निवेश गुणक से आप क्या समझते हैं इसकी गणना कैसे की जाती है उदाहरण सहित बताइए? - nivesh gunak se aap kya samajhate hain isakee ganana kaise kee jaatee hai udaaharan sahit bataie?

अर्थशास्त्र में गुणक का प्रयोग सबसे पहले आर. एफ. काहन ने अपने लेख “The Relation of Home Investment to Unemployment” में 1931 में किया था जिसे रोजगार गुणक कहा जाता है। केन्ज ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The General Theory of Employment,Interest and Money” 1936 में निवेश गुणक का प्रतिपादन किया है।

गुणक से अभिप्राय निवेश में होने वाले परिवर्तन के कारण आय में होने वाले परिवर्तन से है। जब निवेश में वृद्धि होती है तो आय में उतनी ही वृद्धि नहीं होती जितनी के निवेश में वृद्धि हुई है बल्कि आय में निवेश की वृद्धि की तुलना में कई  गुणा अधिक वृद्धि होती है जितने गुणा यह वृद्धि होती है उसे ही गुणक कहते है।

केन्ज का गुणक का सिद्धान्त निवेश तथा आय में सम्बन्ध स्थापित करता है। इसलिए इसे निवेश गुणक कहते है।

निवेश गुणक की प्रक्रिया

गुणक की प्रक्रिया का विश्लेषण दो प्रकार से किया जा सकता है:

1.  तुलनात्मक अगत्यात्मक विश्लेषण

केन्ज की गुणक की धारणा तुलनात्मक अगत्यात्मक धारणा है जो बताती है कि निवेश में होने वाले परिवर्तन के कारण आय में अन्तिम रूप से कितना परिवर्तन होगा।

तुलनात्मक अगत्यात्मक विश्लेषण में गुणक प्रक्रिया दो प्रकार होती है:

(i) गुणक की अनुकूल प्रक्रिया (Forward Action of the Multiplier):गुणक की अनुकूल प्रक्रिया के अन्तर्गत निवेष में होने वाली वृद्धि के कारण आय में कई गुणा अधिक वृद्धि होती है।

(ii) गुणक की प्रतिकूल प्रक्रिया (Backward Action of the Multiplier):गुणक की प्रतिकूल प्रक्रिया के अन्तर्गत निवेश में प्रारम्भिक कमी के कारण आय में कई गुणा अधिक कमी होती है।

2.  गत्यात्मक विश्लेषण

केन्ज की गुणक धारणा से यह तो पता चलता है कि निवेष में वृद्धि होने से आय में कितने गुणा वृद्धि होती है। लेकिन यह पता नहीं चलता कि यह वृद्धि कैसे और किस समय अन्तर से होती है। आधुनिक अर्थषास्त्री गुणक का गत्यात्मक रुप में अध्ययन करते हैं। निवेष में परिवर्तन से आय में परिवर्तन के बीच जो समय अन्तराल(Time Lag)होता है उस दौरान अन्य तत्वों जैसे निवेष, उपभोग व्यय आदि में वृद्धि होती है जिसका प्रभाव आय पर पड़ता है। इस प्रकार का गुणक अल्पकालीन और दीर्घकालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखता है। हैन्सन ने इसे वास्तविक गुणक (True Multiplier)कहा है।

गुणक के सिद्धान्त का महत्व

गुणक के सिद्धान्त का सैद्धान्तिक महत्व के साथ-साथ व्यावहारिक महत्व भी काफी अधिक है। रोजगार के सिद्धान्त में इस धारणा का महत्व निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:

1. आय प्रजनन: गुणक की धारणा से यह पता चलता है कि आय प्रजनन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और रोजगार, आय और उत्पादन में वृद्धि निवेश में होने वाली वृद्धि के कारण होती है।

2. निवेश का महत्व: गुणक के अध्ययन से निवेश का महत्व स्पष्ट हो जाता है। निवेश में की जाने वाली प्रारम्भिक वृद्धि के फलस्वरुप ही आय में कई  गुणा अधिक वृद्धि होती है।

3. व्यापार चक्र: मन्दी और तेजी का अवस्था अर्थात् व्यापार चक्रों को गुणक की सहायता से समझने में मदद मिलती है।

