क्या रूस यूक्रेन पर परमाणु हमला कर सकता है? - kya roos yookren par paramaanu hamala kar sakata hai?

रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध जारी है, पिछले कई महीनों से जमीन पर स्थिति विस्फोटक बनी हुई है. हालात ऐसे चल रहे हैं कि कोई भी देश झुकने को तैयार नहीं है. इस सब के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐसी धमकियां सामने आईं जिन्होंने परमाणु हमले की आशंका को बढ़ा दिया. लेकिन अब पुतिन ने उन अटकलों पर खुद ही विराम लगाने का काम कर दिया है. उनकी तरफ से एक बड़ा बयान सामने आया है. जोर देकर कहा गया है कि यूक्रेन पर परमाणु हमला नहीं किया जाएगा, ऐसी कोई तैयारी नहीं है. वहीं उनकी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देशभक्त कहा गया है. ऐसे में एक तरफ उन्होंने यूक्रेन पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की जमकर तारीफ की है.

पुतिन बोले- नहीं करेंगे परमाणु हमला

राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि मॉस्को का यूक्रेन पर परमाणु हमला करने का कोई इरादा नहीं है. हमने कभी भी किसी बैठक में न्यूक्लियर हमले पर बात नहीं की है. यूक्रेन पर न्यूक्लियर स्ट्राइक की जरूरत नहीं है. सिर्फ मिलिट्री या राजनीतिक स्ट्राइक की जा सकती है. अब पुतिन का ये बयान उन तमाम बयानों से इतर है जहां वे अपने देश की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने की बात कर रहे थे. कोई ज्यादा महीने पुरानी बात नहीं है, कुछ दिन पहले तक पुतिन काफी आक्रमक नजर आ रहे थे. उनका हर बयान एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा था. हालात ऐसे बन गए थे कि अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक, कई देशों ने आगे आकर पुतिन की आलोचना की थी, रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की बात कही थी.

पुतिन के बदले रुख पर उठे तीन सवाल

लेकिन इससे पहले ये प्रतिबंध लग पाते, दुनिया रूस की घेराबंदी करती, पुतिन ने खुद ही सामने से आकर साफ कर दिया है कि मॉस्को की तरफ यूक्रेन पर कोई परमाणु हमला नहीं किया जाएगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की जरूर इस खतरे का लगातार जिक्र करते रहे हैं, लेकिन पुतिन के मुताबिक उन्हें ऐसे किसी फैसले की जरूरत नहीं पड़ने वाली है. जो वर्तमान में कार्रवाई चल रही है, वे उसी के दम पर जीत दर्ज करने की बात कर रहे हैं. लेकिन पुतिन के इस नरम रवैये ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. पहला सवाल तो ये कि क्या पुतिन यूक्रेन के आक्रमक रुख से खबरा गए हैं? दूसरा सवाल- क्या पुतिन पश्चिमी देशों द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों से परेशान हैं? तीसरा- क्या रूस में ही पुतिन अपने फैसलों की वजह से घिर गए हैं?

पश्चिमी देशों के कड़े रुख ने पुतिन को झुकाया?

अब पश्चिमी देशों द्वारा तो युद्ध शुरू होने के साथ ही रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए थे. वहीं जब पुतिन की तरफ से यूक्रेन को कुछ धमकियां दी गईं, तब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो टूक कहा था कि रूस को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने कहा था कि अगर रूस ने परमाणु हमला किया तो पेंटागन को प्रतिक्रिया देने के लिए किसी से पूछने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उनका इतना कहना ही ये बताने के लिए काफी था कि रूस के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा. ऐसे में इन तीखे बयानों के बीच में ही व्लादिमीर पुतिन का ये नरम रुख सामने आया है. इससे पहले उनकी तरफ से कभी भी इतने स्पष्ट रूप से परमाणु हमले को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया है. लेकिन इस बार पुतिन ने साफ कहा है कि वे यूक्रेन पर परमाणु हमला नहीं करेंगे. उनका ये बयान सिर्फ एक स्टेटमेंट नहीं है, बल्कि दुनिया को संदेश भी है कि जिस आशंका में वो डूबा चला जा रहा है, वो सब बेफिजूल है.

अमेरिका ने युद्ध को भड़काने का काम किया?

