बहादुर शाह जफर के पुत्रों की मृत्यु कैसे हुई? - bahaadur shaah japhar ke putron kee mrtyu kaise huee?

नई दिल्ली. इतिहास (History) के पन्नों को पलटेंगे तो कई ऐसी रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आएंगे जिन्हें पहले कभी नहीं जानते थे. एक अक्तूबर (26 october 2022) को पूरी दुनिया में बेहद खास घटनाएं घटी जिन्हें जानना हर नागरिक के लिए जरूरी है. बहुत सी घटनाएं बेहद सुखुद रहीं तो बहुत से हादसों में पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया. यूपी सिटी आपको 26 अक्तूबर के इतिहास को आपके सामने रखने जा रहा है. जो बेहद महत्वपूर्ण है.

हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया
बहादुर शाह ज़फर (1775-1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह और उर्दू के जानेे-माने शायर थे. उन्होंने 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया. युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई.
जब मेजर हडसन मुगल सम्राट को गिरफ्तार करने के लिए हुमायूं के मकबरे में पहुँचा, जहाँ पर बहादुर शाह ज़फर अपने दो बेटों के साथ छुपे हुए थे तो उसने (मेजर हडसन) की स्वयं उर्दू का थोड़ा ज्ञान रखता था ,कहा -

"दमदमे में दम नहीं है ख़ैर माँगो जान की.. ऐ ज़फर ठंडी हुई अब तेग हिंदुस्तान की.."

इस पर ज़फ़र ने उत्तर दिया..."ग़ाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की.. तख़्त ए लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की."

पुत्रों और प्रपौत्रों को ब्रिटिश अधिकारियों ने सरेआम गोलियों से भून डाला
इनका का जन्म 24 अक्तूबर, 1775 में हुआ था. उनके पिता अकबर शाह द्वितीय और माँ लालबाई थीं. अपने पिता की मृत्यु के बाद जफर को 28 सितंबर, 1837 में मुगल बादशाह बनाया गया. यह दीगर बात थी कि उस समय तक दिल्ली की सल्तनत बेहद कमजोर हो गई थी और मुगल बादशाह नाममात्र का सम्राट रह गया था.
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जफर को भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी. उनके पुत्रों और प्रपौत्रों को ब्रिटिश अधिकारियों ने सरेआम गोलियों से भून डाला. यही नहीं, उन्हें बंदी बनाकर रंगून ले जाया गया, जहां उन्होंने सात नवंबर, 1862 में एक बंदी के रूप में दम तोड़ा.

रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया
उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया. उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है. आज भी कोई देशप्रेमी व्यक्ति जब तत्कालीन बर्मा (म्यंमार) की यात्रा करता है तो वह जफर की मजार पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देना नहीं भूलता. लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है. बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है.

बहादुर शाह जफर को राजा-महाराजाओं ने हिंदुस्तान का सम्राट माना
1857 में जब हिंदुस्तान की आजादी की चिंगारी भड़की तो सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना और उनके नेतृत्व में अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी. अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों की बगावत को देख बहादुर शाह जफर का भी गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अंग्रेजों को हिंदुस्तान से खदेड़ने का आह्वान कर डाला. भारतीयों ने दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में अंग्रेजों को कड़ी शिकस्त दी.

शुरुआती परिणाम हिंदुस्तानी योद्धाओं के पक्ष में रहे, लेकिन बाद में अंग्रेजों के छल-कपट के चलते प्रथम स्वाधीनता संग्राम का रुख बदल गया और अंग्रेज बगावत को दबाने में कामयाब हो गए. बहादुर शाह जफर ने हुमायूं के मकबरे में शरण ली, लेकिन मेजर हडसन ने उन्हें उनके बेटे मिर्जा मुगल और खिजर सुल्तान व पोते अबू बकर के साथ पकड़ लिया.

इसे सुनेंरोकें’शहज़ादा मुअज्ज़म’ कहलाने वाले बहादुरशाह, बादशाह औरंगज़ेब का दूसरा पुत्र था। अपने पिता के भाई और प्रतिद्वंद्वी शाहशुजा के साथ बड़े भाई के मिल जाने के बाद शहज़ादा मुअज्ज़म ही औरंगज़ेब के संभावी उत्तराधिकारी बना। बहादुर शाह प्रथम को ‘शाहआलम प्रथम’ या ‘आलमशाह प्रथम’ के नाम से भी जाना जाता है।

कौन सा मुगल शासक अपना अंतिम समय जेल में बिताया?

इसे सुनेंरोकेंआखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मौत 1862 में 87 साल की उम्र में बर्मा (अब म्यांमार) की तत्कालीन राजधानी रंगून (अब यांगून) की एक जेल में हुई थी, लेकिन उनकी दरगाह 132 साल बाद 1994 में बनी.

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वह कौन सा शासक था जिसकी मौत लू लगने से हुई थी?

इसे सुनेंरोकेंसिकंदर लोदी(बचपन का नामः निजाम खां, मृत्यु २१ नवंबर, १५१७) लोदी वंश का द्वितीय शासक था। अपने पिता बहलूल खान लोदी की मृत्यु जुलाई १७, १४८९ उपरांत यह सुल्तान बना।

बहादुर शाह जफर की मृत्यु कब और कहां हुई?

