फागुन के बाद कौन सा महीना है? - phaagun ke baad kaun sa maheena hai?

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फाल्गुन माह में ही चंद्र देव का जन्म माना जाता है, मन की चंचलता पर रोक लगाने के लिए चंद्र देव को जल अर्पित किया जाता है।

हिंदू पंचाग का आखिरी महीना होता है फाल्गुन, इसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र पहला माह होता है और फाल्गुन आखिरी माह माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 1 फरवरी से लेकर 2 मार्च तक फाल्गुन माह रहेगा। इस माह में दो महत्वपूर्ण पर्व आते हैं जो हिंदू धर्म में अपना खास महत्व रखते हैं। महाशिवरात्रि, इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है और होली, इस दिन होलिका दहन किया जाता है और अगली सुबह रंगों से होली खेली जाती है। फाल्गुन माह में ही चंद्र देव का जन्म माना जाता है, इस कारण से फाल्गुन में चंद्र देव का पूजन शुभ माना जाता है। इस माह में ऋतु में बड़ा परिवर्तन हो रहा होता, बसंत ऋतु के समय नए फूल आ रहे होते हैं जो प्रकृति को खूबसूरत बनाते हैं।

फाल्गुन माह के व्रत और त्योहार-
जानकी जयंती- फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता सीता जयंती के रुप में मनाया जाता है। इस दिन माता सीता का जन्म मानकर उनकी पूजा आराधना की जाती है।

विजया एकादशी- फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन एकादशी के व्रत का महत्व होता है और भगवान विष्णु को आराध्य मानकर पूजा जाता है। इस दिन व्रत करने की महत्वता है।

महाशिवरात्रि- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना की जाती है, इस दिन लोग व्रत करके शिव-पार्वती का ब्याह रचाते हैं।

फाल्गुनी अमावस्या- इस दिन को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, इस दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए दान-तर्पण करते हैं। इस अमावस्या को श्राद्ध पूजन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

आमलकी एकादशी- फाल्गुन की शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस उपवास को करना शुभ माना जाता है। सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना हेतु इस दिन उपवास करने का महत्व है।

होली- फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है और होलिका पूजन करके शाम के समय दहन किया जाता है। होली दहन के अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। इस पर्व का एक अपना धार्मिक महत्व माना जाता है।

फागुन के बाद कौन सा महीना है? - phaagun ke baad kaun sa maheena hai?

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन साल का आखिरी महीना होता है. कई बड़े तीज-त्योहार को अपने भीतर ​समेटे फाल्गुन मास (Falgun Month 2022) कब से शुरु हो रहा है और इसमें पूजा, जप, तप और दान का क्या है महत्व, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

फागुन के बाद कौन सा महीना है? - phaagun ke baad kaun sa maheena hai?

फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व और उपाय

Image Credit source: pixabay.com

हिंदी महीनों में फाल्गुन मास (Falgun Month)  का नाम आते ही लोगों के मन में एक नई उमंग और उत्साह आ जाता है क्योंकि इसी पावन मास में रंगों का त्योहार होली (Holi 2022) मनाया जाता है. यह पावन मास न सिर्फ होली बल्कि शिव की साधना के लिए सबसे बड़ी रात्रि यानि महाशिवरात्रि (MahaShivratri 2022) के लिए भी जाना जाता है. पंचांग (Panchang) के आखिरी महीना फाल्गुन मास (Phalgun Month)  इस साल फाल्गुन मास 17 फरवरी 2022 से शुरु होकर 18 मार्च तक रहेगा. इस पावन मास का न सिर्फ धार्मिक-आध्यात्मिक बल्कि मनोवैज्ञानिक महत्व भी है, जो कि हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों के बीच सकारात्मक रहने का संदेश देता है. आइए जानते हैं कि इस पावन फाल्गुन मास में किस पूजा और दान से हमारा कल्याण होता है.

फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व

फाल्गुन मास में भगवान विष्णु और शिव दोनों की साधना से जुड़े दो बड़े पर्व आते हैं. फाल्गुन मास (Falgun Maas) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जहां महाशिवरात्रि का पर्व आता है. जिसमें भगवान शिव की पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है. रात्रि के चार प्रहर होते हैं, और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है. इसी प्रकार फाल्गुन शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली आमलकी एकादशी का व्रत आता है.

कान्हा की भक्ति से पूरी होगी कामना

फाल्गुन मास में भगवान कृष्ण की साधना-आराधना का विशेष महत्व है. इस मास में भगवान कृष्ण के तीन स्वरूप – बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण की पूजा की जा सकती है. ऐसे में जिन लोगों की संतान सुख की चाह है, उन्हें बाल कृष्ण की और जिन्हें दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य की चाह है, उन्हें युवा कृष्ण की और जिन्हे जीवन में मोक्ष और वैराग्य की तलाश है, उन्हें गुरू कृष्ण की साधना करनी चाहिए.

फाल्गुन मास का दान

फाल्गुन मास में दान का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. इस महीने में अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को दान और पितरों के निमित्त तर्पण आदि अवश्य करना चाहिए. फाल्‍गुन मास में शुद्ध घी, तिल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि का दान अत्यंत ही पुण्य फल प्रदान करने वाला माना गया है.

फाल्गुन मास के प्रमुख पर्व

फाल्गुन मास के प्रमुख पर्व विजया एकादशी – 26 फरवरी 2022 महा शिवरात्रि – 01 मार्च 20222 फाल्गुन अमावस्या – 02 मार्च 2022 फुलैरा दूज – 04 मार्च 2022 आमलकी एकादशी – 14 मार्च 2022 होलिका दहन – 17 मार्च 2022 होली – 18 मार्च 2022

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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फागुन महीने के बाद कौन सा महीना आता है?

हिंदी कैलेंडर की शुरुआत चैत्र महीने से होती है और इसका अंत फाल्गुन महीने के साथ होता है. हिंदी कैलेंडर में आने वाले महीनों के नाम इस प्रकार हैं- चैत्र, बैसाखी, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन.

फागुन महीना कब तक है?

इस साल फाल्गुन मास 17 फरवरी 2022 से शुरु होकर 18 मार्च तक रहेगा.

फागुन के महीने को हिंदी में क्या कहते हैं?

फाल्गुन का महीना हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना है. इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है. इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है.

फागुन का महीना कब से शुरू हो रहा है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन का महीना 17 फरवरी, गुरुवार से आरंभ होगा. इस दिन मघा नक्षत्र रहेगा और चंद्रमा सिंह राशि में विराजमान रहेगा. फाल्गुन महीना कब समाप्त होगा? पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीना 18 मार्च 2022, शुक्रवार को समाप्त होगा.