कौन सा एंटीबायोटिक वायरल संक्रमण का इलाज करता है? - kaun sa enteebaayotik vaayaral sankraman ka ilaaj karata hai?

कौन सा एंटीबायोटिक वायरल संक्रमण का इलाज करता है? - kaun sa enteebaayotik vaayaral sankraman ka ilaaj karata hai?

कई तरह की दवाइयां आजमाने के बाद भी अगर टॉन्सिलाइटिस की समस्या दूर नहीं होती है तो आपको किसी ENT विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। लंबे समय तक सांस की बदबू और गले में खराश होने से कोई दूसरी गंभीर बीमारी हो सकती है।

टॉन्सिलाइटिस खुद से नहीं होता है। कुछ खास प्रकार के सूक्ष्मजीव हैं, जो टॉन्सिल्स में इंफेक्शन जिम्मेदार हैं। यह रोग वायरस या बैक्टीरिया के कारण हो सकता है। इसका सही उपचार तभी किया जा सकता है जब इसके प्रकार का सही ज्ञान हो। आइये जानते हैं कि आपको कौन सा टॉन्सिलाइटिस है, और वायरल या बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस में क्या फर्क होता है?

  • वायरल टॉन्सिलाइटिस (Viral tonsillitis)
  • बैक्टीरियल टांसिलाइटिस (Bacterial tonsillitis)
  • कैसे पहचाने की टॉन्सिलाइटिस वायरल है या बैक्टीरियल
    • वायरल टांसिलाइटिस के लक्षण
      • नाक बहना
      • थकान
      • खांसी
      • मुँह के अंदर चकत्ते पड़ना
      • संक्रमण का समय
    • बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस के लक्षण
      • गले में सफेद धब्बे
      • टॉन्सिल में फोड़ा
      • कान में इन्फेक्शन
      • गले की लसीका ग्रंथि में सूजन
  • वायरल और बैक्टीरियल टांसिलाइटिस का इलाज
    • टॉन्सिलाइटिस के घरेलू इलाज
    • टॉन्सिलाइटिस के लिए सर्जरी

वायरल टॉन्सिलाइटिस (Viral tonsillitis)

टॉन्सिलाइटिस होने का मुख्य कारण वायरस ही है। लगभग 90% टॉन्सिलाइटिस के केस वायरस से ही जुड़े होते हैं। वायरस जो टांसिलाइटिस का कारण बनते हैं उनके नाम नीचे दिए गए हैं-

  • एडिनोवायरस (Adenovirus)
  • राइनोवायरस (Rhinovirus)
  • कोरोनावाइरस (Corona virus)
  • साइटोमेगालो वायरस (Cytomegalovirus)
  • एंटरोवायरस (Enterovirus)
  • खसरा वायरस (Measles virus)
  • हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes simplex virus)
  • एपस्टीन बर्र वायरस (Epstein barr virus)
  • हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A)
  • एचआईवी (HIV)

यदि कोई व्यक्ति ऊपर बताए गए किसी भी वायरस से इनफेक्टेड है तो उसे टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। इसका मुख्य लक्षण सर्दी, गले मे दर्द और बुखार है। युवाओं और बच्चों में टॉन्सिलाइटिस होने का सबसे बड़ा कारण एप्सटीन बर्र वायरस है|

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बैक्टीरियल टांसिलाइटिस (Bacterial tonsillitis)

बैक्टीरिया की वजह से भी टॉन्सिलाइटिस हो जाता है। लेकिन बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस के केस 15 से 30% ही देखे जाते हैं। ज्यादातर मामलों में यह ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (Group A streptococcus) की वजह से होती है। कुछ अन्य बैक्टीरिया जो टांसिलाइटिस का कारण बनते हैं-

  • स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus)
  • क्लैमाइडिया निमोनिया (Chlamydia pneumonia)
  • नेइसेरिया गोनोरहोई (Neisseria gonorrhoeae )

कैसे पहचाने की टॉन्सिलाइटिस वायरल है या बैक्टीरियल

कुछ खास प्रकार के लक्षण हैं जो बता सकते हैं कि आपको वायरल टॉन्सिलाइटिस है या बैक्टीरियल। 

वायरल टांसिलाइटिस के लक्षण

नाक बहना

वायरल टॉन्सिलाइटिस  होने पर सबसे पहले नाक बहने लगती है। बुखार भी आ सकती है। व्यक्ति अस्वस्थ महसूस करता है तथा शरीर का तापमान 100.4℉ तक जा सकता है।

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थकान

वायरल टांसिलाइटिस होने पर व्यक्ति दिन भर थका हुआ महसूस करता है। टॉन्सिलाइटिस का कारण एप्सटीन बर्र वायरस है तो थकान अवश्य होगी। हर समय शरीर थका हुआ रहता है तथा यह लक्षण दो दिन से लेकर एक हफ्ते तक रह सकता है। थकान के साथ-साथ सिर दर्द, गले में दर्द, बुखार, गले में सूजन आदि समस्याएं भी रहती है।

खांसी

खासी होना आम है तथा इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन वायरल इन्फेक्शन होने पर खांसी जरूर होती है। लिरिनजियल इन्फेक्शन (laryngeal infection) के वजह से भी खांसी हो सकता है। लैरिंक्स (larynx) जिसे स्वर रज्जु (vocal cards) भी कहा जाता है, जब संक्रमित हो जाता है तो उसे लिरिनजियल इन्फेक्शन कहते हैं। इसकी वजह से भी खांसी हो सकती है लेकिन दोनो (टांसिलाइटिस और लेरिंजाइटिस) में वायरल इन्फेक्शन कॉमन है।

