नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत को पांच स्थायी सदस्यों में से 4 का समर्थन मिला है. सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी दी. UNSCके पांच स्थायी सदस्य हैं, इनमें चीन, फ्रांस, रूस, ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है. Show
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने एक सवाल के जवाब में सदन को बताया कि, चीन को छोड़कर सभी देशों ने भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के 5 स्थायी सदस्यों में से चार ने विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी के समर्थन की आधिकारिक रूप से पुष्टि की है. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि, इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न पहल की है. सभी देशों के साथ कई स्तरों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों के दौरान इस मुद्दे को उठाया गया.” कई मौकों पर भारत के विरोध में खड़ा रहा चीन पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने व्हाइट हाउस में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी पहली व्यक्तिगत द्विपक्षीय बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अमेरिकी समर्थन की बात कही थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यूएन की सर्वोच्च इकाई है. इसमें 5 स्थाई सदस्य हैं जबकि 10 अस्थाई सदस्य होते हैं. यह काउंसिल दुनिया की सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर फैसला लेती है. इसके स्थाई सदस्य अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन हैं. स्थाई सदस्यों के पास वीटो पॉवर की शक्ति होती है और इसके जरिए किसी भी प्रस्ताव या फैसले पर रोक लगाई जा सकती है. यूएनएससी में कई समय से सुधार और इसका विस्तार किए जाने की मांग जोर पकड़ रही है. भारत के लिए स्थाई सदस्यता हासिल करना काफी अहम है क्योंकि वह कई बार आतंकवाद और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आता है लेकिन चीन की ओर से वीटो लगाए जाने के कारण इन्हें रोक दिया गया. फ्राँस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council-UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिये भारत के दावे का समर्थन किया है। फ्राँस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना में बदलाव की वकालत भी की है। उसने सुरक्षा परिषद में बड़े बदलाव की ज़रूरत पर ज़ोर देते कहा कि मौजूदा समय में भारत, जर्मनी, ब्राज़ील और जापान जैसे राष्ट्र स्थायी सदस्य बनने के हकदार हैं।
प्रस्तावित सुधारसंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाँच प्रमुख मुद्दों पर सुधार किया जाना प्रस्तावित है:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?
भूमिका तथा शक्तियाँ
(टीम दृष्टि इनपुट) भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता क्यों दी जानी चाहिये?
UNSC के सुधार में बाधाएँ
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता क्यों?
UNSC में स्थायी सीट से भारत को क्या लाभ होंगे?
आगे की राह
निष्कर्षदुनिया में किसी भी अन्य बहुपक्षीय निकाय को यूएनएससी की तुलना में सुधार की अधिक आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह अभी भी 1945 की भू-राजनीतिक आर्किटेक्चर के अनुसार गठित है। यदि किसी आतंकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में 10 साल का समय लगता है तो इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें सुधार की कितनी आवश्यकता है। यूएनएससी के विस्तार पर बहस काफी समय से चल रही है किंतु अभी भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और स्थायी सदस्यों के बीच आम सहमति का न होना चिंता का विषय है। कथनों को मूर्त रूप देने और संयुक्त राष्ट्र की बहुसंख्यक सदस्यता की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेने का यह उपयुक्त समय है। प्रश्न : वर्तमान परिदृश्य में समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित करने हेतु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तर्कसंगतता पर प्रकाश डालें। साथ ही हालिया घटनाक्रम के संदर्भ में भारत द्वारा स्थायी सदस्यता की दावेदारी और संबंधित चुनौतियों को उजागर करें। इनमें से कौन सा देश सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य नहीं है?सही उत्तर भारत है । विकल्पों में से केवल भारत ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है।
निम्नलिखित में से कौन सा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नहीं है?विकल्पों में से केवल जापान ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है।
सुरक्षा परिषद में कितने अस्थायी सदस्य होते हैं?सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। अस्थायी सदस्यों का चुनाव हर दो वर्ष के बाद होता है।
सुरक्षा परिषद के कितने अंग होते हैं?संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 अंग हैं, जिसमें महासभा, सुरक्षा परिषद, न्यासी परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय एवं सचिवालय हैं। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर अन्य अंग बनाये जा सकते हैं।
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