हरि शब्द का गलत अर्थ क्या है? - hari shabd ka galat arth kya hai?

विषयसूची

  • 1 हरी शब्द का क्या अर्थ है?
  • 2 हरि के कितने अर्थ है?
  • 3 हरि शब्द का गलत अर्थ क्या है?
  • 4 हरिओम का राशिफल क्या है?
  • 5 हरि हरी श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्दों के क्या अर्थ हैं?
  • 6 मैं और हरि के निवास में क्या अंतर है?
  • 7 शिव जी किसकी पूजा करते हैं?
  • 8 हरिओम नाम के व्यक्ति कैसे होते हैं?

हरी शब्द का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंहरी नाम का मतलब – Hari ka arth आपको बता दें कि हरी का मतलब सूर्य, यार, ग्रीन, लाइट, चंद्रमा, इंद्र के लिए एक और नाम है, ब्रह्मा विष्णु और शिव होता है।

हरि के कितने अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंहरि नाम का अर्थ “सूरज, आदमी, हरा, हल्का, चाँद, इंद्र, ब्रह्मा विष्णु और शिव” होता है।

मैं और हरि का शाब्दिक अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंबादमी या भूरा। ईश्वर।

हरि शब्द का गलत अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंहरि का अर्थ : इन्द्र का एक नाम, चंद्रमा, मेढ़क, सांप, सिंह ( नर ), ग्रह, शुक्र, सूर्य, ईश्वर, आदि है। जायसी का एक पद है, “सूखा हिया हार भारी। हरि हरि प्रान तजहिं सब नारी।” यहाँ ” हरि हरि ” का अर्थ धीरे-धीरे है जो एक क्रिया विशेषण है।

हरिओम का राशिफल क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअगर आपका नाम हरिओम है तो आपकी कर्क राशि है।

नारायण शब्द का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजल जिसका प्रथम अयन या अधिष्ठान है उस परमात्मा का नाम हुआ ‘नारायण’ । महाभारत के एक श्लोक के भाष्य में कहा गया है कि नर नाम है आत्मा या परमात्मा का । आकाश आदि सबसे पहले परमात्मा से उत्पन्न हुए इससे उन्हें नारा कहते हैं । यह ‘नारा’ कराणस्वरूप होकर सर्वत्र व्याप्त है इससे परमात्मा का नाम नारायण हुआ ।

हरि हरी श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्दों के क्या अर्थ हैं?

इसे सुनेंरोकेंहरि का अर्थ – विष्णु उसके ऊपर हरी साड़ी बहुत फब रही है। हरि ही सब कष्टों को हरने वाले हैं।

मैं और हरि के निवास में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. कबीर कहते हैं कि ईश्वर तो हम सबके अंदर वास करते हैं लेकिन हम उस बात से अनजान होकर ईश्वर को तीर्थ स्थानों के चक्कर लगाते रहते हैं। जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि। उत्तर: जब मनुष्य का मैं यानि अहँ उसपर हावी होता है तो उसे ईश्वर नहीं मिलते हैं।

शिव और विष्णु में कौन बड़ा है?

इसे सुनेंरोकेंभगवान शिव के भक्तों की दृष्टि में वे स्वयंभू हैं, वहीं वैष्णवों की दृष्टि में भगवान विष्णु स्वयंभू हैं। इस कहानी में भगवान विष्णु को शिव से अधिक महान दर्शाया गया है।

शिव जी किसकी पूजा करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंभगवान शिव पूर्ण परमात्मा कबीर द्वारा दिये गये प्रथम मन्त्र की पूजा करते हैं। भगवान शिव श्री राम का ध्यान करते हैं।

हरिओम नाम के व्यक्ति कैसे होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइस नाम का ग्रह स्वामी चन्द्रमा है और शुभ अंक 2 है। चन्द्रमा के प्रभाव के कारण इस नाम के व्यक्ति हर किसी की मदद करने में हमेशा तत्पर रहेंगे। शुभ अंक 2 वाले व्यक्ति दयालु प्रवृति और मार्गदर्शक की तरह होते हैं।

हिन्दवी शब्दकोश

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हरि

  • शब्दभेद : संज्ञा पुल्लिंग

हरि का हिंदी अर्थ

  • विष्णु
  • सूर्य
  • इंद्र
  • ईश्वर; भगवान
  • शेर; सिंह
  • बौद्धों के अनुसार एक बहुत बड़ी संख्या।

हिन्दी[सम्पादन]

संज्ञा[सम्पादन]

[पुल्लिंग]; भगवान, ईश्वर, परमपुरुष |

अर्थ[सम्पादन]

