एकादशी व्रत करने से क्या फायदे होते हैं? - ekaadashee vrat karane se kya phaayade hote hain?

माह में 2 एकादशियां होती हैं अर्थात आपको माह में बस 2 बार और वर्ष के 365 दिनों में मात्र 24 बार ही नियमपूर्वक एकादशी व्रत रखना है। हालांकि प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 2 एकादशियां जुड़कर ये कुल 26 होती हैं।


-पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उसके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।

-इस एकादशी व्रत के करने के 26 फायदे हैं- व्यक्ति निरोगी रहता है, राक्षस, भूत-पिशाच आदि योनि से छुटकारा मिलता है, पापों का नाश होता है, संकटों से मुक्ति मिलती है, सर्वकार्य सिद्ध होते हैं, सौभाग्य प्राप्त होता है, मोक्ष मिलता है, विवाह बाधा समाप्त होती है, धन और समृद्धि आती है, शांति मिलती है, मोह-माया और बंधनों से मुक्ति मिलती है, हर प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं, खुशियां मिलती हैं, सिद्धि प्राप्त होती है, उपद्रव शांत होते हैं, दरिद्रता दूर होती है, खोया हुआ सबकुछ फिर से प्राप्त हो जाता है, पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है, भाग्य जाग्रत होता है, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, पुत्र प्राप्ति होती है, शत्रुओं का नाश होता है, सभी रोगों का नाश होता है, कीर्ति और प्रसिद्धि प्राप्त होती है, वाजपेय और अश्‍वमेध यज्ञ का फल मिलता है और हर कार्य में सफलता मिलती है।

आओ अब जानते हैं कि किस माह में आती है कौन-सी एकादशी?

-चैत्र माह में कामदा और पापमोचिनी एकादशी आती है। कामदा से राक्षस आदि की योनि से छुटकारा मिलता है और यह सर्वकार्य सिद्धि करती है तो पापमोचिनी एकादशी व्रत से पाप का नाश होता है और संकटों से मुक्ति मिलती है।

-वैशाख में वरुथिनी और मोहिनी एकादशी आती है। वरुथिनी सौभाग्य देने, सब पापों को नष्ट करने तथा मोक्ष देने वाली है तो मोहिनी एकादशी विवाह, सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करती है, साथ ही मोह-माया के बंधनों से मुक्त करती है।

-ज्येष्ठ माह में अपरा और निर्जला एकादशी आती है। अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और निर्जला का अर्थ निराहार और निर्जल रहकर व्रत करना है। इसके करने से हर प्रकार की मनोरथ सिद्धि होती है।

-आषाढ़ माह में योगिनी और देवशयनी एकादशी आती है। योगिनी एकादशी से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और व्यक्ति पारिवारिक सुख पाता है। देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सिद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत सभी उपद्रवों को शांत कर सुखी बनाता है।

*श्रावण माह में कामिका और पुत्रदा एकादशी आती है। कामिका एकादशी का व्रत सभी पापों से मुक्त कर जीव को कुयोनि को प्राप्त नहीं होने देता है। पुत्रदा एकादशी करने से संतान सुख प्राप्त होता है।

-भाद्रपद में अजा और परिवर्तिनी एकादशी आती है। अजा एकादशी से पुत्र पर कोई संकट नहीं आता, दरिद्रता दूर हो जाती है, खोया हुआ सबकुछ पुन: प्राप्त हो जाता है। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है।

-आश्‍विन माह में इंदिरा एवं पापांकुशा एकादशी आती है। पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली इंदिरा एकादशी के व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति होती है जबकि पापांकुशा एकादशी सभी पापों से मुक्त कर अपार धन, समृद्धि और सुख देती है।

*कार्तिक में रमा और प्रबोधिनी एकादशी आती है। रमा एकादशी व्रत करने से सभी सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है। इस दिन तुलसी पूजा होती है।

-मार्गशीर्ष में उत्पन्ना और मोक्षदा एकादशी आती है। उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से हजार वाजपेय और अश्‍वमेध यज्ञ का फल मिलता है। इससे देवता और पितर तृप्त होते हैं। मोक्षदा एकादशी मोक्ष देने वाली होती है।

-पौष में सफला एवं पुत्रदा एकादशी आती है। सफला एकादशी सफल करने वाली होती है। सफला व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए।

