खेलन में को काको गुसैयाँ पद के भाषा कौन सी है 1⃣ अवधि 2⃣ ब्रज 3⃣ मैथिली 4⃣ खड़ी बोली - khelan mein ko kaako gusaiyaan pad ke bhaasha kaun see hai 1⃣ avadhi 2⃣ braj 3⃣ maithilee 4⃣ khadee bolee

खेलत मैं को काको गुसैयाँ ।
हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबसहीं कत करत रिसैयाँ ॥
जात-पाँति हम ते बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ ।
अति धिकार जनावत यातैं, जातैं अधिक तुम्हारैं गैयाँ !
रुहठि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ सब ग्वैयाँ ॥
सूरदास प्रभु खेल्यौइ चाहत, दाउँ दियौ करि नंद-दहैयाँ ॥


भावार्थ :-- (सखाओं ने कहा-) `श्याम! खेलने में कौन किसका स्वामी है (तुम व्रजराज के लाड़िले हो तो क्या हो गया ) । तुम हार गये हो और श्रीदामा जीत गये हैं, फिर झूठ-मूठ झगड़ा करते हो ? जाति-पाँति तुम्हारी हम से बड़ी नहीं है (तुम भी गोप ही हो) ओर हम तुम्हारी छाया के नीचे (तुम्हारे अधिकार एवं संरक्षण में) बसते भी नहीं हैं । तुम अत्यन्त अधिकार इसीलिये तो दिखलाते हो कि तुम्हारे घर (हम सब से) अधिक गाएँ हैं ! जो रूठने-रुठाने का काम करे, उसके साथ कौन खेले ।' (यह कहकर) सब साथी जहाँ-तहाँ खेल छोड़कर बैठ गये । सूरदास जी कहते हैं कि मेरे स्वामी तो खेलना ही चाहते थे, इसलिये नन्दबाबा की शपथ खाकर (कि बाबा की शपथ मैं फिर ऐसा झगड़ा नहीं करूँगा ) दाव दे दिया ।

* खेलन में को काको गुसैयाँ पद के भाषा कौन सी है?

पद में कृष्ण और सुदामा के मध्यम हार-जीत को लेकर तकरार हुई है। सुदामा खेल में जीत गए हैं और कृष्ण हार गए हैं। अपनी हार पर कृष्ण नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनकी इस बात से सुदामा और अन्य साथी भी नाराज़ हो जाते हैं।

इस पद की भाषा क्या है * I अवधी भाषा II ब्रज भाषा III बिहारी भाषा IV राजस्थानी भाषा?

विक्रम की १३वीं शताब्दी से लेकर २०वीं शताब्दी तक ब्रजभाषा भारत के मध्यदेश की मुख्य साहित्यिक भाषा एवं साथ ही साथ समस्त भारत की साहित्यिक भाषा थी। ... .

मुरली तऊ गुपालहिं भावति कथन किसका है?

खंड-ग (पाठ्यपुस्तक तथा अनुपूरक पाठ्यपुस्तक पर आधारित ) निम्नलिखित काव्यांशपर आधारित दिए गए पाँच प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए - 5 मुरली तऊ गुपालहिं भावति । सुनि री सखी जदपि नंदलालहिं, नाना भाँति नचावति ।। राखति एक पाई ठाढ़ौ करि, अति अधिकार जनावति ।। कोमल तन आज्ञा करवावति, कटि टेढ़ौ ह्वै आवति ।।

सूरदास जी की भाषा क्या है?

ब्रजभाषा की सृजनात्मकता सूरदास की काव्य-भाषा व्रज है।