इसे सुनेंरोकें7 नवंबर 1862 को उनकी मौत हो गई. जब उनकी मौत हुई वो अंग्रेज़ों की कैद में भारत से दूर रंगून में थे.

बहादुर शाह की मृत्यु कब हुई?

अकबर के पूरे खानदान का नाम?

इसे सुनेंरोकेंसम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था।

औरंगजेब का वजीर कौन था?

इसे सुनेंरोकेंगोलकुण्डा का अंतिम कुतुबशाही शासक अबुल हसन था, इसका वजीर मदन्ना पंडित था।

मुगल काल का आखिरी शासक कौन था?

इसे सुनेंरोकें6 नवंबर 1862 को भारत के आखिरी मुग़ल शासक बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय या मिर्ज़ा अबूज़फ़र सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फ़र को लकवे का तीसरा दौरा पड़ा और 7 नवंबर की सुबह 5 बजे उनका देहांत हो गया.

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मुगल काल कब से कब तक?

इसे सुनेंरोकेंमध्य-16 वीं शताब्दी और 17-वीं शताब्दी के अंत के बीच मुग़ल साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुख शक्ति थी। 1526 में स्थापित, यह नाममात्र 1857 तक बचा रहा, जब वह ब्रिटिश राज द्वारा हटाया गया। यह राजवंश कभी कभी तिमुरिड राजवंश के नाम से जाना जाता है क्योंकि बाबर तैमूर का वंशज था।

दिल्ली का अंतिम बादशाह कौन था?

इसे सुनेंरोकेंदिल्ली के मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के आत्मसमर्पण की तस्वीर. उन्हें दिल्ली से बर्मा ले जाया गया था. सितंबर में म्यांमार के अपने दो दिन के दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम मुग़ल शासक बहादुर शाह ज़फ़र की मज़ार पर गए थे.

जहां दार शाह का पुत्र कौन था?

आलमगीर द्वितीय
Azz-ud-din MirzaIzz-ud-Din BahadurA’az-ud-Din Wali Ahd Bahadur
जहांदार शाह/बेटे

जहां दार शाह का मकबरा कहां है?

जहांदार शाह(1712-1713) हिन्दुस्तान का मुगल सम्राट था। इसने यहां 1712-1713 तक राज्य किया।…

जहांदार शाहजन्म१० मई १६६१निधनफ़रवरी 12, 1713 (उम्र 51) दिल्लीजीवनसंगीलाल कुंवरराजवंशतैमूरी

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अकबर शाह आदित्य?

इसे सुनेंरोकेंअकबर द्वितीय का जन्म 22 अप्रैल 1760 को मुकुंदपुर में हुआ था जब उनके पिता शाह आलम द्वितीय दिल्ली से भाग गए थे और पूरे भारत में थे और वापस सम्राट बनने का सपना देख रहे थे। 1781 में होने वाले वारिस का दर्जा प्राप्त हुआ। और अकबर द्वितीय को मुगल सम्राट का वारिस घोषित किया गया।

जहांदार शाह के कितने पुत्र थे?

इसे सुनेंरोकेंजहाँदारशाह (अंग्रेज़ी: Jahandar Shah, जन्म- 9 मई, 1661, दक्कन; मृत्यु- 12 फ़रवरी, 1713, दिल्ली) बहादुरशाह प्रथम के चार पुत्रों में से एक था। बहादुरशाह प्रथम के मरने के बाद उसके चारों पुत्रों ‘जहाँदारशाह’, ‘अजीमुश्शान’, ‘रफ़ीउश्शान’ एवं ‘जहानशाह’ में उत्तराधिकार के लिए संघर्ष छिड़ गया।

अजीमुश्शान कौन था?

फ़र्रुख़सियर (अंग्रेज़ी: Farrukhsiyar, जन्म- 20 अगस्त, 1685, औरंगाबाद; मृत्यु- 28 अप्रॅल, 1719, दिल्ली) मुग़ल वंश के अजीमुश्शान का पुत्र था।…

बहादुर शाह जफर के पुत्रों की हत्या कैसे हुई?

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जफर को भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। उनके पुत्रों और प्रपौत्रों को ब्रिटिश अधिकारियों ने सरेआम गोलियों से भून डाला। यही नहीं, उन्हें बंदी बनाकर रंगून ले जाया गया, जहां उन्होंने सात नवंबर, 1862 में एक बंदी के रूप में दम तोड़ा।

बहादुर शाह जफर के दो बेटों का क्या हुआ?

1858 में अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर को सरेंडर के बदले निर्वासन की शर्त रखी। जफर को बर्मा (अब म्‍यांमार) के रंगून भेजा गया। उनके साथ रंगून जाने वालों में मिर्जा जवान बख्‍त और मिर्जाशाह अब्बास, दोनों थे। जफर की तरह उनके बेटों ने भी रंगून में ही दम तोड़ा।

बहादुर शाह जफर की कितनी पत्नियां थी?

बहादुर शाह जफर की चार पत्नियां और कई उप-पत्‍नियां थीं. 1840 में बहादुर शाह जफर ने पहली पत्‍नी जीनत महल से शादी की.

बहादुर शाह जफर के कितने पुत्र थे?

ज़फ़र के साथ उनकी पत्नी ज़ीनत महल और उनके दो बेटे, मिर्ज़ा जवान बख़्त और मिर्ज़ा शाह अब्बास थे