वैसे पुतिन ने यूक्रेन पर अगर नरम रुख की बात की है, उसकी तरफ से पश्चिमी देशों पर ही यूक्रेन को भड़काने का आरोप लगाया गया है. कहा गया है कि पश्चिमी देशों ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए यूक्रेन को उकसाया है. युद्ध के शुरुआती दिनों में भी पुतिन का अमेरिका को लेकर यही रुख देखने को मिला था. ऐसे में ये एक ऐसा स्टैंड है जो इतने महीनों बाद में नहीं बदला है. अब तो एक कदम आगे बढ़कर पुतिन यहां तक कह रहे हैं कि वे अमेरिका से बात करने को तैयार हैं, सामरिक स्थिरता पर वार्ता करने की इच्छा रखते हैं. लेकिन आरोप ये है कि अमेरिका अपनी तरफ से कोई जवाब नहीं दे रहा है, वो इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. 

पुतिन ने की मोदी की तारीफ

अब व्लादिमीर पुतिन का ये बयान एक तरफ अमेरिका को सवालों के घेरे में लाता है, वहीं दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध पर बाइडेन के रुख को लेकर विवाद पैदा करता है. अगर अमेरिका की तरफ से पुतिन के इन दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है, उस स्थिति में दुनिया पुतिन के साथ-साथ बाइडेन से भी तीखे सवाल पूछेगी.

अब पुतिन, बाइडेन पर तो सवाल दागे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. उनका कहना है कि मोदी एक बड़े देशभक्त हैं. भारत की एक स्वतंत्र विदेश नीति रही है और रूस के हमेशा से ही खास संबंध रहे हैं.

उम्मीद से ज्यादा ताकतवर निकला यूक्रेन

वैसे पुतिन के बदले हुए रुख के पीछे यूक्रेन का आक्रमण रवैया भी हो सकता है. ये बात तो एक दम स्पष्ट हो चुकी है कि यूक्रेन ने रूस को कड़ी चुनौती दी है. जो पुतिन 72 घंटे में युद्ध खत्म करने की बात कर रहे थे, अब कई महीनों बाद भी किसी निर्णायक नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं. इस सब के ऊपर यूक्रेन की तरफ से भी रूस पर लगातार ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं. अब तक रूस के 6000 से ज्यादा सैनिकों को मारा जा चुका है.

यूक्रेन की तरफ से ऐसे भी दावे हुए हैं कि उसने कई उन इलाकों पर अपना कब्जा वापस ले लिया है जो बीच में रूस के पास चले गए थे. जेलेंस्की के मुताबिक ख़ेरसोन, ख़ारकीएव, लुहांस्क और दोनेत्स्क क्षेत्रों में कई ऐसे इलाके हैं जहां पर यूक्रेनी सेना ने फिर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. दक्षिणी हिस्से में तो यूक्रेनी सेना की कार्रवाई पहले की तुलना में काफी तेज हो चुकी है. हाल ही में रूस को क्राइमिया से जोड़ने वाले ब्रिज पर भी हमला हो चुका है. ऐसे में यूक्रेन के इस चौतरफा हमले ने भी रूस को कुछ हद तक बैकफुट पर धकेला है. अब क्या इन्हीं सब कारणों की वजह से व्लादिमीर पुतिन का ये रुख नरम पड़ा है, रूस इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता, लेकिन जमीन पर स्थिति अगर यूक्रेन के लिए खराब है तो रूस के लिए भी राहत देने वाली नहीं है.

क्या यूक्रेन के पास भी परमाणु हथियार हैं?

इस बात का अभी तक कोई सुबूत नहीं मिला है यूक्रेन ने परमाणु हथियारों को हासिल करने की कोशिशें की हैं। हालांकि पुतिन हमेशा यह दावा करते आए हैं। अगर पुतिन ने यूक्रेन पर परमाणु हमला किया तो क्‍या होगा, विशेषज्ञों ने इसका अनुमान लगाया है।

क्या रूस ने यूक्रेन पर परमाणु हमला कर दिया?

राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि मॉस्को का यूक्रेन पर परमाणु हमला करने का कोई इरादा नहीं है. हमने कभी भी किसी बैठक में न्यूक्लियर हमले पर बात नहीं की है. यूक्रेन पर न्यूक्लियर स्ट्राइक की जरूरत नहीं है. सिर्फ मिलिट्री या राजनीतिक स्ट्राइक की जा सकती है.

यूक्रेन में परमाणु विस्फोट कब हुआ था?

26 अप्रैल 1986 को, चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के एक रिएक्टर में विस्फोट हुआ, परिणामस्वरूप चेर्नोबिल दुर्घटना, इतिहास का सबसे खराब परमाणु रिएक्टर दुर्घटना माना जाता हैं। दुर्घटना के समय, 7 मिलियन लोग उस क्षेत्रों में रहते थे, जिसमें 2.2 मिलियन लोग यूक्रेन के थे।