गेहूं में कौन-कौन से तत्व पाए जाते हैं - gehoon mein kaun-kaun se tatv pae jaate hain

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नमस्कार ऑफिस में गेहूं में कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं या विटामिन पाए जाते हैं देखे हुए

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गेहूं में कौन-कौन से तत्व पाए जाते हैं - gehoon mein kaun-kaun se tatv pae jaate hain
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सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण और निदान

November 13, 2018December 28, 2019 5 min read

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सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के मुख्य कारणों में अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियों का उगाना, कार्बनिक खाद की कम मात्रा देना तथा फसल अवशेषों को जला देना है। अभी तक किसान नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन यह इस्तेमाल कतिपय जागरूक किसान, फसल में लक्षण परिलक्षित होने पर ही कर रहे हैं। यहां पर यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि फसल में किसी भी तत्व की कमी के लक्षण काफी देरी से परिलक्षित होते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। क्योंकि, पौधा पूरी कोशिश करता है कि वह पोषण और रक्षण की अपनी व्यवस्था खुद करे, जब पौधा अपनी रक्षा करने लगता है तो स्वाभाविक ही उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

बेहतर है, प्रत्येक 3 साल के अंतराल पर खेत में सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच करवाते रहें। जिस तत्व की कमी हो उसे खेत तैयारी में अंतिम जुताई के समय बुरक कर दें, ताकि फसल को उसकी कमी से जूझना ना पड़े। मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्व के प्रयोग करने पर उपलब्धता धीमी होती है, तथा फसल को 2-3 वर्ष तक ये तत्व सुलभ रहते है, यदि मिट्टी की जांच नहीं कराई है तो बुवाई के बाद से ही किसान को अपनी फसल पर सतत निगरानी रखनी चाहिए तथा निम्न लक्षणों के अनुरूप पोषक तत्व की कमी का पता लगाकर फसल को उसकी पूर्ति करें –

सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरान, आयरन (लोहा), मैगनीज, मॉलीब्डेनम, कॉपर, सल्फर आदि की फसलों को कम मात्रा की आवश्यकता होती है, लेकिन उत्पादन, उपज गुणवत्ता को ये नत्रजन, फास्फोरस (स्फुर) तथा पोटाश की तरह ही प्रभावित करते हैं। अ.भा. परियोजना के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश की आधी (50 पतिशत) मृदाएं जिंक, एक तिहाई (33 प्रतिशत) बोरान, 15 प्रश आयरन, 8 प्रतिशत कॉपर एवं 6 प्रतिशत मैगनीज की कमी से ग्रसित हैं। क्योंकि सभी सूक्ष्म पोषक तत्व पौधे की विभिन्न क्रियाओं में भाग लेते हैं, इसलिए किसी एक सूक्ष्म तत्व की कमी भी अन्य सूक्ष्म तत्व की उपलब्धता तथा क्रिया को प्रभावित करती है।
 

जिंक (जस्ता) 

जिंक प्रोटीन के निर्माण तथा उपज की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। इसकी कमी फसल में प्राय: 35 से 45 दिन के पश्चात दिखाई देती है। पहले इसकी कमी ऊपर से दूसरी से चौथी पत्ती पर परिलक्षित होती है। पहले पीले धब्बे, जो धीरे-धीरे पूरी पत्ती को पीली करते हैं तथा यह पीलापन धीरे-धीरे ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता है। इसकी कमी से गांठों के बीच की दूरी कम होने के कारण पौधे झाड़ीनुमा दिखते हैं तथा बाली भी देरी से निकलती है। इसकी पूर्ति के लिए 20-25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हे. का अंतिम जुताई पर प्रयोग करें। खड़ी फसल में कमी होने पर 0.5 प्रश जिंक सल्फेट एवं 0.25 प्रतिशत बिना बुझे चूने का 2-3 बार 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। इसके लिए 1 किलो जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत) एवं 0.5 किलो बिना बूझा चूना 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

बोरान

बोरान का मुख्य कार्य कोशिका विभाजन तथा वृद्धि करना है। यह पराग के विकास में महत्वपूर्ण है। इसकी कमी का मुख्य प्रभाव ऊपर की पत्ती (जिसे फ्लो-लीफ कहते हैं) तथा नई कलियों पर पड़ता है। पत्ती छोटी, धब्बेदार हो जाती है। फलियों का विकास रुक जाता है। रंग भूरा-काला होने लगता है। बाली के कुछ हिस्से या पूरी बाली में दाना नहीं बनता है। इसकी पूर्ति के लिए 10 किलो बोरेक्स/हे. अंतिम जुताई के समय में बुरकें। खड़ी फसल में कमी होने पर 0.5 प्रतिशत बोरेक्स (10.5 प्रतिशत) का 2-3 बार छिड़काव करें। फूल आने के समय बोरान की कमी होने पर बाली में दानों का पडऩा प्रभावित होता है। अधिक बोरान का प्रयोग भी बुरा असर डालता है।

आयरन (लोहा)

