क्रिसमस डे कब मनाया जाता है - krisamas de kab manaaya jaata hai

यीशु की याद में सजाई जाती हैं झांकियां

क्रिसमस डे कब मनाया जाता है - krisamas de kab manaaya jaata hai

दुनिया भर में क्रिसमस का त्‍योहार धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि प्रभु यीशु के जन्‍म की खुशी में ईसाई समुदाय के लोग क्रिसमस का त्‍योहार मनाकर अपनी खुशी जाहिर करते हैं। कहते हैं प्रभु यीशु का जन्‍म गौशाला में हुआ था। जिस तरह जन्माष्टमी में घरों में श्रीकृष्ण की झांकी बनाई जाती है, उसी तरह प्रभु यीशु की याद में कुछ लोग घर में गौशाला बनाते हैं। इन झांकियों में यीशु की देखभाल करने वाले गडरियों को भी दर्शाया जाता है। आइए आपको बताते हैं क्रिसमस के इतिहास के बारे में अन्‍य बातें…

दुनिया के अलग-अलग देशों में कैसे मनाते हैं क्रिसमस

ऐसे हुआ था प्रभु यीशु का जन्‍म

क्रिसमस डे कब मनाया जाता है - krisamas de kab manaaya jaata hai

ईसाइयों के पवित्र ग्रंथ बाइबिल में बताई गई मान्‍यताओं के अनुसार प्रभु यीशु का जन्म इजरायल के शहर बेथलेहेम में 4 ईसा पूर्व हुआ था। यीशु का ताल्‍लुक आरंभ से ही यहूदी धर्म से माना जाता है। उनके पिता का नाम यूसुफ और उनकी मां का नाम मरियम था। कहते हैं परमात्‍मा का संकेत पाकर यूसुफ ने मरियम से विवाह किया और फिर उनकी संतान हुई और उनका नाम यीशू पड़ गया। माना जाता है कि यीशू और उनके पिता पेशे से बढ़ई थे। बचपन से ही वे पिता के काम में उनका हाथ बंटाते थे। 30 वर्ष की आयु तक आते-आते उन्‍होंने मानवता के कल्‍याण के लिए काम करना शुरू कर दिया और फिर वह जगह-जगह जाकर लोगों को उपदेश देते थे। उनका ऐसा करना यहूदी धर्म के कट्टरपंथियों को अच्‍छा नहीं लगा और उनका विरोध किया जाने लगा।

फिर एक दिन उन्‍हें रोमन गर्वनर के सामने पेश किया और उसने उन्‍हें सूली पर चढ़ाने की सजा सुनाई। गुड फ्राइडे के दिन उन्‍हें सूली पर चढ़ा दिया गया। कहते हैं कि सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईश्‍वर के चमत्‍कार से यीशू फिर से जीवित हो गए और फिर उन्‍होंने ईसाई धर्म की स्‍थापना की।

कब हुई क्रिसमस मनाने की शुरुआत

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कहते हैं कि पश्चिमी देशों ने चौथी शताब्‍दी के मध्‍य में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में मनाने की मान्‍यता दी। आधिकारिक तौर पर 1870 में, अमेरिका ने क्रिसमस के दिन फेडरेल हॉलिडे की घोषणा की।

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क्यों मनाया जाता है क्रिसमस?

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क्रिसमस, जीसस क्राइस्‍ट Jesus Christ के जन्म की खुशी में सेलिब्रेट किया जाता है, जिन्हें भगवान का बेटा यानी Son Of God कहा जाता था। बता दें, क्राइस्‍ट से ही बना है ‘क्रिसमस’। बाइबल (ईसाईयों का पवित्र ग्रंथ) में जीसस क्राइस्‍ट के जन्म की तारीख का कोई जिक्र नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भी हर वर्ष 25 दिसंबर के दिन ही उनका बर्थडे मनाया जाता है।

सबसे पहले यहां मनाया गया क्रिसमस

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कहा जाता है कि 336 ई.पूर्व में रोम के पहले ईसाई सम्राट के दौर में 25 दिसंबर के दिन सबसे पहले क्रिसमस मनाया गया, जिसके कुछ वर्षों बाद पोप जुलियस ने ऑफिशियली जीसस क्राइस्‍ट का जन्मदिवस 25 दिसंबर के दिन मनाने का ऐलान कर दिया। तब से पश्चिमी देशा में क्रिसमस को हॉलिडे मनाया जाने लगा।

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कैसे हुई क्रिसमस ट्री लगाने की शुरुआत