4. पूर्ण रोजगार: पूर्ण रोजगार के सम्बन्ध में नीति बनाने में गुणक की धारणा काफी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

5. बचत और निवेश में सन्तुलन: केन्ज के रोजगार सिद्धान्त में सन्तुलन की अवस्था वहीं पर निर्धारित होती है जहां बचत और निवेश एक दूसरे के बराबर होते है। बचत और निवेश में सन्तुलन की अवस्था प्राप्त करने के लिए गुणक की धारणा लाभप्रद सिद्ध हो सकती है।

6. सार्वजनिक निवेश: गुणक की धारणा का प्रयोग केन्ज ने सार्वजनिक निवेश अर्थात् सरकार द्वारा किये गये निवेश के महत्व को स्पष्ट करने के लिए भी किया है।

गुणक की आलोचनाएं

गुणक के सिद्धान्त की मुख्य आलोचनाओं की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है:

  1. निवेश और आय में कोई स्पष्ट, पूर्वनिश्चित या यान्त्रिक सम्बन्ध नहीं है जैसा कि केन्ज की गुणक धारणा में माना गया है।
  2. गुणक के सिद्धान्त की इसलिए भी आलोचना की है क्योंकि गलत है और निवेश की समानता के सम्बन्ध में केन्ज के जो धारणा दी है, गुणक का सिद्धान्त उसका ही विरोधी है।
  3. यह भी आलोचना की गई है कि उपभोग केवल आय पर ही निर्भर नहीं करता है बल्कि उस पर दूसरे तत्वों का भी प्रभाव पड़ता है।
  4. इस सिद्धान्त में त्वरक के प्रभाव की अवहेलना की गयी है जबकि त्वरक के कारण गुणक का प्रभाव कई गुणा बढ़ जाता है।
  5. घाटे की वित्त व्यवस्था को अनावश्यक अधिक महत्व दिया गया है क्योंकि मुख्य रुप से यह एक राजनैतिक उपाय है जिसका सरकार अक्सर गलत प्रयोग करती है।

निवेश गुणक से आप क्या समझते हैं इसकी गणना कैसे की जाती है?

जब निवेश में वृद्धि होती है तो आय में उतनी ही वृद्धि नहीं होती जितनी के निवेश में वृद्धि हुई है बल्कि आय में निवेश की वृद्धि की तुलना में कई गुणा अधिक वृद्धि होती है जितने गुणा यह वृद्धि होती है उसे ही गुणक कहते है। केन्ज का गुणक का सिद्धान्त निवेश तथा आय में सम्बन्ध स्थापित करता है। इसलिए इसे निवेश गुणक कहते है।

निवेश गुणक से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित समझाइए?

की आय - वृद्धि होती है, तो उपभोग में 80 रू. हम सीमान्त बचत प्रवत्ति (MPS) को आय में वृद्धि होने पर बचत में परिवर्तन की दर के रूप में परिभाषित करते हैं। उत्पादक की माल-सूची (तैयार माल का स्टॉक) में परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया जाता है। ध्यान दें कि निवेश वस्तुएँ (जैसे-मशीन) भी अंतिम वस्तुओं का भाग हैं

निवेश से आप क्या समझते हैं?

एक ओर, सही जगह पर पैसा निवेश करना धन निर्माण की प्रक्रिया में आपकी सहायता कर सकता है। दूसरी ओर, निवेशक नए खिलाड़ियों को सलाह देते हैं कि वे केवल उस हिस्से का निवेश करें जो उनके पास अपने आपातकालीन धन को अलग करने के बाद बच जाता है।

निवेश गुणांक का सूत्र क्या है?

Solution : विनियोग गुणक-विनियोग में वृद्धि के फलस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि के अनुपात को विनियोग गुणक कहते हैं। सूत्र के रूप में- <br> `("आय में परिवर्तन"(DeltaY))/("विनियोग में परिवर्तन"(DeltaY))` <br> संक्षेप में, विनियोग गुणक से अभिप्राय विनियोग में परिवर्तन और आय में - परिवर्तन के अनुपात से है।