सिर खुला है, तो किसी के पैर चादर से बाहर हैं। ये लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर पाते। हे ईश्वर ऐसा कुछ करो कि सभी लोगों को आवश्यकता की हर चीज मिले। सभी अपना भरण-पोषण उचित ढंग से कर सकें। कवि कहते हैं कि कल भूख और बीमारी के कारण जिस मजदूर की साँसें बंद हो गईं, जो इस निर्मोही दुनिया को छोड़कर चला गया, वह अनपढ़ था, निरक्षर था। परंतु उसके भी अनगिनत सपने थे। सपने देखने के लिए किसी भी प्रकार की साक्षरता की आवश्यकता नहीं होती। वह रोज अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं को मानो किताब में लिखता रहता था। चुनिंदा शेर मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग (1) चट्टानों पर
फूल खिलना। (2) सिर से पानी गुजर जाना। मौसी कुछ नहीं बोल रही है यह कौन सा काल है?मौसी कुछ नही बोल रही थी अपूर्ण भूतकाल
इस वेग में वह पिस गया था l यह वाक्य कौन से काल में है?सामान्य वर्तमानकाल ⦂ इस वेग में वह पिस जाता है।
⏩ सामान्य वर्तमानकाल वाले वाक्य में क्रिया के वर्तमानकाल में सामान्य रूप में होने का बोध होता है। हर काल के उपभेद भी होते हैं, 'सामान्य वर्तमान काल', 'वर्तमान काल' का उपभेद है।
वह देखता है कौन काल है?सामान्य वर्त्तमान-क्रिया का वह रूप जिससे क्रिया का वर्तमान काल में होना पाया जाय, 'सामान्य वर्तमान' कहलाता है । जैसे-वह आता है; वह देखता है। (ii).
वाक्यों का काल परिवर्तन?दूसरे शब्दों में – जिस क्रिया से क्रिया के सामान्य रूप का वर्तमान में होने का पता चलता है, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में ता है, ती है, ते है, ता हूँ, ती हूँ आदि आते हैं उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है। गरिमा कविता लिखती है। चिडि़या आसमान में उड़ती है।
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