उत्तर प्रदेश के औरैया में शनिवार की देर रात बर्थ-डे पार्टी में हर्ष फायरिंग की गई, जिसमें 18 साल के लड़के की गोली लगने से मौत हो गई. मामला सदर कोतवाली क्षेत्र की बाल्मीकि बस्ती का है. यहां एक घर में 6 साल के बच्चे की बर्थ-डे पार्टी चल रही थी. उसी दौरान पार्टी में कुछ युवकों ने हर्ष फायरिंग कर दी. जिसमें से एक गोली जाकर देव कुमार के पेट में लग गई. गोली लगने से देव गंभीर रूप से घायल हो गया. परिजन तुरंत उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. वहीं, फायरिंग करने वाले युवक मौके से फरार हो गए. मौके पर पहुंची एसपी चारू निगम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और शव को पोस्टमार्ट के लिए भिजवा दिया. परिजनों ने पुलिस को बताया कि बर्थ-डे वाले घर में नीचे कमरे में केक काटा जा रहा था. ऊपर वाले कमरे में चार-पांच लोग शराब पी रहे थे. इसी दौरान हर्ष फायरिंग की गई. गोली देव कुमार के पेट में जा लगी. गोली चलने की आवाज सुनकर वहां मौजूद लोग मौके पर पहुंच गए और उसे जिला अस्पताल भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. फिलहाल मामले की जांच जारी है. इससे पहले सोनभद्र में एक शादी समारोह के दौरान हुए हर्ष फायरिंग में गोली लगने से सेना के जवान की मौत हो गई थी. इस मामले में आरोपी दूल्हे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के अनुसार, दूल्हा मनीष मद्धेशिया ने ही पिस्टल से हर्ष फायरिंग की और गोली लगने से उसके दोस्त की मौत हो गई. 38 साल के बाबूलाल यादव आर्मी के जवान थे. जिस पिस्टल से गोली चली वह बाबूलाल की ही थी. प्राक्षेपिक अभिघात (बैलिस्टिक ट्रौमा) या बंदूक की गोली के घाव (GSW), शारीरिक आघात का एक रूप है जो की हथियारों के लगने से होता है। बैलिस्टिक आघात, घातक साबित होता है और लंबी अवधि के परिणामों का कारण भी बन सकता है।[1] ऊतक व्यवधान की डिग्री का नष्ट होना बंदूक से निकली प्रोजेकटाईल स्थायी गुहा बनाम और अस्थायी गुहा बनाम के आकार पर निर्भर करता है।[2] गुहिकायन की हद प्रोजेकटाईल की निम्न विशेषताओं पर निर्भर करता है:
बंदूक की गोली लगने के तुरंत बाद आम तौर पर गंभीर खून बहता है और इसके साथ-साथ हाइपोवेलमिक सदमे की स्थिति भी उत्पन्न होती है। हाइपोवेलमिक स्थिति वह स्थिति है जिसमे महत्वपूर्ण अंगों को ऑक्सीजन की अपर्याप्त वितरण प्राप्त होती है। यह इसलिए होता है क्यूंकि बंदूक से आघात होने से बहुत खून बहता है और इसी कारण ऑक्सीजन नहीं मिल पति विशेष अंगो को। विनाशकारी प्रभाव तब होते है जब गोली महतवपूर्ण अंगो को लगती है जैसे दिल, फेफड़े, रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क की केंद्रीय तंत्रिका के तंत्र को नुकसान पहुंचता है। बंदूक की गोली की चोट के बाद मौत के आम कारणों में शामिल हाइपोक्सीया, दिल और मस्तिष्क पर लगी चोंटे अत्यधिक हानिकारक होती है। बंदूक की गोली के घाव आमतौर पर एक बड़ी डिग्री में शारीरिक और ऊतक विघटन के विनाश का कारण होते हैं। बैलिस्टिक आघात बहुत से प्रकार के हो सकते है क्यूंकि गोली भिन्न-भिन्न अंगो पर लगती है। गैर-घातक बंदूक की गोली के घाव अक्सर बहुत लम्बा और गहरा असर छोड़ते है शरीर के अंग पर, कभी-कभी तो उम्रभर वह अंग आपहिज भी हो जाता है। बंदूक की गोलियों का आघात शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर अलग होता है क्यूंकि हर हिस्से में बंदूक की गोली के प्रवेश और निकलने का स्थान अलग होता है। गोलियों का शारीर में घुसने का मार्ग और उनका विखंडन होना भी अप्रत्याशित होता है। बंदूक की गोली की चोटों में गोलियों की गतिशीलता का अध्ययन करने के विज्ञानं को प्राक्षेपिकी कहा जाता है।