मोहनजोदड़ो का इतिहास एक ऐसी प्राचीन सभ्यता है जो कई हज़ार वर्षों पहली इस दुनिया में मौजूद थी। वहां ऐसी कई चीज़ें मिली जो आज की 21वीं सदी के के लिहाज से इस्तेमाल में आ सके। उस सभ्यता में भविष्य की सोच रखते हुए कार्य हुए थे। इसकी की खोज बहुत दिलचस्प है, हो भी क्यों न जब इस प्राचीन सभ्यता की प्रचीनकथा ही इतना लोकप्रिय रहा है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे मोहनजोदड़ो का इतिहास तो चलिए जानते है इस प्रचीन सभ्यता का इतिहास विस्तार से। Show
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ऐसे हुई थी मोहनजोदड़ो की खोज1922 में राखालदास बेनर्जी जो पुरातत्व सर्वेक्षण के सदस्य थे, उन्होंने पाकिस्तान में सिंधु नदी के पास में खुदाई का काम किया था। उन्हें बुद्ध का स्तूप सबसे पहले दिखाई दिया। जिसके बाद शक था कि यहाँ इसके नीचे कुछ और इतिहास दबा हुआ है। इस खोज को आगे बढ़ाते हुए 1924 में काशीनाथ नारायण व 1925 में जॉन मार्शल (ब्रिटिश) ने खुदाई का काम करवाया। 1965 तक इसे भारत के अलग-अलग लोगों की कमांड में करवाया गया। लेकिन इसके बाद इस खोज को बंद करा दिया गया और कहा गया कि मोहनजोदड़ो का इतिहास और इसकी खुदाई से प्रकति को नुकसान हो रहा है। Check out: 135+ Common Interview Questions in Hindi अनोखा है मोहनजोदड़ो का इतिहासमोहनजोदड़ो का मतलब है मुर्दों का टीला, दक्षिण एशिया में बसे इस शहर को सबसे पुराना शहर माना जाता है, यह बहुत ही व्यवस्थित ढंग से बनाया गया था। पाकिस्तान के सिंध में 2600 BC के आस पास इसका निर्माण हुआ था। खुदाई के दौरान इस शहर के बारे में लोगों को जानकारी हुई, इसमें बड़ी बड़ी इमारतें, जल कुंड, मजबूत दिवार वाले घर, सुंदर चित्रकारी, मिट्टी व धातु के बर्तन, मुद्राएँ, मूर्तियाँ, ईट, तराशे हुए पत्थर और भी बहुत सी चीजें मिली। जिससे ये पता चलता है कि यहाँ एक व्यवस्थित शहर बना हुआ था। इस पर कई बार खुदाई का काम शुरू हुआ और बंद हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि एक तिहाई भाग की ही खुदाई हुई है। यह शहर 200 हैक्टेयर क्षेत्र में बसा हुआ है। 1856 में एक अंग्रेज इंजिनियर ने रेलरोड बनाते समय इस प्राचीन सभ्यता को खोज निकाला था। रेलवे ट्रैक बनाने के लिए यह इंजिनियर पत्थरों की तलाश कर रहा था, जिससे वो गिट्टी बना सके। यहाँ उन्हें बहुत मजबूत और पुराने ईट मिली, जो बिल्कुल आज की ईट की तरह बनी हुई थी। वहां के एक आदमी ने बताया कि सबके घर इन्ही ईटो से बने है जो उन्हें खुदाई में मिलते है, तब इंजिनियर समझ गया कि ये जगह किसी प्राचीन शहर से जुड़ी है। इस इंजिनियर को सबसे पहले सिन्धु नदी के पास बसे इस सबसे पुरानी सभ्यता के बारे में पता चला था, इसलिए इसे सिंधु घाटी की सभ्यता कहा गया। अपने आप में अभी तक एक छुपी हुई पहेली की तरह है। Check out: सबसे ज़्यादा तनख्वाह वाली सरकारी नौकरियाँ मोहनजोदड़ो के इतिहास में इसकी दिलचस्प विशेषताएं
Check Out: कोरोना के खिलाफ ऐसे रखेंगे ख्याल तो जरूर जीतेंगे यह वॉर मोहनजोदड़ो के इतिहास में विनाश के कारण
Check Out: जानिए भारत में गुलाबी क्रांति कैसे शुरु हुई फिल्म भी बन चुकी है: मोहनजोदड़ोमोहनजोदड़ो का इतिहास इतना लोकप्रिय है कि मशहूर डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर ने इस पर 2016 में फिल्म बनाई थी मोहनजोदड़ो, इस फिल्म में रितिक रोशन व पूजा हेगड़े मेन रोल में थे। आशुतोष भव्य फिल्मों के लिए जाने जाते है, इससे पहले इन्होंने लगान, स्वदेश, जोधा अकबर आदि जैसी फ़िल्में बनाई हैं। Check Out: रेलवे परीक्षा 2021- पात्रता, परीक्षा पैटर्न, अनुसूचीऔर चयन प्रक्रिया रोचक तथ्य
Check Out: पीली क्रांति परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण FAQप्रश्न 1: मोहनजोदड़ो का सबसे बड़ा भवन कौन सा है? उत्तर: मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत अन्नागार या अन्नकोठार या धान्यागार है। यह 45.71 मी. लम्बा और 15.23 मी चौड़ा है। प्रश्न 2: मोहनजोदड़ो का अंत कैसे हुआ? उत्तर: वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके विनाश के कारण प्राकृतिक आपदा और जलवायु में बदलाव के कारण मानते हैं। कई लोग इसके विनाश का कारण भयंकर भूकंप बताते हैं। प्रश्न 3: मोहनजोदड़ो क्यों प्रसिद्ध है? उत्तर: मोहनजोदड़ो वह प्रसिद्ध स्थान है जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। मोहनजोदड़ो में की गई खुदाई से प्राप्त वस्तुओं से प्राचीन इतिहास समझने में बहुत मदद मिली है। प्रश्न 4: मोहनजोदड़ो की खोज किन-किन खोजकर्ताओं ने की थी? उत्तर: 1922 में राखालदास बेनर्जी जो पुरातत्व सर्वेक्षण के सदस्य थे, उन्होंने पाकिस्तान में सिंधु नदी के पास में खुदाई का काम किया था। उन्हें बुद्ध का स्तूप सबसे पहले दिखाई दिया। उसके बाद इस खोज को आगे बढ़ाते हुए 1924 में काशीनाथ नारायण व 1925 में जॉन मार्शल (ब्रिटिश) ने खुदाई का काम करवाया। प्रश्न 5: मोहनजोदड़ो का क्या मतलब होता है? और इसका निर्माण कब हुआ था? उत्तर: मोहनजोदड़ो का मतलब है मुर्दों का टीला, दक्षिण एशिया में बसे इस शहर को सबसे पुराना शहर माना जाता है, यह बहुत ही व्यवस्थित ढंग से बनाया गया था। पाकिस्तान के सिंध में 2600 BC के आस पास इसका निर्माण हुआ था। Check Out: स्किल डेवलपमेंट के ये कोर्स, सफलता की राह करेंगे आसान उम्मीद है कि आपको मोहनजोदड़ो वाला यह ब्लॉग खूब पसंंद आया होगा। इसके साथ ही इस ब्लॉग के जरिए आपको इतनी प्राचीन सभ्यता के बारे में काफी ज्यादा जानने को मिला होगा, यदि आपको हमारा यह ब्लॉग अच्छा लगा तो इसे आगे भी शेयर करे ताकि अन्य लोगों को भी मोहनजोदड़ो के इतिहास का पता लग सके। इसी तरह के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप हमारी Leverage Edu की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। मोहनजोदड़ो कहां है और क्यों प्रसिद्ध है?अनोखा है मोहनजोदड़ो का इतिहास
पाकिस्तान के सिंध में 2600 BC के आस पास इसका निर्माण हुआ था। खुदाई के दौरान इस शहर के बारे में लोगों को जानकारी हुई, इसमें बड़ी बड़ी इमारतें, जल कुंड, मजबूत दिवार वाले घर, सुंदर चित्रकारी, मिट्टी व धातु के बर्तन, मुद्राएँ, मूर्तियाँ, ईट, तराशे हुए पत्थर और भी बहुत सी चीजें मिली।
मोहनजोदड़ो क्यों प्रसिद्ध है इसके क्या लाभ है?मोहनजोदड़ो क्यों प्रसिद्ध है? इससे क्या लाभ हुआ? उत्तर - मोहनजोदड़ो वह प्रसिद्ध स्थान है जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। मोहनजोदड़ो में की गई खुदाई से प्राप्त वस्तुओं से प्राचीन इतिहास समझने में बहुत मदद मिली है।
मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित था?मोहन जोदड़ो पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत का एक पुरातात्विक स्थल है।
मोहनजोदड़ो का दूसरा नाम क्या है?मोहनजोदड़ो सिंधी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है मुर्दों का टीला। इसे मुअन जो दाड़ो भी कहा जाता है। हालांकि शहर का असली नाम अब भी किसी को नहीं पता लेकिन मोहनजोदाड़ो की पुरानी सील को देखकर पुरातत्वविदों ने एक द्रविड़ियन नाम पता लगाया जो है कुकूतर्मा। यह सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पुराना और नियोजित शहर था।
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