जॉर्ज पंचम की नाक किसने और क्यों थोड़ी होगी? - jorj pancham kee naak kisane aur kyon thodee hogee?

Summary of जॉर्ज पंचम की नाक (George Pancham ki Naak) Class 10th Kritika Notes

इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ हिंदुस्तान पधारने वाली थी। देश की सारी अखबारें इस शाही दौरे की खबरों से भरी थीं। इस दौरे के लिए छोटी-से-छोटी बात पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई थीं। रानी का दर्जी परेशान था कि हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर रानी कब क्या पहनेंगी? उनका सेक्रेटरी और जासूस भी उनसे पहले ही दौरा करने वाले थे। फोटोग्राफरों की फौज तैयार हो रही थी। रानी की जन्मपत्री और प्रिंस फिलिप के कारनामों के अतिरिक्त अखबारों में उनके नौकरों, बावरचियों, खानसामों, अंगरक्षकों और कुत्तों की तसवीरें छापी गई थीं। दिल्ली में शाही सवारी के आगमन से धूम मची हुई थी। वहाँ की सदा धूल-मिट्टी से भरी रहने वाली सड़कें साफ़ हो गईं। इमारतों को सजाया गया, सँवारा गया।

एक बहुत बड़ी मुश्किल सामने आ गई थी। नई दिल्ली में जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक नहीं थी। जॉर्ज पंचम की नाक के लिए किसी वक्त आंदोलन हुए थे। राजनीतिक पार्टियों ने प्रस्ताव पास किए थे। अखबारों के पन्ने रंग गए थे। बहस इस बात पर थी कि जॉर्ज पंचम की नाक रहने दी जाए या हटा दी जाए। इसके लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात कर दिए गए थे| पर इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक अचानक गायब हो गई थी।

अब महारानी देश में आ रही थी और मूर्ति की नाक न हो, तो परेशानी होनी ही थी। देश की भलाई चाहने वालों की एक मीटिंग बुलाई गई जिसमें सभी इस बात से सहमत थे कि मूर्ति की नाक तो होनी ही चाहिए। यदि वह नाक न लगाई गई, तो देश की नाक भी नहीं बचेगी। उच्च स्तर पर सलाह-मशविरे से तय किया गया कि किसी मूर्तिकार से मूर्ति की नाक लगवा दी जाए। मूर्तिकार ने कहा कि नाक तो लग जाएगी, पर उसे पता होना चाहिए कि वह मूर्ति कहाँ बनी थी, कब बनी थी और इसके लिए पत्थर कहाँ से लाया गया था। पुरातत्व विभाग की फाइलों से भी कुछ पता नहीं चला। मूर्तिकार ने सुझाव दिया कि वह देश के हर पहाड़ पर जाएगा और वैसा ही पत्थर ढूँढ़कर लाएगा, जैसा मूर्ति में लगा था। मूर्तिकार हिंदुस्तान के सभी पहाड़ी प्रदेशों और पत्थरों की खानों के दौरे पर निकल गया परन्तु उसे वैसा पत्थर नहीं मिला। उसने पत्थर को विदेशी बता दिया|

मूर्तिकार ने सुझाव दिया कि देश में नेताओं की अनेक मूर्तियाँ लगी है। यदि उनमें से किसी एक की नाक लाट की मूर्ति पर लगा दी जाए, तो ठीक रहेगा। सभापति ने सभा में उपस्थित सभी लोगों की सहमति से ऐसा करने की आज्ञा दे दी| जॉर्ज पंचम की नाक का माप उसके पास था। वह दिल्ली से बम्बई, गुजरात, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश से होकर मद्रास, मैसूर, केरल आदि सभी प्रदेशों का दौरा करता हुआ पंजाब पहुँचा। उसने गोखले, तिलक, शिवाजी, गाँधीजी, सरदार पटेल, गुरुदेव, सुभाषचंद्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, बिस्मिल, मोतीलाल नेहरू, सत्यमूर्ति लाला लाजपतराय तथा भगतसिंह की लाटों को देखा-परखा, पूरे हिन्दुस्तान की परिक्रमा कर आया, पर उसे जॉर्ज पंचम की नाक का सही माप कहीं नहीं मिला, क्योंकि जॉर्ज पंचम की नाक से सब बड़ी निकली।

मूर्तिकार ने अपनी नई योजना पेश करते हुए कहा की देश की चालीस करोड जनता में से किसी की जिंदा नाक काटकर मूर्ति पर लगा देनी चाहिए। यह सुनकर सभापति परेशान हुआ, पर मूर्तिकार को इसकी इजाजत दे दी गई। अखबारों में केवल इतना छपा कि नाक का मसला हल हो गया है और इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट के नाक लग रही है। नाक लगने से पहले फिर हथियारबंद पहरेदारों की तैनाती हुई। मूर्ति के आसपास का तालाब सुखाकर साफ़ किया गया। उसकी रवाब निकाली गई और ताजा पानी डाला गया, ताकि लगाई जाने वाली जिंदा नाक सूख न जाए।

थोड़े दिनों बाद अखबारों में छप गया कि जॉर्ज पंचम के जिंदा नाक लगाई गई है जो बिलकुल पत्थर की नहीं लगती। उस दिन अखबारों में किसी प्रकार के उद्धघाटन या सार्वजनिक सभा की खबर नहीं छपी थी| किसी का ताजा चित्र नहीं छपा। सभी अखबार खाली थे|