[4] हेलो दोस्तों thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी पुष्पा मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग, चलिए देखते हैं क्या है आज की खास जानकारी। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि गोली लगने पर दर्द से इंसान की मृत्यु होती है या गोली पर लगे गन पाउडर के जहर से इंसान की मौत होती है? चलिए आज हम बताते हैं आपको कि "कैसे गोली लगने से इंसान की मौत हो जाती है"।
दोस्तों हम सभी को पता है कि जब कभी किसी इंसान को गोली लगती है तो उसकी मौत बहुत जल्दी हो जाती है, इसी वजह से सैनिकों से लेकर पुलिस वालों तक हर किसी को बंदूक दी जाती है ताकि वो इसका प्रयोग करके सामने वाले मुजरिम को घायल कर सके। और वक्त आने पर उस को मौत के घाट उतार सके, पर आपके दिमाग में यह सवाल तो एक ना एक दिन जरूर आया होगा, कि किसी इंसान के शरीर में जब गोली लग जाती है तो उसकी मौत किस तरह से होती है गोली लगने के दर्द से या गन पाउडर के जहर से। दोस्तों यह सवाल बड़ा ही पेचीदा है और इसका जवाब भी आपको इसी लेख में मिलेगा तुम मेरे साथ जानी आपकी अपनी पुष्पा के साथ इस लेख में लास्ट तक ऐसे ही बने रहना। शुरू करने से पहले आपको बता दें कि आपने हमारे thebetterlives.com को अभी तक नहीं देखा है तो आज से ही देखना शुरू कर दीजिए हम आपके लिए लेकर आते हैं interesting जानकारी जो आपके लिए है बहुत जरूरी। दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं आजकल के इस एडवांस जमाने में, हथियार भी काफी एडवांस हो गए हैं पहले के जमाने में जब हमें किसी को नुकसान पहुंचाना होता था तो किसी भारी चीज से उस पर हम वार करते थे, फिर धीरे-धीरे समय और ज्यादा बदलने लगा और लोगों ने धारदार हथियारों को बनाना शुरू कर दिया ताकि धार की वजह से हथियार को सामने इंसान या किसी जानवर को ज्यादा बेहतर तरीके से घायल किया जा सके, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं हथियार तो धारदार हो जाते हैं लेकिन इनका इस्तेमाल हमें दुश्मन के पास जाकर करना पड़ता है, और इतनी देर में दुश्मन भी हम पर उलट वार कर सकता है इन सब चीजों को सोचकर बंदूक का आविष्कार हुआ था ताकि इसमें मौजूद बुलेट को आप दूर से ही फायर करके किसी का भी काम तमाम कर सकते हैं, दोस्तों आजकल तो खास तरह की बंदूकें आ गई है जिसका ना ही तो निशाना चुकता है और आप बहुत दूर से वार कर सकते हैं, लेकिन अगर हम किसी नॉर्मल बंदूक की बात करें तो उसके काम करने के तरीके के बारे में लोग अक्सर यह सोचते हैं की बंदूक से निकलने वाली गोली की स्पीड से लोगों की मौत होती है, लेकिन असली बात आपको पता चलेगी जब आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लेंगे, कि आखिर बंदूक में से निकलने वाली बुलेट क्या होती है, और किस तरह काम करती है ,दोस्तों हम में से अधिकतर लोग यह मानते हैं कि पूरी आकृति ही बुलट कहलाती है लेकिन नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दोस्तों बुलेट आगे का ठोस धातु होता है बाकी का हिसाब बुलेट कैस कहलाता है लेकिन लोग बुलेट कैस ना कह कर उसे भी बुलेट हीं कहते हैं, लेकिन दोस्तों बुलट केस को आम भाषा मे खोखा भी कहते हैं, क्योंकि इसी में गन पाउडर भरा होता है, और इस गोली के लास्ट में एक पिपॉइंट होता है जिस पर प्रहार किया जाता है, और इसे इंग्लिश में प्राइमर कहते हैं, अभी तक तो आपने यह देख लिया कि इसकी बनावट किस तरह की होती है, तो अब देखते हैं कि बुलेट काम किस तरह से करती है अगर सरल भाषा में कहा जाए तो गोली छोटी मिसाइल