आयरन का  मुख्य कार्य क्लोरोफिल बनाना है, जो कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए आवश्यक है। साथ ही ये नत्रजन व सल्फर के स्वांगीकरण में सहायक है। इसकी कमी में गेहूं की नई पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, लेकिन पत्ती की मुख्य शिराएं हरी रहती हैं। बाद में पत्ती भूरी होकर सूख जाती है।

इसकी पूर्ति के लिए 15-20 किग्रा/हे. फेरस सल्फेट (20 प्रतिशत) इस्तेमाल करें। यदि खड़ी फसल में कमी के लक्षण दिखें तो 1 प्रश फेरस सल्फेट का 2 या 3 बार छिड़काव करें। ध्यान रहे कि लक्षण दिखते ही छिड़काव करें ताकि अधिक नुकसान न हो।

मैगनीज

यह पौधे की कई एंजाइम्स की सामान्य प्रक्रिया, नत्रजन, उपापचय तथा प्रकाश संश्लेषण में महत्वपूर्ण है। इसकी कमी में पत्तियां (नई) आयरन की कमी की तरह पीली पड़ती हैं, लेकिन शिराएं हरी रहती हैं। इसकी पूर्ति के लिए 0.5 प्रतिशत मैगनीज सल्फेट का 2-3 बार खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए।

मोलिब्डेनम

इसका मुख्य कार्य जैविक नत्रजन स्थिरीकरण तथा प्रोटीन निर्माण में सहायता करना है। कमी होने पर पुरानी पत्तियों पर हल्के भूरे या पीले धब्बे पड़ते हैं तथा शिराएं दिखने लगती हैं। पत्ती मुडऩे लगती है। कभी-कभी प्यालेनुमा आकार ले लेती हैं।

इसकी पूर्ति के लिए खेत तैयारी के समय 2-3 किग्रा प्रति हे. सोडियम मोलिब्डेट या अमोनियम मालिब्डेट का इस्तेमाल करें। बाद में लक्षण परिलक्षित होने पर 0.2 प्रश अमोनियम मालिब्डेट का छिड़काव करें।

सल्फर (गंधक)

सल्फर अमीनो एसिड्स तथा फैटी एसिड्स का प्रमुख अंश है। इसकी कमी भी ऊपरी पत्तियों पर पहले परिलक्षित होती है। पत्ती पीली, लेकिन शिराएं अधिक पीले रंग की हो जाती हैं। इसकी पूर्ति सल्फर वाले खाद मुख्य रूप से सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) से की जाती है। खेत तैयारी के समय 40 किग्रा प्रति हे. सल्फर तत्व या जिप्सम देकर भी उसकी पूर्ति की जा सकती है।

कॉपर (तांबा)

कॉपर क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक है। यह कई एन्जाइम्स का हिस्सा है तथा जैविक नत्रजन के स्थिरीकरण के लिए आवश्यक है। कॉपर की कमी से पत्तियां (नई) पीली पड़कर सफेद होने लगती हैं तथा चमक खो देती हैं। पत्तियों की शिराएं भी रंग बदल देती हैं। पत्तियां झडऩे लगती हैं। इसकी पूर्ति के लिए भूमि में 1.5 से 2 किग्रा/हे. कॉपर सल्फेट का इस्तेमाल करें। खड़ी फसल में 0.025 प्रतिशत कॉपर सल्फेट (पैंटी हाइड्रेट 24 प्रतिशत) का छिड़काव करके भी इसकी पूर्ति की जाती है। फसल यदि पीली पडऩे लगे तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें। इसके लिए कुछ प्रभावित पौधे जड़ समेत उखाड़कर विशेषज्ञ के पास ले जाएं या खेत पर ही विशेषज्ञ को लाएं ताकि समय पर निदान हो सके। उपरोक्त वर्णित लक्षणों को समझें, फसल में होने वाले लक्षणों को मिलान करें।

गेहूं में कौन सा पोषक तत्व मिलता है?

गेहूं पोषक तत्वों के एक मेजबान से भरा होता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें उत्प्रेरक तत्व, विटामिन ई, विटामिन बी, खनिज लवण, तांबा, कैल्शियम, आयोडाइड, मैग्नीशियम, जस्ता, पोटेशियम, मैंगनीज, सल्फर, सिलिकॉन, क्लोरीन और आर्सेनिक शामिल हैं, यही कारण है कि यह किसी भी आहार के लिए एक महान आधार है।

गेहूं के आटे में कौन कौन से विटामिन होते हैं?

गेहूं का आटा यह फोलिक एसिड, मैंगनीज, मैग्नीशियम, सेलेनियम, विटामिन ई, विटामिन बी 6, कॉपर और जिंक जैसे विभिन्न पोषक तत्वों का एक मुख्य स्रोत है.

गेहूं में पाए जाने वाले प्रोटीन क्या है?

ग्लूटेन नामक प्रोटीन गेहूं में पाया जाता है.

गेहूं में कौन सा हार्मोन होता है?

Detailed Solution. सही उत्तर कवक है। गेहूं की किट्ट (रस्ट ऑफ़ व्हीट) कवक पक्सिनिआ के कारण होती है।