कठिन शब्दों के अर्थ

• मय - के साथ
• तूफानी दौरा - जल्दबाजी में किया गया भ्रमण
• बेसाख्ता - स्वाभाविक रूप से
• खुदा की रहमत - ईश्वर की दया
• काया पलट - पूरी तरह से परिवर्तन
• नाज़नीनों - सुंदर स्त्री
• दास्तान - कहानी
• लाट - मूर्ति
• खेरख्वाहों - भलाई चाहने वाले
• हुक्कामों - स्वामियों
• ताका - देखा
• खता - गलती
• दारोमदार - कार्यभार
• किस्म - प्रकार
• बदहवासी - परेशानी
• हैरतअंगेज ख्याल - आश्चर्यचकित करने वाला विचार
• कानाफूसी - धीमे स्वर में बातचीत
• हिदायत - सलाह, सावधानी।


NCERT Solutions of जॉर्ज पंचम की नाक

जॉर्ज पंचम’ की नाक लगने वाले खबर के दिन सारे अखबार इसलिए चुप थे क्योंकि केवल ब्रिटिश सरकार रानी एलिजाबेथ को दिखाने के लिए जॉर्ज पंचम की पत्थर की लाट पर किसी जिंदा भारतीय की नाक काट कर लगा दी गई थी।
यह एक बेहद ही असम्मानजनक कार्य था। भारतीय हुक्मरानों द्वारा किया गया यह काम किसी को भी पसंद नहीं आया। इससे सभी भारतीयों की नाक यानी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। इसी के विरोध में सारे अखबार उस दिन चुप रहे और किसी ने इससे संबंधित कोई खबर नहीं चाहती।
अगर ऐसी कोई खबर छाप देते तो पूरी दुनिया को पता चल जाता कि भारतीय हुक्मरान अभी भी गुलामी की मानसिकता में हैं। अभी भी बच्चों के सामने जी हुजूरी करते नजर आते हैं।

पाठ के बारे में…

‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ ‘कमलेश्वर’ द्वारा लिखा गया एक व्यंग्यात्मक लेख है, जिसमें उन्होंने आजादी के बाद भारतीय नेताओं और नौकरशाही की उस गुलाम मानसिकता पर व्यंग्य किया है, जिससे वह आजादी के बाद भी बाहर नही निकल नहीं पाए हैं। वे इंग्लैंड की महारानी के भारत आगमन पर ऐसा आचरण करते हैं कि जैसे वह इंग्लैंड की महारानी नहीं भारत की हो।
आजादी से पहले इंग्लैंड की महारानी भले ही भारत की भी महारानी कहलाती थी, लेकिन भारत की आजादी के बाद वह भारत से उसका कोई संबंध नहीं रहा, लेकिन  कुछ भारतीय नौकरशाह अभी भी उसी गुलामी की मानसिकता में जी रहे थे और इंग्लैंड की महारानी को आज भी भारत की महारानी समझते थे। लेखक ने ने इसी पर व्यंग कसा है।कमलेश्वर हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक रहे हैं, जो अपनी प्रासंगिक कहानी एवं उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक कहानियां, उपन्यास, स्तंभ लेखन तथा फिल्मी पटकथायें लिखी थीं। वह एक जाने-माने पत्रकार भी रहे।
उनका जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। कमलेश्वर द्वारा लिखें गया उपन्यासों में ‘कितने पाकिस्तान’ बेहद प्रसिद्ध रहा। उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानियां आदि लिखे तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक का भी कार्य किया। 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया।

संदर्भ पाठ :

जॉर्ज पंचम की नाक, कमलेश्वर, (कक्षा – 10, पाठ – 2, हिंदी, कृतिका भाग 2)

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

“नई दिल्ली में सब था… सिर्फ़ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

 

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आपके अनुसार जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक किसने और क्यों थोड़ी होगी?

उत्तर: जार्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने बड़े यत्न किए। पहले तो वह पूरे हिंदुस्तान की खाक छानता रहा ताकि उसे मूर्ति में इस्तेमाल हुए पत्थर जैसा ही पत्थर मिल जाए। फिर वह हिंदुस्तानी नेताओं की मूर्तियों की नाक का मुआयना करने निकल पड़ा।

जॉर्ज पंचम की नाक किसकी थी?

यह बात उस समय की है जब इंग्लैंण्ड की रानी ऐलिज़ाबेथ द्वितीय अपने पति के हिन्दुस्तान पधारने वाली थीं. अख़बारों में उनके चर्चे हो रहे थे. रोज़ लन्दन के अख़बारों में ख़बरें आ रही थीं कि शाही दौरे के लिए कैसी-कैसी तैयारियां हो रही हैं....

जॉर्ज पंचम की नाक का उद्देश्य क्या है?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का उद्देश्य यह है कि अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी सत्ता से जुड़े विभिन्न प्रकार के लोगों की औपनिवेशिक दौर की मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट करना है

जॉर्ज पंचम की नाक कैसे और कहां चली गई थी?

कहीं-कहीं तो शाही लाटों की नाकों के लिए गुरिल्ला युद्ध होता रहा... उसी जमाने में यह हादसा हुआ, इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की लाट की नाक एकाएक गायब हो गई ! हथियारबंद पहरेदार अपनी जगह तैनात रहे। गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई