रिश्तों की अहमियत क्या होती है? - rishton kee ahamiyat kya hotee hai?

रिश्तों की अहमियत – ज़िंदगी में रिश्तों की बहुत अहमियत होते हैं, ये रिश्ते परिवार के साथ ही दोस्तीं के भी होते हैं, रिश्तों के बिना ज़िंदगी अधूरी और नीरस हो जाती है, लेकिन आजकल के लोग खुद में इतने बिज़ी हो गए हैं कि किसी भी रिश्ते के लिए समय नहीं निकालतें और न ही उसे अहमियत देते हैं.

शायद यही वजह है कि आजकल के लोग अकेलेपन और डिप्रेशन के ज़्यादा शिकार होते हैं.

रिश्तों की अहमियत क्या होती है? - rishton kee ahamiyat kya hotee hai?

हमेशा मोबाइल और कंप्यूटर पर बिज़ी रहने वाली आज की युवा पीढ़ी को रिश्ते बोझ लगने लगे हैं, घर में अगर दो रिश्तेदार आ जाए तो वो असहज हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि अब उनकी प्राइवेसी खत्म हो गई. रिश्तेदार तो छोड़िए वो तो अपने माता-पिता से भी ज़्यादा बात नहीं करते. कॉलेज या ऑफिस से आते ही अपने लैपटॉप या फोन पर बिज़ी हो जाते हैं, परिवार क्या होता है परिवार का साथ और अपनापन क्या होता है या सारी चीज़ें आज की युवा पीढी भूल चुकी है. कोई समस्या हुई तो भी किसी से कुछ कहते नहीं है और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं जिससे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं.

रिश्तों की अहमियत क्या होती है? - rishton kee ahamiyat kya hotee hai?

अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ मंजूर है इन्हें, मगर रिश्ते निभाना नहीं. हम शायद रिश्तों की अहमियत नहीं समझते – पहले लोग घर में साथ-साथ रहते थे, चाचा, काका, चाची, बुआ जैसे ढेरों रिश्तों के बीच पले बच्चे आजकल के बच्चों से ज़्यादा सामाजिक और संवेदनशील होते थे, कोई समस्या होने पर परिवार के किसी न किसी सदस्य से तो बात शेयर कर ही लेते थें जिससे समस्या का समाधान भी मिल जाता है था, मगर शहरों में बढ़ती न्यूक्लियर फैमिली ने रिश्तों की अहमियत को तो जैसे खत्म ही कर दिया है. पारिवारिक रिश्तों में समझ की कमी ने उन्हें बोझ बना दिया है.

रिश्तों की अहमियत क्या होती है? - rishton kee ahamiyat kya hotee hai?

वैसे परिवार के साथ ही एक रिश्ता और होता है जो बहुत अहम है और वो रिश्ता होता है दोस्ती का. हर किसी की ज़िंदगी में एक सच्चा दोस्त होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ये दोस्त ही होता जिससे हम अपनी सारी अच्छी-बुरी बातें करके दिल का बोझ हल्का कर सकते हैं. दोस्त हमें मुश्किल वक्त में रास्ता दिखाता है, हमारा साथ देता है और अजनबी शहर में जहां कोई अपना नहीं होता ये दोस्त ही है ज अपनेपन का एहसास कराता है, ऐसे में यदि आपके पास कोई अच्छा दोस्त है तो उससे दोस्ती कभी मत तोड़िएगा. रिश्तेदार मतलब होने पर ही आपका साथ देंगे, मगर दोस्त निःस्वार्थ भाव से आपका साथ देता है.

रिश्तों की अहमियत क्या होती है? - rishton kee ahamiyat kya hotee hai?

वैसे देखा जाए को हर रिश्ता अपनेआप में बहुत अहम होता है फिर चाहे वो परिवार का हो या दोस्ती का, मगर आजकल लोगों को ये बात समझ नहीं आती. अकेले होने पर हम किसी से अपने दिल की बात शेयर नहीं कर पातें, मुश्किल वक़्त में कोई हमें संभालने वाला नहीं होता ये लैपटॉप और मोबाइल किसी काम नहीं आते, उस वक़्त अपने लोगों की ज़रूरत होती है, रिश्तों की ज़रूरत होती है. रिश्तों से दूर होने के कारण ही आज की पीढ़ी बहुत स्वार्थी भी होती जा रही है उसे अपने आगे कुछ नहीं सूझता.

रिश्तों की अहमियत – यदि आप ज़िंदगी खुशी, सूकून और अपनापन चाहते हैं तो हर रिश्ते की वैल्यू करिए और उसे वक़्त दीजिए क्योंकि एक बार वक़्त निकल गया तो रिश्ते भी टूट जाएंगे. रिश्ते बोझ नहीं, ज़िंदगी में खुशी लाने का ज़रिया है.

समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज़्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं, अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से मिलते हैं। अमीर रिश्तेदारों का सम्मान करते हैं, उनसे मिलने को आतुर रहते हैं जबकि गरीब रिश्तेदारों से कतराते हैं। केवल स्वार्थ सिद्धि की अहमियत रह गई है। आए दिन हम अखबारों में समाचार पढ़ते हैं कि ज़मीन जाय़दाद, पैसे जेवर के लिए लोग घिनौने से घिनौना कार्य कर जाते हैं (हत्या अपहरण आदि)। इसी प्रकार इस कहानी में भी पुलिस न पहुँचती तो परिवार वाले मंहत जी (काका की) हत्या ही कर देते। उन्हें यह अफसोस रहा कि वे काका को मार नहीं पाए।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 B)

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रिश्तों की अहमियत क्या है?

समाज में रिश्तों-नातों का एक विशेष स्थान है। सामाजिक जीवन को सुचारू रखने के किए इनकी महत्त्ता को कोई नजरंदाज नहीं कर सकता है। आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज़्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं, अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से मिलते हैं।

समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है हरिहर काका पाठ के आधार पर?

Solution : समाज में रिश्तों की यह अहमियत है कि आधुनिक परिवर्तित समाज तथा रिश्तों में बदलाव आ रहा है। परिवार और रिश्ते दोनों ही अपनी भूमिका छोड़ रहे हैं। उनमें स्वार्थ लोलुपता आती जा रही है। कथावस्तु के आधार पर हरिहर काका एक वृद्ध नि:संतान व्यक्ति हैं, वैसे उनका भरा-पूरा संयुक्त परिवार है।

रिश्तों को कैसे समझे?

5 टिप्स: रिश्तों को सुधारें ऐसे.
साथ में ज्यादा समय व्यतीत करें अपने पार्टनर के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं. ऐसा करने से आप दोनों के बीच मन-मुटाव दूर होगा और आप एक दूसरे को अच्छे से समझ भी पाएंगे. ... .
एक दूसरे को स्पेस दें कभी-कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं जिनमें केवल आप खुद को समझ सकते हैं..

रिश्ते क्यों जरूरी है?

1. पर्सनल डेवलपमेंट में मदद करता है (Helps In Personal Development) एक रिश्ते में पर्सनल स्पेस दोनों लोगों को अपने और अपने साथी काे समझने की अनुमति देती है, जिससे उनका पर्सनल डेवलपमेंट होता है। यदि कपल्स इसका उपयोग खुद को बेहतर बनाने के लिए करते हैं, तो वे एक-दूसरे की सफलताओं का जश्न मिलकर मना सकते हैं।