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गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरेया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे-मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होनेवाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे- टेम-टाइम टेसन/टिसन-स्टेशन।बखत-वक्त, गाडी-गाड़ी, टूशॅन-टयूशॅन, घनी-बहुत, इस्कूल-स्कूल, कित को-किधर को, जा रो-जा रहे हो, मो को-मुझ को, फिलम-फिल्म। 467 Views चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। स्वर और व्यंजन का मेल ऐसा मेल स्वर और व्यंजन का एक के समय जो सार्थक हो Romanized Version काल विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
खमा का मूल शब्द क्या है?"खमा " का मूल रूप होगा क्षमा। विकल्प ( ख)। गांव की बोली का उच्चारण कई शब्दो के लिए अलग होता है अर्थात बहुत से शब्दों का ग्रामीण उच्चारण अलग होता है।
खमा का शुद्ध रूप क्या है?खमा पु संज्ञा स्त्री० [सं० क्षमा, प्रा०, खमा] दे० 'क्षमा' ।
खमा और मुलुक का शुद्ध रूप क्या है?कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे-मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि।
सखा शब्द का मूल रूप क्या होता है?सखि शब्द (सखा / मित्र ): इकारांत पुल्लिंग संज्ञा, सभी इकारांत पुल्लिंग संज्ञापदों के शब्द रूप इसी प्रकार बनाते है जैसे – कवि, हरि, ऋषि, यति, विधि, जलधि, गिरि, रवि, अग्नि, आदि; परंतु पति का रूप अलग होगा।
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