कुछ लोग पागल क्यों होते हैं? - kuchh log paagal kyon hote hain?

पागल लोंग क्यों होते हैं इसके कुछ मुख्य कारण

लोंगो कि पागल होने की कुछ वजहे जानकर शायद आप हेरान हो जायेगें

कुछ लोग पागल क्यों होते हैं? - kuchh log paagal kyon hote hain?

आपने अपने आस-पास पागल तो जरूर देखे होंगे अगर आस-पास नहीं भी देखे होंगे तो आपने कही बाहर तो जरुर देखे होने अगर आपने यहाँ भी नहीं देखे होंगे तो आपने पागल खाने का तो नाम तो सुना ही होगा आप वहाँ जाकर देख सकते हैं तो हम फिर अपने टोपीक पर आते हैं आपको हम यहाँ किया बताने वाले हैं आपको ये तो आप हमारा हेडिंग पढ समझ आ गया होगा

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पागल होने कि कुछ वजहे निम्लिखित लेख द्वारा जानी जा सकती हैं

आपने कभी सोचा भी नहीं होगा की पागल होने की किया वजहे हो सकती हैं और लोग पागल होने के बाद उनको दि जाने वाली दवाईया पागल क्यों नहीं खाना चाहते डाक्टर ये बोलता हैं कि ये मरिज दवाई नहीं खायेगा इसको जबरदस्ती दवाई खिलाना मरिज के घर वाले इसका कारण नहीं समझ आता हैं वो सोचते हैं कि बेचारा अच्छा-खासा था इसको जाने किस की नजर लग गई या किसी ने इस के ऊपर कुछ कर दिया हैं

कारण 1÷कई बार आपने लोगों को अपने बारे में किसी से कुछ पूछते हुए देखा होगा आस्था एक वो रास्ता हैं जो अच्छे खासे इंसशान को भी हिलाकर रख देता हैं जब बो कुछ पुछ लेता हैं और उसके बारे में सोचने लगता हैं तो उसे चिन्ता होने लगती हैं आपको शायद पता हो एक कहावत भी हैं (वो कुछ इस प्रकार है चिन्ता चिता को जन्म देती हैं) उस व्यक्ति कि वो इच्छा पूरी नहीं होती तो dhire-धीरे वो मानसिक अवसाद का सिकार होता चला जाता हैं और वो दिन-रात सोता भी नहीं जिस कारण वो पागल हो जाता हैं

कारण 2÷कोई किसी पर इतना विश्वश करता है कि उसे लगता हैं कि वो उसे कभी धोखा नहीं देगा और वो उसके साथ कुछ गलत कर देता हैं जिसके कारण भी लोग पागल हो जाते हैं 

कारण 3÷एक माँ अपने बच्चे के बारे में पंडित से अपने बच्चे के बारे में जानकर कर पागल हो जाति हैं और अपने बच्चे कि चिन्तायें करने लगती हैं इस लिये कहाँ जाता हैं कि औरत कुछ भी कर सकती हैं अगर ज्योतिष कि किसी बच्चे से अनबन होती हैं और बच्चा ज्योतिष के जाल में नहीं उलझता तो ज्योतिष उसकी माँ का सहारा लेते हैं और बच्चे कि सारी चलाखी निकल देते हैं फिर हो सके तो उसका बच्चा भी पागल हो सकता हैं इसलियें कहते हैं की पागल कि बात कभी नहीं मान्नी चाहियें नहीं तो वो आपकी चिंता करके आपको भी ले डूबेगा

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यह तो बस आपको समझाने के लिये हमने आपको ये सब बताया हैं सरल शब्दों में कहे तो इसका मुख्य कारण हैं वो सोचना जिसे कोई भी व्यक्ति कभी भी पुरा और न ही जल्दी कर पाये यानी पागल व्यक्ति के मन में ऐसे सवाल उठटे रहते हैं 

पागल होने पर पागल किया सोचते हैं

जब कोई व्यक्ति पागल हो जाता हैं तो उसका मुख्य उद्देशय अपने आपको को खत्म करना होता हैं पर बाहर जो सही अवस्था में व्यक्ति होता हैं उसे ये सब समझ नहीं आता हैं पागल-पागल नहीं होता या तो उसे बना दिया जाता हैं या वो अपनी ही चलाकी के वजह से पागल हो जाता हैं पागल का पुरा दिमाग सही होता हैं बस उससे समय नहीं कट पता पागल कि दसा तो केवल पागल ही समझ सकता हैं पागल को अपने सरीर से बस मुक्ति कि कामना रह जाति हैं नहीं तो पागल की तो अपनी अलग ही दुनिया होती हैं वो अपनो को देख कर जी लेता हैं अपने उससे सही ही बात बोलेगें पागल ऐसा ही सोचता हैं नहीं तो उसके जीवन में खुसिया तो रही नहीं उसे जिस चिज कि तलाश होती हैं वो मुक्ति हि हैं और कुछ नहीं 

कथायें सुन कर भी लोंग अपना आपा खो देते हैं

हमने कथाओं के ऊपर भी एक पोस्ट लिखि हैं जिससे आपको पता चल जाये कि क्यों लोग कथा सुन कर पागल हो जाते हैं पागल होने वाले सबसे ज्यादा वो लोग होते हैं जो अंधविश्वश पर अब भी भरोसा करते हैं और भूत-प्रेत टोना-टोटका और वो छोटे लोंग जो दूसरो से अमीर बनना चाहते हैं पर ऐसा कभी हुआ भी हैं तो इसका उत्तर हैं नहीं ऐसा कभी हो ही नहीं सकता अगर होता भी हैं तो उनके आदमी चारो ओर फैले होते है जो आपको ये दिखने की कोसिस करते हैं कि ये टोटका काम कर रहा हैं और जब आपको उस पर विश्वश हो जाता हैं तो फिर पहले कि तरह सब समान्य हो जाता हैं आपने कभी गोर किया भी है या नहीं पर जिन्हें अब भी विश्वश हैं आपको शायद पता नहीं आपके अन्दर आस्था फैलाकर ही ये सब करना असान होता हैं नहीं तो कोई आपका कुछ भी नहीं कर सकता क्योंकि जब आपकी किसी पर आस्था होगी तो आप स्वयं खिचे चले आयगें

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मनुष्य पागल क्यों हो जाता है?

आपने किसी ऐसे इंसान को देखा होगा, जो अपने आप से बातें करता रहता है या फिर कोई ऐसा जो हमेशा मरने की बातें करता है.

पागलपन की शुरुआत कैसे होती है?

थ्योरी ये है कि तनाव की वजह से जलन और सूजन जैसी समस्याएं बढ़ती हैं जिसके चलते धीरे-धीरे पागलपन की स्थिति भी बन सकती है.

मनुष्य पागल कब होता है?

तब कोई भी आपके आसपास नहीं रहना चाहता, क्योंकि मानसकि रूप से बीमार व्यक्ति को झेलना बहुत मुश्किल है। ऐसे में आपको भी पता नहीं होता कि कब वे बीमार हैं और कब वे बीमारी का नाटक कर रहे हैं, आप इसका फैसला नहीं कर पाते।

पागल की पहचान क्या है?

एक पागल व्यक्ति सोचने समझने और सामान्य जन मानस की तरह निर्णय लेने में असमर्थ होता है। उसे दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है। यदि पागलपन अति गम्भीर हो तो ऐसे व्यक्ति से समाज को खतरा तो है, वह स्वयं को भी चोट और हानि पहुँचा सकता है।