Show राम भक्त हनुमान जी के जहां चरण पड़ जाएं, उस स्थान से समस्त दुखों और कष्टों का नाश हो जाता है। जिन्हें मंगल मूर्ति कहा जाता है उनके रहते कभी किसी का अमंगल नहीं होता। महाभारत के युद्ध में अर्जुन के ध्वज पर शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ Tuesday Hanuman Ji Ke Upay- राम भक्त हनुमान जी के जहां चरण पड़ जाएं, उस स्थान से समस्त दुखों और कष्टों का नाश हो जाता है। जिन्हें मंगल मूर्ति कहा जाता है उनके रहते कभी किसी का अमंगल नहीं होता। महाभारत के युद्ध में अर्जुन के ध्वज पर हनुमान जी विराजित थे। जिससे अर्जुन को बल मिलता था और वे कहीं भी परास्त नहीं हुए। इनकी कृपा से सब प्रकार की आसुरी शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। प्रभु के प्रतीकों को अपने घर में स्थापित कर आप उन्हें अपने सहाई बना सकते हैं। तो आइए जानें, हनुमान जी को कैसे बनाएं अपने घर का रक्षक- लाल पताका जिस पर हनुमान जी का चित्र अंकित हो, घर के आगे लगाने वाले बंधनवार जो कि लाल रक्षासूत्र से बने हों, छोटे लाल मुख वाले वानरों की प्रतिमाएं और श्री राम नाम अंकित पट्टिका। ये सब हनुमान जी के चिन्ह हैं इन्हें घर पर लगाने से स्वतः ही प्रभु के होने का आभास होता है। वह रक्षक के रूप में आपके घर-परिवार की रक्षा करते हैं। और ये भी पढ़े
अगर घर में दुर्घटनाओं का भय रहता हो, नेगेटिव एनर्जी का आभास हो, घर में मंगल कार्य होने में अड़चनें आती हों तो अपने घर की छत पर सुबह 10 से 12 बजे के बीच लाल सूती कपड़े से बना हुआ झंडा, जिस पर श्री राम अथवा हनुमान जी चित्र उल्लेखित हो लगाएं। झंडा फहराने के बाद धूप, अगरबत्ती, पुष्प, चढ़ाकर लड्डू का भोग लगा कर घर के सदस्यों को बांटें। कोर्ट-कचहरी में जीत या राजनीतिक जीत के चाहवान पताका अवश्य लगाएं। ध्यान रहें, पताका लाल रंग की हो, जिसकी किनारी सुनहरे रंग की हो, दक्षिण की दिशा में लगाएं। ऐसा करने से विजय श्री शीघ्र प्राप्त होगी। लाल मुख वाले वानरों की मिट्टी की प्रतिमाएं घर के मुख्य द्वार पर रखने से, घर में जल्दी अनैतिक लोगों का आगमन नहीं होता, पुलिस नहीं आती, घर की रक्षा स्वंय बजरंगबली करते हैं। पूर्व की दिशा में विजय ध्वज लगाने से सरकारी कामों में सफ़लता मिलती है। रिश्तों में भी आपकी धाक जमती है। जिन घरों में श्री राम के नाम का उच्चारण होता रहता है, उनके रक्षक संकटमोचन हनुमान होते हैं। घर के बाहर श्री राम नाम की पट्टिका लगाने से सुख-शांति बनी रहती है। नीलम
style="font-size:16px;">भूत-पिशाच : भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥ अर्थ : जहां महावीर हनुमानजी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते। जिसे किसी अनजान शक्ति या भूत पिशाच आदि से डर लगता है वे हनुमानजी का बस नाम ही जपते रहेंगे तो भयमुक्त हो जाएंगे। भूत-पिशाच जैसी ऊपरी बाधाओं से परेशान व्यक्ति को बजरंगबाण का पाठ करना चाहिए और नित्य या मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को अगरबत्ती लगाना चाहिए। फैक्ट्री या व्यवसाय-स्थान आदि पर भूत-प्रेतों का साया न पड़े, इसके लिए अपने-अपने प्रतिष्ठानों के ऊपर हनुमान ध्वज (झंडा) लगाना चाहिए। यह ध्वज लाल कलर का हो। बुरी आत्माओं का प्रवेश घर में न हो, इसके लिए द्वार पर सिंदूर से राम-राम लिखकर 7 बिंदु लगा दे जिससे आपका घर सुरक्षित रहेगा। मकान के आसपास शमशान हो या कोई खंडहर भवन हो तो ऐसे में मकान के ऊपर हनुमत-ध्वज की स्थापना कर देनी चाहिए। भयमुक्त जीवन : यदि आप अंधेरे, भूत-प्रेत से डरते हैं या किसी भी प्रकार का भय है तो आप 'हं हनुमंते नम:' का रात को सोने से पूर्व हाथ-पैर और कान-नाक धोकर पूर्वाभिमुख होकर 108 बार जप करके सो जाएं। कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे आपमें निर्भीकता का संचार होने लगेगा। अगले पनने पर दूसरी बाधा... हनुमान जी का झंडा कब लगाना चाहिए?भूत-पिशाच जैसी ऊपरी बाधाओं से परेशान व्यक्ति को बजरंगबाण का पाठ करना चाहिए और नित्य या मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को अगरबत्ती लगाना चाहिए। फैक्ट्री या व्यवसाय-स्थान आदि पर भूत-प्रेतों का साया न पड़े, इसके लिए अपने-अपने प्रतिष्ठानों के ऊपर हनुमान ध्वज (झंडा) लगाना चाहिए। यह ध्वज लाल कलर का हो।
हनुमान जी का झंडा कौन सी दिशा में लगाएं?ध्यान रहें, पताका लाल रंग की हो, जिसकी किनारी सुनहरे रंग की हो, दक्षिण की दिशा में लगाएं।
हनुमान जी को झंडा चढ़ाने से क्या होता है?हनुमानजी को यूं तो लाल या केसरिया ध्वज या झंडा चढ़ाया जाता है किसी कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु या युद्ध में विजय हेतु। हालांकि झंडा चढ़ाने वाले का मान-सम्मान बढ़ता जाता है और उसे हर कार्य में तरक्की मिलती है। यह झंडा त्रिकोणीय होना चाहिए और उस पर 'राम' लिखा होना चाहिए।
हनुमान जी का ध्वजारोहण कैसे करें?हनुमानजी को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं, सिंदूर अर्पित करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। 5. अच्छे से पंचोपचार पूजा करने के बाद उन्हें प्रसाद या नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
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