हिन्दुओं के एक प्रमुख भगवान जो सृष्टि का पालन करने वाले माने जाते हैं।

उदाहरण[सम्पादन]

१. कबिरा ते नर अंध है, गुरु को समझे और।
हरि रूठे गुरु शरण हैं, गुरु रूठे नहीं ठौर।।
२. कबीर हरि की भगति बिन, ध्रिग जीवन संसार।
धूँवाँ केरा धौलहर, जातन लागै बार।

पर्यायवाची[सम्पादन]

अंबरीष, अक्षर, अच्युत, अनीश, अन्नाद, अब्धिशय, अब्धिशयन, अमरप्रभु, अमृतवपु, अम्बरीष, अरविंद नयन, अरविन्द नयन, अरुण-ज्योति, अरुणज्योति, असुरारि, इंदिरा रमण, कमलनयन, कमलनाभ, कमलनाभि, कमलापति, कमलेश, कमलेश्वर, कुंडली, कुण्डली, केशव, कैटभारि, खगासन, खरारि, खरारी, गजाधर, गरुड़गामी, गरुड़ध्वज, चक्रधर, चक्रपाणि, चक्रेश्वर, चिरंजीव, जगदीश, जगदीश्वर, जगद्योनि, जगन्, जनार्दन, जनेश्वर, डाकोर, त्रिलोकीनाथ, त्रिलोकेश, त्रिविक्रम, दम, दामोदर, देवाधिदेव, देवेश्वर, धंवी, धन्वी, धातृ, धाम, नारायण, पद्म-नाभ, पद्मनाभ, पुंडरीकाक्ष, फणितल्पग, बाणारि, बैकुंठनाथ, मधुसूदन, महाक्ष, महागर्भ, महानारायण, महाभाग, महेंद्र, महेन्द्र, माधव, माल, रत्ननाभ, रमाकांत, रमाकान्त, रमाधव, रमानाथ, रमानिवास, रमापति, रमारमण, रमेश, लक्ष्मीकांत, लक्ष्मीकान्त, लक्ष्मीपति, वंश, वर्द्धमान, वर्धमान, वसुधाधर, वारुणीश, वासु, विधु, विभु, विश्वंभर, विश्वकाय, विश्वगर्भ, विश्वधर, विश्वनाभ, विश्वप्रबोध, विश्वबाहु, विश्वम्भर, विष्णु, वीरबाहु, वैकुंठनाथ, व्यंकटेश्वर, शतानंद, शतानन्द, शारंगपाणि, शारंगपानि, शिखंडी, शिखण्डी, शुद्धोदनि, शून्य, शेषशायी, श्रीकांत, श्रीकान्त, श्रीनाथ, श्रीनिवास, श्रीपति, श्रीरमण, श्रीश, सत्य-नारायण, सत्यनारायण, सर्व, सर्वेश्वर, सहस्रचरण, सहस्रचित्त, सहस्रजित्, सारंगपाणि, सुप्रसाद, सुरेश, स्वर्णबिंदु, स्वर्णबिन्दु, हिरण्यकेश, हिरण्यगर्भ, हृषिकेश, हृषीकेश

अर्थ[सम्पादन]

यदुवंशी वसुदेव के पुत्र जो विष्णु के मुख्य अवतारों में से एक हैं।

उदाहरण[सम्पादन]

सूरदास कृष्ण के परम भक्त थे।

पर्यायवाची[सम्पादन]

अच्युत, अनंत-जित्, अनंतजित्, अनन्त-जित्, अनन्तजित्, अरिकेशी, अहिजित, कंसारि, कन्हैया, कमलनयन, कान्हा, कामपाल, कालियमर्दन, किशन, कुंजबिहारी, कृष्ण, कृष्णचंद्र, केशव, खरारि, खरारी, गरुड़गामी, गिरधर, गिरधारी, गिरिधर, गिरिधारी, गुपाल, गोपाल, गोपीश, गोपेश, गोविंद, गोविंदा, गोविन्द, गोविन्दा, घनश्याम, तुंगीश, दामोदर, द्वारकाधीश, द्वारकानाथ, द्वारकेश, द्वारिकाधीश, द्वारिकानाथ, नंदकिशोर, नंदकुँवर, नंदकुमार, नंदनंदन, नंदलाल, नटराज, नन्दकिशोर, नन्दकुँवर, नन्दकुमार, नन्दनन्दन, नन्दलाल, नरनारायण, नवलकिशोर, पीतवास, पूतनारि, पूतनासूदन, बकवैरी, बनवारी, बलबीर, ब्रजबिहारी, मंजुकेशी, मधुसूदन, मनमोहन, माधव, मुकुंद, मुकुन्द, मुरली मोहन, मुरलीधर, मुरलीवाला, मुरारी, मोहन, यवनारि, यादवेंद्र, यादवेन्द्र, योगीश, योगीश्वर, योगेश, योगेश्वर, राधारमण, रासबिहारी, वंशीधर, वंशीधारी, वनमाली, वासुदेव, विट्ठलदेव, विपिन विहारी, विश्वपति, वृषदर्भ, वृषनाशन, वृष्णि, वृष्णिक-गर्भ, वेदबाहु, वेदाध्यक्ष, शकटहा, शकटारि, शतानंद, शतानन्द, शवकृत, शिखंडी, शिखण्डी, श्याम, श्रीकृष्ण, सोमेश, सोमेश्वर, हृषीकेश

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हरि जू इते दिन कहाँ लगाए । तबाहिँ अवधि मैं कहत न समुझी गनत अचानक आए ।—सूर॰ ,१० ।४२८८ । (ख) नाचि अचानक हीँ उठे बिनु पावस बन मोर ।—बिहारी र॰, दो॰ ४६९ ।

हरि ^१ वि॰ [सं॰]

१. पिंगल (वर्ण) । भूरा या बादामी ।

२. पीला ।

३. हरे रंग का । हरा । हरित् ।

४. हरीतिमायुक्त पीला ।

५. वहन करनेवाला । ढोने या ले जानेवाला (को॰) ।

हरि ^२ संज्ञा पुं॰

१. विष्णु । भगवान् ।

२. इंद्र ।

३. घोड़ा ।

४. बंदर या बनमानुस ।

५. सिंह ।

६. सिंह राशि ।

७. सूर्य ।

८. किरण ।

९. चंद्रमा ।

१०. गीदड़ ।

११. शुक । सूआ । तोता ।

१२. मोर । मयूर ।

१३. कोकिल । कोयल ।

१४. हंस ।

१५. मेढक । मंडूक ।

१६. सर्प । साँप ।

१७. अग्नि । आग ।

१८. वायु ।

१९. विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ।

२०. श्रीराम । उ॰—हरि हित हरहु चाप गरुआई ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२१. शिव ।

२२. यम ।

२३. शुक्र ।

२४. गरुड के एक पुत्र का नाम ।

२५. एक पर्वत का नाम ।

२६. एक वर्ष या भूभाग का नाम ।

२७. अठारह वर्णों का एक छंद या वृत्त । उ॰—बानर गन बानन सन केशव जबहीं मुरयौ । रावन दुखदावन जगपावन समुहें जुरयो (शब्द॰) ।

२८. बौद्धशास्त्रों में एक बड़ी संख्या का नाम ।

२९. ब्रह्मा का नाम (को॰) ।

३०. मनुष्या मनुज । मानव (को॰) ।

३१. भर्तृहरि कवि ।

३२. उच्चैश्रवा । इंद्र का अश्व (को॰) ।

३३. पीत वर्ण या हरापन लिए पीला रंग [को॰] ।

३४. एक लोक का नाम (को॰) ।

३४. तामस मन्वंतर के एक देववर्ग का नाम (को॰) ।

हरि पु ^३ वि॰ [फा॰ हर] प्रत्येक । उ॰—कहेसि ओहि सँवरौं हरि फेरा ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ १११ ।

हरि पु ^४ अव्य॰ [हिं॰ हरुए] धीरे । आहिस्ते । उ॰—सूखा हिया हार भा भारी । हरि हरि प्रान तजहिं सब नारी—जायसी (शब्द॰) । यौ॰—हरि हरि=धोरे धीरे । शनैः शनैः ।

हरि का शाब्दिक अर्थ क्या होता है?

विष्णु 2. सूर्य 3. इंद्र 4. ईश्वर; भगवान 5.

हरि इस शब्द के भिन्न भिन्न अर्थ क्या है?

पिंगल (वर्ण) । भूरा या बादामी । २. पीला ।

हरि और हर में क्या अंतर है?

हरिहर दो शब्दों से मिलकर बना है- हरि और हर। यहां पर हरि का तात्पर्य विष्णु और हर का शिव है।

मुझसे हरि शब्द का क्या अर्थ है?

हरि शब्द का क्या अभिप्राय है? हरि शब्द एक संज्ञा या नाम है जो उस शक्ति को दिया जाता है जिसमें मानव पर पड़ने वाले कष्टों को हरने की इच्छा और शक्ति , दोनों हो। क्यूँकि यह दोनों ही ईश्वर मे तो अवश्य होती हैं इसलिये ईश्वर को तो हरि कहते ही है। एक भजन की पहली पंक्ति मुझे बहुत प्रिय है ' मैं हरि पतित पावन सुने!