सत्यनारायण की कथा सुनने से क्या होता है? - satyanaaraayan kee katha sunane se kya hota hai?

सत्यनारायण भगवान की कथा सदियों से धरतीवासियों का कल्याण करती आ रही है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके इंसान अपने तमाम दुखों से मुक्ति पा सकता है. आमतौर पर लोग कोई मन्नत पूरी होने पर सत्यनारायण की कथा और व्रत का आयोजन करते हैं लेकिन जीवन में सुख, शांति और संपन्नता के लिए भी सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है.

आइए जानते हैं, क्या है सत्यनारायण भगवान की महिमा.....

सत्यनारायण भगवान की महिमा
भगवान सत्यनारायण विष्णु भगवान का ही एक रूप हैं. भगवान सत्यनारायण का उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है. स्कन्द पुराण में भगवान विष्णु ने नारद को इस व्रत का महत्व बताया है. कलयुग में सबसे सरल, प्रचलित और प्रभावशाली पूजा भगवान सत्यनारायण की ही मानी जाती है.

सत्यनारायण पूजा की खास बातें
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं. पहले व्रत-पूजन और दूसरा सत्यनारायण की कथा. कहते हैं कि कलियुग का सबसे कल्याणकारी व्रत है. सत्यनारायण भगवान का व्रत क्योंकि इनकी पूजा बेहद आसान और विशेष है.
- इनकी पूजा कम से कम सामान और बहुत सरल तरीके से की जा सकती है.
- इनकी पूजा में गौरी-गणेश, नवग्रह और समस्त दिक्पाल भी शामिल हो जाते हैं.
- इनकी पूजा केले के पेड़ के नीचे करें या अपने घर के ब्रह्म स्थान पर करें.
- प्रसाद में पंजीरी, पंचामृत, फल और तुलसी दल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.

पूजा का उत्तम मुहूर्त
हर पूजा और उपासना का एक उत्तम मुहूर्त होता है, जिसमें की गई उपासना का बहुत उत्तम फल मिलता है तो आइए हम आपको बताते हैं कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का सबसे अच्छा समय कब होता है...
- किसी भी माह की पूर्णिमा को.
- किसी भी बृहस्पतिवार को.
- किसी भी बड़े संकट के आने पर इनकी पूजा सबसे उत्तम होगी.

कैसे पूरी होंगी विशेष मनोकामनाएं
अगर आपके मन में भी कोई विशेष कामना है तो भी सत्यनाराय़ण की कृपा से पूरी हो सकती है...
- नियमित रूप से हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण भगवान की पूजा करें.
- इससे आपकी विशेष मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.

विशेष उद्देश्यों के लिए सत्यनारायण पूजन का महत्व
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सनातन सत्यरूपी विष्णु भगवान कलियुग में अलग-अलग रूप में आकर लोगों को मनवांछित फल देंगे. इंसानों के कल्याण के लिए ही श्री हरि ने सत्यनारायण रूप लिया. विशेष उद्देश्यों के लिए सत्यनारायण भगवान की पूजा का क्या महत्व है, आइए जानें...
- गृह शान्ति और सुख समृद्धि के लिए इनकी पूजा विशेष लाभ देती है.
- ये पूजा शीघ्र विवाह के लिए और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए भी लाभकारी है.
- ये पूजा संतान के जन्म के अवसर पर और संतान से जुड़े अनुष्ठानों पर बहुत लाभकारी है.
- विवाह के पहले और बाद में सत्यनारायण की पूजा बहुत शुभ फल देती है.
- आयु रक्षा तथा सेहत से जुड़ी समस्याओं में इस पूजा से विशेष लाभ होता है.

किस प्रकार करें भगवान सत्यनारायण की पूजा?
ज्योतिष के जानकारों मानें तो जीवन में हर तरह के कल्याण के लिए सत्यनारायण भगवान का व्रत, कथा और पूजा सबसे उत्तम है. क्योंकि सत्यनारायण का पूजन जीवन में सत्य का महत्व बताता है तो आइए जानते हैं कि कैसे करें श्रीहरि के इस रूप का पूजन....
- घर के ब्रह्म स्थान पर केले के पौधों से मंडप बनाएं.
- भगवान सत्यनारायण के विग्रह या चित्र की स्थापना करें.
- कलश और दीपक की भी स्थापना करें.
- पहले गौरी गणेश और नवग्रहों का पूजन करें.
- इसके बाद सत्यनारायण भगवान् की पूजा करें.
- उन्हें फल, पंचामृत, पंजीरी, वस्त्र और तुलसी दल जरूर अर्पित करें.
- फिर उनकी व्रत कथा कहें या सुनें और आरती करें.
- इसके बाद फल और प्रसाद बांटें.

अगर आप भी घर में सुख समृद्धि बनाए रखना चाहती हैं तो सत्यनारायण की कथा आपके लिए विशेष रूप से फलदायी है। जानें इसके महत्व के बारे में   

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। खासतौर पर जब आप किसी विशेष अवसर पर विष्णु जी का पूजन पूरी श्रद्धा भाव से करते हैं तब विष्णु भगवान की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। इसलिए मुख्य रूप से महीने की एकादशी, बृहस्पतिवार और पूर्णिमा तिथि को विष्णु जी का पूजन किया जाता है। इसी पूजन के दौरान लोग सत्यनारायण की कथा भी पढ़ते और सुनते हैं। पुराणों में सत्यनारायण व्रत कथा का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है।

ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस कथा को सुनते हैं उनकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान सत्यनारायण को भगवान विष्णु जी का ही रूप माना जाता है। शास्त्रों में सत्यनारायण की पूजा का अर्थ है सत्य की नारायण के रूप में पूजा करना। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले जैसे शादी के पहले या बाद या फिर मनोकामनाएं पूरी होने के बाद सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। भगवान सत्यनारायण का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। स्कन्द पुराण में भगवान विष्णु ने नारद को इस व्रत का महत्व बताया है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें घर में सत्यनारायण की कथा कराने के फायदों और इसके नियमों के बारे में। 

सत्यनारायण भगवान की कथा के नियम

यदि आप घर मन सत्यनारायण जी की कथा करती हैं तो यह आपके लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। सत्यनारायण कथा का पाठ और वाचन मन में शांति जगाता है और श्रद्धा का भाव जगाता है। लेकिन इस कथा के लिए आप कुछ नियमों का पालन जरूर करें जिससे विष्णु जी की पूर्ण कृपा दृष्टि प्राप्त हो सके। आइए जानें सत्यनारायण भगवान की कथा के नियम। 

केले के पत्तों का मंडप

सत्यनारायण भगवान का पूजन करने के लिए केले के पत्तों का मंडप बनाएं एक चौकी ले लें। उसमे लाल कपड़ा बिछा दें। लाल कपड़े की जगह आप केले के पत्तों का ही प्रयोग कर सकती हैं। चौकी पर केले का पत्ता बिछाएं। उस पत्ते पर सत्य नारायण भगवान की तस्वीर, गणेश जी की प्रतिमा एवं कलश रखें। 

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कलश की करें पूजा 

सत्यनारायण कथा में कलश का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन कलश स्थापना करके उसकी पूजा की जाती है। सत्यनारायण कथा में सबसे पहले कलश की करें, फिर गणेश जी की, उसके बाद सत्य नारायण देव की पूजा कर कथा की शुरुआत करनी चाहिए। इस पूजन में कलश एवं एक नारियल जरूर रखें। ऐसा माना जाता है कि नारियल का फल श्री फल होता है इसलिए यह लक्ष्मी जी का फल माना जाता है जो विष्णु जी को अत्यंत पसंद होता है। 

satyanarayan katha rules by dr aarti dahiya

पंचामृत और पंजीरी का प्रसाद 

भगवान के भोग के लिए पंजीरी, पंचामृत, केला और तुलसी अवश्य रखें। सत्यनारायण की पूजा (सत्यनारायण पूजा में इस तरह करें मंदिर का डेकोरेशन) में केले का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन पंचामृत के रूप में दही में मेवे मिलाकर भोग तैयार करें और उसी से विष्णु विष्णु जी को स्नान कराएं और भोग लगाएं। केले को इस कथा में मुख्य माना जाता है क्योंकि  इस पर गुरु ग्रह का प्रभाव होता है जो विष्णु स्वरूप ही है। इसलिए केले का फल भगवान सत्यनारायण को पसंद है। इस पूजा में केले का फल अवश्य चढ़ाया जाना चाहिए। 

शालिग्राम की पूजा करें 

सत्यनारायण की पूजा में शालिग्राम की पूजा भी अवश्य होती है उन्हें दूध से नहलाया जाता है। दूध और केले से प्रसाद बनाया जाता है। व्यावहारिक दृष्टि से दूध शुद्ध और सात्विक होता है। इस दिन चावल का प्रयोग नहीं होता है और इस दिन गेहूं का दान करना अच्छा होता है।

सत्यनारायण कथा का महत्व और लाभ 

satynarayan katha benefits

इनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि व्रत करने से भगवान विष्णु हमारे सारे कष्टों को हर लेते है। घर की शांति और सुख- समृद्धि के लिए भगवान सत्यनारायण की पूजा विशेष लाभकारी होती है। यह पूजा विवाह के लिए और वैवाहिक जीवन (सुखी दांपत्य जीवन के उपाय)को सफल बनाने के लिए भी लाभकारी है। विवाह के पहले और बाद में सत्यनारायण की पूजा करना काफी शुभ होता है। लंबी आयु एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी सत्यनारायण जी की कथा और पूजा करना विशेष लाभकारी होता है। सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने के लिए परिवार के साथ- साथ अन्य भक्तों को भी शामिल करें। इससे जीवन में सुख -समृद्धि आती है। इसके साथ ही आप जितने ज्यादा लोगों में कथा का प्रसाद वितरण करती हैं ये उतना ही ज्यादा लाभकारी होता है। 

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किस दिन करें सत्यनारायण कथा 

सत्यनारायण की कथा में यह बताया गया है कि सत्य का जीवन में कितना महत्व है। सत्य का पालन न करने पर किस तरह की समस्या आ सकती है। इसलिए जीवन में सत्य का पालन पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए। मुख्य रूप से सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजा हर महीने की पूर्णिमा तिथि को करने से विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वैसे गुरुवार के दिन भी भगवान सत्यनारायण की कथा करना फलदायी माना जाता है। 

यदि आप भी घर में सुख समृद्धि चाहती हैं तो सत्यनारायण की कथा अवश्य कराएं। लेकिन इस कथा को पूरी श्रद्धा भाव से नियमों का पालन करते हुए करना ज्यादा लाभकारी माना जाता है। 

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Image Credit: Freepik

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सत्यनारायण भगवान की कथा करने से क्या लाभ मिलता है?

इस कथा से वंशजों को सुख, समृद्धि, संतान, यश, कीर्ति, वैभव, पराक्रम, संपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य और शुभता का वरदान मिलता है। यह कथा घर में कराने से पूर्वजों को भी शांति और मुक्ति मिलती है। वे प्रसन्न होकर आशीष देते हैं।

सत्यनारायण की कथा सुनने से क्या फल मिलता है?

श्री सत्यनारायण व्रत गुरुवार को भी किया जाता है। महत्व- सत्य को ईश्वर मानकर, निष्ठा के साथ समाज के किसी भी वर्ग का व्यक्ति यदि इस व्रत व कथा का श्रवण करता है, तो उसे इससे निश्चित ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है

सत्यनारायण भगवान की कथा कब सुनना चाहिए?

श्री सत्यनारायण की कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है। इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए

सत्यनारायण की कथा कराने से क्या होता है?

स्कंद पुराण में कहा गया है कि सत्यनारायण भगवान विष्णु के ही रूप हैं. ऐसे में सत्यनारायण कथा कराने और सुनने से भक्त पर विष्णु जी की भी कृपा बरसने की मान्यता है. इससे जीवन में सुख-शांति आने की बात कही गई है. बता दें कि पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा कराना काफी शुभ माना गया है.