या रॉकेट होती है, क्योंकि जिस प्रकार रॉकेट का आगे का हिस्सा है काम का होता है, और बाकी क हिस्सा मात्र इंधन लेकर जाता है। ठीक इसी प्रकार गोली के साथ भी होता है क्योंकि बुलेट केस के अंदर एक खास प्रकार का पदार्थ भरा होता है जिसे हम गन पाउडर के नाम से जानते हैं, इस वजह से जब बंदूक से गोली चलाई जाती है तो बंदूक बुलेट केस के पीछे की तरफ मौजूद एक बिंदु जिसे प्राइमर कहते हैं उस पर जबरदस्त प्रेशर से दबाव डालती है और जब प्राइमर पर दबाव पड़ता है तो उस पर लगा सफरिंग चिंगारी पैदा करता है, और इसी चिंगारी से गन मैं बड़ा ही तेज विस्फोट होता हैजिसकी वजह से बुलेट केस को बहुत ही जोर से धक्का लगता है और वह गर्म होकर फैलता है जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमजोर हो जाती है पाउडर के विस्फोट के कारण उत्पन्न हुआ जबरदस्त फोर्स धक्का देता है ऐसा होने पर बुलेट आगे की तरफ बढ़ती है आप समझ गए होंगे कि हम बुलेट को रोकेट क्यों कह रहे थे, क्योंकि रॉकेट में पीछे फायर करके आगे की तरफ उड़ाया जाता है ठीक उसी तरह प्राइमर पर दबाव डालकर चिंगारी पैदा की जाती है ताकि प्राइमर में आग लग जाए और बुलेट अपने निशाने की तरफ से आगे बढ़ जाए, दोस्तों अब सवाल यह आता है कि गोली लगने से आखिर मौत क्यों होती है? अगर आपको यह चीज तो समझ में आई रही होगी की बुलेट के ऊपर कोई भी जहर लगा नहीं होता कि वह अपने फोर्स से निशाने की तरफ निकलती है और इसी फोर्स की वजह से इंसान के अंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचता है, क्योंकि गोली लगने से शरीर में हो रहा ब्लड फ्लो गोली लगने से रुक जाता है और वहां मौजूद ब्लड बाहर की तरफ बहना शुरू हो जाता है ऐसे में ज्यादा मौतें शरीर से खून बहने की वजह से होती हैं, कुछ मामले तो ऐसे भी देखे जाते हैं कि बुलट हड्डियों में फंस जाती है और फिर कभी बाहर निकल ही नहीं पाती, और सबसे नाजुक हालात तो तब होते हैं जब बुलेट सीधी दिल या फिर सिर पर लग गई हो, क्योंकि यह हमारे शरीर के बहुत ही नाजुक अंग होते हैं अगर इनमें ब्लड सरकुलेशन रुक जाता है तो इंसान की मौत होने में ज्यादा समय नहीं लगता, की वजह से आपने देखा होगा कि फिल्मों वगैरह मेंजब किसी की मौत होती है तो या तो वह नहीं सिर पर लगी होती है या उसके सीने पर और कहीं गोली लगने से इंसान बच सकता है दोस्तों यही कारण है जब कभी पुलिस वालों को बंदूक दी जाती है तो हमेशा उनको यह कहा जाता है कि हमेशा मुजरिम के पैर पर गोली मारे, जिसकी वजह से वह सिर्फ घायल हो और चले ना पाए क्योंकि उन्हें कभी भी मुजरिम के सीने पर या सिर पर गोली मारने की इजाजत नहीं होती। अगर पुलिस वाला एनकाउंटर कर रहा है तो एक ही बार में गोली मारकर उसका काम तमाम कर सकता है। गोली लगने के बाद मृत्यु का कारण है अंदर हुआ स्राव (रक्त स्राव एवं अन्य ) गोली से शरीर के भाग फट जाते है जिससे उनके अंदर का तरल बाहर निकल जाता है । विभिन्न भागो का यह तरल जब आपस मे मिलता है तो यह शरीर के लिये जहर उत्त्पन्न करता है जो कई अंगों को प्रभावित कर निष्क्रिय करता है। वरना हमेशा पैर पर ही गोली मारने की हिदायत दी जाती है दोस्तों हमें यकीन है कि आप बंदूक से निकलने वाली गोली से लेकर इंसान के अंदर घुसने तक का पूरा माजरा समझ गए होंगे। बाकी अब भी कोई कंफ्यूजन है तो कमेंट बॉक्स आपके लिए ही है हमें कमेंट करे। दोस्तों अगर आप भी हमारी तरह इंटरेस्टिंग स्टोरी पढ़ने के दीवाने हैं तो हमारी वेबसाइट thebetterlives.com पर आते रहिएगा आपको ऐसी ही रोचक और शानदार स्टोरी पढ़ने को मिलेंगी उम्मीद करती हूं आज की स्टोरी आपको पसंद आई होगी। |