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हजारों वर्ष पहले उत्तरी यूरोप में क्रिसमस ट्री की शुरुआत हुई। उस वक्त फर नाम के पेड़ को सजाकर यह त्योहार मनाया जाता था। कई लोग चेरी के पेड़ की टहनियों को भी क्रिसमस के दौरान सजाते थे। लेकिन जो लोग क्रिसमस ट्री खरीदने में असमर्थ होते थे, वो लकड़ी को पिरामिड की शक्ल देकर क्रिसमस मनाते थे। लेकिन वक्त के साथ क्रिसमस ट्री का चलन बढ़ता गया। अब हर व्यक्ति क्रिसमस ट्री लाता है और उसे चॉकलेट्स, खिलौनों, लाइट्स और तोहफों से सजाता है। कहते हैं कि क्रिसमस ट्री पर घंटिया लगाने और उसे खूबसूरती के साथ सजाने से घर से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं।

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क्रिसमस New Delhi, India के लिए

This Christmas, spread happiness amongst your loved ones and on this special occasion, AstroSage wishes you a Merry Christmas.

आइए जानते हैं कि 2022 में क्रिसमस कब है व क्रिसमस 2022 की तारीख व मुहूर्त।

क्रिसमस, ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। इसे हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। अपने आप में यह त्यौहार इतना व्यापक है कि दुनियाभर में इसे अन्य धर्म के लोग भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। इसलिए इस पर्व को धार्मिक कहने की बजाय सामाजिक कहना ज्यादा बेहतर होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार, विश्व के करीब डेढ़ सौ करोड़ लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहते हैं। इस त्यौहार की तैयारियाँ भी बड़ी धूमधाम के साथ होती हैं।

क्रिश्चियन यानी ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यीशु (ईसा मसीह) का जन्म हुआ था। ईसा मसीह ईसाईयों के ईश्वर हैं। इसलिए क्रिसमस डे पर गिरजाघरों यानी चर्च में प्रभु यीशु की जन्म गाथा की झांकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं और गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है। इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में एकत्रित होकर प्रभु यीशु की आराधना करते हैं। लोग एक दूसरे को हैप्पी क्रिसमस और मेरी क्रिसमस की बधाईयाँ देते हैं।

क्रिसमस से जुड़ा इतिहास

क्रिसमस के इतिहास को लेकर इतिहास कारों में मतभेद है। कई इतिहास-कारों के अनुसार, यह त्यौहार यीशु के जन्म के पूर्व से ही मनाया जा रहा है। क्रिसमस पर्व रोमन त्यौहार सैंचुनेलिया का ही नया रूप है। मान्यताओं के अनुसार, सैंचुनेलिया रोमन देवता है। बाद में जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो उसके बाद लोग यीशु को अपना ईश्वर मानकर सैंचुनेलिया पर्व को क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे।

25 दिसंबर को चुनने के पीछे का इतिहास

ज्ञात होता है कि सन 98 से लोग इस पर्व को निरंतर मना रहे हैं। बल्कि सन 137 में रोमन बिशप ने इस पर्व को मनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। हालाँकि तब इसे मनाने का कोई निश्चित दिन नहीं था। इसलिए सन 350 में रोमन पादरी यूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में घोषित कर दिया गया।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्रारंभ में स्वयं धर्माधिकारी 25 दिसंबर को क्रिसमस को इस रूप में मनाने की मान्यता देने के लिए तैयार नहीं थे। यह वास्तव में रोमन जाति के एक त्योहार का दिन था, जिसमें सूर्य देवता की आराधना की जाती थी। यह माना जाता था कि इसी दिन सूर्य का जन्म हुआ। लेकिन जब ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ तो ऐसा कहा गया कि यीशु ही सूर्य देवता के अवतार हैं और फिर उनकी पूजा होने लगी। हालाँकि इसे मान्यता नहीं मिल पाई थी।

क्रिसमस पर्व को मनाने का सही ढंग

चूँकि क्रिसमस पर्व बड़ा पर्व है इसलिए इसकी तैयारियाँ भी बड़ी होती हैं। सेंटा, क्रिसमस ट्री, ग्रीटिंग्स कार्ड और बाँटे जाने वाले उपहार इस पर्व के मुख्य तत्व हैं। क्रिसमस का पर्व आते ही लोगों में इसे लेकर उत्साह बढ़ता देखा जाता है। लोग अपने मित्रों और परिजनों को कार्ड अथवा कोई सौगात देकर उन तक अपनी शुभकामनाएँ भेजते हैं। क्रिसमस कार्ड डे के रूप में कार्ड लेने और देने के इस प्रचलन के कारण हर साल नौ दिसंबर को मनाया जाता है।