मुँह के अंदर चकत्ते पड़ना

वायरल इन्फेक्शन होने पर मुँह के भीतर ऊपर की तरफ लाल रंग के चकत्ते पड़ने लगते हैं। यह खाते-पीते समय दर्द भी दे सकता है। इसके अलावा टॉन्सिल्स के ऊपर हरे रंग की परत चढ़ना भी वायरल टांसिलाइटिस का ही एक लक्षण है।

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संक्रमण का समय

वायरल संक्रमण बैक्टीरियल संक्रमण से कमजोर होते हैं। वायरल इन्फेक्शन अधिक से अधिक एक सप्ताह के भीतर खत्म हो जाता है। अगर वायरल टांसिलाइटिस है तो सात दिन के अंदर सारे लक्षण दिखना बंद हो जाएंगे।

बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस के लक्षण

गले में सफेद धब्बे

बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित होने पर गले में टॉन्सिल्स के आसपास सफेद धब्बे नजर आएंगे। यह लक्षण आप शीशे के सामने मुंह खोलकर  देख सकते हैं।

टॉन्सिल में फोड़ा

बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से टॉन्सिल में फोड़ा हो सकता है। फोड़े के अंदर पस भरा होता है जो फूटने पर बाहर निकल सकता है। ये फोड़े मुँह खोलते वक्त या निगलते समय दर्द का कारण बनते हैं।

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कान में इन्फेक्शन

बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस की वजह से कान में संक्रमण हो सकता है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन मध्य कान तक पंहुच सकता है जो एक गंभीर विषय है।  हालाकि, ऐसे केस बहुत कम देखने को मिलते हैं। 

गले की लसीका ग्रंथि में सूजन

वायरल इनफेक्शन या अन्य प्रकार के इंफेक्शन की वजह से भी लसिका ग्रंथि में सूजन हो सकता है, लेकिन बैक्टीरियल इन्फेक्शन में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। आप गले मे गांठ महसूस कर कर सकते हैं। 

वायरल और बैक्टीरियल टांसिलाइटिस का इलाज

वायरल इंफेक्शन होने पर एंटीबायोटिक दवाएं असर नहीं दिखाती हैं, लेकिन कुछ उपाय हैं जिन्हें आजमाकर आप वायरल या बैक्टीरियल, दोनो प्रकार के टांसिलाइटिस से छुटकारा पा सकते हैं।

टॉन्सिलाइटिस के घरेलू इलाज

  • ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
  • भरपूर पानी पिएं। डिहाइड्रेशन की स्थिति न बनने पाए।
  • खराश दूर करने से लिए दवा लें।
  • गुनगुने पानी से गरारा करें।
  • धूम्रपान या शराब न पिएं।
  • बैक्टीरियल इन्फेक्शन है तो एन्टी-बायोटिक दवा का सेवन करें। 

टॉन्सिलाइटिस के लिए सर्जरी

किसी भी प्रकार के टॉन्सिलाइटिस से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो टॉन्सिल्लेक्टोमी करा सकते हैं। डॉंक्टर निम्न स्थितियों में टॉन्सिल्लेक्टोमी की सलाह दे सकते हैं-

  • बार-बार टांसिलाइटिस होने पर
  • टॉन्सिलाइटिस क्रोनिक हो जाने पर

टॉन्सिल्लेक्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमे टॉन्सिल्स को हटा दिया जाता है। आप Pristyn Care में टांसिलाइटिस का दर्दरहित उपचार करा सकते हैं। Pristyn Care में अनुभवी ENT सर्जन मौजूद हैं जो एडवांस तकनीक का इस्तेमाल कर कम समय में सबसे अच्छा इलाज इलाज करते हैं। डॉक्टर पहले निदान (जाँच) करेंगे और यदि इसे दवाइयों से ठीक किया जा सकता है तो सर्जरी नहीं की जाएगी। निदान/सर्जरी के लिए आप ऑनलाइन अपॉइंटमेंट भी बुक कर सकते हैं। अपॉइंटमेंट बुक करना बिल्कुल मुफ्त है।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

वायरल बुखार में कौन सा एंटीबायोटिक लेना चाहिए?

आपके लिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि वायरल बुखार में एंटीबायोटिक दवाएं किसी काम की नहीं होतीं।

सबसे अच्छा एंटीबायोटिक दवा कौन सा है?

मोटे तौर पर इन दवाओं को छह समूहों में बांटा जा सकता है। इनमें सबसे पुरानी एंटीबायोटिक दवा पेनिसिलिन है, जो आजकल कम प्रचलन में है। 0 आमतौर पर माना जाता है कि बुखार या सर्दी-जुकाम होने पर एंटीबायोटिक दवा देनी ही पड़ेगी। वायरल संक्रमण केवल एंटीबायोटिक मेडिसिन से ही ठीक होते हैं, यह सोचना गलत है।

वायरल बुखार में कौन सी दवा देनी चाहिए?

आपके पास बीटाडीन गार्गल है तो उससे भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद भाप लें। वायरस पर दवाएं असर नहीं करतीं इसलिए एंटीबायोटिक वगैरह न लें। यूएस के डॉक्टर एरिक बर्ग के मुताबिक, अगर आपको बुखार चढ़ गया है तो इसका मतलब आपका इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ रहा है।

गले के संक्रमण के लिए कौन सा एंटीबायोटिक सबसे अच्छा है?

पेनीसिलिन या एमॉक्सीलिन स्ट्रेप के इलाज के लिए बेहतर है, क्योंकि जिन्हें पेनीसिलिन की एलर्जी न हो, उनके लिए यह काफी सुरक्षित और प्रभावशाली होता है. एजिथ्रोमाइसिन जैसे मैक्रोलाइड्स के प्रति स्ट्रेप की लड़ने की क्षमता कम हो रही है. डॉ.