-माघ में षटतिला और जया एकादशी आती है। षटतिला एकादशी व्रत रखने से दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। जया एकादशी व्रत रखने से ब्रह्महत्यादि पापों से छुट व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है तथा भूत-पिशाच आदि योनियों में नहीं जाता है।

-फाल्गुन में विजया और आमलकी एकादशी आती है। विजया एकादशी से भयंकर परेशानी से व्यक्ति छुटकारा पाता है और इससे श‍त्रुओं का नाश होता है। आमलकी एकादशी में आंवले का महत्व है। इसे करने से व्यक्ति सभी तरह के रोगों से मुक्त हो जाता है, साथ ही वह हर कार्य में सफल होता है।

-अधिकमास माह में पद्मिनी (कमला) एवं परमा एकादशी आती है। पद्मिनी एकादशी का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है, साथ ही यह पुत्र, कीर्ति और मोक्ष देने वाला है। परमा एकादशी धन-वैभव देती है तथा पापों का नाश कर उत्तम गति भी प्रदान करने वाली होती है।

उक्त दोनों तिथियों पर व्रत रखने का लाभ : दोनों ही तिथियां चंद्र से संबंधित है। जोभी व्यक्ति दोनों में से एक या दोनों ही तिथियों पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना है उसका चंद्र कैसा भी खराब हो वह सुधरने लगता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। दोनों ही व्रतों का संबंध चंद्र के सुधारने और भाग्य को जाग्रत करने से है अत: किसी भी देव का पूजन करें।

चंद्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब या अच्छी होती है। चंद्रमा की स्थिति का प्रत्येक व्यक्ति पर असर पड़ता ही पड़ता है। ऐसी दशा में एकादशी का ठीक से व्रत रखने पर, सही तरीके से व्रत रखने पर आप चंद्रमा के खराब प्रभाव को, नकारात्मक प्रभाव को रोक सकते हैं। चंद्रमा ही नहीं यहां तक की बाकी ग्रहों के असर को भी आप बहुत हद तक कम कर सकते हैं। एकादशी के व्रत का प्रभाव आपके मन और शरीर दोनों पर पड़ता है।

एकादशी के व्रत से आप अशुभ संस्कारों को भी नष्ट कर सकते हैं। पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है। विजया एकादशी से भयंकर से भयंकर परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। इससे आप अपने श‍त्रुओं को भी परास्त कर सकते हैं। सभी का महत्व उनके नाम से ही प्रकट होता है।...प्रदोष व्रत के सबसे ज्यादा लाभ पढ़ें अगले पन्नों पर..

अगले पन्ने पर एकादशी तिथि का रहस्य जानिये...

एकादशी का व्रत रखने से क्या लाभ होता है?

देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और विष्णु पूजा करने से मन शुद्ध होता है और मानसिक विकार दूर होते हैं..
जो लोग विधिपूर्वक देवशयनी एकादशी व्रत रखते हैं, उनको पुण्य फल प्राप्त होता है. ... .
देवशयनी एकादशी व्रत मन और जीवन में मचे सभी प्रकार उथल-पुथल को शांत करता है और सुख एवं शाति प्रदान करता है..

एकादशी का व्रत क्यों करना चाहिए?

एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है? – इस काल में शरीर हल्का और शुद्ध होना चाहता है। ऊर्जा अंतर्मुखी होकर बहना चाहती है। हर 15 दिन बाद होने वाली व्रत की यह शृंखला शरीर की कोशिकाओं पर ही नहीं, बल्कि डीएनए तक पर प्रभाव डालकर अनेक असाध्य बीमारियों से बचाव करते हैं और शरीर की उम्र बढ़ाती है।

एकादशी का व्रत कौन रख सकता है?

व्रत एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना पड़ेगा। इस दिन मांस, कांदा (प्याज), मसूर की दाल आदि का निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।

एकादशी का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए?

Ekadashi 2022 : एकादशी का व्रत (vrat) हर माह रखा जाता है. यह उपवास बहुत फलदायी माना जाता है. यह व्रत करने से भूलवश किए गए कोई भी गलत कार्य से मुक्ति मिल जाती है. अगस्त (August vrat 2022) महीने की एकादशी के व्रत को रखने को लेकर इस बार कंफ्यूजन है.