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कबीर ने अपने को दीवाना क्यों …CBSE, JEE, NEET, NDAQuestion Bank, Mock Tests, Exam Papers NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है Posted by Hariom Sahu 2 years ago
कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है? <hr /> कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है। Posted by Md Shabaaz 1 year ago
Posted by Md Shabaaz 1 year ago
Posted by Vaibhav Kaushik 9 months ago
Posted by Jagdesh Bishnoi 1 year, 8 months ago
Posted by Kamlesh Armo 1 year, 7 months ago
Posted by Raju Ram Parjaprt 10 months ago
Posted by ?????? Ⓡⓐⓣⓗⓞⓓ 1 year, 6 months ago
Posted by Neha Shaw 10 months, 2 weeks ago
Posted by Muskansoni Mussu 1 year, 8 months ago
Posted by Sachin Sachin 5 months, 1 week ago
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Test GeneratorCreate papers at ₹10/- per paper Question कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?Solution कबीर बस अपने ईश्वर की अराधना करते हैं। उन्हें किसी का कहना समझ नहीं आता है। उन्हें बस अपने ईश्वर से और उसकी भक्ति से लेना है। उनकी भक्ति का ही प्रमाण है कि ईश्वर के सच्चे स्वरूप के उन्हें दर्शन हो गए हैं। ईश्वर की भक्ति में उन्हें दीन-दुनिया की याद नहीं रहती है। लोग क्या कहते हैं क्या नहीं इसकी वे परवाह नहीं करते हैं। अब उन्हें किसी बात का भय नहीं सताता है। यही कारण है कि उन्होंने स्वयं को दीवाना कहा है।Zigya App कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है। 1863 Views कबीरHope you found this question and answer to be good. Find many more questions on कबीर with answers for your assignments and practice. Explore. Zig In ArohBrowse through more topics from Aroh for questions and snapshot. Explore. Zig In अन्य संत कवियों नानक, दादू और रैदास के ईश्वर संबंधी विचारों का संग्रह करें और उन पर एक परिचर्चा करें। अन्य संत कवियों के पदों का संकलन रैदास 1. जिहि कुल साधु वैसनो होड़। बरन अबरन रंक नहीं ईस्वर, विमल बासु जानिए जग सोइ।। बधन बैस सूद अस खत्री डोम चंडाल मलेच्छ किन सोइ। होई पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारै कुल दोइ।। धनि सु गार्ड धनि धनि सो ठाऊँ, धनि पुनीत कुटँब सभ लोइ। जिनि पिया सार-रस, तजे आन रस, होड़ रसमगन, डारे बिषु खोइ।। पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि औरु न कोई। जैसे पुरैन पात जल रहै समीप भनि रविदास जनमे जगि ओइ।। 2. ऐसी लाज तुझ बिनु कौन करै। गरीबनिवाजु गुसैयाँ, मेरे माथे छत्र धरै।। जाकी ‘छोति जगत की लागै, तापर तुही ढरै। नीचहिं ऊँच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै! नामदेव, कबीर, तिलोचन, सधना, सैनु तरै। कहि रविदास सुनहु रे संतो, हरि-जीउ ते सभै सरै।। 2. ऐसी लाज तुझ बिनु कौन करै। गरीबनिवाजु गुसैयाँ, मेरे माथे छत्र धरै।। जाकी ‘छोति जगत की लागै, तापर तुही ढरै। नीचहिं ऊँच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै! नामदेव, कबीर, तिलोचन, सधना, सैनु तरै। कहि रविदास सुनहु रे संतो, हरि-जीउ ते सभै सरै।। कवि ने अपने आप को दीवाना क्यों कहा है class 8?लोग क्या कहते हैं क्या नहीं इसकी वे परवाह नहीं करते हैं। अब उन्हें किसी बात का भय नहीं सताता है। यही कारण है कि उन्होंने स्वयं को दीवाना कहा है। Q.
अभी मैं अपने को दीवाना क्यों कहा है?मैं बना-बना कितने जग रोज़ मिटाता; जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव, मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता! क्यों कवि कहकर संसार मुझे संसार मुझे अपनाए, मैं दुनिया का हूँ एक नया दीवाना!
कवि ने अपने आपको क्या कहा?कवि ने अपने आपको क्या कहा है ? कवि ने अपने आपको चिर-प्रवासी कहा है।
कवि ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बोला गया है?कबीर धर्म तथा ईश्वर के विषय में लोगों को जो सत्य बताते हैं, वे उसे समझ नहीं पाते हैं। धर्म तथा ईश्वर लोगों में फैली धारणों से भिन्न है। जब कबीर इस विषय में बताते हैं, तो वे उसे सच नहीं मानते हैं। अतः कबीर संसार को बौरा हुआ मानते हैं।
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