हालाँकि अब तो डिजिटल युग है। इसलिए लोग क्रिसमस कार्ड की फोटो या इमेजेस ऑनलाइन भेजकर लोगों को इस पर्व की बधाई देते हैं। इस दिन लोग सोशल मीडिया में अपने क्रिसमस स्टेटस को दोस्तों और रिश्तेदारों से साझा करते हैं। लाइट्स और झालरों से सजे और टिम-टिमाते हुए गिरजाघरों में लोग यीशु की प्रार्थना करते हैं। कई जगह क्रिसमस के मौक़े पर झाकियाँ, जुलूस आदि भी निकाले जाते हैं।

●  क्रिसमट ट्री
क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री का बडा़ महत्व है। यह डगलस, बालसम या फिर फर का वृक्ष होता है जिसे क्रिसमस डे पर अच्छी तरह से सजाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में मिस्र वासियों, चीनियों और हिबूर लोगों ने सबसे पहले इस परंपरा की शुरुआत की थी। उनका विश्वास था की इन पौधों को घरों में सजाने से घर में नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। हालाँकि आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत जर्मनी में हुई थी। जहाँ इस पेड़ को स्वर्ग का प्रतीक माना गया है।

●  सेंटा क्लॉज
क्रिसमस के मौक़े पर बच्चे सेंटा क्लॉज का इंतज़ार करते हैं। क्योंकि सेंटा बच्चों को गिफ्ट्स देता है। ऐसी मान्यता है कि सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की। वे एशिया माइनर के पादरी थे। वे बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार करते थे। दरअसल वे क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी को प्रसन्न देखना चाहते थे। उनसे जुड़ी हुई कई कथाएँ और कहानियों सुनने को मिलती हैं।

ईसाई धर्म में किसमस त्यौहार का महत्व

ईसाई लोगों के लिए वास्तव में यह बड़ा त्यौहार है। इस दिन को वह अपने ईष्ट देवता यीशु के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। इसलिए उनके लिए यह बहुत ही पावन दिन है। यीशु ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। यीशु का जन्म हेरोदेस राजा के दिनों में हुआ था। क्योंकि हेरोदेस 4 ईसा पूर्व में मर गया था। इसलिए यह कहा जा सकता है कि उनका जन्म चौथी ईसा पूर्व में हुआ था। बाईबल जो कि ईसाई धर्म का पवित्र ग्रंथ है, इसमें उनके उपदेशों और उनकी जीवनी को विस्तार पूर्वक बताया गया है। क्रिसमस के 15 दिन पहले से ही क्रिश्चियन समाज के लोग इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं।

क्रिसमस डे का संदेश

क्रिसमस का त्यौहार शांति और सदभावना का प्रतीक है। क्रिसमस शांति का भी संदेश देता है। चूँकि बाइबल में यीशु को शांति का दूत बताया गया है। वे हमेशा वक्तव्यों में कहते थे- शांति तुम्हारे साथ हो. शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है।

भारत में क्रिसमस पर्व

यद्यपि भारत में ढाई फीसदी ईसाई लोग रहते हैं, लेकिन यहाँ इस पर्व को बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। खासकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस बहुत जोश और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रि‍टिश और पुर्तगाली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे। भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कै‍थेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्‍डरनेस आदि शामिल हैं।

हम आशा करते हैं कि क्रिसमस से संबंधित हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। क्रिसमस डे की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ !

25 दिसंबर को क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है?

Christmas Day 2022, Merry Christmas: क्रिसमस ईसाई धर्म के लोगों का सबसे प्रमुख त्योहार है, जिसे हर साल 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है. एक दिन पहले यानी 24 दिसंबर से ही क्रिसमस की धूमधाम शुरू हो जाती है. ईसाई धर्म के लोग इस दिन को यीशू मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं.

क्रिसमस कब और क्यों मनाया जाता है?

क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसंबर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है।

25 दिसंबर को कौन सा त्यौहार है?

इस दिन को प्रभु यीशु का जन्म हुआ था, Merry Christmas 2021: यीशू मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं इस दिन को. Christmas 2021: हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया क्रिसमस डे (Christmas Day) के तौर पर मनाती है.

क्रिसमस ट्री कब मनाया जाता है?

यह हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह विशेष रूप से ईसाइयों द्वारा बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है. यह महान ईसा मसीह की जयंती है, जिन्हें ईसाई धर्म के लोगों द्वारा ईश्वर का पुत्र माना जाता है.